अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन (मीटलेस) दिवस

अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस

अंतर्राष्ट्रीय मीटलेस दिवस हर साल 25 नवंबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह अंतरराष्ट्रीय शाकाहारी दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन इस अर्थ में भी विशेष है कि यह साधु टीएल वासवानी के जन्म का प्रतीक है। वासवानी एक महान भारतीय शिक्षाविद् थे और भारतीय शिक्षा प्रणाली के उत्थान के लिए उन्होंने मीरा आंदोलन शुरू किया। उन्होंने सिंध के हैदराबाद शहर में सेंट मिरा स्कूल भी स्थापित किया था। यह बात वर्ष 1986 की है कि अंतर्राष्ट्रीय मीटलेस दिवस का अभियान साधु वासवानी मिशन द्वारा शुरू किया गया था। साधु वासवानी मिशन समाज सेवा के लिए एक संगठन है जिसका उद्देश्य मानव जाति, विशेष रूप से समाज के वंचित और दमनकारी वर्ग, की सेवा करना है। यह दिन पशु अधिकार समूह के लिए भी महत्वपूर्ण है।

अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस 2021 (International Meatless Day)

अंतर्राष्ट्रीय मीटलेस दिवस 2021, 25 नवंबर, गुरुवार को मनाया जायेगा।

अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस का इतिहास

ऐसा वर्ष 1986 में प्रस्तावित किया गया था कि 25 नवंबर – साधु वासवानी का जन्मदिन अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। साधु टी एल वासवानी, जिन्होंने शाकाहारी जीवन जीने के लिए विश्व स्तर पर जनता से दृढ़ता से आग्रह किया था, के जीवन और उपदेश को आगे बढ़ाने के लिए इस दिन को चुना गया। जब यह अभियान शुरू हुआ तो इसे भारी समर्थन प्राप्त हुआ और सैकड़ों लोगों के रूप में महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई और हजारों लोगों ने इस लक्ष्य को समर्थन देने के लिए और इस दिन शाकाहारी होने की प्रतिज्ञा ली।

चार भारतीय राज्य सरकारें गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने हर साल 25 नवंबर को कसाई की दुकानों को बंद करने के लिए अपने राज्यों में नोटिस जारी कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस क्यों मनाया जाता है

अंतर्राष्ट्रीय मीटलेस दिवस यानी ​​SAK मीटलेस डे साधु वासवानी मिशन का एक अभिन्न अंग है। SAK का मतलब स्टॉप आल किलिंग एसोसिएशन है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दादा जे.पी. वासवानी- आध्यात्मिक गुरु हैं और साथ ही वे साधु वासवानी मिशन के प्रमुख हैं। यह एसोसिएशन अहिंसा सिद्धांत पर स्थापित विश्व व्यवस्था के समर्थन के लिए समर्पित है। इस मिशन से जुड़े लोग मानते हैं कि “सभी के जीवन” को सम्मानित और पवित्र माना जाना चाहिए। विश्व शांति को सुनिश्चित करने के लिए यह पहला कदम है। इस प्रकार इस मिशन के मायने केवल पशु वध को रोकने के लिए नहीं बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा है।

कितनी बार हम लोग मांस खाने को विश्व शांति से जोड़ते हैं? शायद ही कभी! लेकिन SAK समूह का मानना ​​है कि दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं। जब तक पक्षियों और जानवरों को मनुष्यों के लिए भोजन के स्रोत के रूप में मारा जाता रहेगा तब तक इस धरती पर शांति बहाल नहीं होगी क्योंकि अगर कोई व्यक्ति भोजन के लिए जानवरों को मार सकता है तो वह एक ऐसे साथी को भी मार सकता है जिसे वह अपने प्रतिद्वंद्वी मानता है। समूह का मानना ​​है कि विश्व युद्ध के पीछे मुख्य कारण जीवन के प्रति अनादर का भाव है।

इसके अलावा वे मानते हैं कि जब मनुष्यों के पास अधिकार होते हैं तो जानवर इससे वंचित क्यों होते हैं? यह सही समय है जब सभी जानवरों के प्रेमियों को एक साथ मिलना चाहिए और पशु अधिकार चार्टर के साथ-साथ पशु प्रजातियों के प्रति मनुष्य के कर्तव्यों को निभाने के लिए एक चार्टर तैयार करना चाहिए। जानवरों को इस धरती पर रहने का अधिकार है। हमारे साथ-साथ जानवर भी कुछ मौलिक अधिकारों के हकदार हैं। इस सूची में सबसे पहले यह आना चाहिए कि हर जानवर को बिना किसी भय के इस धरती पर रहने की अनुमति दी जानी चाहिए।

किसी व्यक्ति को वह चीज़ किसी से छिनने का अधिकार नहीं है जिसे वह दूसरों को नहीं दे सकता है क्योंकि जब हम जीवनहीन को जीवन नहीं दे सकते हैं तो हमें किसी का जीवन लेने का हक़ भी नहीं हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस किस तरह मनाया जाता है

अंतर्राष्ट्रीय मीटलेस दिवस को लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है जिसे मांसहीन  दिवस भी कहा जाता है। इस दिन प्रत्येक वर्ष नवंबर के महीने में पुणे और दूसरे शहरों में शांतिपूर्ण मार्च आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों के सैकड़ों और हजारों छात्र सड़कों पर इस अभियान को आगे बढ़ाते हैं और लोगों को किसी भी चीज़ जिसमें जीवन है के प्रति सम्मान दिखाने का आग्रह करते हैं जिसे विश्व शांति की स्थापना के लिए पहला कदम माना जाता है।

वास्तव में अगस्त और नवंबर के महीनों में इस दिन मांसहीन न्यूज़लेटर्स भी शाकाहार को प्रोत्साहित करने के लिए बाटें जाते है और साथ ही मांसहीन दिवस को भी।

चूंकि SAK या स्टॉप किलिंग एसोसिएशन की भी अपनी कई शाखाएं हैं और साथ ही पूरे विश्व में स्वयंसेवक भी हैं – वे सभी मानव जातियों से उन सभी प्रकार के भोजन को ग्रहण करने को रोकते हैं जो हिंसा का प्रतीक है – अगर हमेशा के लिए नहीं तो उस विशेष दिन के लिए ज़रूर।

इसके अलावा निम्नलिखित अन्य तरीके हैं जिनके द्वारा इस दिवस को मनाया जाता है:

  • लोगों को कम से कम इस दिन मांस ना खाने की प्रतिज्ञा करने के लिए कहा जाता है।
  • कसाई घरों से जानवरों की रक्षा करना।
  • होटलों में मांस न खाने के अनुरोध के साथ-साथ कैटरर्स को 25 नवंबर को मांस सर्व करने से बचे रहने का मौका देना बजाए इस दिन शांति मार्च करना।
  • SAK समूह प्रेस में लेख लिखकर और समाचार पत्रों को प्रसारित करके पशु अधिकारों की रक्षा के लिए दीर्घकालिक कार्य करता है।
  • जानवरों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए नियमों और कानूनों को बनाने के लिए सरकार का ध्यान खींचने के लिए बैनरों को सड़कों पर लगाया जाता है।
  • स्कूलों से संपर्क किया जाता है ताकि बच्चों को पशुओं के प्रति करुणा विकसित करने और मांस खाने के पाप के बारे में शिक्षित किया जा सके।
  • जानवरों के लिए चिकित्सा शिविर साधु वासवानी मिशन द्वारा चलाए जा रहे हैं जो पशुचिकित्सा क्लिनिक का मालिक है। इसके बाद गांव के क्षेत्रों में मुंह टीकाकरण मुहैया कराए जाते हैं।
  • इस दिवस पर जानवरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए रैली, शांति मार्च और शाकाहारी भोजन उत्सव हर जगह आयोजित किए जाते हैं।

हर गुजरते साल के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मांसहीन दिवस की लोकप्रियता बढ़ रही है और समर्थकों और लोगों की प्रतिज्ञाएँ लेने का आंकड़ा बढ़ रहा है। प्रतिज्ञा दुनिया के हर कोने में ली जा रही है जैसे लंदन, स्पेन, जर्मनी, वेस्ट इंडीज, सिंगापुर, कैसाब्लांका, सेंट मार्टन और न्यू जर्सी आदि।

SAK समूह द्वारा समर्थित महत्वपूर्ण पशु अधिकार

  1. जीने का अधिकार

जानवरों के लिए जीने का अधिकार मौन प्राणियों की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर जोर देता है। यह अधिकार पशुओं का भोजन के लिए कत्ल किए जाने का डर, व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए या ‘शिकार’ से प्राप्त खुशी के बिना जीने के अधिकार का पालन करता है।

