बेईमानी कभी नहीं फलती – क्यों पर निबंध (Why Dishonesty Never Pays Essay in Hindi)

मनुष्य में सच बोलने के साथ झूठ बोलने की प्रवृत्ति भी उसमें निहित होती है। यह पूरी तरह से उस व्यक्ति पर निर्भर करती है कि वह क्या चुनता है। हम में से बहुत से लोग अक्सर झूठ बोलते हैं, क्योंकि हम सच का सामना करने से डरते हैं। इसी प्रकार झूठ और बेईमानी एक बुरी आदत है और यह लंबे समय तक कभी भी फलदायी नहीं होती है। परीक्षाओं में अक्सर इस प्रश्न को पूछा जाता है कि बेईमानी क्यों नहीं फलती है?

इस विषय पर कई छात्र बहुत ही भ्रमित रहते हैं, कि वो इस बारे में क्या लिखे या क्या बोले। वास्तव में उन्हें बेईमानी के परिणामों का ठीक से पता नहीं होता है। मैंने यहां नीचे निबंध में इस विषय पर विस्तार से चर्चा किया है। उम्मीद है कि यह छात्रों को इस विषय में उचित जानकारी उपलब्ध कराएगी।

बेईमानी कभी क्यों नहीं फलती है पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why Dishonesty Never Pays in Hindi, Beimani kabhi kyon nahi falati hai par Nibandh Hindi mein)

1500 Words Essay

परिचय

ईमानदारी एक मानवी गुण है और यह हर इंसान के अंदर ही निहित होता है। यह मानव जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण गुण है। हमारे अपने और दूसरों के लिए असत्य होना एक बेईमानी के समान है। बेईमानी के रास्ते पर चलकर हमें कभी भी फायदा नहीं हो सकता। सच बोलने का नतीजा भले ही कितना भी कड़वा क्यों न हो, लेकिन हमें हमेशा ईमानदारी की राह पर ही चलना चाहिए।

बेईमानी क्या है?

बेईमानी एक व्यापक शब्द है, जिसमें झूठ बोलना, बुरा व्यवहार करना, धोखा देना, भ्रष्टाचार, चोरी, इत्यादि शामिल हैं। बेईमानी का काम लोगों को केवल दर्द और आहत करने वाला होता है। बेईमानी शब्द लोगों के भरोसे की हत्या करने का एक दूसरा नाम है। किसी को खुदपर विश्वास दिलाने में बहुत समय लगता है, और बेईमानी उसे एक ही झटके में तोड़ देती है। बेईमानी के रास्ते पर चलकर हम बड़ा नाम और कीर्ति अवश्य ही प्राप्त कर सकते हैं, पर इस तरीके से हम किसी के भरोसे को नहीं पा सकते हैं। गलत तरीके से हासिल किया गया नकली प्रतिष्ठा और वैभव ज्यादा दिन तक नहीं टिकती है, क्योंकि इसकी नींव खोखली होती है। बेईमानी कभी भी ईमानदारी का सामना एक पल भी नहीं कर सकती, क्योंकि यह बहुत ही शक्तिशाली होती है और हर प्रकार से केवल इसकी ही जीत होती है।

बेईमानी की तरफ ले जाने वाले कारक

ऐसे कई कारक है जो हमें ईमानदारी के रास्ते पर चलने के बजाय जीवन में गलत रास्ता चुनने के लिए कहते हैं। लोगों के बेईमान होने के कुछ कारक निचे सूचीबद्ध किये गए है –

  • सच्चाई को संभालने का डर

वैसे तो आमतौर पर लोग सच बोलने से होने वाले परिणामों से डरते हैं। यही डर उन्हें सच बोलने से रोकता है और इस प्रकार वो झूठ बोलते है और हर बात में झूठ बोलना उनकी आदत हो जाती हैं। एक बार जब हम झूठ बोलने की आदत को अपना लेते हैं, तो यह आदत आपके भविष्य में भी आपके साथ रहता है। आपको एक झूठ को छुपाने के लिए हज़ारों झूठी बातें बोलनी पड़ती हैं। यह हमारे शरीर और दिमाग की स्थिति को हर पल भयभीत करता रहता है कि कही भविष्य में एक दिन हमारा झूठ सामने न आ जाएं।

