उत्तर भारत में मनाये जाने वाले सबसे बड़े पर्वों में से एक है छठ पूजा और ये विशेष रूप से दो राज्यों में मनाया जाता है। अपनी जन्मभूमि से दूर रहने वाले लोग भी जहाँ कहीं रहते हैं वही पर इस त्यौहार को मनाते हैं, इसलिए आजकल, यह विदेशों में भी मनाते देखा जा रहा है। छठ पूजा के लिए बिहार सबसे मशहूर है।
छठ पूजा पर 10 वाक्य || दिपावली पर निबंध
छठ पूजा पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Chhath Puja in Hindi, Chhath Puja par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (250 शब्द) – छठ पूजा: एक हिंदू त्योहार
परिचय
छठ पूजा उत्तर प्रदेश और बिहार के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है जो भारत के उत्तर-पूर्व भाग में स्थित है। यह कार्तिक माह के 6वें शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह एक शुभ अवसर है और हर वर्ष मनाया जाता है। इस पूजा में लोग 3 दिन का उपवास रखते हैं। यह पुरुष या महिला किसी के भी द्वारा किया जा सकता है। जो कोई अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं वे छठ माता से प्रार्थना करते हैं।
विश्वास का एक अवसर
ऐसी मान्यता है कि छठ माता उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं जो इस व्रत को स्वीकार करते हैं। यह हिन्दू धर्म के पवित्र कार्तिक माह के 6वें दिन मनाया जाता है, इसलिए इसे छठ के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ है छह। एक मान्यता यह भी है कि भगवान सूर्य की एक बहन थी जिसका नाम छठ माता था, इसलिए लोग उनकी बहन को प्रभावित करने के लिए भगवान सूर्य से प्रार्थना करते हैं।
अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए लोग इस व्रत को रखते हैं और आजकल दुनिया भर में लोग इस त्योहार को मनाते देखे जा सकते हैं। इस विशेष अवसर के लिए लोगों की बहुत सारी मान्यताएं हैं और कई नियम तथा प्रतिबंध हैं जिनका इस व्रत को करते समय कड़ाई से पालन करना चाहिए। ये नियम बेहद ही कठिन होते हैं फिर भी लोग अपने चेहरे पर खुशी के साथ इसका पालन करते हैं। वे 3 दिन तक खाना नहीं खाते हैं, फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रहती है। वास्तव में यह विश्वास का त्योहार है जो उन्हें इन कई दिनों तक उपवास रखने में मदद करता है।
निष्कर्ष
भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं और उनमें से प्रत्येक की एक अलग मान्यता होती है। इसी तरह, छठ पूजा भी उनमें से एक है। यह हर साल दिवाली के बाद 6वें दिन मनाई जाती है और हमें इस अवसर पर काफी खुशी महसूस होती है।
निबंध 2 (400 शब्द) – छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?
परिचय
भारत में अक्टूबर और नवंबर का महीना त्योहारों के महीने के रूप में जाना जाता हैं। इस बीच लगातार कई त्योहार मनाए जाते हैं और उनमें से एक है छठ पूजा। यह दीवाली के ठीक बाद मनाया जाता है, क्योंकि दीपावली हिन्दू धर्म के पवित्र माह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है और दीपावली लगातार इन त्योहारों के साथ साथ चलता है जिनमे सबसे पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली (लक्ष्मी पूजा), गोवर्धन पूजा, भाई दूज, तुलसी विवाह इन त्योहारों को मनाने के बाद फिर छठ पूजा के साथ 6वां दिन आता है।
छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?
