औरतें समाज का बहुत महत्वपूर्ण भाग है और पृश्वी पर जीवन के हर एक पहलू में बराबर भाग लेती है। हांलाकि, भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को कारण स्त्रियों के निरंतर गिरते लिंग अनुपात कारण ऐसा लग रहा है कि कही महिला जाति के अस्तित्व पर ही संकट ना आ जाये। इसलिये, भारत में महिलाओं के लिंग अनुपात को बनाये रखने के लिये कन्याओं (बालिकाओं) को बचाना बहुत आवश्यक है।
बेटी बचाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Beti Bachao in Hindi, Beti Bachao par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
वर्तमान समय में पूरे देश में बेटी बचाओ एक महत्वपूर्ण जागरुकता योजना है। इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा लैंगिग भेदभाव स्तर पर लड़कियों के जीवन को बचाने के लिए कई विशेष कदम उठाये है। इस कार्य को सफल बनाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रसिद्ध हस्तियों को भी इस योजना से जोड़ा गया है।
महिला साक्षरता और बेटी बचाओ योजना
आजकल पूरे देश में लड़कियों को बचाने के सन्दर्भ में बेटी बचाओ योजना एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय है। लड़कियों को बचाने के लिये बहुत से प्रभावशाली उपायों को अपनाया गया है जिसमें काफी हद तक सफलता भी प्राप्त हुई है। समाज में बड़े स्तर पर गरीबी का प्रसार है जो भारतीय समाज में अशिक्षा और लिंग असमानता का एक बहुत बड़ा कारण है। इसके साथ ही हमें लोगो को जागरुक करके भी लैंगिग असमानता को दूर करने का प्रयास करना है। आकड़ों के अनुसार, ये पाया गया है कि उड़ीसा में महिला साक्षरता लगातार गिर रही है जहाँ लड़कियाँ शिक्षा और अन्य गतिविधियों में समान पहुँच नहीं रखती है।
शिक्षा गहराई के साथ रोजगार से जुड़ी हुई है। कम शिक्षा का अर्थ है कम रोजगार जो समाज में गरीबी और लिंग असमानता का नेतृत्व करता है। महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिये शिक्षा बहुत प्रभावी कदम है क्योंकि ये इन्हें वित्तीय रुप से आत्मनिर्भर बनाता है। समाज में महिलाओं के समान अधिकार और अवसरों को सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने कन्या बचाओं कदम उठाया है। बॉलीवुड अभिनेत्री (परिणीति चौपड़ा) को प्रधानमंत्री की हाल की योजना बेटी बचाओ (बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ) की एक आधिकारिक तौर पर ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है।
निष्कर्ष
बिना महिला साक्षरता के बेटी बचाओ योजना को सफल नही बनाया जा सकता है। इसके साथ ही हमें इस विषय में लोगों को अधिक जागरुक करने की आवश्यकता है ताकि लोगों को लैंगिग असमानता, लड़कियों की शिक्षा, परिवार नियोजन जैसी चीजों के विषय में समझाया जा सके क्योंकि जब लोग जागरुक और समझदार होगें तभी इस प्रकार की योजनाएं सफल हो पायेंगी।
निबंध 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
लड़कियाँ वर्षों से भारत में कई तरह के अपराधों और भेदभावों से पीड़ित है। इनमें सबसे भयानक अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लड़कियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान सरकार द्वारा स्त्री भ्रूण के लिंग-चयनात्मक गर्भपात के साथ ही बालिकाओं के खिलाफ अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरु किया गया है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात – कमी पर प्रभाव
कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों (हॉस्पिटल्स) में चयनात्मक लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाना वाला बहुत भयानक कार्य है। ये भारत में लोगों की लड़कों में लड़कियों से अधिक चाह होने के कारण विकसित हुआ है।
इसने काफी हद तक भारत में कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी देखने को मिली है। ये देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी के कारण ही सम्भव हो पाया है। इसने समाज में लिंग भेदभाव और लड़कियों के लिये असमानता के कारण बड़े दानव का रुप ले लिया है।
महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद देखी गयी थी। इसके बाद 2001 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद इसे एक बड़ी सामाजिक घटना के रुप काफी चर्चा मिली थी। हालांकि, महिला आबादी में कमी 2011 तक भी जारी रही। बाद में, कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था। 2001 में मध्य प्रदेश में ये अनुपात 932 लड़कियाँ/1000 लड़कें था हालांकि 2011 में यह 912/1000 तक कम हो गया था। इसका मतलब है, ये अभी भी जारी है और 2021 तक इसे 900/1000 कम किया जा सकता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरुकता अभियान की भूमिका
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक योजना है जिसका अर्थ है कन्या शिशु को बचाओं और इन्हें शिक्षित करों। ये योजना भारतीय सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्या शिशु के लिये जागरुकता का निर्माण करने के साथ साथ महिला कल्याण में सुधार करने के लिये शुरु की गयी थी। ये अभियान कुछ गतिविधियों जैसे: बड़ी रैलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद, आदि, को आयोजित करने के द्वारा समाज के अधिक लोगों को जागरुक करने के लिये शुरु किया गया था। ये अभियान भारत में बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के द्वारा समर्थित है। ये योजना पूरे देश में कन्या शिशु बचाओ के सन्दर्भ में जागरुकता फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने के साथ ही भारतीय समाज में लड़कियों के स्तर में सुधार करेगी।
निष्कर्ष
भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए सभी नियमों और कानूनों का अनुसरण करना चाहिये। लड़कियों को उनके माता-पिता द्वारा लड़कों के समान समझा जाना चाहिये और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिये।
निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
भारतीय समाज में लड़कियों की स्थिति बहुत समय से विवाद का विषय है। आमतौर पर प्राचीन समय से ही, लड़कियाँ की खाना बनाने और गुड़ियों के साथ खेलने में शामिल होने की मान्यता है जबकि लड़कें शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते है। लोगों की ऐसी पुरानी मान्यताएँ उन्हें नकली बनाकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने को प्रेरित करती है जिसका परिणाम समाज में बालिकाओं की संख्या में निरंतर कमी के रुप में देखने को मिल रहा है।
कन्या या बालिका बचाओ के सन्दर्भ में लिये गये प्रभावशाली कदम
बेटी बचाओ योजना के सन्दर्भ में कुछ निम्नलिखित प्रभावी कदम उठाये गये है:
- वर्षों से, भारतीय समाज में माता-पिता के द्वारा लड़के के जन्म की चाह के कारण महिलाओं की स्थिति काफी बदतर हो गयी। इसने समाज में लिंग असमानता का निर्माण किया, जिसे लिंग समानता को अपनाकर पूरा करने की आवश्यकता है।
- समाज में व्याप्त अत्यधिक गरीबी ने महिलाओं के खिलाफ कई सारी सामाजिक बुराईयों जैसे कि दहेज प्रथा आदि को जन्म दिया है। जिसने महिलाओं की स्थिति को बद से बदतर (बहुत बुरा) बना दिया है। आमतौर पर माता-पिता सोचते है कि लड़कियाँ केवल रुपये खर्च कराती है जिसके कारण वो लड़कियों को बहुत से तरीकों (कन्या भ्रूण हत्या, दहेज के लिये हत्या) जन्म से पहले या बाद में मार देते है, कन्याओं या महिलाओं को बचाने के लिये, इस तरह के कार्यों को समाज में पूर्ण रुप से प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है।
- अशिक्षा एक दूसरा मुद्दा है जो दोनों लिंगों (लड़कों और लड़कियों) को उचित शिक्षा देने के माध्यम से खत्म किया जा सकता है।
- बालिकाओं के जीवन को बचाने के लिये महिलाओं का सशक्तिकरण एक बहुत प्रभावशाली तरीका है।
- बेटी बचाओ के सन्दर्भ में कुछ प्रभावशाली अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरुक किया जाना चाहिये।
- एक लड़की माँ के गर्भ में साथ ही बाहर के संसार में भी असुरक्षित है। वो जीवन भर उन पुरुषों के माध्यम से कई मायनों में भयभीत रहती है जिसने उन्हें जन्म दिया है। महिलाओं को अपने ही जन्म दिये पुरुषों के सत्ता को स्वीकार करना होता है, जोकि काफी हास्यस्पद और अपमानजनक है। कन्याओं को बचाने और उनके सम्मान को बनाने के लिये, शिक्षा सबसे बड़ी क्रान्ति है।
- एक लड़की को प्रत्येक क्षेत्र में समान पहुँच और अवसर देने चाहिये।
- सभी सार्वजनिक स्थानों पर लड़कियों के लिये रक्षा और सुरक्षा के प्रबंध भी होने चाहिये।