  • शीघ्र सफलता प्राप्त करना और स्वार्थी उद्देश्यों को पूरा करना

मैंने हमेशा लोगों को सफल होने के लिए शॉर्टकट तरीकों को अपनाते हुए देखा है। हम सभी इस तथ्य से अच्छी तरह से वाकिफ हैं कि सफलता एक चरणबद्ध प्रक्रिया है। हमें सफल होने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने और धैर्य से काम लेने की आवश्यकता है। हममें से कई ऐसे लोग हैं, जो गलत रास्ते को अपनाते हैं, जैसे- झूठ बोलना, धोखा देना इत्यादि और वह कम समय में ही सफल हो जाते हैं। इस प्रकार से प्राप्त उपलब्धि लंबे समय तक चलने वाली नहीं होती है और कुछ समय बाद उनका पतन होना निश्चित है।

आज की इस पीढ़ी में हम राजनीतिक नेताओं और राजनेताओं का उदहारण ले सकते हैं। वो लोगों के भोलेपन, उनके भरोसे और भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं। वो सभी लोगों का विश्वास और चुनाव को जीतने के लिए जनता के साथ झूठे वादे और उन्हें आश्वासन देते हैं, लेकिन जितने के बाद वह कभी भी इन लोगों की ओर पीछे मुड़कर भी नहीं देखते हैं। अतीत में इस प्रकार की स्थितियां बिल्कुल अलग थी। नेताओं को जनता का पूरा सहयोग और समर्थन प्राप्त होता था और लोगों को अपने नेताओं के ऊपर पूर्ण अंध-विश्वास था। वो जनता को प्रभावित करने में सक्षम थे, क्योंकि वह वही करते थे जो वो उन्हें वादों में कहते थे। उनके शब्दों और कार्यों में पारदर्शिता हुआ करती थी।

  • बदतर हालातो से निपटने के लिए

हम खुद पर आये ऐसी कई बदतर परिस्थितियों को संभालने के लिए हमें कई बार झूठ बोलना पड़ता है, और उस समय हम सच को छुपा लेते हैं। बाद में स्थिति सामान्य होने पर भी हम सच बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। हम उस समय ऐसा सोचते हैं कि ऐसा हो सकता है कि जब सच सामने आएगा तो यह दर्दनाक और दूसरों को दुःख दे सकता है। और इसी तरह ईमानदार होना दूसरों की देखभाल और सम्मान के बारे में भी ख्याल रखती है। जब हम बेईमानी करते हैं तो सत्य और ईमानदारी का मोल खत्म हो जाता हैं।

  • रिश्ते में बेईमानी

कोई भी रिश्ता बंधन और प्यार के बारे में होता है। हम अपने माता-पिता, दोस्तों और समाज के लोगों से प्यार करते हैं। हमें एक दूसरे पर भरोसा है और इसलिए हम अपने संबंधों की परवाह करते हैं। बेईमानी हमारे रिश्तों के भरोसे और विश्वास को नष्ट कर देती है। हमसे जुड़े जो भी लोग होते हैं हम उनपर विश्वास और भरोसा करते हैं, ऐसा इसलिए कि वो भी हमपर भरोसा करते हैं। यह विश्वास हमारी ईमानदारी के द्वारा उनके भीतर उत्पन्न हुआ है। उनसे झूठ बोलना उन्हें आहात करेगा और यह उनके लिए हमेशा पीड़ादायी होता है।

कई शादीशुदा मामलों में बात तलाक तक पहुंच जाती है। क्योंकि शादी का रिश्ता प्यार, विश्वास और भरोसे पर टिका होता है, और एक झूठ इस रिश्ते के बीच दरार ला सकती है। जब एक बार भरोसा टूट जाता है तो वह भविष्य में कभी भी किसी भी चीज या उनकी बातों पर हम भरोसा नहीं कर सकते है। बेईमानी करने के कारण उनकी नज़रों में हमारा सम्मान कम या खत्म हो जाता है।

