त्योहारों का नाम सुनते ही हर किसी के चेहरे पर खुशी आ जाती है। हर वर्ग के लोग त्योहारों को अपने-अपने तरीके से मनाते हैं। हमारा भारत तो विशेष रूप से त्योहारों के देश के तौर पर मशहूर है क्योंकि यहाँ हर दिन ही कोई न कोई पर्व रहता ही है। त्योहार भिन्न- भिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे धार्मिक, लोकोत्सव, शस्योत्सव (फसल पर्व), इत्यादि। पोंगल दक्षिण भारत का एक सुप्रसिद्ध पर्व है जो मुख्यत: एक फसल पर्व के रूप में जाना जाता है और वहां रहने वाले तमिल हिन्दूओं द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पोंगल पर 10 लाइन (Ten Lines on Pongal Festival in Hindi)
आज पोंगल पर 10 वाक्यों (10 Points on Pongal) के सेट से हम पोंगल पर्व के बारे में जानेंगे, जो आपके लिए ज्ञानवर्धक होगा।
Pongal par 10 Vakya – Set 1
1) पोंगल भारत के दक्षिणी राज्य का एक प्रमुख हिन्दू त्यौहार है।
2) पोंगल को मुख्य रूप से दक्षिण भारत में एक फसल त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
3) मुख्य रूप से यह पर्व तमिलनाडु राज्य का है तथा अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है।
4) पोंगल का यह महापर्व भारत में प्राचीन समय से ही मनाया जा रहा है।
5) इस पर्व में लोग कृषि और फसल के देवता तथा भगवान सूर्य की उपासना करते हैं।
6) भारत में यह पावन हिन्दू पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है।
7) पोंगल पर्व के दौरान ही दक्षिण भारत का सुप्रसिद्ध पर्व जलीकट्टू भी मनाया जाता है।
8) ग्रेगोरियन कैलेंडर के जनवरी महीने की 13-14 तारीख को पोंगल पर्व का आरम्भ होता है।
9) पोंगल एक प्रसाद होता है जो चावल, दूध और गुड़ आदि से बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है।
10) भारत के साथ-साथ यह पर्व श्रीलंका, मॉरिशस तथा मलेशिया आदि में भी तमिलों द्वारा मनाया जाता है।
Pongal par 10 Vakya – Set 2
1) यह पर्व तमिल कैलेंडर के थाई माह के पहले दिन से मनाना आरम्भ हो जाता है।
2) यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और धान की फसल कटने की खुशी में मनाया जाता है।
3) चार दिवसीय इस पर्व में सभी दिन अलग-अलग कार्यक्रम और पूजा कार्य किए जाते हैं।
4) पोंगल पर्व का पहला दिन भोगी के नाम से मनाया जाता है और इस दिन भगवान इंद्र की पूजा की जाती है।
5) दूसरे दिन मुख्य पर्व होता है जिसे थाई पोंगल कहते हैं और इस दिन लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं।
6) पोंगल पर्व में दूसरे दिन लोग मिट्टी या पीतल के बर्तन में मुख्य प्रसाद पोंगल बनाते हैं जो इस पर्व का सबसे खास हिस्सा है।
7) तीसरे दिन मट्टू पोंगल को लोग अपने मवेशियों को पूजते हैं तथा भगवान शिव की पूजा करते हैं।
8) पोंगल के चौथे दिन को कानुम पोंगल के नाम से जानते हैं और लोग एक साथ मिलकर सामूहिक भोजन का आयोजन करते हैं।
9) चौथे दिन को महिलाएं एक खास पूजा करती हैं और एक दूसरे को पोंगल प्रसाद तथा मिठाई देती हैं।
10) पोंगल पर्व के दौरान कुछ स्थानों पर महिलाएं अपने भाई के जीवन व सफलता के लिए भी पूजा करती हैं।
पोंगल एक प्राचीन पर्व है जिसके साक्ष्य आदि काल से ही मिलते हैं। जीवन के लिए आवश्यक अन्न और कृषि के देवताओं की पूजा करके उनका आभार व्यक्त करते हैं। एक तरफ जहां भारत के दक्षिण में पोंगल का पर्व मनाया जाता है वहीं उत्तरी राज्यों में मकर संक्रांति तथा लोहड़ी का पर्व भी मनाया जाता है। यह पर्व तमिलनाडु की विरासत माना जाता है और इस पर्व पर तमिलनाडु राज्य के लगभग सभी निजी व सरकारी संस्थानों में अवकाश रहता है।
आशा करता हूँ कि पोंगल पर्व पर मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख आपको पसंद आया होगा।
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पोंगल पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न : Frequently Asked Questions on Pongal
उत्तर– पोंगल पर्व को लोग थाई पोंगल के नाम से भी जानते हैं।
उत्तर– साबुत हल्दी।