भाई दूज पर निबंध (Bhai Dooj Essay in Hindi)

भाई दूज (Bhai Dooj), बहनों के सबसे बहुप्रतीक्षित त्योहारों में से एक होता है। वे बहुत ही उत्सुकता से दो मौकों का इन्तजार करती हैं, एक रक्षा बंधन और दूसरा भाई दूज का। ये वो मौका है जब बहनें अपने भाई की सलामती की दुआ मांगती है। यहाँ पर आपके लिए बेहद ही सरल भाषा में इस हिन्दू पर्व के बारे में निबंध उपलब्ध कराये गए हैं।

भाई दूज/भाई बीज पर 10 वाक्य || यम द्वितीया या भाईदूज

भाई दूज/भाऊ बीज पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Bhai Dooj/Bhau Beej in Hindi, Bhai Dooj par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – भाई दूज

परिचय

भाई दूज(Bhai Dooj), वो त्यौहार है जिसे मैं वाकई में बहुत पसंद करती हूं, असल में इस दिन मुझे अपने भाइयों से उपहार मिलता है। यह प्यार, सुरक्षा और भाई-बहन के बंधन को मजबूत करने का त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह हर वर्ष दीपावली के ठीक 2 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन को ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है।

भाई दूज मनाने के पीछे की कहानी

भाई दूज के उत्सव के लिए कई कहानियाँ प्रसिद्ध हैं;

यम और यमुना सूर्य के दो बच्चे थे और एक बार यमुना ने अपने भाई को अपने साथ भोजन करने के लिए घर पर आमंत्रित किया था। लेकिन यम ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण पहले तो इनकार कर दिया, लेकिन कुछ देर के बाद उसने महसूस किया कि उसे जाना चाहिए क्योंकि उसकी बहन ने उसे बहुत प्यार से आमंत्रित किया है।

अंत में, वह उसके पास गया और यमुना ने उसका स्वागत किया और उसके माथे पर तिलक भी लगाया। यम वास्तव में उसके आतिथ्य से बेहद खुश हुआ और उसे एक इच्छा माँगने के लिए कहा। तब यमुना ने कहा कि जो इस दिन अपनी बहन से मिलने जाएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा। उनके भाई ने खुशी से ‘तथास्तु’ कहा और यही कारण है कि हम भाई दूज का त्यौहार मनाते हैं।

निष्कर्ष

भारत में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं और उनमें से हर एक का अपना महत्व होता है। उनमें से कुछ जश्न मनाने के लिए हैं और कुछ आपसी बंधन को मजबूत करने के लिए। हम बहुत सारे संबंधों से घिरे होते हैं; एक आदमी, एक बेटा, एक भाई, एक पति, एक पिता, आदि हो सकता है। हम सभी अपनी बेहतरी के लिए अलग-अलग मौकों को उत्सव के रूप में मनाते हैं।

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परिचय

हम अलग-अलग त्योहार मनाते हैं और ये सभी एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। कुछ अपनी रोशनी के लिए प्रसिद्ध हैं जबकि कुछ अपने रंगों के लिए। भाई-बहनों के लिए भी त्यौहार हैं और उनमें से एक है भाई दूज। यह त्यौहार पूरे भारत में दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता हैं।

भाई दूज कैसे और कब मनाया जाता है

दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसके पहले 4 अन्य त्योहार आते हैं इसलिए दिवाली को पांच दिनों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। असल में, सभी त्योहारों का अपना अलग-अलग ऐतिहासिक महत्व होता है, लेकिन वे संयोगवश एक के बाद एक आते हैं। और हम लगातार 5 दिनों का ये त्योहार ज्यादातर अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाते हैं।

कार्तिका माह को भारतीय कैलेंडर में एक शुभ महीना माना जाता है और इसके ज्यादातर दिन शुभ होते हैं। इसी तरह, यम द्वितीया का भी एक दिन होता है जो शुक्ल पक्ष में कार्तिक महीने की 2 तारीख को मनाया जाता है। इस दिन को ही भाई दूज के रूप में मनाते है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों को आमंत्रित करती हैं और उनके लिए अलग और स्वादिष्ट व्यंजन बनाती हैं और साथ ही उनको तिलक भी लगाती हैं। राष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में लोग विभिन्न प्रकार के तिलक लगाते हैं। उनमें से कुछ रोली (एक लाल रंग का पाउडर), कुमकुम, चंदन, हल्दी, काजल आदि होते हैं और भाई भी अपनी बहनों को कुछ उपहार देते हैं। इस तरह, वे पूरे दिन एक साथ आनंद लेते हैं और इस अवसर को मनाते हैं।