- लडकीयों के परिवार के सदस्य बेटी बचाओं अभियान को सफल बनाने में काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते है।
निष्कर्ष
बेटी बचाओ अभियान को लोगों को सिर्फ एक विषय के रुप में नहीं लेना चाहिये, ये एक सामाजिक जागरुकता का मुद्दा है जिसे हमें गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है। लोगों को लड़कियों को बचाना और सम्मान करना चाहिये क्योंकि वो पूरे संसार का निर्माण करने की शक्ति रखती है। वो किसी भी देश के विकास और वृद्धि के लिये समान रुप से आवश्यक है।
निबंध 4 (600 शब्द)
प्रस्तावना
पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना असंभव है। दोनो ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ ही साथ किसी भी देश के विकास के लिये समान रुप से जिम्मेदार है। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना हम मानव जाति की निरंतरता के बारे में नहीं सोच सकते क्योंकि उनके द्वारा ही महिलाओं को जन्म दिया जाता है। यही कारण है कि हमें कन्या भ्रूण हत्या जैसे गंभीर अपराध को पूर्ण रुप से रोकने की आवश्यकता है, इसके साथ ही हमें लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिये सुरक्षा, सम्मान और समान अवसर प्रदान किये जाने चाहिये।
बेटी बचाओ अभियान क्यों आवश्यक है?
इस संसार में ऐसे कई घटनाएं हुई है, जिन्होंने इस बात को प्रमाणित किया है कि महिलाएं हर क्षेत्र में ना सिर्फ पुरुषों के बराबर है बल्कि की कई क्षेत्रों में उनसे आगे भी है। इन्हीं में से हमने नीचे कुछ बातों पर चर्चा की है-
- लड़किया किसी क्षेत्र में लड़कों की तुलना में पीछे नही है और वह हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है।
- 1961 से कन्या भ्रूण हत्या एक गैर कानूनी अपराध है और लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात को रोकने के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है। सभी लोगों को इन नियमों का पालन करना चाहिए और लड़कियों को बचाने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
- लड़कियाँ लड़कों की तुलना में अधिक आज्ञाकारी, कम हिंसक और अभिमानी साबित हो चुकी है।
- वो अपने परिवार, नौकरी, समाज या देश के लिए ज्यादा जिम्मेदार साबित हो चुकी है।
- वो अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती है।
- एक महिला माता, पत्नी, बेटी ,बहन आदि होती है। इसलिए हम में से प्रत्येक व्यक्ति को लड़कियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।
- एक लड़की अपनी घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को बहुत ही अच्छे तरीके से निभाती है जो इन्हें लड़को से अधिक विशेष बनाने का कार्य करती है।
- लड़कियाँ मानव जाति के अस्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।
लड़कियों को बचाने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदम
सरकार द्वारा लड़कियों को बचाने और शिक्षित करने के लिये बहुत से कदम उठाये गये है। इस बारे में सबसे हाल की पहल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ है जो बहुत सक्रिय रूप से सरकार, एनजीओ, कॉरपोरेट समूहों, और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा समर्थित है। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है।
बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराध भारत में वृद्धि और विकास के रास्ते में बड़ी बाधा है। कन्या भ्रूण हत्या बड़े मुद्दों में से एक था हालांकि अस्पतालों में लिंग निर्धारण, स्कैन परीक्षण, उल्ववेधन, के लिए अल्ट्रासाउंड पर रोक लगा कर आदि के द्वारा सरकार ने प्रतिबंधित किया गया है। सरकार ने ये कदम लोगों को ये बताने के लिये लिया है कि लड़कियाँ समाज में अपराध नहीं हालांकि भगवान का दिया हुआ एक खूबसूरत तोहफा है।
निष्कर्ष
हमें बेटियों से नफरत की भावना, उन्हें कोख में मारने की कोशिश जैसे चीजों पर बदलाव लाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। हमें समाज और देश की भलाई के लिए उसे सम्मानित और प्यार करना चाहिए। वो लड़कों की तरह की देश के विकास में समान रुप से भागीदार है।
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