क्या आवश्यक है – मुफ़्त राशन या रोजगार पर निबंध (Do We Need Free Ration or Rojagar Essay in Hindi)

वर्तमान समय के महंगाई और प्रतियोगिता भरे जीवन में गुजारा कर पाना गरीब और अकुशल व्यक्ति के लिए बहुत ही मुश्किल हो चुका है। ऐसे वर्गों के लोगों को जीवन यापन के लिए अतिरिक्त सुविधाओं की अत्यंत आवश्यकता होती है। जो वर्ग आर्थिक रूप से पिछड़ा है, मुफ़्त राशन जैसी सुविआधाओं से उसके परिवार के भरण पोषण में काफी हद तक मदद मिल जाती है। जबकि वह युवा जो एक से एक शिक्षा ग्रहण करके बैठ है क्या उसकी जरूरत सिर्फ मुफ़्त राशन जैसी सिद्धाओं से पूरी हो जाएगी? क्या ऐसे युवा का भविष्य 4-5 किलो मुफ़्त राशन उपलब्ध कराने से सँवर जाएगी?

क्या 21वीं शताब्दी में हमें मुफ़्त राशन की आवश्यकता है या रोजगार पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Do We Need Free Ration or Rojagar in 21st Century in Hindi, Hame Muft Rashan ki Awashyakata hai ya Rojgar par Nibandh Hindi mein)

इस बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए निबंध को पूरा पढ़े, उम्मीद करता हूँ ये निबंध आपके लिए उपयोगी होगा:

मुफ़्त राशन या रोजगार – 1050 शब्द

प्रस्तावना

21वीं शताब्दी में जब हमारे देश की जनसंख्या लगभग 138 करोड़ हो चुकी है, देश में गरीबी और बेरोजगारी का दर तेजी से बढ़ता जा रहा है। गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों के लिए सरकार ने बहुत ही नगण्य मूल्य में राशन देने का प्रावधान किया है जिससे उस वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से तो मदद मिल जाती है लेकिन उसी वर्ग के वे युवा जो किसी तरह अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बावजूद रोजगार के लिए इधर उधर भटक रहे हैं। वर्तमान समय में इस युवा को अपने भविष्य के लिए अतिरिक्त सुविधाएं चाहिए जिससे वह विकास के कार्य में अपना योगदान दे सके।

मुफ़्त राशन संबंधी प्रमुख सरकारी योजनाएं

सरकार समय समय पर जरूरत के हिसाब से बहुत सी ऐसी योजनाएं लाती रहती है जिससे जरूरतमंदों को दो वक्त का भोजन नसीब हो सके। इसी क्रम में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मार्च 2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana) की शुरुआत की। इस योजना के तहत कोरोना महामारी के समय सरकार ने देश की करीब 80 करोड़ जनता को मुफ़्त राशन उपलब्ध कराया था। इससे पूर्व खाद आपूर्ति तथा उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा 25 दिसंबर 2000 को अंत्योदय अन्न योजना की शुरुआत लगभग 10 लाख परिवारों को लाभान्वित करने के लिए की गई। जिसमें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए प्रति माह अधिकतम 20 किलो गेंहू और 15 किलो चावल, गेहूं ₹2 प्रति किलो तथा चावल ₹3 प्रति किलो के हिसाब से देने का प्रावधान किया गया है।

रोजगार संबंधी प्रमुख योजनाएं

भारत सरकार समय समय पर युवाओं के रोजगार और कौशल विकास के लिए तरह तरह की योजनाएं लाती रही है। जिसमें दीनदयाल अंत्योदय योजना काफी प्रमुख है। इस योजना के अंतर्गत कौशल विकास के माध्यम से लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करके गरीबी को कम करने का प्रयास किया गया है। इस योजना की शुरुआत “आवास और शहरी उपशमन मंत्रालय” के अंतर्गत किया गया। 500 करोड़ रुपये की लागत वाला यह योजना “राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन” तथा “राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन” का समिश्रण है। इस योजना के अंतर्गत लगभग 4000 शहरों और कस्बों को लाभान्वित करने का प्रयास है।

सरकारी योजनाओं के प्रति युवाओं की सोच

वैसे तो सरकार द्वारा समय समय पर बहुत सी ऐसी योजनाएं लाई जाती हैं जिससे देश के युवाओं को अपने कौशल विकास में काफी मदद मिलती है। इन सभी योजनाओं के पीछे छिपे सरकारों का स्वार्थ आज कल के युवा बहाली बहन्ति समझते हैं। उन्हें इस बात का आभास हो जाता है कि कौन सी योजना सरकार अपनी किस नाकामी को छिपाने के लिए लाई है। तमाम कौशल विकास की योजनाओं की मदद से व्यक्ति कुशल तो बन ही सकता है परंतु उस कुशलता का प्रयोग वो करेगा कहाँ यदि उसके पास कोई मौकारी या रोजगार नहीं होगा तो?

