एक सुप्रसिद्ध कहावत “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” का मतलब है कि जब आप कोई अन्य कार्य नहीं कर सकते हैं लेकिन किसी निश्चित कार्य को पूरा करने या किसी निश्चित स्थिति में ही जीवन निर्वाह करना है तो आप उसी के साथ जीवन यापन करने के लिए प्रबंधन करते हैं। कहावत “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” सामान्य रूप से प्रयोग की जाती है क्योंकि वास्तविक जीवन में इसके मायने सच हैं।
‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on ‘Necessity is the Mother of Invention’ in Hindi, Avashyakta Avishkar ki Janani hai par Nibandh Hindi mein)
निबंध – 1 (300 शब्द)
“आवश्यकता आविष्कार की जननी है” का अर्थ है कि जब जीवित रहने के लिए कुछ जरूरी हो जाता है तो मानव किसी भी तरह से उसे प्राप्त करने के लिए जुट जाता है। इसका अर्थ यह है कि आवश्यकता हर नए आविष्कार और खोज के पीछे मुख्य आधार है।
मुहावरे की उत्पत्ति – आवश्यकता आविष्कार की जननी है
यह मुहावरा शताब्दियों से उपयोग में रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस पुराने मुहावरे के मूल लेखक का पता नहीं लगाया जा सकता इसलिए इस प्रसिद्ध कहावत के जन्म के लिए ग्रीक दार्शनिक प्लेटो को जिम्मेदार माना जाता है। इसके मुहावरे के अस्तित्व में आने से पहले इसका विचार बहुत पहले लैटिन और अंग्रेजी भाषा में इस्तेमाल किया गया था।
इस कहावत का लैटिन संस्करण “मेटर अट्रिअम जरूरीतास” 1519 में लेखक विलियम होर्म द्वारा लिखी गई पुस्तक वुल्गारिया में सामने आया। इसी तरह की एक कहावत, “नीड टौट हिम विट” उसी वर्ष अंग्रेजी में छपी थी। “नेसेसिटी, सभी जरूरतों का आविष्कार” एक और समान पुस्तक थी जो 1545 में रोजर असम के काम के रूप में सामने आया था।
मुहावरा “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” का इस्तेमाल वर्तमान में रिचर्ड फ्रैंक के काम में 1658 में हुआ था।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण
इस पुरानी कहावत का एक उपयुक्त उदाहरण इस धरती पर आए पहला व्यक्ति का होगा। यह मानवीय आवश्यकता ही थी जिसने पहले व्यक्ति को खाने के लिए भोजन खोजने, रहने के लिए घर का निर्माण करने और जंगली जानवरों से बचने के लिए हथियार बनाने का कार्य किया। जिस तरह से यह सब किया जाना था उन्होंने इन सभी कार्यों को बिना किसी पूर्व ज्ञान के पूरा किया। यदि इन सभी चीजों की मनुष्य अस्तित्व के लिए ज़रूरत नहीं होती तो वह इन सभी का आविष्कार नहीं करता।
निष्कर्ष
“आवश्यकता आविष्कार की जननी है” इस कहावत का एक-एक शब्द सच है। इससे पता चलता है कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी चीज़ को प्राप्त करने का इच्छुक हो तो यह प्रक्रिया कितनी भी मुश्किल हो वह किसी भी तरह से इसको प्राप्त कर लेगा।
निबंध – 2 (500 शब्द)
परिचय
मुहावरा ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ तकनीकी नहीं है। इसका मतलब यह है कि किसी विशेष चीज़ की ज़रूरत पूरी करने के लिए ही व्यक्ति उसकी ख़ोज करता है।
प्रमुख और उल्लेखनीय आविष्कार मानव के जीवन में महत्वपूर्ण आवश्यकताओं का परिणाम रहा है। एक बार जब आवश्यकता से व्यक्ति संतुष्ट हो जाता है तो लोग खुशी का अनुभव करते हैं, वे सद्भाव में रहते हैं और इस तरह दुनिया में रहने के लिए एक सुखी और बेहतर स्थान बनाते हैं। हालांकि इस कहावत का मूल लेखक ज्ञात नहीं है लेकिन यह बोली विद्यालय से लेकर अधिकतर प्रसिद्ध स्थानों पर उपयोग में रही है।
