भारतीय स्वतंत्रता सेनानी

Indian Freedom Fighter

भारत एक महान देश है। लेकिन आज हम जिस स्थति में है और विश्व में एक विकासशील देश के रुप में जाने जाते है, उसके पीछे का सबसे मुख्य कारण देश पर 200 वर्षों से भी अधिक ब्रिटिश हुकूमत का शासन है, जो भारत में एक व्यापारी के रुप में आये थे और लेकिन भारतीय शासकों की कमजोरियों का लाभ उठाकर यहॉ शासन करना शुरु कर दिया। जिन्होंने अपने शासन काल में भारत का सिर्फ एक औपनिवेशिक व्यापारिक कोठी की तरह प्रयोग किया। भारतवासियों पर अत्याचार किया और उन्हें गुलामों का जीवन व्यतीत करने पर विवश किया। किन्तु जब यह अत्याचार अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया तब भारतियों ने अंग्रेजों का विरोध करना शुरु किया।

अंग्रेजों के विरुद्ध भारतियों को एकजुट करने का कार्य कुछ महान क्रान्तिकारियों ने किया जिन्हें हम आज भी और उनके द्वारा किये गये अविस्मरणीय कार्यों के लिये याद करते है। देश प्रेम से प्रेरित उनके कार्यों से प्रेरणा लेते रहने के लिये ऐसे ही कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन परिचय उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है।

महात्मा गाँधी (2 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948)

भारतवासियों द्वारा बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामों से पुकारे जाने वाले अहिंसा के महान समर्थक व पुजारी महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व माता का नाम पुतली बाई था। भारत को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कारने के लिये महात्मा गाँधी ने सबसे अलग व नायाब रास्ते को अपनाया। ये रास्ता था, अहिंसा और सत्य का रास्ता। अहिंसा के मार्ग को अपनाते हुये गाँधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष किया और भारत को आजाद कराया।  और पढ़ें…

भगत सिंह (28 सितम्बर 1907 – 23 मार्च 1931)

अत्याचारी अंग्रेजों को मारना साथ ही मारते हुये खुद मर जाना और कुछ इस तरह से मरना की पूरे भारत के युवाओं के हृदय में क्रान्ति की ज्वाला भड़क उठे। इस भड़की हुई आग का ताप इतना तेज हो जो भारत पर राज कर रही हुकूमत को जला कर राख कर दे। साथ ही इसका असर इतना तेज हो की आने वाले समय में भारत की ओर कोई आँख उठाकर भी न देख सके। ऐसी क्रान्तिकारी विचारधारा के समर्थक भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 में लायलपुर में हुआ था।

इनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह संधू और माता का नाम विद्यावती था। इनके दादा, पिता और चाचा सभी देश की आजादी के लिये किये जा रहे तत्कालीन संघर्ष में भाग लेते थे। इन पर अपने परिवार के क्रान्तिकारी वातावरण का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और क्रान्तिकारी विचारों की नींव बचपन में ही पड़ गयी। इन्होंने अपने देश को आजाद कराने के लिये किये गये संघर्ष में 24 वर्ष की युवा आयु में शहादत प्राप्त की। और पढ़ें…

चन्द्रशेखर आजाद (23 जुलाई 1906 – 27 फरवरी 1931)

भारत के नौजवानों में क्रान्ति की आग को जलाने वाले,मात्र 14 साल की उम्र में न्यायधीस खरेघाट के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का निर्भीकता से दिये गये अपने उत्तरों से उसका मुँह बन्द करने वाले पं. सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के पुत्र चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को भवरा नामक गाँव में हुआ था। इन्होंने जीते जी अंग्रेज सरकार की गिरफ्त में न आने की कसम खायी थी।

