देशभक्ति को अपने देश के प्रति प्रेम और वफादारी के द्वारा परिभाषित किया जा सकता है। जो लोग अपने देश की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं ऐसे लोगों को देशभक्त कहा जाता है। देशभक्ति की भावना लोगों को एक दूसरे के करीब लाती है। हमें देश के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों के विकास के लिए भी बढ़ावा देना चाहिए। किसी भी व्यक्ति का देश के प्रति अमुल्य प्रेम और भक्ति, देशभक्ति कि भावना को परिभाषित करती है। जो लोग सच्चे देशभक्त होते हैं, वे अपने देश के प्रति और उसके निर्माण के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
देशभक्ति पर लंबा तथा छोटा निबंध (Long and Short Essay on Patriotism in Hindi, Deshbhakti par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
देशभक्ति, देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना है। देशभक्त अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम तथा उसपे गर्व करने के लिए जाने जाते हैं। दुनिया के हर देश में उनके देशभक्तों का एक समूह होता है, जो अपने देश के विकास के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। हालांकि, देशभक्ति की भावना हर क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण लुप्त होती जा रही है।
देशभक्ति का अनुभव स्थापित किया जाना चाहिए
अतीत में, विशेष रूप से ब्रिटिश शासनकाल के दौरान, कई लोग अपने देशवासियों के अंदर देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए आगे आए। देशभक्तों ने बैठकों का आयोजन किया तथा उनके आसपास के लोगों को प्रेरित करने के लिए भाषण देते हुए कई उदाहरणों का उपयोग किया। उसी प्रकार, जब बच्चे छोटें हो तभी से उनके अन्दर देशभक्ति की भावना पैदा की जानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों के अन्दर अपने देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना को स्थापित करना चाहिए।
कई संस्थान 15 अगस्त और 26 जनवरी को समारोह एवं कार्यक्रम आयोजित करते हैं, उनमें देशभक्ति गीत गाए जाते हैं और उस दौरान देशभक्ति की भावना आसपास के पूरे देश को घेरी रहती है। लेकिन क्या यह असली देशभक्ति है? नहीं! ऐसा वातावरण सामान्य रूप से सदैव होना चाहिए ना कि केवल इन विशेष तिथियों के आसपास ही। तभी जाके ये भावनाएं हमेशा के लिए हर नागरिक के दिल में बैठ जाएगी।
वो देश निश्चित रूप से बेहतर हो जाता है, जहां के युवा अपने देश से प्यार करते है तथा उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में कार्य करते है।
निष्कर्ष
एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की स्थिती सुधारने में जितना हो सके उतनी कड़ी मेहनत कर अपना पुर्ण योगदान दे सके। एक सच्चा देशभक्त न केवल अपने देश के निर्माण की दिशा में काम करता है बल्कि उसके आस-पास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।
निबंध 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
देशभक्ति की भावना, देश के प्रति अत्यधिक प्रेम की भावना को परिभाषित करता है। अतीत में हमारे देश में कई देशभक्त थे और आज भी बहुत से देशभक्त मौजूद हैं। हालांकि, भारत के लोगों के बीच देशभक्ति की भावना विशेष रूप से ब्रिटिश शासनकाल के दौरान देखी गयी थी।
प्रसिद्ध भारतीय देशभक्त
यहां ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कुछ सच्चे देशभक्तों पर एक नज़र –
- शहीद भगत सिंह
भगत सिंह जी को एक सच्चा देशभक्त माना जाता है। उन्होंने हमारे देश को ब्रिटिश सरकार के गुलामी से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्रामों में भाग लिया और एक क्रांति शुरू की। वे अपने मिशन के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने मातृभूमि के प्रति अपने प्राण त्यागने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। वे कई नागरिकों के लिए एक प्रेरणा साबित हुए।
- सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस जी को नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने भारत को अंग्रेज सरकार के गुलामी से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाई और वे अपने मजबूत विचारधाराओं के लिए जाने जाते है। विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का हिस्सा होने के अलावा बोस जी अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में अन्य सेनानियों का भी साथ दिये, बोस जी ने हिंदू-मुस्लिम की एकता को भी बढ़ावा दिया।
- बाल गंगा धर तिलक
बाल गंगा धर तिलक जी देशभक्ति की भावना से जुड़े हुए थे। उनका कहना था कि, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” इससे यह निर्धारित होता है कि वे कैसे ब्रिटिश शासकों के अत्याचारों से देश को मुक्त करने में सक्षम थे। तिलक जी ब्रिटिश सरकार के क्रूर व्यवहार की निंदा करते हुए भारत के नागरिकों के लिए स्वयं सरकार के अधिकार की मांग की।
- मोहनदास करमचन्द गांधी
भारत में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनका योगदान सभी के द्वारा जाना जाता है कि कैसे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अनेक स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया है। वे “सादा जीवन उच्च विचार” के एक आदर्श उदाहरण है। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता का सपना देखा और उसे अद्वितीय तरीके से इसे प्राप्त करने की दिशा में कड़ी मेहनत की।.
