बुखार में चावल क्यों नहीं खाना चाहिए (Why We Should Not Eat Rice During Fever)

Why We Should Not Eat Rice During Fever

हमारे शरीर में पाइरोजेन (pyrogens) की उपस्थिति बुखार का सबसे प्रमुख कारण है। पाइरोजेन रक्त के माध्यम से हमारे हाइपोथैलेमस तक पहुँच जाता है जो की हमारे मस्तिष्क में होता है, हाइपोथैलेमस जो हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और उसमें पाइरोजेन की उपस्थिति तापमान नियंत्रण कार्य में बाधा डालता है। इस कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है।

ऐसा भी माना जाता है की अच्छे बैक्टीरिया के मरने से भी शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसी लिये कभी किसी तरह की बीमारी में खाना बंद नहीं करनी चाहिए। बुखार के दौरान हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण किसी बाहरी पर जीव के आक्रमण पर शरीर उससे लड़ने में व्यस्त हो जाता है और हमें भूख, प्यास लगनी बंद हो जाती ही। भले आपको भूख लगे या नहीं परन्तु बुखार होने पर भोजन अवश्य करें।

भोजन के साथ ही इंसान को तरल पदार्थ भी लेते रहना चाहिए जैसे की जूस, सूप, आदि। तरल पदार्थ लेने से शरीर से पानी कम नहीं होता और वह आपके शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है। तापमान बढ़ने के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है इसलिये तरल पदार्थ के रूप में पानी लेते रहना चाहिए।

बुखार के समय प्रोटीन युक्त भोजन लेना चाहिए और साथ ही साथ विटामिन और खनीज का भी आवश्यक ध्यान रखना चाहिए। प्रोटीन का काम नई कोशिकाओं को बनाना होता है और जैसा की बुखार के समय शरीर नई कोशिकाएं बनाना बंद कर देता है और प्रोटीन की मौजूदगी इस प्रक्रिया को वापस सही दिशा दे देती है। इस लिये बीमारी चाहे जो भी हो कभी भोजन नहीं छोड़ना चाहिए।

बस यह जानना है की चावल बुखार के समय खाया जा सकता है की नहीं। मैंने नीचे कई प्रकार के बुखारों की चर्चा की है और उसमें क्या खाया जाए इस बात का भी वर्णन किया है। मैं स्वयं एक खास बात देखा है की जरूरी नहीं की हर प्रकार के बुखार में चावल नुकसान दायक होता है। आइये विस्तार में जानें।

विभिन्न प्रकार के बुखार और उनमें चावल की भूमिका (Different Types of Fever and the Role of Rice)

1. मलेरिया का बुखार (Malaria Fever)

इस प्रकार के बुखार में पीड़ित व्यक्ति को ठंड, कंपकंपी, शरीर में पानी की कमी, सुस्ती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मलेरिया का बुखार मादा मच्छर के काटने से होता है, बुखार के कारण शरीर के तापमान की वृद्धि के कारण शरीर की ऊर्जा समाप्त हो जाती है। और ऐसे में हमें सदैव अधिक कैलोरी वाले भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनके भोजन में गन्ने का रस, एलेक्ट्रोल पानी, जैसे पेय शामिल होने चाहिए जिससे उन्हें कमजोरी का अनुभव नहीं होता।

मलेरिया के बुखार से आमतौर पर आपके लीवर, गुर्दे और पाचन तंत्र प्रभावित होते हैं। कई बार प्रोटीन के साथ ही कार्बोहाइड्रेट की मौजूदगी से नई कोशिकाओं का निर्माण आसन हो जाता है। मलेरिया के मरीज को सूप, मछली, अंडे, विटामिन B कॉम्प्लेक्स, दूध, चावल का पानी, आदि दिया जाना चाहिये।

2. जुकाम के कारण बुखार (Fever Due to Cold)

बुखार के कई कारण हो सकते हैं, और जब हमें जुकाम होता है तो शरीर का तापमान स्वतः बढ़ने लगता है और ऐसे में शरीर की ख़ास देखभाल करनी चाहिए।

चावल में ठंडा करने के गुण होते हैं इस लिये मरीज को फ्रिज से निकाले या बासी चावल के बजाए ताज़ा बने चावल देना चाहिए। कभी-कभी शरीर में कार्बोहाइड्रेट और शर्करा की उपस्थिति से बैक्टीरिया को बढ़ावा मिलता है, इस लिये डॉक्टर इसे न खाने की सलाह देते हैं खास कर रात में।

