असहिष्णुता किसी अन्य जाति, धर्म और परंपरा से जुड़े व्यक्ति के विश्वासों, व्यवहार व प्रथा को मानने की अनिच्छा हैं। ये समाज में उच्च स्तर पर नफरत, अपराधों और भेदभावों को जन्म देता हैं। ये किसी भी व्यक्ति के दिल और दिमाग में इंकार करने के अधिकार को जन्म देता हैं। ये लोगों को एकता, बिना भेदभाव, स्वतंत्रता और अन्य सामाजिक अधिकारों से जीने की अनुमति नहीं देता। समाज में असहिष्णुता का जन्म जाति, संस्कृति, लिंग, धर्म और अन्य असहनीय कार्यों के द्वारा होता हैं।
असहिष्णुता पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Intolerance in Hindi, Asahishnuta par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
असहिष्णुता आमतौर पर वो शर्त हैं जिसमें अपने धर्म व प्रथाओं से अलग किसी अन्य धर्म, जाति या संस्कृति की प्रथाओं और मान्यताओं को स्वीकार नहीं करते हैं। संयुक्त राष्ट्र में आयोजित बहुसंस्कृतिवाद सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिभागियों से पूछा गया कि, “हम उनके लिये कैसे सहिष्णु बने जो हमारे लिये असहिष्णु हैं?” निश्चित हालातों में सहिष्णुता सही नहीं हैं हांलाकि इसका यह मतलब नहीं हैं कि सभी बुरे हालातों में कोई एक असहिष्णुता के वातावरण का निर्माण करता हैं। सहिष्णुता उन लोगों का अभिन्न गुण हैं जो विभिन्न समूहों के होते हुये भी एक-दूसरे से सम्मानपूर्वक और समझदारी से जुड़े हुये हैं। ये विभिन्न समूहों के लोगों को अपने मतभेदों को सुलझाने में मदद करता हैं।
भारत में असहिष्णुता क्या हैं?
हम ये नहीं कह सकते कि भारत में असहिष्णुता हैं, ये देश “विविधता में एकता” का सबसे सही उदाहरण हैं। ये अपने अनूठे गुण विविधता में एकता के कारण तेजी से विकास करने वाला देश हैं। ये वो देश हैं जहाँ अलग-अलग जाति, पंथ, धर्म, रिवाज, संस्कृति, परंपरा और प्रथा को मानने वाले वर्षों से बिना किसी भेदभाव के रह रहे हैं। वो अपने त्यौहारों और मेलों को बहुत उत्साह के साथ बिना किसी दूसरे समूह के हस्तक्षेप के मनाते हैं। वो एक दूसरे के धर्म, रिवाज, विश्वास. मान्यता और प्रथा की सही समझ रखते हैं। भारत के नागरिक सहिष्णुता का गुण रखते हैं जो उन्हें जियों और जीने दो की क्षमता प्रदान करता हैं।
बॉलीवुड अभिनेता, आमिर खान, का एक बयान, भारत में असहिष्णुता के बढ़ते वातावरण के बारे में सभी के लिये बहुत चकित करने वाला था क्योंकि उन्होंने एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर बहुत ही गम्भीर टिप्पणी की थी। भारत वो देश हैं जहाँ कोई भी ये आरोप नहीं लगा सकता कि लोग असहिष्णुता को बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि सभी एक-दूसरे के धर्म और प्रथाओं की पूरी समझ रखते हैं।
असहिष्णुता समाज को कैसे प्रभावित करती हैं?