अर्थ
यह एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है जिसे लोग कई वर्षों से सुनते आ रहे हैं। आवश्यकताएं ज़रूरत हैं और मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। ‘आवश्यकता आविष्कार की मां है’ का मूल अर्थ यही है।
जब से सभ्यता की शुरूआत हुई है तभी से नवीन और उपयोगी चीजों के आविष्कार के लिए मनुष्य को कार्य करने की आवश्यकता है। यह केवल एक व्यक्ति में जुनून को स्व जीवन के लिए काम करने या नई चीजों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करता है जो खुद के लिए और दूसरों के लिए फायदेमंद होते हैं। जरूरत भी लोगों को कार्रवाई में शामिल करने के लिए प्रेरित करती है।
जब मनुष्य को कुछ चाहिए तो उसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है उदाहरण के लिए जीवित रहने के लिए लोगों को पैसे की जरूरत होती है और पैसे कमाने के लिए उन्हें काम करने की आवश्यकता होती है और अंततः वे खुद के लिए एक उपयुक्त नौकरी खोजते हैं। जब कोई विशेष आवश्यकता जीवित रहने के लिए ज़रूरी बन जाती है तो लोग उसे प्राप्त करने के तरीके ख़ोज ही लेते हैं।
इतिहास के अनुसार आदिम उम्र में मनुष्य के पास अपने शरीर को गर्मी और ठंड से बचाने के लिए कोई कपड़ा नहीं था, कोई घर नहीं था, भूख मिटाने के लिए कोई खाना नहीं था आदि। खाने की भूख मिटाने की इस सख्त आवश्यकता ने उन्हें आग उत्पन्न करने के लिए मजबूर किया। अपने शरीर और पत्तियों आदि को कवर करने के लिए घर की तरह झोपड़ी का निर्माण करने के अलावा वे नई और बेहतर चीजों में सुधार लाने हेतु उनका आविष्कार करते रहे।
दुनिया जानती है जब थॉमस एडीसन ने प्रकाश की जरुरत महसूस की तो उन्होंने 1879 में बल्ब का आविष्कार किया और इस तरह पूरे विश्व को रोशनी प्रदान की। परिवहन प्रणाली, टेलीविजन, रेडियो, मोबाइल फोन और कई अन्य ऐसे कई आविष्कार हैं जो न केवल संबंधित स्वामियों और अन्वेषकों की प्रतिभा को दिखाते हैं बल्कि हमारी ज़िंदगी को सहज और पूर्ण भी बनाते हैं।
चिकित्सा दुनिया में भी आवश्यकता ने उद्योग में क्रांति ला दी है और कई प्रकार की दवाएं, सर्जिकल उपकरण और इनका प्रयोग करने के तरीकों का आविष्कार किया गया है। ये आविष्कार न केवल गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं बल्कि विभिन्न मामलों में लोगों के जीवन की भी रक्षा करते हैं। अंग प्रत्यारोपण एक ऐसा आविष्कार है जो कई लोगों के लिए चिकित्सा वरदान साबित हुआ है। यह वे व्यक्ति थे जो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
निष्कर्ष
प्रौद्योगिकी तेजी से बढ़ रही है और विभिन्न प्रकार के आधुनिक हथियार जैसे परमाणु बम, अणु बम आदि भी इसी आविष्कार के प्रकार हैं लेकिन ये विनाशकारी हथियार हैं जो अंततः मानव जाति और संपूर्ण दुनिया को नष्ट कर सकते हैं। इस प्रकार यह महत्वपूर्ण है कि ऐसा आविष्कार करें जो लोगों और रिश्तों को नष्ट न करके स्वयं की और दूसरों की मदद करें।
निबंध – 3 (600 शब्द)
परिचय
‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ यह एक विश्व प्रसिद्ध कहावत है जिसे बच्चा-बच्चा भी जानता है। यह उदाहरण तकनीकी नहीं है। इसके बजाय यह कुछ सरल व्याख्याओं के साथ अपने अर्थ की मतलब को समझाने के लिए बहुत आसान और सरल है जो इस कहावत को अत्यधिक प्रभावशाली बनाता है।
अर्थ
