पर्यावरण पर कविता

Save Environment

पर्यावरण का अर्थ हमारे पृथ्वी के परिवेश से है जो हमें चारो ओर से घेरे है तथा जिसके अंतर्गत हम अपना जीवन व्यतीत करते है। आज के समय में दिन-प्रतिदिन पर्यावरण पे संकट गहराता जा रहा है, क्योंकि नित्य बढ़ते प्रदूषण का इसपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि आज के समय में पर्यावरण संरक्षण का महत्व और भी ज्यादे बढ़ जाता है और यदि हमनें इस समस्या पर अभी भी ध्यान नही दिया तो वह दिन दूर नही, जब अपनी ही गलतियों के कारण मानव जाति के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगेगा।

पर्यावरण पर कवितायें (Poems on Environment in Hindi)

कविता 1

प्रदूषण पर्यावरण के लिए अभिशाप

जिसे कहते है पृथ्वी का आवरण वह है हमारा पर्यावरण,

प्रदूषण बन गया है पर्यारण के लिए चिंता का कारण|

 

यह प्रदूषण इस कदर बढ़ रहा जिसका नही कोई है माप,

देखो कैसे धीरे-धीरे यह प्रकृति के लिए बन रहा अभिशाप|

 

हरियाली खत्म हो रही धधक रही सूर्य की ज्वाला,

बढ़ता प्रदूषण ओजोन परत को बना रहा अपना निवाला|

 

यदि ऐसे ही चलता रहा तो होगा प्रकृति को बड़ा नुकसान,

प्रकृति की रक्षा करों प्रदूषण रोक लौटाओ उसका सम्मान|

 

देखो कैसे चारो ओर मचा रखा है, प्रदूषण ने हाहाकार,

वृक्षारोपण करके लाओ खुशहाली, करो तुम प्रदूषण पर वार|

 

प्रकृति का करो सम्मान पर्यावरण स्वच्छता का रखो ध्यान,

पृथ्वी के हम है उत्तराधिकारी इसलिए करों इसका सम्मान|

 

प्रकृति है हमारी पृथ्वी की सुंदरता और इसका अभिमान,

इसलिए इसकी रक्षा हेतु तुम चलाओ प्रदूषण मुक्ति अभियान|

 

—————– Yogesh Kumar Singh

 

कविता 2

प्रकृति का सम्मान

हरियाली खत्म हो रही, नही कहीं है छांव,

हरे मैदान बन रहे शहर, प्रकृति को देकर घाव|

 

जिस तरह से, मरघट पर नही पनपती हरियाली,

वैसी ही क्रंक्रीट के जंगलो में नही आती खुशहाली|

 

प्रकृति को देना धोखा, कैसा है यह पागलपन,

कैसे भूल गये तुम, यह प्रकृति तुम्हे है देती जीवन|

 

समझो इस बात को, प्रकृति है हमारी माँ समान,

प्रदूषण से रक्षा करके, तुम इसे दो सम्मान|

 

ऐसा कार्य करों कि, पृथ्वी का पर्यावरण रहे स्वच्छ,

तभी संभव है, पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित और समस्त|

 

हरे भरे मैदान चाहिये, या फिर ये पथरीले नगर,

यह फैसला हमें करना है, चुननी है हमें कौन सी डगर|

 

पाषाण काल से तरक्की प्राप्त मनुष्य, फिर उसी ओर जाता है,

देखो हरे-भरे मैदान काटकर, पत्थर के नगर बासाता है|

 

यदि ऐसा हम करेंगे तो, प्रकृति कैसे रहेगी सुरक्षित,

आओ मिलकर प्रण ले, प्रदुषण रोकथाम को करेंगे सुनिश्चित|

 

तो आओ मिलकर प्रण ले, करेंगे प्रकृति का सम्मान,

अब से प्रदूषण फैलाकर, नही करेंगे इसका अपमान|

 

——————-Yogesh Kumar Singh

 

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