- सरोजनी नायडू
अपने समय की एक प्रसिद्ध गायिका सरोजिनी नायडू जी भी दिल से एक देशभक्त थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने की दिशा में अपना योगदान भी दिया। इन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण उन्हें अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान फिर से इन्हें गिरफ्तार किया गया, परन्तु फिर भी इनके दिल से देशभक्ति की भावना नहीं मिटी।
निष्कर्ष
भारत के नागरिकों को जितना हो सके, देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। नागरिकों के बीच देशभक्ति की भावना को उजागर करने के लिए सरकार, स्कूलों और अन्य संस्थानों को पहल करनी चाहिए।
निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
मार्क ट्वेन ने कहा, “जब-जब इसे जरुरत पड़ी तब-तब देशभक्ति ने देश और सरकार का समर्थन किया। देशभक्ति सभी देशों को प्यार और सम्मान करने तथा इसके सुधार की दिशा में काम करने के बारे में बताती है। इस दिशा में काम करने के लिए, लोग सरकार और अन्य संस्थानों के साथ हाथ मिलाते है।
समय के साथ देशभक्ति लुप्त हो रही है
समय के साथ देशभक्ति की भावना लुप्त हो रही हैं औऱ इन दिनों युवा पीढ़ी में ये भावना बहुत कम देखने को मिलती है, ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल लोग अपने जीवन में ही उलझे रहते हैं। वे अत्यधिक स्वार्थी होते जा रहे है। स्वार्थी व्यक्ति वह होते है जो हमेशा अपने बारे में सोचते है और अपने स्वार्थ के आगे सब कुछ भुल जाते है, अपने स्वार्थ को हर चीज में और हर किसी से ऊपर रखते है। दूसरी ओर, देशभक्ति अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम को दरसाता है। जो व्यक्ति खुद में ही परेशान रहता है और खुद को ही महत्व देता है, वो कभी एक देशभक्त नहीं हो सकता। इन दिनों बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने भी लोगों को स्वार्थी बनाने में अपना बहुत योगदान दिया है।
प्रत्येक व्यक्ति पैसे कमाने में व्यस्त है ताकि वो अपने जीवन को और आरामदायक तथा उनके आस-पास के लोगों की तुलना में और अधिक बेहतर बना सके। ऐसे परिस्थिति में किसी और चीज के बारे में सोचने के लिए शायद ही किसी के पास समय हो, लोगों ने देश के प्रति प्रेम तथा उसकी सेवा के प्रति जैसी भावना को लगभग भूला ही दिया है। देश के सुधार औऱ विकास की दिशा में योगदान देने के बजाये, युवा अब बेहतर जीवनशैली की तलाश में अन्य देशों में प्रवास कर रहे हैं, अगर लोगों की मानसिकता लगभग 100 साल पहले इसी तरह होती, तो वे कभी भी एकजुट नहीं होते और देश की आजादी के लिए नही लड़ते। वो उस स्थिति में केवल अपने स्वार्थी आदर्शों की ही खोज कर रहे होते।
सच्चे देशभक्त बनाम झूठे देशभक्त
हालांकि कई लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान देशभक्त होने का दावा किया परन्तु उनमें से कुछ झूठे देशभक्त थे जिन्होंने अपने स्वार्थ को पुरा करने के लिए उस स्थिति का लाभ उठाया। आज भी ऐसे कई लोग हैं जो वास्तव में अपने देश से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी है जो ऐसा करने का केवल नाटक करते हैं।
एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की सेवा करने के लिए पुर्णतः समर्पित होता है। वह पहले अपने देश और देशवासियों के हित के बारे में सोचता है और फिर अपने देश के सुधार और विकास के लिए सबकुछ बलिदान करने को तैयार हो जाता है। दूसरी तरफ, झूठा देशभक्त वह है जो अपने देश से प्यार करने का दावा करता है और देशभक्त होने का दिखावा करता है। हालांकि, वह अपने लाभ के लिए ऐसा करता है और वास्तव में उसे इन भावनाओं को अपने स्वार्थ के लिए दर्शाने का अधिकार नहीं है।
राष्ट्रवाद बनाम देशभक्त
राष्ट्रवाद और देशभक्ति शब्द अक्सर एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं हालांकि, दोनों में अंतर है। देशभक्ति का मतलब किसी देश के सकारात्मक बिंदुओं पर गर्व करना तथा उसके सुधार के लिए योगदान देना। दूसरी ओर, राष्ट्रवाद का अर्थ है कि, किसी भी देश पर उसके सकारात्मक और नकारात्मक बिंदुओं के बावजूद भी उसपर गौरव करना। हालांकि देशभक्ति को अच्छा माना जाता है वहीं, राष्ट्रवाद को तर्कहीन तथा द्वेषपूर्ण माना जाता है।
निष्कर्ष
देशभक्ति कुछ लोगों में स्वयं उत्पन्न होती है जबकि कुछ में इसे स्थापित किया जाता है। देश के सुधार और विकास के लिए देशभक्ति की भावना आवश्यक है क्योंकि ये देश के लोगों को एक साथ लाने तथा उन्हें प्रेम, हर्ष, के साथ-साथ एक दुसरे की देखभाल करने की खुशी का अनुभव करने में भी मदद करता है।
निबंध 4 (600 शब्द)
प्रस्तावना
देशभक्ति दुनिया की सबसे शुद्ध भावनाओं में से एक है। एक देशभक्त अपने देश के हित के प्रति निःस्वार्थ भाव महसूस करता है। वह अपने देश के हित और कल्याण को सबसे पहले रखता रखते है। वह बिना सोचे समझे अपने देश के प्रति त्याग करने के लिए तैयार भी हो जाता है।
देशभक्ति एक गुण है जिसे हर किसी के अंदर होना चाहिए
हमारे देश को हमारी मातृभूमि के रूप में जाना जाता है और हमें अपने देश से वैसे ही प्यार करना चाहिए जैसे हम अपनी मां से करते हैं, जो लोग अपने देश के लिए वहीं प्रेम और भक्ति महसुस करते है, जो वो अपने मां और परिवार के लिए करते है तो सहीं मायने में वहीं असली देशभक्त होते हैं। देशभक्ति एक गुण है जिसे प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर होना चाहिए। देशभक्तों से भरा देश, निश्चित रूप से उस स्थान की तुलना में रहने योग्य एक बेहतर जगह बन जाता है जहां लोग धर्म, जाति, पंथ और अन्य मुद्दों के नाम पर सदैव एक दूसरे के साथ लड़ा करते हैं। वह जगह जहां लोगों के पास कम स्वार्थ होगें वहां निश्चित रूप से कम संघर्ष होंगा तथा उनके अन्दर देशभक्ति के गुण विकषित होगें।
जाने हर किसी के अंदर देशभक्ति के गुण क्यों होना चाहिए
- राष्ट्र निर्माण
जब हर कोई राष्ट्र को हर पहलू से मजबूत बनाने की दिशा में समर्पित करता है, तो ऐसा कोई रास्ता नहीं है जो देश को आगे बढ़ने और विकसित होने से रोके। देशभक्तों ने राष्ट्र के हित को सबसे पहसे रखा और इसके सुधार के लिए सदैव समर्पित रहे।
- शांति और सद्भाव बनाए रखना