इस शुभ अवसर को मनाने के लिए कई मान्यताएं हैं। सबसे पहले वाला कुछ इस तरह से है;
एक राजा थे प्रियव्रत, जिनकी कोई संतान नहीं थी और किसी तरह एक बार एक बच्चा पैदा हुआ था, मगर दुर्भाग्यवश वह मृत पैदा हुआ था। परिणामस्वरूप, राजा ने बच्चे को अपनी गोद में लेकर श्मशान की तरफ चल दिए, लेकिन उनमें इतना ज्यादा दु:ख था कि वो खुद भी उसी क्षण खुद को मार देना चाहते थे। तभी अचानक एक देवकन्या प्रकट होती है और वह राजा से देवी षष्ठी की प्रार्थना करने के लिए कहती है क्योंकि वही उसकी मदद कर सकती है। वह देवसेना थी, देव की बेटी थी और वह स्वयं देवी षष्ठी थी। राजा ने देवसेना का बातों का पालन किया और आखिरकार, उसको एक बेटा हुआ और इस तरह, यह व्रत और पूजा करने के लिए प्रसिद्ध हो गया।
एक और मान्यता है कि जब भगवान राम और देवी सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद लौटे थे। उन्होंने भी यही पूजा की थी।
उसी परंपरा का पालन करते हुए, लोग प्रार्थना की पेशकश करते हैं और इस दिन उपवास रखते हैं और इसे त्यौहार की तरह मनाते हैं।
छठ पूजा के बारे में सबसे आकर्षक बातें
यह एक पारंपरिक त्योहार है और इस अवसर पर विशेष रूप से पकाया जाने वाला पारंपरिक प्रसाद सबसे अच्छा लगता है। लोग खास्ता और ठेकुआ खाना बेहद ही पसंद करते हैं जो इस अवसर पर बनाये जाने वाले दो मुख्य प्रसाद हैं।
यह एक बहुत बड़े त्योहार की तरह लगता है क्योंकि परिवार के सभी सदस्य इसे एक साथ मनाते हैं, वे तैयारियों में एक-दूसरे की मदद करते हैं। इन तीन दिनों में सभी को साफ़ और शुद्ध कपड़े पहनने चाहिए और सबसे मुख्य बात यह है कि पूजा समाप्त होने तक यानी तीन दिनों तक आप प्रसाद नहीं खा सकते।
बहुत से लोग इस अवसर को मनाने के लिए किसी नदी, तालाब या झील के पास इकट्ठा होते हैं और सच कहूँ तो मुझे इसका हिस्सा बनना काफी ज्यादा पसंद है। वास्तव में यह एक अद्भुत अनुभव है और सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक है।
निष्कर्ष
त्योहार हमारे जीवन में खुशियाँ भर देते हैं, इसलिए हमें कोई भी त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाना चाहिए। हर साल हम उन्हीं त्योहारों को दोहराते हैं, फिर भी हमें इसका बेसब्री से इंतजार रहता हैं। हम योजना बनाते हैं और ढेर सारी खरीदारी करते हैं और खुशी से त्योहार को मनाते हैं। दरअसल, पूरा देश त्योहार मनाता है और अपने परिवार और दोस्त के साथ कुछ खुशनुमा पल साझा करता है। छठ पूजा भी उनमें से एक है।
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निबंध 3 (600 शब्द) – छठ पूजा: मेरा पसंदीदा त्योहार
परिचय
त्यौहार हर किसी के चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कुराहट लाने की वजह होते हैं, कुछ खरीदारी करने के लिए, हमारी अलमारी में कुछ नए सामान जोड़ने या हमारे ड्राइंग-रूम में कुछ नया बदलाव करने, आदि में त्यौहार महत्वपुर्ण भूमिका निभाते हैं। त्यौहार बहुत सारे काम बढ़ाता तो है ही साथ ही साथ ढेर सारी खुशियाँ भी लेकर आता हैं। हम पूरे वर्ष में विभिन्न त्योहार मनाते हैं। इसी तरह, छठ पूजा के नाम पर भी एक त्योहार है और यह दिवाली के 6वें दिन मनाया जाता है।
क्या है छठ पूजा?