भाई दूज (Bhai Dooj)का पौराणिक विश्वास

जब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर को हराया, तो वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। उनकी बहन ने कृष्ण का स्वागत किया और राक्षस को हराने के अवसर पर विजय का तिलक भी लगाया। उन्होंने कृष्ण जी के लिए अलग-अलग खाने की चीजें बनाईं और उनकी सेवा की और भगवान कृष्ण को भी उनका आतिथ्य पसंद आया।

इसके अलावा सूर्य देव के बारे में एक और कहानी है, उनके दो बच्चे एक बेटी और एक बेटा थे। यमुना और यम, यमुना के विवाह के बाद, उसने एक बार अपने भाई यम से उनके यहाँ आने की कामना की क्योंकि काफी समय बीत गया था उनसे मुलाकात किये हुए। शुरुआत में, यम ने आने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें अन्य कई सारे कार्य आदि थे लेकिन कुछ समय बाद उन्हें एहसास हुआ की उन्हें जाना चाहिए और फिर वो उनसे मिलने चले गए।

यमुना बहुत खुश थी और उसने अपने भाई के आने की ख़ुशी में उनका तिलक लगाकर स्वागत किया और उनके लिए विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ-साथ मिठाई आदि भी बनाई। यम खुश हो गए और अपनी बहन को उपहार देने के लिए कहा। वह यम के आगमन पर इतनी खुश थी कि उन्होंने केवल अपने भाई को इस शुभ दिन को आशीर्वाद देने के लिए कहा। इसलिए, जो कोई भी इस दिन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाएगा, वह मृत्यु से सुरक्षित रहेगा।

निष्कर्ष

यह दिन भाई-बहनों और उनके प्यार के मधुर बंधन के लिए लोकप्रिय हुआ और हर साल लोग भाऊ बीज के इस अवसर को मनाते हैं। भारत सभी पौराणिक मान्यताओं और कहानियों के बारे में है, लेकिन अन्य शब्दों में, यह भी अच्छा है क्योंकि यह हमें एक वर्ष में कम से कम एक बार अपने निकट और प्रियजनों से मिलने का मौका देता है।

Essay on Bhai Dooj

निबंध 3 (600 शब्द) – भाई दूज (Bhai Dooj) का ऐतिहासिक महत्व

परिचय

‘भाई दूज’ (Bhai Dooj) यह नाम ही इस खास दिन के बारे में बहुत कुछ बताता है, जो कि असल में भाइयों के लिए कुछ खास महत्त्व रखता है। दरअसल, यह एक ऐसा दिन होता है जब बहनें अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं और उनके लंबे जीवन और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करती हैं। यह काफी हद तक रक्षा बंधन पर्व के समान है और यह आम तौर पर अक्टूबर और नवंबर के महीने में मनाया जाता है। यह भारत में हर वर्ष मनाया जाता है।

भाई दूज (Bhai Dooj)मनाने के लिए सही दिन

सभी त्योहारों के अपने ऐतिहासिक लाभ होते हैं और भाई दूज भी एक विशेष दिन पर ही मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। हर वर्ष, हम शुभ मुहूर्त के आधार पर इस दिन को मनाते हैं। किसी भी अवसर को मनाने के लिए सही मुहूर्त का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह एक विशेष समारोह के लिए एक सटीक समय देता है।

भाई दूज को राष्ट्र के विभिन्न भागों में कैसे मनाया जाता है

भारत के अलावा, यह नेपाल में भी मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसके अलग-अलग नाम हैं लेकिन इन सभी का महत्व हर स्थान पर समान है। उनमें से कुछ का उल्लेख मैंने यहाँ पर नीचे किया भी है:

नेपाल में भाई दूज(Bhai Dooj)

इसे नेपाल में ‘भाई टीका’ का नाम दिया गया है। इस अवसर पर, बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। बदले में भाई भी कुछ उपहार लाते हैं और इस अवसर का जश्न मनाते हैं। नेपाल में दशहरा के बाद इस त्यौहार को सबसे बड़े त्योहारों में से एक के रूप में मनाया जाता है।

