भारत में आपातकाल पर निबंध (Emergency in India Essay in Hindi)

आपातकाल किसी भी देश की वह असंतुलित स्थिति होती है जब देश को बाहरी या आंतरिक रूप से किसी प्रकार के खतरे की आशंका हो। भारतीय संविधान में देश के राष्ट्रपति को कुछ विशेष शक्तियां प्रदान की गई हैं जिसका प्रयोग राष्ट्रपति सम्पूर्ण देश या किसी राज्य की राजनैतिक या संवैधानिक व्यवस्था के विफल होने की स्थिति में करता है।

भारत में आपातकाल पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Emergency in India in Hindi, Bharat me Apatkal par Nibandh Hindi mein)

आज हम सभी इस निबंध के माध्यम से भारत में आपातकाल (Emergency in India) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानेंगे।

भारत में आपातकाल: कारण और प्रभाव – 1100 Word Essay

प्रस्तावना

भारतीय संविधान में देश, राज्य और उनके नागरिकों से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को उल्लेखित किया गया है जिनके द्वारा भारत को एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र का दर्ज मिला है। संविधान में उल्लेखित इन्हीं बिंदुओं में से कुछ बिन्दु देश या राज्य में होने वाली प्रशासनिक विफलताओं से निपटने के तरीकों के बारे में है। जिनका प्रयोग भारत का राष्ट्रपति हालात का जायजा लेकर बहुत जरूरी लगने पर ही करता है। आपातकाल की स्थति होने पर राष्ट्रपति को किसी से भी सलाह मशवरा करने की जरूरत नहीं होती। राष्ट्रपति संविधान में दिए गए शक्तियों के अनुसार पूरे देश में या फिर किसी एक राज्य में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।

आपातकाल क्या होता है? (What is The Emergency?)

आपातकाल सम्पूर्ण देश या फिर किसी भी राज्य की वह असंतुलित स्थिति है जिसमें संवैधानिक और प्रशासनिक संतुलन छिन्न भिन्न हो जाते हैं। भारत के संविधान में राष्ट्रपति की कुछ शक्तियों के बारे में लिखा गया है कि राष्ट्रपति कब किस तरह की शक्ति का प्रयोग कर सकता है उन्हीं शक्तियों में से एक शक्ति आपातकाल की है। जब सम्पूर्ण देश या किसी राज्य पर अकाल, बाहरी देशों के आक्रमण या आंतरिक प्रशासनिक अव्यवस्थता आदि की स्थिति आती है तो उस समय उस क्षेत्र की सभी राजनैतिक और प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में चली जाती हैं।

आपातकालीन प्रावधान और स्थितियां क्या हैं? (What are the Emergency provisions and situations?)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352, अनुच्छेद 356 तथा अनुच्छेद 360 के अंतर्गत भारत में आपातकाल की स्थितियों और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को भली भांति लिखा गया है। इन अनुच्छेदों के अनुसार आपातकाल की तीन स्थितियाँ होती हैं-

  1. राष्ट्रीय आपातकाल – अनुच्छेद 352 (National EmergencyArticle 352)

राष्ट्रीय आपातकाल, राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह पर देश में युद्ध, अकाल, बाह्य आक्रमण या आंतरिक सुरक्षा के विफलता की स्थिति में लागू करता है। राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में समस्त अधिकार सरकार के पास चला जाता है। इस दौरान नागरिकों के लगभग सभी अधिकार छीन लिए जाते हैं सिवाय अनुच्छेद 20 तथा अनुच्छेद 21 के।

  • राष्ट्रपति शासन या राज्य आपातकाल – अनुच्छेद 356 (President Rule or Sate Emergency Article 356)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत उल्लेखित राष्ट्रपति शासन या स्टेट इमरजेंसी, किसी राज्य में राजनैतिक या संवैधानिक विफलता के कारण देश के राष्ट्रपति द्वारा लगाया जाता है। राज्य आपातकाल के दौरान केंद्र उस राज्य के न्यायिक शक्तियों को छोड़कर बाकी समस्त शक्तियां अपने हाथों में ले लेता है। राष्ट्रपति शासन की समय सीमा न्यूनतम 2 माह तथा अधिकतम 3 वर्ष तक सीमित की गई है।

  • आर्थिक आपातकाल – अनुच्छेद 360 (Economical Emergency Article 360)

देश में आर्थिक आपातकाल का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 360 में किया गया है जिसके अंतर्गत राष्ट्रपति देश में आर्थिक संकट, सरकार के दिवालिया होने आदि की स्थिति में लागू करता है। इस आपातकाल के दौरान नागरिकों की संपत्ति आदि पर सरकार का आधिपत्य स्थापित हो जाता है। भारत के इतिहास में अब तक इस आपातकाल का प्रयोग नहीं किया गया है।

भारत में कितनी बार आपातकाल लगा? (Emergency in India how many times?)