परंतु बहुत कम बार ऐसा होता है जब डॉक्टर इसे न खाने की सलाह देते हैं। परन्तु हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु जिसमें हम रहते हैं, इसे न खाने की सलाह देते हैं। इस लिये सर्दी के साथ ही किसी भी प्रकार के गले के संक्रमण में चावल, दही, मसालेदार भोजन, केला आदि से बचने की सलाह डॉक्टर देते हैं।

3. मौसमी बुखार (Viral Fever)

जैसा की अब तक हम यह जान चुके हैं की बुखार स्वयं में कोई बीमारी नहीं है, यह आमतौर पर किसी संक्रमण के परिणाम स्वरूप होता है और इसके कारण हमारे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। किसी भी प्रकार के बुखार के दौरान आसानी से पचने योग्य भोजन ही खाएं। शरीर के बढ़े तापमान के कारण शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, इस लिये जितना हो सके तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, सूप, जूस, सुपाच्य भोजन जैसे खिचड़ी आदि देना चाहिए।

मौसमी बुखार में तैलीय और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए और वे चावल आसानी से खा सकते हैं। आमतौर पर, डॉक्टर पहले आपके बुखार के पीछे के कारण का विश्लेषण करते हैं, फिर कभी-कभी वे कुछ खाद्य आदतों से बचने के लिए कहते हैं।

4. टाइफाइड बुखार (Typhoid Fever)

यह एक बैक्टीरिया जनक रोग है, जिसके बैक्टीरिया को ‘साल्मोनेला टाइफी’ नाम से जाना जाता है।यह विशेष रूप से संक्रमित भोजन या पानी के सेवन के कारण होता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लगते हैं। यदि समय पर या उचित तरीके से इलाज नहीं किया जाता है, तो एक व्यक्ति कई महीनों तक पीड़ित हो सकता है और यह काफी गंभीर हो जाता है।

टाइफाइड बुखार के दौरान, व्यक्ति को साफ और उबला हुआ पानी पीना चाहिए। स्ट्रीट फूड, कच्ची सब्जियां, मसालेदार भोजन, तेल और साथ ही डब्बा बंद भोजन से बचना चाहिए। इसके अलावा सभी प्रकार के आसानी से पचने वाले भोजन खा सकते हैं, विशेष रूप से चावल और खिचड़ी खाया जा सकता है।

5. पीलिया बुखार (Jaundice Fever)

यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिसके कारण रोगी का शरीर हलके पीले रंग में बदल जाता है। यह पीला पदार्थ बिलीरुबिन है जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर निकलता है।

हमारा लीवर पीलिया के दौरान सबसे अधिक प्रभावित होता है और यह हमारे शरीर का सबसे प्रमुख अंग होता है जो खास कर पाचन को बढ़ावा देता है। इस लिये जब आपके शरीर का मुख्य भाग जिसे प्रमुख रूप से शरीर के ऊर्जा का खान कहा जाता है, वाही क्षति ग्रस्त होने लगे तो रोगी को ढेर सारा तरल पदार्थ लेना शुरू कर देना चाहिए और साथ ही पौष्टिक आहार भी लेते रहना चाहिए। पीलिया से लड़ने का यही सबसे उत्तम उपाय है।

मरीज को खट्टे फल, गन्ने का रस, टमाटर, चावल, ककड़ी, आदि खा सकते हैं। उच्च शर्करा और कैलोरी युक्त भोजन से बचने की कोशिश करें। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, शराब, पनीर, किसी भी प्रकार की डेरी उत्पादों से दूर रहें। परंतु चावल के लिये कोई प्रतिबंध नहीं है।

निष्कर्ष

बुखार के कई अन्य कारण हो सकते हैं जैसे की निमोनिया, चेचक, चिकनपॉक्स, किसी प्रकार का मूत्र संक्रमण, आदि। और हर रोग में चावल का परहेज आवश्यक नहीं। कभी-कभी कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वे इसे खाने से मना करते हैं। लेकिन केवल बुखार में इसे न खाने जैसा कोई नियम नहीं है। बस इस बात का ध्यान रखें की ताजा भोजन खाएं और तरल पदार्थ लेते रहें इससे आप जल्दी ठीक हो जायेंगे। मुझे उम्मीद है की आपको मेरा ये लेख अवश्य पसंद आया होगा, इसे अपने प्रियजनों के साथ साझा करना न भूलें।

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