असहिष्णुता (मुख्यतः धार्मिक असहिष्णुता) समाज में रहने वाले लोगों को अलग करता हैं और ये राष्ट्र के विभाजन करता के रुप में कार्य करता हैं। ये समाज में विभिन्न जाति, धर्म, मान्यताऔं और प्रथाओं के लोगों के बीच असम्मान, शत्रुता और युद्ध की स्थिति को उत्पन्न करता हैं। ये एक-दूसरे के प्रति अविश्वास का निर्माण करके पड़ौसी को पड़ौसी के खिलाफ कर देता हैं।
निबंध 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
असहिष्णुता की स्थिति आर्थिक मंदी और राजनीतिक स्थिति में बदलावों के कारण विभिन्न समूह के लोगों में पायी जाती हैं। इस स्थिति में, लोग अपने आस-पास इन बदलावों को सहन करने में परेशानी महसूस करते हैं। ये सभी को बुरी तरह नुकसान पहुँचाता हैं, विशेष रुप से राष्ट्र को। वो देश जिनमें असहिष्णुता अस्तित्व में हैं, वो भेदभाव, दमन, अमानवीकरण और हिंसा के घर हैं।
असहिष्णुता क्या है?
असहिष्णुता एकता से अलगाव हैं जो नापसंद, इंकार और लोगों के बीच झगड़ों की स्थति को उत्पन्न करता हैं। वहीं सहिष्णुता विविधता में एकता को बढ़ावा देता हैं (भारत इसका सबसे उपयुक्त उदाहरण हैं)। सहिष्णुता वो क्षमता है जो, लोगों के मन में विभिन्न धर्मों, प्रथाओं, राय, राष्ट्रीयता वाले उन लोगों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है। असहिष्णुता असफलता की स्थिति हैं जो लोगों को दूसरे समूह से संबंधित लोगों के विश्वासों, मान्यताओं और परंपराओं को नापसंद करने के लिये प्रेरित करती हैं। उदाहरण के लिये, असहिष्णुता का एक उच्च स्तर इजरायल में यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच मौजूद है। असहिष्णुता समाज में अंतर समूह हिंसा को जन्म देता है।
भारतीय समाज में असहिष्णुता के कारण
समाज में असहिष्णुता कई कारणों से जन्म लेती हैं। सामान्यतः समाज में धार्मिक असहिष्णुता जन्म लेती हैं जो राष्ट्र का बंटवारा करती हैं। ये पड़ोसियों के खिलाफ पड़ोसियों के आपसी युद्ध के हालत पैदा करता है। असहिष्णुता व्यक्तियों के बीच उत्पन्न अपने स्वयं के अनुभवों के अभाव के कारण उत्पन्न हो सकती है। आमतौर पर वो एक दूसरे के प्रति अपनी राय मान्यताओं के आधार पर बनाते हैं जो बहुत आसानी से अपने निकटतम या सबसे प्रभावशाली लोगों के सकारात्मक और नकारात्मक विश्वासों से प्रभावित हो जाते हैं।
निष्कर्ष
अलग-अलग समूह के अन्य व्यक्ति के प्रति व्यक्तिगत नजरिए को भी मीडिया में उसकी / उसके छवियों के द्वारा बहुत आसानी से प्रभावित किया जा सकता हैं। मिथको पर आधारित बुरी शिक्षण प्रणाली भी छात्रों को समाज में रह रहे विभिन्न धर्मों के लिये प्रेरित करने के स्थान पर दूसरी संस्कृति के खिलाफ बर्बर बनाती हैं। सहिष्णुता वो गुण हैं जो लोगों को खुशी के साथ रहने और जियों और दूसरों को जीने दो के सिद्धान्त को मानने के लिये प्रेरित करती हैं।
निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
असहिष्णुता वो स्थिति हैं जो किसी दूसरे धर्म, समुदाय के लोगों के विचारों, विश्वासों, मान्यताओं और प्रथाओं को मानने से इंकार करती हैं। समाज में बढ़ती असहिष्णुता किसी भी तरह इंकार करने की भावना पैदा करके विभिन्न समूहों को अलग होने के लिये बाध्य करती हैं। समाज में असहिष्णुता का सबसे अच्छा उदाहरण दक्षिण अफ्रीका में काले और सफेद दक्षिण अफ्रीका के बीच अलगाव है। इन दो समूहों के बीच बहुत अधिक सामाजिक दूरी हैं जो अंतर समूह असंतोष और दुश्मनी को जन्म देता है।