इनका मानना था कि जब तक एक क्रान्तिकारी के हाथ में पिस्तौल रहती है तब तक उसे कोई भी जिन्दा नहीं पकड़ सकता। देश को आजाद कराने के लिये कर्तव्यनिष्ठ और अपने बनाये गये नियमों का कठोरता से पालन करने वाले आजाद 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों से संघर्ष करते हुये अल्फ्रेड़ पार्क में शहीद हो गये। और पढ़ें…

सुखदेव (15 मई 1907 – 23 मार्च 1931)

ब्रिटिश हुकूमत को अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियों से हिला देने वाले भगत सिंह के बचपन के मित्र सुखदेव थापर का जन्म पंजाब राज्य के लुधियाना शहर में नौघर क्षेत्र में हुआ था। इनकी माता का नाम रल्ली देवी तथा पिता का नाम मथुरादास थापर था। सुखदेव के पिता की मृत्यु इनके जन्म के कुछ समय बाद ही हो गयी थी जिसके कारण इनका पालन पोषण इनके ताऊ अचिन्तराम ने किया था।

इनका बचपन लायलपुर में ही बीता था। थापर भगत सिंह के सभी कार्यों में सहयोगी रहे और अंग्रेजों के खिलाफ क्रान्तिकारी संघर्ष में भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और राजगुरु के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर अपने जीवन की आखिरी साँस तक लड़ते हुये 23 मार्च भगत और राजगुरु के साथ शहीद हो गये। और पढ़ें…

 

लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवम्बर 1928)

“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” की घोषणा करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय का जन्म धुड़ीके फिरोजपुर, पंजाब में 28 जनवरी 1865 को अध्यापक लाला राधाकृष्ण अग्रवाल के यहाँ हुआ था। इनकी माता का नाम गुलाब देवी था। ये कांग्रेस के गरम दल के समर्थक थे। इन्होंने देश के लिये समय समय पर अनेक स्वंय सेवक दलों का निर्माण करके राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दिया।

इनके उग्र विचारों के कारण ब्रिटिस सरकार ने इन्हें कई महीनों तक माँड़ले जेल में रखा और इनके ऊपर देशद्रोह करने का आरोप लगाया। लाला जी के विचारों से पूरे देश में ऐसा कोई वर्ग नहीं था जो प्रभावित न हो। साइमन कमीशन के भारत आगमन पर इसके विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते समय इन्हें निशाना बनाते हुये लाठी चार्ज किया जिसमें ये गम्भीर रुप से घायल हो गये और इस चोट के कारण ही 17 नवम्बर 1928 को इनकी मृत्यु हो गयी। और पढ़ें…

सुभाष चन्द्र बोस (23 जनवरी 1897 – 18 अगस्त 1945)

भारत को अंग्रेजों की गुलामी के आजाद कराने के लिये ब्रिटिशों के खिलाफ आजाद हिन्द फौज का गठन करने वाले, भारतीयों के द्वारा नेताजी की उपाधी से सम्मानित सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में कटक (उड़ीसा) में हुआ था। इन्होंने मातृभूमि की सेवा करने के उद्देश्य से आई.सी.एस की नौकरी का त्याग कर दिया और अपनी सारा जीवन देश को आजाद कराने के लिये समर्पित कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने इनके उग्र विचारों को देखते हुये इन्हें कई बार जेल में भी ड़ाला लेकिन भारत को आजाद कराने के बुलन्द हौसले को नहीं तोड़ पायी।

जब बोस को ये अनुभव हुआ कि अंग्रेज सरकार भारत में रहते हुये इन्हें बिना विघ्न डाले कार्य नहीं करने देगी तो ये ब्रिटिश सरकार से छिपते हुये जापान पहुँचे और आजाद हिन्द फौज का गठन किया। यदि द्वितीय विश्व युद्ध के आखिरी पड़ाव पर अमेरिका युद्ध में शामिल न होकर जापान के दो शहरों (हिरोशिमा, नागासाकी) पर परमाणु बम नहीं फेंकता तो शायद नोताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में 1942 में ही आजाद हिन्द फौज युद्ध करके भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करा लेती। और पढ़ें…