एक अच्छा राष्ट्र वह है जहां हर समय शांति और सद्भाव बनाए रखा जाता है। जहां लोगों के अन्दर भाईचारे की भावना होती है तथा वे दूसरे की मदद और समर्थन करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। देशभक्ति की भावना देशवासियों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है।
- एक आम लक्ष्य के लिए काम करना
देशभक्त, देश के लक्ष्य तथा उसके सुधार के लिए काम करते हैं। जब हर किसी को एक ही लक्ष्य या मिशन की तरफ आकर्षित किया जाता है तो ऐसा कोई भी रास्ता नहीं होता, जो उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने से रोक सके।
- बिना किसी स्वार्थ के उद्देश्य से
देशभक्त बिना किसी व्यक्तिगत रुचि के अपने देश के लिए निःस्वार्थ रूप से काम करते हैं। अगर हर किसी में देशभक्ति की भावना है और वह अपने व्यक्तिगत हित को संतुष्ट करने के बारे में नहीं सोचता है, तो निश्चित रूप से इससे देश को लाभ होंता है।
- बिना भ्रष्टाचार के
यदि राजनीतिक नेताओं के अन्दर देशभक्ति की भावना है, तो वे वर्तमान परिस्थिति के विपरीत देश के लिए काम करेंगे तथा सत्ता में लोग देश के उत्थान के लिए काम करने के बजाय खुद के लिए पैसे कमाने में व्यस्त रहते हैं। इसी तरह, यदि देश के सरकारी अधिकारी और अन्य नागरिक देश की सेवा की दिशा में दृढ़ रहेगें तथा स्वयं के लिए स्वार्थी बनकर धन कमाने से दुर रहेगें तो निश्चित रुप से भ्रष्टाचार का स्तर कम हो जाएगा।
देशभक्ति को अंधराष्ट्रीयता में नहीं बदला जाना चाहिए
देशभक्त होना एक महान गुण है। हमें अपने देश से प्यार और उसका सम्मान करना चाहिए और जितना भी हम कर सकते हैं देश के प्रति उतना करना चाहिए। देशभक्ति की भावना रखना सकारात्मक बीन्दुओं को दर्शाते हैं कि यह कैसे देश को समृद्ध और बढ़ने में मदद कर सकता है। हालांकि, कुछ लोग का देश के प्रति अत्यधिक प्रेम और अपने देश को श्रेष्ठतर और सर्वोपरी मानना अंधराष्ट्रीयता को दर्शाता है कुछ भी अत्यधिक होना बेकार होता है चाहे वो देश के प्रति अधिक प्यार ही क्यू न हो। अंधराष्ट्रीयता में अपने देश की विचारधाराओं और अपने लोगों की श्रेष्ठता की तर्कहीन धारणा में दृढ़ विश्वास दूसरों के लिए घृणा की भावना पैदा करता है। यह अक्सर देशों के बीच संघर्ष और युद्ध को बढ़ावा देती है साथ ही साथ शांति और सद्भाव को भी बाधित करती हैं।
अतीत के कई उदाहरण हैं जिनमें अंधराष्ट्रीयता के कारण टकराव हुए और वे दंगो में परिवर्तित हो गए देशभक्ति और अंधराष्ट्रीयता के बीच एक बहुत ही पतली सी रेखा है। देशभक्ति एक निःस्वार्थ भावना है जबकि अंधराष्ट्रीयता कट्टरपंथी और तर्कहीन है। लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी देश की प्रति भक्ति और प्रेम उस समय उनकी अंधराष्ट्रीयता में ना परिवर्तित हो जाए।
निष्कर्ष
किसी का उसके मूल भूमि के प्रति प्यार उसके देश के प्रति उसका सबसे शुद्धतम रूप है। एक व्यक्ति जो अपने देश के लिए अपने हितों का त्याग करने के लिए तैयार रहता है, हमें उसे सलाम करना चाहिए है। दुनिया के प्रत्येक देश को ऐसी भावना रखने वाले लोगों की अत्यधिक आवश्यकता है।
संबंधित जानकारी: