राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

वर्ष 1928 में सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन, भारतीय भौतिकविज्ञानी के द्वारा भारत में “रमन प्रभाव” के आविष्कार को याद करने के लिये हर वर्ष 28 फरवरी को बड़े उत्साह के साथ पूरे भारतवर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है। वर्ष 1930 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करने के लिये भौतिक विज्ञान में चन्द्रशेखर वेंकट रमन को नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत और सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021

भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021, 28 फरवरी, रविवार को मनाया गया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 पर विशेष

  1. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2020 का थीम है “वुमन इन साइन्स” जिसका अर्थ है विज्ञान में महिलाओं की भूमिका। जो आज कल के परिवेश कि पहचान भी है और आवश्यकता भी।
  2. इस अवसर पर हमारे राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, विज्ञान भवन में देश के कुछ प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों को सम्मानित किये जिसमें रितु करढाल (जिन्हें भारत की रॉकेट वुमन कहा जाता है), मौमिता दत्ता, मीनल संपत, नंदिनी हरिनाथ, अनुराधा टी. के, आदि देश कि महान महिलाएं शामिल थीं। इस मौके पर कई अन्य कैबिनेट मंत्री भी वहां मौजूद थे।
  3. देश के सभी स्कूलों एवं कालेजों में इस अवसर को बड़ी उत्सुकता से मनाया गया । विज्ञान दिवस युवाओं में, कुछ अलग करने कि चाह को बढ़ाता है और उन्हें भी चन्द्रशेखर वेंकट रमन कि तरह देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास

भारत में 28 फरवरी 1928 एक महान दिन था जब प्रसिद्ध भारतीय भौतिक शास्त्री चन्द्रशेखर वेंकट रमन के द्वारा भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कार पूरा हुआ था। वो एक तमिल ब्राह्मण थे और वो विज्ञान के क्षेत्र के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में ऐसे आविष्कार पर शोध किया था। भविष्य में इस कार्यक्रम को हमेशा याद और सम्मान देने के लिये वर्ष 1986 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय संचार के लिये राष्ट्रीय परिषद के द्वारा भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रुप में नामित करने के लिये भारतीय सरकार से कहा गया था।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

तब से, भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में एक महान कार्यक्रम के रुप में पूरे भारत वर्ष में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है। इसे हर वर्ष विद्यार्थी, शिक्षक, संस्थान, और शोधकर्ताओं द्वारा स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, भारत के तकनीकी और शोध संस्थान, चिकित्सा, अकादमिक, वैज्ञानिक सहित सभी शिक्षण संस्थान मनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के पहले उत्सव के मौके पर विज्ञान संप्रेषण और सार्वजनिकीकरण के क्षेत्र में एक प्रशंसनीय प्रयास और उत्कृष्ट पहचान के लिये राष्ट्रीय विज्ञान सार्वजनिकीकरण पुरस्कार की घोषणा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय संचार के लिये राष्ट्रीय परिषद ने किया था।

भारत में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इण्डियन ऐसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में 1907 से 1933 तक सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने कार्य किया था जिसके दौरान उन्होंने भौतिकी के कई बिन्दुओं पर शोध किया था जिसमें से “रमन प्रभाव”(प्रकाश के फैलने पर प्रभाव जब विभिन्न वस्तुओं के द्वारा उसको गुजारा जाता है) उनकी महान सफलता और खोज बनी जो भारतीय इतिहास में प्राख्यात हुआ। अपने बड़े आविष्कार के लिये वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार सहित कई भारतीय पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया। साल 2013 से, अमेरिकन केमिकल समाज द्वारा अंतरराष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल लैण्डमार्क के रुप में “रमन प्रभाव” को नामित किया गया है।

वर्ष 2009 के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उत्सव के दौरान, देश में आधुनिक विज्ञान के सार्वजनिकीकरण और नेतृत्व के लिये सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के भारतीय वैज्ञानिकों के बड़े प्रयासों और उपलब्धियों की पहचान के लिये विज्ञान संचार के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार के द्वारा पाँच भारतीय संस्थान को इण्डियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी ने पुरस्कृत किया। विज्ञान से इसके बड़े योगदान की पहचान के लिये वर्ष 2009 में विक्रम साराभाई समुदाय विज्ञान केन्द्र को सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया था।

स्कूल और कॉलेजों से विद्यार्थियों के भाग लेने, राज्य और राष्ट्रीय विभाग से वैज्ञानिकों के द्वारा वैज्ञानिक क्रिया-कलापों और कार्यक्रमों की पहचान के लिये विज्ञान उत्सव के रुप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाने की शुरुआत हुई। विज्ञान के पेशे में अपने जीवन को चमकाने और अपना पैर जमाने के लिये कई नये वैज्ञानिकों के लिये ये कार्यक्रम एक सही मंच उपलब्ध कराता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है

हर वर्ष भारत में मुख्य विज्ञान उत्सवों में से एक के रुप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है जिसके दौरान स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी विभिन्न विज्ञान प्रोजेक्ट्स को प्रदर्शित करते हैं साथ ही राष्ट्रीय और राज्य विज्ञान संस्थान अपने नवीतम शोध प्रदर्शित करते हैं। इस समारोह में सार्वजनिक भाषण, रेडियो-टीवी टॉक शो, विज्ञान फिल्मों की प्रदर्शनी, विषय और संकल्पना पर आधरित विज्ञान प्रदर्शनी, नाईट स्काई देखना, सजीव प्रोजेक्ट्स और शोध प्रदर्शनी, चर्चा, प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता, भाषण, विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी आदि बहुत सारे क्रियाकलाप होते हैं।

खोडद में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (जीएमआरटी भी कहा जाता है) में बड़े जूनुन के साथ हर वर्ष इसे मनाया जाता है जो कि टीआईएफआर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के द्वारा स्थापित एनसीआरए (नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजीक्स) के द्वारा लो रेडियो फ्रिक्वेन्सीज़ पर संचालित किया जाने वाला पूरे विश्वभर में एक प्रसिद्ध टेलिस्कोप है।

रेडियो खगोल विद्या और खगोल भौतिकी के क्षेत्र में अपने मुख्य शोध क्रिया-कलापों को पहचान दिलाने के लिये राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उत्सव के समारोह में एनसीआरए और जीएमआरटी के द्वारा विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित होती हैं। देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सार्वजनिकीकरण करने के लिये आम जन और विद्यार्थी वर्ग के लिये कई प्रकार के कार्यक्रम रखे जाते हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मंत्री इस दिन अपने भाषण के द्वारा विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और राष्ट्र के आम नागरिकों को एक संदेश देते हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का लक्ष्य

  • लोगों के दैनिक जीवन में वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के बारे में एक संदेश को व्यापक तौर फैलाने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को मनाया जाता है।
  • मानव कल्याण के लिये विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिये।
  • विज्ञान के विकास के लिये सभी मुद्दों पर चर्चा करना और नयी प्रौद्योगिकी को लागू करना।
  • देश में वैज्ञानिक दिमाग नागरिकों को एक मौका देना।
  • विज्ञान और तकनीक को प्रसिद्ध करना साथ ही लोगों को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम (विषय)

  • वर्ष 1999 का विषय था “हमारी बदलती धरती”।
  • वर्ष 2000 का विषय था “मूल विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना”।
  • वर्ष 2001 का विषय था “विज्ञान शिक्षा के लिये सूचना तकनीक”।
  • वर्ष 2002 का विषय था “पश्चिम से धन”।
  • वर्ष 2003 का विषय था “जीवन की रुपरेखा- 50 साल का डीएनए और 25 वर्ष का आईवीएफ”।
  • वर्ष 2004 का विषय था “समुदाय में वैज्ञानिक जागरुकता को बढ़ावा देना”।
  • वर्ष 2005 का विषय था “भौतिकी को मनाना”।
  • वर्ष 2006 का विषय था “हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें”।
  • वर्ष 2007 का विषय था “प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल”।
  • वर्ष 2008 का विषय था “पृथ्वी ग्रह को समझना”।
  • वर्ष 2009 का विषय था “विज्ञान की सीमा को बढ़ाना”।
  • वर्ष 2010 का विषय था “दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक”।
  • वर्ष 2011 का विषय था “दैनिक जीवन में रसायन”।
  • वर्ष 2012 का विषय था “स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।
  • वर्ष 2013 का विषय था “अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा”।
  • वर्ष 2014 का विषय था “वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।
  • वर्ष 2015 का विषय था “राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान”।
  • वर्ष 2016 का विषय देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य के लिए होगा।
  • वर्ष 2017 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकलांग व्यक्तियों के लिए है” था।
  • वर्ष 2018 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी” था।
  • वर्ष 2019 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिये लोग (सांइस फार द पीपल एंड पीपल फार साइंस” था।
  • वर्ष 2020 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “वुमन इन साइन्स” था।
  • वर्ष 2021 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम “एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव (Future of STI: Impacts on Education, Skills and Work)” है।