पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना ही पर्यावरण संरक्षण कहलाता है। पर्यावरण संरक्षण का मुख्य उद्देश्य भविष्य के लिए पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। इस सदी में हम लोग विकास के नाम पर पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि हम पर्यावरण संरक्षण के बिना इस ग्रह पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। इसलिए हम सभी को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
पर्यावरण सुरक्षा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment Protection in Hindi, Paryavaran Suraksha par Nibandh Hindi mein)
निबंध – 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
आज के मानव ने प्रकृति पर पूर्णतः विजय पा ली है। यह विकास की दृष्टि से तो ठीक है, परंतु ऐसा करके मानव ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी है। विज्ञान की मदद से मानव चांद पर भी चला गया है, पर जिस हिसाब से आधुनिकता के नाम पर उसने प्रकृति से छेड़छाड़ की है, उसका खामियाजा तो हम मानवों को ही भुगतना पड़ेगा।
अगर समय रहते हम नहीं चेते और पर्यावरण को बचाने के बारे में नहीं सोचा तो, इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। पूरे सौर-मंडल में केवल हमारी पृथ्वी पर ही जीवन संभव है। परंतु यह अधिक दिनों तक संभव नहीं है। हमें समय रहते, पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करके सुरक्षित करना है।
पर्यावरण सुरक्षा क्या है?
पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि अर्थात ‘चारों ओर’ और आवरण का अर्थ है ‘घेरे हुए’। हमारे चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते है। दूसरे शब्दों में मानव, वनस्पति, पशु-पक्षी सहित सभी जैविक और अजैविक घटकों के समूह को पर्यावरण कहते हैं। इसमें हवा, पानी, मिट्टी, पेड़, पहाड़, झरने, नदियां आदि सभी आते हैं।
पर्यावरण संरक्षण को पारिस्थितिकी प्रणालियों और उनके घटक भागों में अवांछित परिवर्तनों की रोकथाम के रुप में भी परिभाषित कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि पर्यावरण संरक्षण
- मानव गतिविधियों से जुड़े परिवर्तनों से पारिस्थितिक तंत्र और उनके घटक भागों की सुरक्षा; तथा
- पारिस्थितिक तंत्र और उनके घटक भागों में अवांछित प्राकृतिक परिवर्तनों की रोकथाम करने का नाम है।
उपसंहार
पर्यावरण संरक्षण व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों द्वारा प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करने का काम है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और मौजूदा प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण करना है, और जहां संभव हो, क्षति और पुनर्निमाण उपायों पर ध्यान इंगित करना है। पारिस्थितिक दृष्टिकोण से, मनुष्यों को पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग माना जाता है।
निबंध – 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
पर्यावरण में जितना महत्व मनुष्यों का है, उतना ही अन्य जीव-जन्तुओं का भी। अकेले मानवों के अस्तित्व के लिए भी पेड़-पौधो की उपस्थिति अनिवार्य है। प्राणवायु ऑक्सीजन हमें इन वनस्पतियों के कारण ही मिलती हैं।
वैज्ञानिक गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। साथ ही कभी औद्योगिकीकरण के नाम पर तो कभी शहरीकरण के नाम पर पेड़ो की अंधाधुंध कटाई हुई है। बढ़ती जनसंख्या के कारण भी पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है।
लोगों को वन संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। वन पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, वनों की कटाई निश्चित रूप से दुनिया भर के जंगलों के क्षेत्र को कम करती है।
पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम
हमारा पर्यावरण प्राकृतिक और कृत्रिम परिवेश, दोनों का मिलाजुला स्वरुप है। इसके अन्तर्गत पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण की बात की जाती है।
पर्यावरण सुरक्षा की गंभीरता को देखते हुए 5 जून, 1972 में पहली बार स्टॉकहोम (स्वीडन) में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भारत ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाया और 1986, में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम पारित कर दिया। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वातावरण में घुले घातक रसायनों की अधिकता को कम करना और पारिस्थितिकीय तंत्र को प्रदूषण से बचाना है।
इस अधिनियम में कुल 26 धाराएं हैं। और इन धाराओं को चार अलग-अलग अध्यायों में विभक्त किया गया है। यह कानून पूरे भारतवर्ष में 19 नवंबर, 1986 से प्रभावी है। यह एक वृहद अधिनियम है जो पर्यावरण के सभी मुद्दों पर एकसमान रुप से नज़र रखता है। संक्षेप में कह सकते हैं कि –