आज कल लगभग सभी युवा के पास कोई न कोई डिग्री अवश्य है लेकिन उस डिग्री का कोई इस्तेमाल कर पाने में वह असमर्थ है। किसी भी सरकारी या निजी संस्थानों में कर्मचारियों की कोई भी नई नियुक्ति के इंतजार में तो अभ्यर्थी के नौकरी की उम्र सीमा ही निकल जाती है। अगर कभी कोई संस्था किसी तरह की नियुक्ति निकलती भी है तो उसे पूरा करने में वर्षों चला जाता है। ऐसे में कौशल की संबंधी योजना लाने में सरकार का स्वार्थ स्पष्ट दिखाई देता है।

आज के युवा को मुफ़्त राशन की जरूरत है या फिर रोजगार की?

अगर हम भारत देश की वर्तमान स्थिति को देखकर इस बात का आकलन करें कि आज के युवा को मुख्य जरूरत क्या है तो उत्तर में हमें सभी युवाओं से रोजगार ही मिलेगा। आज का युवा जो ज्यादा पढ़ लिखा भी नहीं है उसकी भी मानसिकता यही होती है कि वह अगर कोई संस्था में नौकरी नहीं कर सकता है तो कम से कम कोई रोजगार करके अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। परंतु सच्चाई यह है कि वर्तमान समय में कोई भी रोजगार जमा पान बहुत ही कठिन हो चुका है और यह कठिनाई एक गरीब परिवार के सामने और बड़ी बन जाती है।

जो युवा पढ़ा लिखा है और बचपन से ही किसी संस्था में किसी पद को अपना लक्ष्य बनाकर बड़ा हुआ है, वर्तमान समय में उसके लिए उस पद को पाना बहुत मुश्किल हो चुका है। यदि कोई युवा सरकारी संस्था में कार्य करने का सपना देखता है, तब तो यह वर्तमान समय में और भी अधिक चुनौती पूर्ण साबित होता है। लाख पढ़ाई लिखाई में पैसे खर्च करने के बावजूद भर्तियों का न आना और आने पर भी उसे पूरा करने में 3-4 साल लगा देना आज कल के गरीब घर के बच्चों के लिए काफी निराशाजनक स्थिति उत्पन्न कर देता है। ऊपर से भर्तियों को छोटे छोटे टुकड़ों में लाकर आवेदन शुल्क वसूलना उन गरीब युवाओं को आर्थिक रूप से और भी अधिक कमजोर बना देता है।

सरकारी भर्तियों की वर्तमान स्थिति पर सुझाव

सरकार को नियुक्ति निकालने से संबंधित तरीके में भी बदलाव करने की जरूरत है। बात चाहे राज्य सरकार की करें या फिर केंद्र सरकार की भर्तियों के नाम पर अभ्यर्थियों से बड़े बड़े शुल्क वसूले जाते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि शुल्क लेने के बाद भी परीक्षा के लिए अभियार्थियों को सालों इंतजार करना पड़ता है और जब परीक्षा की बारी आती है तो न जाने कितने अभ्यर्थी किसी दूसरे काम में लग चुके होते हैं, कुछ अभ्यर्थियों की तो उम्र ही निकाल चुकी होती है और कुछ अभ्यर्थी तो पढ़ाई ही छोड़ चुके होते हैं।

ऐसे में उन अभ्यर्थियों द्वारा जमा किया गया भर्ती शुल्क व्यर्थ चला जाता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सभी भर्ती निकालने वाली संस्थानों को चाहिए कि भर्ती शुल्क प्रवेश पत्र निकालने के समय सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों से लें जो उस समय परीक्षा देने के लिए मौजूद हैं।

निष्कर्ष

अगर बिना किसी पार्टी और जातिगत विचारधारा के इस विषय पर सोचें तो यही निष्कर्ष निकालना सही रहेगा कि 21वीं शताब्दी में युवाओं को मुफ़्त राशन का लालच न देकर रोजगार के अवसर प्रदान करने चाहिए। यदि सभी युवाओं के पास अपना अपना रोजगार होगा तो उन्हें सरकार क्या किसी के भी सामने राशन आदि के लिए हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। आज की प्रतियोगिताओं से भरे जीवन में सभी को एक अवसर की अत्यंत आवश्यकता है। बिना अतिरिक्त सुविधाओं के एक गरीब परिवार का ऊपर उठ पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में सरकार को रोजगार मुहैया करने का हर संभव प्रयास करके की जरूरत है।

FAQs: Frequently Asked Questions

प्रश्न 1 – भारत की वर्तमान बेरोजगारी दर कितनी है?

उत्तर – भारत की वर्तमान (2021) बेरोजगारी दर लगभग 7.78% है।

प्रश्न 2 – बेजोजगरी में भारत का विश्व में कौन सा स्थान है?

उत्तर – बेरोजगारी में भारत का विश्व में 86वां स्थान है।

प्रश्न 3 – रोजगार क्या है?

उत्तर – अपनी आजीविका के लिए किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाला कार्य रोजगार कहलाता है।

प्रश्न 4 – प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत कब हुई थी?

उत्तर – प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत मार्च 2020 को किया गया था।

प्रश्न 5 – भारत में सबसे अधिक बेरोजगारी किस राज्य में है?

उत्तर – भारत में सबसे अधिक बेरोजगारी सिक्किम राज्य में हैं।

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