भगवान शंकर की पूजा हम खासकर से सोमवार को करते हैं परन्तु सावन की शिवरात्रि पर उपवास करने और पूजा-पाठ करने पर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की आराधना का फल मिलता है।हमारें पुराणों में भी इस दिन के महत्त्व का उल्लेख मिलता है। इस दिन शिव-पार्वती की उपासना करने वाला व्यक्ति अपनी समस्याओं से मुक्त होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। सावन के पवित्र महीने के तो हर दिन ही भक्ति की दृष्टि से खास होते है और इन्ही खास दिनों में भगवान शिव के पूजन का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है सावन की शिवरात्रि।
सावन की शिवरात्रि पर 10 लाइन (10 Lines on Shivratri of Sawan in Hindi)
आज इस लेख में 10 वाक्यों के सेट से हम सावन की शिवरात्रि के बारे में जानेंगे।
Set 1
1) सावन महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन की शिवरात्रि होती हैं।
2) एक वर्ष में कुल 12 बार शिवरात्रि पड़ती है।
3) सबसे ख़ास फाल्गुन की महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि मानी जाती है।
4) इस दिन भगवान शिव के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है।
5) इस दिन कांवड़ यात्री भी शिवलिंग पर जल चढ़ाना अधिक पसंद करते हैं।
6) सावन की शिवरात्रि की पूजा शिव-पार्वती दोनों के लिए की जाती है।
7) इस दिन उपवास रखना और दर्शन पूजन करना अधिक फलदायी माना जाता है।
8) इस दिन सभी मंदिरों से महामृत्युंजय मंत्र और ओम नमः शिवाय की ध्वनी आती है।
9) सावन माह के सभी महत्वपूर्ण दिनों में ये सबसे उत्तम दिन होता है।
10) सभी 18 पुराणों को पढ़ने पर भगवान शिव और शिवरात्रि के महत्त्व का पता चलता है।
Set 2
1) पुराणों के अनुसार शिव का विवाह रात्रि में होने के कारण इसे शिवरात्रि की संज्ञा दी गयी है।
2) यह हिन्दुओं के लिए एक पर्व के समान है।
3) यह दिन शिवभक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है।
4) इस दिन मुख्य रूप से कुंवारी कन्याएं व विवाहित महिलाएं शिव की आराधना करती हैं।
5) इस दिन भगवान शिव को भांग, धतुरा, बेलपत्र, गंगा जल व दूध आदि अर्पित किया जाता है।
6) इस दिन सभी भक्तगण शिव का नाम जपते हुए शिवलिंग के फेरे लगाते हैं।
7) शिवरात्रि के दिन हिन्दू धर्म में नाग देवता की भी पूजा करने की प्रथा है।
8) इस दिन कई जगहों पर भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है।
9) सावन की शिवरात्रि भक्तों के लिए भक्ति का एक विशेष अवसर है।
10) पुराणों के अनुसार सावन की शिवरात्रि के उपवास से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रत्येक माह के 2 चतुर्दशी में एक शिवरात्रि होती है। परन्तु 2 शिवरात्रि ऐसी है जिनपर मंदिरों में अत्यधिक भीड़ हो जाती है। भक्तों की इतनी भीड़ ही भगवान शिव और इस दिन के महत्व को बयाँ कर देती है। भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में तो सूर्योदय के पहले से ही कतार लगने लगती है और श्रद्धालुओं की भीड़ रात तक दर्शन पूजन के लिए आती रहती है।