6th फेल आईएएस टॉपर रुक्मणि रियार की कहानी

IAS Rukmani Riar

एक ऐसी महिला जिसने खुद को आम से खास बनाया है, छठवीं फेल से खुद को आईएएस टॉपर बनाया है, आज इस वीडियो में हम जानेंगे उनकी छठवीं फेल से खुद को आईएएस बनाने तक का सफर।

Story of 6th Fail IAS Topper Rukmani Riar

दोस्तों हाल ही में आपने न्यूज़ सुना होगा कि राजस्‍थान कैडर की आईएएस अधिकारी रुक्मणि रियार जयपुर ग्रेटर नगर निगम की आयुक्‍त बनी हैं। तो कौन हैं ये रुक्मणि रियार जिन्हे छठवीं क्लास में ही फेल होने का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी कड़ी मेहनत से उनकी लाइफ में गजब का ट्विस्ट हुआ और वो बन गयी छठवीं फेल से आईएएस टॉपर। वो हम सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गयीं है और उन्होंने महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल कायम की है। इसलिए उनके बारे में बात करना तो बनता है – उनकी कहानी आपसे शेयर करना तो बनता है ताकि हम सब भी उनसे प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य को पा सकें – न कि हारकर थककर बैठ जायें।

तो आईये जानते हैं कौन है रुक्मणि रियार, वो छठवीं क्लास में ही फेल कैसे हो गयी और आईएएस टॉपर कैसे बनी ?

दोस्तों रुक्मणि रियार भारतीय प्रशासनिक सेवा की वो ऐतिहासिक अफसर हैं, जो कक्षा छह में ही फेल होकर भी फर्स्ट एटेम्पट में यूपीएससी क्रैक कर डाली। उन्होंने 2011 में अखिल भारतीय स्‍तर पर 2nd रैंक हासिल करके ये दिखा दिया की जब जागो तभी सवेरा – लेकिन जागना जरुरी है वो भी बहुत देर हो जाने से पहले !

आईएएस अधिकारी रुकमणि रियार इस समय हनुमानगढ़ जिला कलेक्‍टर पद से जयपुर ग्रेटर नगर निगम आयुक्‍त है।

प्रेरणाजनक बात ये है कि राजस्‍थान में 2012 की आईएएस अधिकारी रुक्‍मणि रियार के पति भी आईएएस हैं जिनका नाम है सिद्धार्थ सिहाग, जो इस समय चूरू जिला कलेक्‍टर पद से संयुक्‍त सचिव मुख्‍यमंत्री के पद पर जयपुर में पोस्टेड है।

12 जून 1987 को पंजाब के होशियारपुर में जन्मी रुक्‍मणि रियार सामाजिक विज्ञान में एमए की है लेकिन शुरुवाती पढाई के दौरान लापरवाही की वजह से वो कक्षा छह में ही फेल हो गई थीं फिर अपनी लगातार कड़ी मेहनत के दम पर 2011 में यूपीएससी पहले अटेम्प्ट में ही सेकंड टॉपर बनीं।

दोस्तों जैसा कि हमसब बहुत अच्छे से जानते हैं कि यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा अपने देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। कई लोगों को तो सालों तैयारी करने पर भी सफलता नहीं मिलती लेकिन कुछ को पहले एटेम्पट में ही जिनकी कहानी युवाओं को प्रेरित करने वाली होती है और उनमे से एक हैं रुक्‍मणि रियार। हाल ही में आईपीएस मनोज शर्मा की कहानी पर आधारित 12th फेल मूवी को दर्शकों ने खूब सराहा – महिला IAS रुक्‍मणि रियार की कहानी भी मनोज शर्मा से मेल खाती है।

शुरुवाती दौर में रुक्‍मणि पढ़ने में कुछ खास नहीं थी और स्कूल में प्रतिभाशाली छात्रा भी नहीं थी। प्राइमरी शिक्षा गुरदासपुर से लेने के बाद चौथी क्लास में डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल में एडमिशन लिया जहां 12वीं तक पढ़ाई की उसके बाद गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर से सामाजिक विज्ञान में स्नातक किया फिर Tata Institute of Social Sciences (TISS) मुंबई से सामाजिक विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की जहाँ गोल्ड मेडलिस्ट भी बनीं।

Tata Institute से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने मैसूर में अशोदा और मुंबई में अन्नपूर्णा महिला मंडल जैसे एनजीओ के साथ इंटर्नशिप की और दोस्तों यही उनकी लाइफ की वो टर्निंग पॉइंट थी जब उनका झुकाव सिविल सेवा की तरफ हुआ। सिविल सेवा में रुचि जागने पर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का सोचा। और फिर क्या था अपने पहले ही अटेम्प्ट में टॉपर बन गई – इससे ज्यादा हैरानी आपको ये जानकर होगी कि रुक्मणी यूपीएससी की तयारी के लिए बिलकुल भी कोई अलग से कोचिंग नहीं की थी, वो सिर्फ अपनी 6वीं से लेकर 12वीं तक की एनसीआरटी की किताबे पढ़ीं, उसके अलावा मैगजीन, अखबार और कुछ अन्य सम्बंधित किताबें भी पढ़ा करती थीं। इनकी सफलता की कहानी सभी UPSC उम्मीदवारों को प्रेरित करने वाली है और उनकी कक्षा 6 में फेल होने से लेकर यूपीएससी में 2nd रैंक हासिल करने तक की ये जर्नी लाखों युवाओं और सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है।

इसलिए अगर आप पढ़ाई में कमजोर हैं, या शुरुआत में आपने कुछ अच्छा परफॉर्म नहीं किया तो कोई बात नहीं – बिलकुल हताश न हों – जिस दिन से आप होश संभल लेंगे, लक्ष्य को लेकर जागरूक हो जायेंगे – दिन रात एक कर देंगे – दोस्तों उसी दिन आप आधी जंग जीत लेंगे और हर दिन आप अपने लक्ष्य के करीब होंगे।

दोस्तों मेरी पूरी कोसिस रहती है की मै आप सभी महिलाओं को प्रेरित करने के लिए कुछ ऐसी चीजे शेयर करूं जो सच में आपको मोटीवेट करे प्रेरित करे – दोस्तों हम सब को अपने लिए खुद ही कोसिस करनी पड़ेगी – किसी के देने या लेने से महिला सशक्तिकरण नहीं आएगा – आएगा तो सिर्फ हमारी मेहनत से, संघर्ष से, हमारी जागरूकता से और देश-समाज के लिए कुछ कर दिखाने की चाहत से – तो हे महिला शक्ति – उठो जागो संघर्ष करो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को न पा लो।