- इस अधिनियम का निर्माण पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए बनाया गया है।
- यह पर्यावरण के लिए, किए गए स्टॉकहोम सम्मेलन के सभी नियमों का पालन करता है।
- अपेक्षित कानूनों का गठन करता है और उनके बीच संतुलन स्थापित भी बनाये रखता है।
- पर्यावरण के लिए अगर कोई खतरा उत्पन्न करता है तो उसके लिए दंड का भी प्रावधान है।
उपसंहार
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह सरकार द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम है। यह कानून सरकार को ऐसी शक्तियां प्रदान करता है जिसके आधार पर सरकार, पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपेक्षित कदम उठाती है और पर्यावरण के लिए गुणवत्ता मानक तय करती है। इतना ही नहीं जो उद्योग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है, उनके लिए कड़े नियम बनाती है और उन पर नकेल भी कसती है। इसके तहत कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को प्रतिबंधित भी किया है।
निबंध – 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
हाल के कुछ दशकों में मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ा है। ओजोन परत का क्षरण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। साथ ही वैश्विक उष्मीयता (ग्लोबल वार्मिंग) दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। मानवों द्वारा वनों की कटाई ही पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है।
पर्यावरण को कई अवांछनीय कारक जोकि मानव स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधनों और प्रदूषण के कारकों जैसे प्रदूषण, हरितगृह प्रभाव (ग्रीनहाउस) आदि के कारण प्रभावित होते हैं।
पर्यावरण सुरक्षा का उद्देश्य, कारण एवं प्रभाव
पर्यावरण की सुरक्षा और मानव अस्तित्व के लिए उसकी प्रासंगिकता को देखते हुए 3-14 जून 1992, के मध्य ब्राजील के शहर ‘रियो डी जेनेरियो’ में प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें विश्व के 174 देशों नें हिस्सा लिया। पर्यावरण का संरक्षण समस्त मानव जाति के साथ-साथ इस धरती के सभी जीव-जंतुओं के जीवन के लिए अति आवश्यक है।
यह सिलसिला आगे भी प्रवाहमान रहा और दस साल बाद सन् 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन का पुनः आयोजन किया गया और विश्व के सभी देशों से पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाये गये नियमों का पालन करने का आग्रह किया गया। यदि पर्यावरण संरक्षित रहेगा, तभी यह पृथ्वी सुरक्षित रहेगी, और पृथ्वी सही सलामत रहेगी, तभी हम जीवित रह पायेंगे। सभी एक-दूसरे से जुड़े है। पर्यावरण का संरक्षण हमें किसी और के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए करना है।
जलवायु परिवर्तन
97% जलवायु वैज्ञानिक इस बात को मानते है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इसका मुख्य कारण है। शायद अधिक चरम मौसम की घटनाओं जैसे कि सूखा, जंगल की आग, गर्मी की लहरें और बाढ़ जैसी घटनाओं कार्बन के अधिक उत्सर्जन के कारण ही होता है।
अब दुनिया को सावधान हो जाना चाहिए और कार्बन उत्सर्जन को कम कर देना चाहिए, अन्यथा इसके भीषण परिणाम भोगने पड़ सकते हैं। इस वक़्त विश्व का लगभग 21 प्रतिशत कार्बन अकेले अमेरिका उत्सर्जित करता है।
अगर प्रत्येक व्यक्ति मिल कर अपना योगदान दें तो कार्बन का उत्सर्जन कम किया जा सकता है। हम अपने घर से ही शुरुआत कर सकते हैं। कम से कम गाड़ियों का इस्तमाल करें, और कोशिश करें कि विद्युत चलित वाहनों का इस्तमाल करें।
वनोन्मूलन
वनों की कटाई से कार्बन की मात्रा पर्यावरण में बहुत ज्यादा हो गयी है। पेड़ कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण कर लेते हैं और हमें प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं, किंतु उनकी कटाई से पूरा चक्र ही बाधित हो गया है। यह अनुमान है कि कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 15 प्रतिशत वनों की कटाई से होता है।
उपसंहार
वन्यजीवों के आवासों पर मानव अतिक्रमण बढ़ने से जैव विविधता का तेजी से नुकसान हो रहा है जिससे खाद्य सुरक्षा, जनसंख्या स्वास्थ्य और विश्व स्थिरता को खतरा है। जैव विविधता के नुकसान में जलवायु परिवर्तन का भी बड़ा योगदान है, क्योंकि कुछ प्रजातियां बदलते तापमान के अनुकूल नहीं बन पाती हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के लिविंग प्लेनेट इंडेक्स के अनुसार, पिछले 35 वर्षों में जैव विविधता में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उपभोक्ताओं के रूप में हम सभी पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले उत्पादों को खरीदकर जैव विविधता की रक्षा में मदद कर सकते हैं। साथ ही पॉलिथीन के स्थान पर घर का बना कपड़े का थैला प्रयोग कर सकते हैं। यह प्रयास भी पर्यावरण संरक्षण में हाथ बंटाएगा।