असहिष्णुता के बारे में
असहिष्णुता भयानक और अस्वीकृत गुण हैं जिसे समाज के उत्थान के लिये दबा देना चाहिये। यह विभिन्न समूह के लोगों को एक दूसरे के खिलाफ करके देश के विकास करने की क्षमता को नष्ट कर देता हैं। असहिष्णु समाज में रहने वाले लोग दूसरे समुदाय से सम्बंधित लोगो के विचारों, व्यवहारों, प्रथाओं और मान्यताओं के प्रति अपनी अस्वीकारता प्रदर्शित करने के लिये घातक हमला भी कर सकते हैं। असहिष्णुता धार्मिक, जातीय या अन्य किसी भी प्रकार की हो सकती हैं हालाँकि सभी तरह से राष्ट्र की वृद्धि और विकास में बाधा पहुँचाती हैं। ये लोगों की धार्मिक, सांस्कृतिक, परंपराओं, रीति-रिवाजों और लोगों के विचारों में मतभेद के कारण एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या हैं। ये लोगों या राष्ट्रों के बीच युद्ध का मुख्य कारण है। अच्छी शिक्षा पद्धति, सहिष्णुता का विकास और समझौते आदि के बेहतर प्रयोग से असहिष्णुता की समस्या को बहुत हद तक सुलझाया जा सकता हैं।
असहिष्णु लोग कभी भी किसी दूसरे को स्वीकार नहीं कर पाते जो प्राचीन काल से ही पूरे संसार में मुख्य मुद्दा रहा हैं। असहिष्णुता लोगों को एक-दूसरे (विभिन्न धर्म और जाति के लोग) के प्रति क्रोधी और हिंसक बनाती हैं। अच्छी शिक्षा पद्धति उन्हें असहिष्णुता को नियंत्रित करना सिखाती हैं। बच्चों के स्कूली जीवन से ही सहिष्णुता को व्यवहार में लाना सिखाया जाना चाहिये। उन्हें समाज में विविधता को स्वीकार करना भी सिखाना चाहिये।
असहिष्णुता के प्रभाव
असहिष्णुता लोगों, समाज और राष्ट्र की चिन्ता का विषय हैं क्योंकि ये विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच हिंसा को जन्म देता हैं। ये उन लोगों के लिये समाज से बहिष्कार का कारण बनता हैं जो विभिन्न समुदायों से संबंध रखते हैं जैसे, गैर-मुसलिम समुदाय में मुस्लमानों का बहिष्कार किया जाता हैं और इसके विपरीत भी। असहिष्णुता मनुष्य के दिमाग को संकीर्ण बनाती हैं और समाज व राष्ट्र के विकास के लिये आवश्यक सकारात्मक सुधारों को स्वीकार करने से रोकती हैं। ये बहुत ही उच्च स्तर की विनाशकारी शक्ति रखती हैं और जिस राष्ट्र में भी इसका अस्तित्व हैं उसके लिये बहुत भयानक हैं। इसलिये इसे किसी भी देश, समाज और समुदाय में बढ़ने से रोकना चाहिये।
असहिष्णुता के साथ समझौता कैसे करें?
लोगों के बीच सहिष्णुता को बढ़ावा देना चाहिये और असहिष्णुता को हतोत्साहित करना चाहिये। सहिष्णुता को कई प्रयोगों के द्वारा बढ़ावा देना चाहिये। अंतरंग अंतर समूह संपर्क एक दूसरे के निजी अनुभवों को बढ़ाता है और असहिष्णुता को कम करता है। अंतरंग अंतर समूह संपर्क को प्रभावी और उपयोगी बनाने के लिए जारी रखा जाना चाहिए। वार्ता तंत्र भी दोनों पक्षों पर संचार को बढ़ाने के लिए कारगर हो सकता है। ये उनकी जरूरतों और हितों को व्यक्त करने के लिए लोगों की मदद करता हैं।
निष्कर्ष
मीडिया को भी सांस्कृतिक संवेदनशीलता के प्रति सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक छवियों का चयन करना चाहिए। शिक्षा, समाज में सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। छात्रों को स्कूल में सहिष्णु वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वो विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान कर सके और उन्हें समझ सकें। छात्र सहिष्णु माहौल में बेहतर सांस्कृतिक समझ विकसित कर सकते हैं।