  • बेईमानी – सफलता प्राप्त करने का एक आसान तरीका बनना

दुनिया ज्यादातर बेईमान लोगों से भरा पड़ा है। हम सभी अपने जीवन में कई बार लोगों से झूठ बोलने की कोशिश करते हैं। ऐसा हम स्कूलों, कार्यालयों, माता-पिता, दोस्तों या अपने करीबियों के साथ करने की कोशिश करते है। यह बात बहुत दुःख देती है कि दुनिया में ईमानदार लोगों की संख्या बहुत ही कम हैं। क्योंकि अधिकांश लोगों को बेईमानी के रास्ते पर जाने के लिए कई बार मजबूर कर दिया जाता है।

इसलिए हम कभी भी उनसे समाज और राष्ट्र की प्रगति की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं। जो लोग अपने बातों और कार्यों में बेईमानी कर रहे है और जब वह अपने कार्यों में सफल होंगे तो वह एक भ्रष्टाचार से भरे राष्ट्र का निर्माण करेंगे। सत्ता, धन, बल और उच्च पद को पाने का लालच में लोग बेईमानी की ओर घसीटते चले जा रहे है।

बेईमान लोगों की बढ़ती आबादी, राष्ट्र में भ्रष्टाचार और अन्याय को और अधिक बढ़ावा देगी। इससे युवा पीढ़ी ईमानदारी के रास्ते को भूलकर बेईमानी के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर और उन्हें ये सब देखकर बेईमानी की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगी। ऐसा इसलिए है कि इस युवा पीढ़ी में हर कोई सफल होने की चाह रखता है, चाहे उसे कोई भी रास्ता क्यों न अपनाना पड़े। युवा पीढ़ी को आसानी से किसी भी ओर मोड़ा जा सकता है और इसलिए वह आसानी से बेईमानी के जरिये नकली सफलता प्राप्त करने के मार्ग पर चल पड़ता है।

बेईमानी लंबे समय तक नहीं चलती है क्यों?

बुरे तरीके से हमें जो कुछ भी प्राप्त होता हैं, वो कभी भी लंबे समय तक के लिए नहीं चलता है। अगर वही चीज हम अपने कड़ी मेहनत और प्रयास से प्राप्त करते हैं, तो निश्चित रूप से वह हमें फल देगी। बेईमानी से प्राप्त सफलता केवल थोड़े ही समय के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह तभी तक मौजूद रहती है जब तक कि सच्चाई का पता न चल जाये। जिस दिन लोगों को सच्चाई का पता चल जाता है, उसी दिन से इस प्रकार के लोगों पर से उनका विश्वास और भरोसा उठ जाता है।

मुझे लगता है कि इस दुनिया में ऐसा कोई भी नहीं होगा जो धोखेबाज और बेईमान लोगों के साथ काम करना पसंद करेगा। ऐसे धोखेबाज लोग हममें से कई लोगों को एक साथ धोखा दे सकते हैं। बेईमानी से सफलता प्राप्त करने से उन लोगों को थोड़े समय के लिए सुख की प्राप्ति हो सकती है। लेकिन यह निश्चित रूप से जीवन भर के लिए उनकी मान, प्रतिष्ठा और मन की शांति को बर्बाद कर देती है। यदि इसी सफलता को आप ईमानदारी और अपने सच्चे प्रयासों से प्राप्त करते है तो हमें उचित रूप से मन की संतुष्टि और शांति प्राप्त होती है। ईमानदारी से प्राप्त की गई उपलब्धि ही आपके जीवन की सच्ची उपलब्धि है।

निष्कर्ष

हमें अपने जीवन में हमेशा ही ईमानदार बने रहने की आवश्यकता है, क्योंकि बेईमानी कभी भी फलदायी नहीं होती है। बेईमानी से प्राप्त की गई सफलता थोड़े समय के लिए आपको खुशी दे सकती है, लेकिन यह खुशी लंबे समय तक के लिए जारी नहीं रखा जा सकता है। सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलने में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना जरूर करना पड़ता हैं, लेकिन आखिर में इससे मिली आतंरिक संतुष्टि सबसे महत्वपूर्ण होती है। ईमानदारी, मेहनत और सत्यता से सफलता के सारे द्वार को खोला जा सकता है।

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