  1. आश्रय और खाद्य अधिकार

आश्रय और भोजन का अधिकार यह सुझाव देता है कि जानवर पालतू हो या नही उन्हें न केवल आश्रय दिया जाना चाहिए जब वे बीमार हों या बूढ़े हो बल्कि नियमित दिनचर्या के दौरान उन्हें सूरज, बारिश और सर्दी से भी सुरक्षित किया जाना चाहिए। इसके अलावा जानवरों को पर्याप्त चरागाह, चराई के आधार और वनों के साथ भोजन प्रदान किया जाना चाहिए।

  1. उत्पीड़न, क्रूरता और शारीरिक आघात से स्वतंत्रता का अधिकार

यह अधिकार जानवरों को हर तरह के शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है जैसे ट्विस्टिंग, पिटाई, बोझा ढोना, पिंजरे में कैद करना, भूख से मरना, बांध कर रखना आदि। जबरदस्ती जानवरों को पैदा करवाना, दवाओं और परमाणु परीक्षणों के साथ ही रसायनों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

  1. मानव शोषण से स्वतंत्रता का अधिकार

इस अधिकार के अनुसार जानवरों को खुशी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए परेशान नहीं किया जाना चाहिए। एक उदाहरण का हवाला देते हुए, ज्यादातर इंजेक्शन जानवरों को दिए जाते हैं ताकि उन्हें अधिक मांस मिल सके। इसके बजाय युवा बछड़ों को पर्याप्त दूध प्रदान किया जाना चाहिए जो उनका हक़ है। अधिक दूध प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले पुटरीतिन इंजेक्शन को भी निषिद्ध करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात जानवरों को झगड़े या सर्कस मनोरंजन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

  1. कुपोषण और रोगों से स्वतंत्रता का अधिकार

कुपोषण और बीमारियों से पशुओं की आजादी का अधिकार यह सुझाव देता है कि पशु के अस्पताल या पशु चिकित्सा क्लिनिकों के माध्यम से निवारक दवाइयां रखने के लिए वे मनुष्यों की तरह समान रूप से हकदार हैं। मानववासियों के आश्रयों की सीमाओं के भीतर रहने वाले जानवरों को तत्काल चिकित्सा प्रदान करनी चाहिए।

  1. सम्मान, प्रेम और सुरक्षा का अधिकार

यह अधिकार यह बताता है कि मनुष्य को अपने छोटे भाई-बहनों के रूप में जानवरों पर विचार करना चाहिए, परमेश्वर की सृष्टि एक परिवार है और सभी जीवन भगवान द्वारा आशीषित हैं। इससे मनुष्य की ज़िम्मेदारियां पशु प्रजातियों के प्रति होती हैं क्योंकि हर कोई इस एक ही ग्रह पर रहता है और इसलिए सभी का स्नेह और प्रेम पर एक समान अधिकार है।

निष्कर्ष

अंत में यह कहा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय मीटलेस दिवस पशु मुद्दों के प्रति मनुष्यों को संवेदित करने के लिए मनाया जाता है और उन पर होने वाले दर्द को मानव जाति के सामने लाता है। इसके अलावा यह दिवस लोगों को उनके आहार संबंधी आवश्यकताओं के प्रति जागरूक बनाता है और यह पशु उपज का उपभोग करने की सलाह नहीं देता है। जब पशु मांस का सेवन कम हो जाता है तो ऊर्जा स्तर और लोगों की जीवन प्रत्याशा में सुधार होता है और सबसे जरुरी पौधे-आधारित खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाता है।

मीटलेस दिवस कैम्पेन के प्रभाव में आने वाले अधिक से अधिक लोग हॉटडॉग, हैमबर्गर, रैक ऑफ़ रिब्स या स्टेक के स्लैक के रूप में ऐसे भोजन को ‘नहीं’ कहकर स्वस्थ रहने के लिए शाकाहारी भोजन जैसे करी या सलाद को ‘हाँ’ कह रहे हैं।

इसके अलावा इस अभियान का मकसद लोगों को रातोंरात शाकाहारी नहीं बनाना बल्कि धरती पर हर संभव जीवित प्रजाति को बेहतर जीवन प्रदान करने में मदद करना है ताकि यह सभी के लिए बेहतर स्थान बन सके। मांस के सेवन से बचकर बेहतर स्वास्थ्य के साथ-साथ हम सभी के लिए एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकते है। इस प्रकार पूरे जानवरों को इस धरती पर रहने के लिए एक या इससे अधिक दिन मिल जायेंगे!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *