मेरे पिता पर निबंध (My Father Essay in Hindi)

पिता

आमतौर पर एक बच्चे का जुड़ाव सबसे अधिक उसके माता-पिता से होता है क्योंकि उन्हीं को वो सबसे पहले देखता और जानता है। माँ-बाप को बच्चे का पहला स्कूल भी कहा जाता है। सामान्यत: बच्चा अपने पिता को सच्चा हीरो और अपने जीवन का एक सबसे अच्छा दोस्त समझता है जो उसे सही रास्ता दिखाता है। यहां पर हम ‘मेरे पिता’ विषय पर सरल और विभिन्न शब्द सीमाओं में कुछ निबंध उपलब्ध करा रहें हैं, जिसका चयन विद्यार्थी अपने ज़रुरत के अनुसार विभिन्न स्कूली परीक्षाओं या प्रतियोगिताओं के लिये कर सकते हैं।

मेरे पिता पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on My Father in Hindi, Mere Pita par Nibandh Hindi mein)

मेरे पिता पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

पिता का स्थान हमारे जीवन में बहुत खास होता है। पिता हमारे आदर्श होते है। उन्ही से हम अपने व्यक्तित्व और मानस का विकास करते है। उनके सिखाये गए रास्ते पर चलकर हम जीवन में आगे बढ़ते है।

मेरे पिता की जीवन शैली

मेरे पिता बहुत तंदुरुस्त, स्वस्थ, खुश और समय पालक व्यक्ति हैं। वो हमेशा सही समय पर ऑफिस जाते हैं और हमें भी स्कूल सही समय पर जाने के लिये सिखाते हैं। वो हमें जीवन में समय का मूल्य सिखाते हैं और कहते हैं कि अगर कोई अपना समय खराब करता है, समय उसका जीवन नष्ट कर देता है।

मेरा और मेरे पिता का सम्बन्ध

वो मेरे सच्चे हीरो, पक्के दोस्त, मेरी प्रेरणा और मेरे जीवन के सबसे अच्छे इंसान हैं। वो हमेशा मेरा ध्यान रखते हैं और मेरी माँ को दोपहर में ये जानने के लिये फोन करते हैं कि क्या मैं अपने सही समय पर घर पहुँच गया हूँ कि नहीं। वो हमेशा मेरी माँ का बहुत देख-भाल और सम्मान करते हैं तथा कभी उनसे झगड़ा नहीं करते हैं। वो मेरे दादा-दादी को बहुत प्यार और इज़्जत करते हैं और हमें उनका ध्यान रखना सिखाते हैं।

निष्कर्ष

वो हमें कहते हैं कि अपनी स्थिति के अनुसार पूरे जीवनभर सभी आयु वर्ग के ज़रुरतमंद लोगों की हमेशा मदद करनी चाहिये। वो हर दिन 15 मिनट हमें अच्छी आदतों और नैतिकता के बारे में बताते हैं। मुझे मेरे पिता पर गर्व है।

निबंध 2 (300 शब्द)

‘मेरे पिता’ मेरे जीवन के सबसे अच्छे दोस्त और सच्चे हीरो हैं। मैं हमेशा उन्हें डैड बुलाता हूँ। वो मेरे जीवन के सबसे खास व्यक्ति हैं। वो एक बहुत अच्छे खिलाड़ी और कलाकार हैं। वो अपने बचे समय में पेंटिंग करते हैं और हमें भी पेंटिंग करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। वो कहते हैं कि हमें संगीत, गायन, खेल क्रिया, पेंटिंग, नृत्य, कार्टून बनाने आदि में रुचि रखनी चाहिये क्योंकि ऐसी अतिरिक्त गतिविधियाँ हमारे बचे हुए समय को व्यस्त रखती है और पूरे जीवनभर शांतिपूर्ण रहने में मदद करती है। नयी दिल्ली के एक लिमिटेड कम्पनी में वो एक इंटरनेट मैनेजर हैं (एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर)।

ज़रुरतमंद लोगों की मदद के लिये वो कभी पीछे नहीं हटते और हमेशा उनकी मदद के लिये तैयार रहते हैं खासतौर से बूढ़ लोगों की मदद के लिये। वो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं और मेरी सभी समस्याओं की चर्चा करते हैं। जब कभी-भी मैं परेशान होता हूं, वो मुझे बहुत शांतिपूर्वक कारण बताते हैं और मुझे सबसे ऊपर के कमरे में ले जाते हैं, वो मुझे अपने बगल में बैठाते हैं, अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हैं और अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं, मुझे एहसास कराने के लिये अपनी गलतियाँ और सफलता सहित कमियाँ बताते हैं कि मैं क्या सही और क्या गलत कर रहा हूँ। वो जीवन की नैतिकता के बारे में बताते हैं और बड़ों के महत्व को समझाते हैं। वो हमें सिखाते हैं कि हमें पूरे जीवनभर किसी इंसान को दुखी नहीं करना चाहिये और हमेशा ज़रुरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिये खासतौर से बूढ़े व्यक्तियों की।