यह एक ऐसा त्यौहार है जो उत्तर भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और असम के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है। आजकल लोग आजीविका के लिए अलग अलग राज्यों में जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस त्यौहार को पूरे देश में मनाते हुए देखा जा सकता है। यहां तक कि विदेशों में रहने वाले उत्तर भारतीय भी इस पूजा को बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाते हैं।
इस पूजा में, लोग भगवान सूर्य से उनकी बहन छठ माता को प्रभावित करने की प्रार्थना करते हैं। वे 3 दिनों तक उपवास रखते हैं और साथ में प्रार्थना भी करते हैं। वे उगते सूरज के साथ-साथ प्रतिदिन अस्त होते हुए सूर्य की भी प्राथना करते हैं और इस त्योहार को मनाते हैं।
छठ पूजा मेरा पसंदीदा त्योहार है
मैं इस त्योहार को बहुत पसंद करता हूं क्योंकि हर साल हम अपने मूल स्थान पर जाते हैं जहां मेरे दादा-दादी रहते हैं, मेरे चचेरे भाई भी इस अवसर पर हिस्सा लेने के लिए उनसे मिलने आते हैं। मेरी दादी, चाची और मेरी माँ हर साल 3 दिन का उपवास रखती हैं और सबसे हैरानी की बात ये है कि ऐसा लगता ही नहीं है कि वे भूखी हैं।
वे पारंपरिक भक्ति गीत गाते हैं, महा प्रसाद बनाते हैं और हम भी उनकी मदद करते हैं, हम महा प्रसाद तैयार करने के लिए आम के पेड़ की लकड़ियों की व्यवस्था करते हैं। महा प्रसाद को हाथ से बने चूल्हे पर अलग से पकाया जाता है। इन तीन दिनों का हम पूरा आनंद लेते हैं, हम वास्तव में इन दिनों कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र होते हैं, मैं अपने चचेरे भाइयों के साथ खेलता हूं और हम अन्य महिलाओं के साथ प्रार्थना करने के लिए घाट पर जाते हैं। वास्तव में यह एक अद्भुत अनुभव है और मैं हर साल इस त्योहार का इंतजार करता हूं।
छठ पूजा मनाने के पीछे की कहानियां
इस अवसर को मनाने के पीछे कई कहानियाँ हैं; यहाँ पर मैंने आपके लिए उनमें से कुछ का उल्लेख किया है;
- ऐसा माना जाता है कि जब पांडवों ने अपना सब कुछ खो दिया था, तब द्रौपदी ने इस व्रत को किया और एक बार फिर से सब कुछ धन्य हो गया।
- सूर्यपुत्र कर्ण भी भगवान सूर्य की प्रार्थना करने के लिए उनका ध्यान करते थे और परिणामस्वरूप, उन्होंने उन उपयोगी पाठों को सीखा।
- राम जी और सीता जी ने भी वनवास से लौटने पर 3 दिनों तक उपवास रखा और छठ माता की प्रार्थना की थी।
- एक राजा जिसका नाम प्रियव्रत था और वह बहुत निराश था क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। फिर, यह महर्षि थे जिन्होंने संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ किया और राजा से अपनी पत्नी को यज्ञ की खीर देने को कहा। उसकी पत्नी ने वह खाया लेकिन जब उनके बच्चे हुए, तो वह मृत पैदा हुआ। राजा पूरी तरह से निराश हो गया, जब वह अपने बेटे की अंतिम यात्रा के लिए श्मशान गया, तो वह खुद को भी मारना चाहता था। तभी अचानक वहां एक दिव्य महिला प्रकट हुई, वह देवसेना जो षष्टी या छठी के नाम से जानी जाती थी, और उसने राजा से खुद को मारने के बजाय छठ माता की प्रार्थना करने के लिए कहा। उसने बस आखिरी मौका देने की सोची। जल्द ही उन्हें एक लड़के की प्राप्ति हुई जिसे पाकर वह धन्य हो गये और अब वास्तव में वह अपने जीवन में खुश थे।
लोग छठ माता की प्रार्थना क्यों करते हैं?
छठ माता लोगों को समृद्धि, धन, बच्चे, सभी कुछ का आशीर्वाद देती है। वह हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करती है और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है। लोगों का बहुत दृढ़ विश्वास है, इसीलिए हर साल वे इस अवसर को बहुत ईमानदारी से मनाते हैं। वह हमारे जीवन को आनंद और खुशी से भर देती है जो हम सभी को पसंद है।
जब लोग इस पूजा को करने के बाद दूसरों को खुश देखते हैं, तो वे अगले वर्ष से इस अवसर को मनाने की इच्छा रखते हैं और यह एक और मुख्य वजह है कि यह त्यौहार इन दिनों इतना ज्यादा लोकप्रिय होते जा रहा है।
निष्कर्ष
हमारे त्योहार कुछ ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित होते हैं और वे हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं। हम विभिन्न देवी-देवताओं से प्रार्थना करते हैं और अपनी बेहतरी की कामना करते हैं और एक अवसर को मनाते हैं। छठ पूजा उत्तर भारत के सबसे पारंपरिक त्योहारों में से एक है और वास्तव में नई पीढ़ी को संस्कार सीखना चाहिए और हमारी परंपराओं का पालन करना चाहिए।
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