कहावत ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ का अर्थ है कि जब हमें किसी चीज़ की बहुत जरुरत पड़ती हैं और अगर हम उस विशिष्ट चीज़ के बिना खुश नहीं रह सकते हैं या जीवित नहीं रह सकते हैं तो हम उस आवश्यकता को पूरा करने के तरीके खोजते हैं जिसके परिणामस्वरूप नई चीज़ का आविष्कार होता है। अगर कोई भूखा है तो भूख को संतुष्ट करने के लिए खाना पकाया जाता है इसलिए भूख आवश्यकता है और भोजन आविष्कार है। कई अन्य उदाहरण हैं जो इस प्रसिद्ध कहावत के अर्थ को समझाते हैं। वास्तव में दुनिया के अधिकांश लोकप्रिय और फायदेमंद चीजों की आवश्यकता का परिणाम है जिसने आविष्कारकों को बेचैन बना दिया और उत्पाद के आविष्कार करने को मजबूर किया है। ऐसे ही कुछ महानतम आविष्कार बल्ब, रेडियो, टेलीविजन, मोटर, मोबाइल, हवाई जहाज आदि हैं।
आविष्कार और आवश्यकता सह-संबंधित हैं और जब तक जरूरतें आवश्यकताएं नहीं बन जाती तब तक व्यक्ति कुछ नहीं करता। जो कुछ भी हम अपने दिन-प्रतिदिन जीवन में उपयोग करते हैं वह ज़रूरत या आवश्यकता के परिणाम हैं और उस आवश्यकता को पूरा करने के लिए मानव की इच्छा है। यह दर्शाता है कि एयर कंडीशनर, कार आदि जैसी लक्जरी वस्तुओं का आविष्कार विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया गया है।
आवश्यकता भी हमें मेहनती और प्रतिभा संपन्न बनाती हैं। यदि हम इतिहास को देखें विशेष रूप से आदिम युग, जब जीवित रहने के लिए मानव जाति के पास कुछ भी नहीं था, तब लोगों ने कपड़े, भोजन, घर आदि का आविष्कार किया और इस प्रकार सभ्यता की शुरुआत हुई।
कुछ आविष्कार हमारे जीवन को न केवल आरामदायक बनाते हैं बल्कि रहने लायक भी बनाते हैं जैसे बिजली का आविष्कार। बिना प्रकाश के जीवन की कल्पना कीजिए। हमें थॉमस एडिसन का धन्यवाद करना चाहिए जिनकी आस-पास के अंधेरे को दूर करने की इच्छा ने हमें रोशनी दी और पूरे विश्व को फायदा पहुंचाया।
लेकिन कुछ आविष्कार विनाशकारी भी हैं जैसे बंदूकें, बम, हथियार आदि। हालांकि इन हथियारों का स्वयं की सुरक्षा के लिए या राष्ट्र की सुरक्षा के लिए आविष्कार किया गया है लेकिन ये बहुत खतरनाक होते हैं जिनसे नुकसान पहुंचने का डर हमेशा बना रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि स्वयं की जरूरत दूसरे के लिए विनाश का कारण नहीं बने।
आवश्यकताएं और आविष्कार सकारात्मक रूप से अंतर-संबंधित हैं और लोगों को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करती है। मनुष्य धन कमाने के लिए, जो उन्हें नौकरी ढूंढने के लिए मजबूर करता है जिससे उन्हें पैसा मिलता जिसके फ़लस्वरूप उसका उपयोग करके वे भोजन, कपड़े, घर आदि की सभी प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं।
आवश्यकता न केवल लोगों को अस्तित्व के साधनों का आविष्कार करने के लिए मजबूर करती है बल्कि यह लोगों को अपने पेशे में पदोन्नति और बेहतर स्थिति प्राप्त करने के लिए चालाकी से काम करने के लिए भी प्रेरित करती है। पेशेवर जीवन में सफलता हासिल करने की इच्छा या दूसरों की तुलना में बेहतर बनने की कोशिश लोगों को प्रेरित करती है और इस तरह वे आपसी प्रतिस्पर्धा को जीतने के लिए नए-नए तरीकों का आविष्कार करते हैं।
निष्कर्ष
आवश्यकता को पूरा करने और जीवन में सफलता हासिल करने तथा दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई विनाशकारी आविष्कार नहीं करना चाहिए। मुहावरा या कहावत को लोगों को उनके बचपन से ही सकारात्मकता बढ़ाने के लिए पढ़ाया जाता है और कहावत में भी हमें गलत की बजाए सही अर्थ को ढूँढना चाहिए।