वो हमेशा मेरे दादा-दादी का ध्यान रखते हैं और कहते हैं कि बुजुर्ग लोग घर की बहुमूल्य संपत्ति की तरह होते हैं इनके बिना, हम बिना माँ के बच्चे और पानी बिना मछली की तरह हैं। वो हमेशा किसी भी बात को आसानी से समझने के लिये बहुत अच्छा उदाहरण देते हैं। हर छुट्टी पर अर्थात् रविवार को, वो हमें पिकनिक या पार्क में ले जाते हैं जहां हम सभी कुछ बाहरी क्रियाओं और खेलों के द्वारा खूब मस्ती करते हैं। हम आमतौर पर बाहर के खेल के रुप में बैडमिंटन और घर के खेल में कैरम खेलते हैं।

निबंध 3 (400 शब्द)

वो व्यक्ति जिसका मैं अपने जीवन में सदा प्रशंसा करता हूँ वो केवल मेरे प्यारे पिता हैं। मैं आज भी अपने पिता के साथ के सभी बचपन के पलों को याद करता हूँ। वो मेरी खुशी और आनन्द के वास्तविक कारण हैं। मैं जो भी हूँ उन्हीं की वजह से क्योंकि मेरी माँ हमेशा किचन और दूसरे घरेलू कार्यों में व्यस्त रहती थीं और ये ‘मेरे पिता’ हैं जो मेरे और मेरी बहन के साथ खुशी मनाते हैं। मैं समझता हूं कि वो दुनिया के सबसे अलग पिता हैं। मैं अपने जीवन में ऐसे पिता को पाकर खुद को बहुत धन्य मानता हूं। मैं हमेशा ईश्वर को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे ऐसे अच्छे पिता के परिवार में जन्म लेने का अवसर दिया।

पिता

वो बहुत ही विनम्र और शांतिपूर्ण व्यक्ति हैं। वो कभी मुझे डाँटते नहीं हैं और मेरी सभी गलतियों को सरलता से लेते हैं तथा बहुत विनम्रता से मेरी सभी गलतियों का मुझे एहसास कराते हैं। वो हमारे परिवार के मुखिया हैं और बुरे समय में हरेक पारिवारिक सदस्य की मदद करते हैं। मुझे बताने के लिये वो अपने जीवन की कमियाँ और उपलब्धियों को साझा करते हैं। ऑनलाइन मार्केटिंग का उनका अपना व्यवसाय है फिर भी उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिय कभी दबाव नहीं बनाते हैं या उसके प्रति आकर्षित करते हैं, बजाय इसके जो भी मैं अपने जीवन में बनना चाहता हूँ उसके लिये वो हमेशा मुझे बढ़ावा देते हैं। वो वास्तव में एक अच्छे पिता हैं इसलिये नहीं कि वो मेरी मदद करते हैं बल्कि अपने ज्ञान, मजबूती, मददगार स्वाभाव और खासतौर से लोगों को सही तरीके से संभालने की वजह से।

वो हमेशा अपने माता-पिता अर्थात् मेरे दादा-दादी का सम्मान और हर समय उनका ध्यान देते हैं। मुझे आज भी याद है जब मैं छोटा था, मेरे दादा-दादी आमतौर पर ‘मेरे पिता’ की बदमाशियों के बारे में बात करते थे लोकिन वो मुझे कहते थे कि तुम्हारे पिता अपने जीवन में बहुत अच्छे इंसान हैं, उनकी तरह बनो। ये ‘मेरे पिता’ हैं जो परिवार में सभी को खुश देखना चाहते हैं और हमेशा पूछते हैं जब भी कोई दुखी होता है तो उसकी समस्या को सुलझाते हैं। वो मेरी माँ को बहुत प्यार करते हैं और ख्याल रखते हैं तथा उन्हें घरेलू कामों से थक जाने पर आराम करने की सलाह देते हैं। ‘मेरे पिता’ मेरी प्रेरणा हैं, मेरे स्कूल के कामों के लिये वो हमेशा मेरी मदद को तैयार रहते हैं और क्लास में मेरे व्यवहार और प्रदर्शन के ऊपर चर्चा करने के लिये मेरे पीटीएम में भी जाते हैं।

‘मेरे पिता’ बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे जबकि अपने धैर्य, कड़ी मेहनत और मददगार स्वाभाव के कारण वर्तमान में वो शहर के अमीरों में से एक हैं। मेरे दोस्त आमतौर पर ऐसे पिता का पुत्र होने पर मुझे बहुत सौभाग्यशाली कहते हैं। मैं सामान्यत: ऐसे टिप्पणियों पर हँसता हूँ और अपने पिता को ये बताता हूँ, वो भी हंसते हैं, कहते हैं, कि वो सच नहीं कहते लेकिन सच्चाई ये है कि मैं खुश़नसीब हूँ कि मेरे पास तुम्हारे जैसा बेटा है। वो मुझसे कहते हैं कि वो बनो जो तुम चाहते हो और हमेशा खुद पर विश्वास करो।

Essay on My Father in Hindi