अब तक भारत में कुल तीन बार आपातकाल लग चुका है जिसमें वर्ष 1962, 1971 तथा 1975 में अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।

  • 1962 का आपातकाल

वर्ष 1962 में पहली बार और सबसे लंबी अवधि वाला आपातकाल लगा था। यह आपातकाल 1962 से लेकर 1968 तक लगाया गया था। इस आपातकाल का प्रमुख कारण चीन और पाकिस्तान का भारत पर आक्रमण था।

  • 1971 का आपातकाल

वर्ष 1971 में भी राष्ट्रीय आपातकाल का कारण भारत-पाकिस्तान के 1971 का युद्ध था।

  • 1975 का आपातकाल

वर्ष 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल लगने का प्रमुख कारण आंतरिक व्यवस्थाओं की विफलता थी। यह आपातकाल सबसे अधिक विवादित घोषणा के रूप में सामने आया। काफी अधिक आलोचनाओं के बाद 1977 में इसे रद्द कर दिया गया और कोर्ट ने इस आपातकाल की घोषणा को अनुचित कृत्य का दर्जा दिया।

भारत में 1975 में आपातकाल किसने लगाया था? (Who Imposed Emergency in 1975 in India)

भारत में 1975 का राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर भूतपूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने की थी। इस आपातकाल का विपक्षी नेता राज नारायण ने जमकर विरोध किया। कुछ समय बाद बाकी जनता ने भी इस आपातकाल की घोर नींद की। इसी दौरान संजय गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में लोगों को पकड़ कर जबरन नसबंदी कराई गई। जिससे पूरी जनता मे खासी नाराजगी पैदा हो गई और इसका खामियाजा इंदिरा गांधी को अपने अगले लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा।

भारत में आपातकाल की तारीख (The Emergency Date in India)

भारत में अब तक तीन आपातकाल लागू हुए हैं जिनकी तारीख निम्नलिखित है-

  • 26 अक्टूबर 1962
  • 3 दिसंबर 1971
  • 25 जून 1975

भारत में 1975 में आपातकाल की घोषणा क्यों की गई थी? (Why was Emergency declared in India in 1975/National Emergency in India 1975)

1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने राज नारायण को भारी मतों से हराया। इंदिरा गांधी के चार साल प्रधान मंत्री बने रहने के बाद राज नारायण ने चुनाव के परिणामों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। राज नारायण ने इंदिरा गांधी के ऊपर चुनाव मे निश्चित सीमा से अधिक पैसे खर्च करने तथा सरकारी नियमों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।

जांच के बाद कोर्ट ने राज नारायण के आरोपों को सही माना और 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जगमोहनलाल सिन्हा जी ने इंदिरा गांधी को छः वर्षों के लिए पद से बर्खास्त कर दिया। इंदिरागांधी पर कुल 14 आरोप सिद्ध हुए थे लेकिन इंदिरा गांधी ने अदालत के फैसले को नामंजूर कर दिया। राज नारायण ने इंदिरा गांधी को इस्तीफा देने के लिए काफ़ी प्रदर्शन किए परंतु इंदिरा ने 25 जून 1975 को अध्यादेश पास करवा कर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के द्वारा आपातकाल लागू करवा दिया।

आपातकाल के कारण और प्रभाव (Effect and Reason for Emergency in India)

आपातकाल देश या राज्य में तभी लागू होता है जब ऐसी विषम परिस्थितियाँ आ जाएं जिसमें स्थानीय प्रशासन मौजूदा हालात से निपटने में असमर्थ हो। आपातकाल के प्रमुख कारण बाह्य आक्रमण, अकाल, आंतरिक व्यवस्था की विफलता या आर्थिक मंदी होती है। आपातकाल लागू होने पर इसका सीधा प्रभाव वहाँ के नागरिकों पर पड़ता है। आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो जाता है उस समय सिर्फ अनुच्छेद 20 तथा 21 के मौलिक अधिकार ही मान्य होते हैं।

निष्कर्ष

किसी भी देश की सरकार के लिए आपातकाल की घोषणा करना बहुत ही मुश्किल होता है। सामान्यतः कोई भी सरकार आपातकाल का समर्थन नहीं करती है। लेकिन कुछ विषम परिस्थितियाँ आने के कारण समय समय पर सरकारों को यह फैसला लेना जरूरी हो जाता है। आपातकाल लागू होने के कारण देश की सारी गतिविधियां रुक जाती हैं। देश के विकास की दर भी धीमी पड़ जाती है जिसके कारण देश अर्थिक मामलों में कुछ वर्ष पीछे चला जाता है।

FAQs: Frequently Asked Questions

प्रश्न 1 – भारत में पहला आपातकाल कब लागू किया गया?

उत्तर – भारत में पहला आपातकाल 26 अक्टूबर 1962 को लागू किया गया।

प्रश्न 2 – आपातकाल क्यों लगाया जाता है?

उत्तर – आपातकाल संपूर्ण देश या किसी राज्य पर बाहरी या आंतरिक विपदा के समय लगाया जाता है।

प्रश्न 3 – आपातकाल का जिक्र संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?

उत्तर – अनुच्छेद 352, 356 तथा 360 में आपातकाल का जिक्र किया गया है।

प्रश्न 4 – भारत में आखिरी बार आपातकाल कब लगा था?

उत्तर – भारत में आखिरी बार आपातकाल 1975 से 1977 के बीच लगा था।

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