बंगाल में भाई दूज

यह पश्चिम बंगाल में काली पूजा (दीवाली) के 2 दिन बाद हर साल मनाया जाता है। यह राज्य विभिन्न प्रकार के मीठे तथा अन्य व्यंजनों के लिए भी खासा प्रसिद्ध है। जो इस मौके को और भी खास बनाता है। बहनें अपने भाइयों के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन तैयार करती हैं और इस खास मौके का आनंद लेती हैं। वे अपने माथे पर तिलक भी लगाती हैं और इस अवसर को मनाती हैं। इसे बंगाल में ‘भाई फोंटा’ के नाम से जाना जाता है।

आंध्र प्रदेश में भाई दूज

आंध्र में, भाई दूज (Bhai Dooj) को ‘भगिनी हस्त भोजनाम’ के नाम से जाना जाता है और यह कार्तिक मास के दूसरे दिन मनाया जाता है, जो दिपावाली का दूसरा दिन होता है। इसे यम द्वितीया के रूप में भी जाना जाता है और यह उसी आस्था के साथ मनाया जाता है जिस तरह से इसे उत्तर भारत में मनाते है।

महाराष्ट्र में भाई दूज(Bhai Dooj)

यह महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है और इसे वहां ‘भाऊ बीज’ के नाम से जाना जाता है। हर साल इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए कुछ अनुष्ठान करती हैं और उनके लिए प्रार्थना करती हैं।

इसी तरह, इसे पूरे राष्ट्र में अलग-अलग नामों से इस त्यौहार को मनाया जाता है जैसे भाव बिज, भतरु द्वितीया, भारती दिवस, आदि।

भाई दूज की यम और यमुना की कहानी

इस अवसर को मनाने के पीछे एक प्रसिद्ध कहानी है। ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य के दो बच्चे यम और यमुना थे और दोनों जुड़वाँ थे लेकिन जल्द ही उनकी माँ देवी संग्या ने उन्हें अपने पिता की तरह ज्ञान प्राप्त करने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने अपने बच्चों के लिए अपनी परछाई छोड़ रखी थी जिसका नाम उन्होंने छाया रखा। छाया ने भी एक बेटे को जन्म दिया था जिसका नाम शनि था लेकिन उसके पिता उसे पसंद नहीं करते थे।

परिणामस्वरूप, छाया ने दोनों जुड़वा बच्चों को अपने घर से दूर फेंक दिया। दोनों जुदा हो गए और धीरे-धीरे काफी समय बीतने के बाद एक रोज यमुना ने अपने भाई को मिलने के लिए बुलाया, क्योंकि वह वास्तव में पिछले काफी समय से यम से मिलना चाहती थी। जब यम, यानी मृत्यु के देवता, उनसे मिलने पहुंचे तब उन्होंने उनका खुशी से स्वागत किया।

वह अपने आतिथ्य से वास्तव में काफी खुश हुए; यमुना ने उनके माथे पर तिलक लगाया और उनके लिए स्वादिष्ट भोजन भी पकाया। यम ने खुशी महसूस की और अपनी बहन यमुना से पूछा कि क्या वह कुछ चाहती है? तब यमुना ने उस दिन को आशीर्वाद देना चाहा ताकि सभी बहनें अपने भाइयों के साथ समय बिता सकें। और इस दिन जो बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाएंगी, मृत्यु के देवता उन्हें परेशान नहीं करेंगे। यम इसपर सहमत हुए और कहा ठीक है; परिणामस्वरूप हर वर्ष इस दिन बहनें अपने भाइयों के साथ इस अवसर को मनाने में कभी नहीं चूकती है।

निष्कर्ष

हम सभी को अपने रोजाना की दिनचर्या को बदलने के लिए एक बहाना चाहिए और हमारे त्योहार हमें वैध बहाने प्रदान करते हैं। इसलिए, हमें निश्चित रूप से त्योहार मनाना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह विभिन्न तरीकों से मददगार होता है, पहला, यह आपको अपनी दिनचर्या से छुट्टी देता है, साथ ही यह आपको उस खास दिन के ऐतिहासिक महत्व को जानने और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को बचाने में मदद करता है।

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