महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Role of Women in Society Essay in Hindi)

महिलाओं की समाज में भूमिका

हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। अपनी सभी भूमिकाओं में निपुणता दर्शाने के बावजूद आज के आधुनिक युग में महिला पुरुष से पीछे खड़ी दिखाई देती है। पुरुष प्रधान समाज में महिला की योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है। सरकार द्वारा जागरूकता फ़ैलाने वाले कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद महिला की जिंदगी पुरुष की जिंदगी के मुक़ाबले काफी जटिल हो गयी है। महिला को अपनी जिंदगी का ख्याल तो रखना ही पड़ता है साथ में पूरे परिवार का ध्यान भी रखना पड़ता है। वह पूरी जिंदगी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, सास, और दादी जैसे रिश्तों को ईमानदारी से निभाती है। इन सभी रिश्तों को निभाने के बाद भी वह पूरी शक्ति से नौकरी करती है ताकि अपना, परिवार का, और देश का भविष्य उज्जवल बना सके।

महिलाओं की समाज में भूमिका पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Role of Women in Society in Hindi, Mahilaon ki Samaj me Bhumika par Nibandh Hindi mein)

महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – 1 (250 शब्द)

प्रस्तावना

बीते कुछ सालों में सरकार द्वारा अनगिनत योजनाएँ चलाई गयी है जो महिलाओं को सामाजिक बेड़ियाँ तोड़ने में मदद कर रही है तथा साथ ही साथ उन्हें आगे बढ़ने में प्रेरित कर रही है। दिन प्रतिदिन लड़कियां ऐसे ऐसे कीर्तिमान बना रही है जिस पर न सिर्फ परिवार या समाज को बल्कि पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है।

महिलाओं की समाज में छवि

सरकार ने पुराने वक़्त के प्रचलनों को बंद करने के साथ साथ उन पर क़ानूनन रोक लगा दी है। जिनमें मुख्य थे बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज़ प्रथा, बाल मजदूरी, घरेलू हिंसा आदि। इन सभी को क़ानूनी रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है। महिला अपनी पूरी जिंदगी अलग अलग रिश्तों में खुद को बाँधकर दूसरों की भलाई के लिए काम करती है।

भूमिका और बदलाव

सही शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण महिलाओं की दशा दयनीय हो गई है। एक औरत बच्चे को जन्म देती है और पूरी जिंदगी उस बच्चे के प्रति अपनी सारी जिम्मेदारियों को निभाती है। बदले में वह कुछ भी नही मांगती है और पूरी सहनशीलता के साथ बिना तर्क किये अपनी भूमिका को पूरा करती है।

अगर हम महिलाओं की आज की अवस्था को पौराणिक समाज की स्थिति से तुलना करे तो यह तो साफ़ दिखता है की हालात में कुछ तो सुधार हुआ है। महिलाएं नौकरी करने लगी है। कई क्षेत्रों में तो महिला पुरुषों से आगे निकल गई है।

निष्कर्ष

हमने आज तक महिला को बहन, माँ, पत्नी, बेटी आदि विभिन्न रूपों में देखा है जो हर वक़्त परिवार के मान सम्मान को बढ़ने के लिए तैयार रहती है। शहरी क्षेत्रों में तो फिर भी हालात इतने ख़राब नहीं है पर ग्रामीण इलाकों में महिला की स्थिति चिन्ता करने योग्य है।

निबंध 2 (300 शब्द)

आज अगर महिलाओं की स्थिति की तुलना सैकड़ों साल पहले के हालात से की जाए तो यही दिखता है महिलायें पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से अपने सपने पूरे कर रही है। पर वास्तविक परिपेक्ष में देखा जाए तो महिलाओं का विकास सभी दिशाओं में नहीं दिखता खासकर ग्रामीण इलाक़ों में। अपने पैरों पर खड़े होने के बाद भी महिलाओं को समाज की बेड़ियाँ तोड़ने में अभी भी काफी लंबा सफर तय करना है। आज भी समाज की भेदभाव की नज़रों से बचना महिलाओं के लिए नामुमकिन सा दिखता है। ऐसा लगता है की पुरुष और महिला के बीच की इस खाई को भरने के लिए अभी काफी वक़्त और लग सकता है।

कई अवसरों पर देखा गया है की महिलाओं के साथ निम्न दर्जे का बर्ताव किया जाता है। उन्हें अपने दफ्तरों में भी बड़ी जिम्मेदारी देने से मना कर दिया जाता है। कई औरतें अपने साथ होते इस सुलूक को ही अपनी किस्मत मान लेती है और जो उनके साथ हो रहा है उसके साथ ही अपना जीवनयापन कर लेती है। पर सबके साथ ऐसा नहीं है। समाज में महिलाओं के कई ऐसे उदाहरण भी है जो छोटी उम्र की लड़कियों के लिए प्रेरणा है। इनमें ऐसी भी लड़कियाँ है जिनका खुद का परिवार ही उनका साथ देने को तैयार नहीं था पर उन्होंने अपने दम पर समाज की विचारधारा को बदल कर रख दिया।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिला पिछड़ेपन का एकमात्र कारण सही शिक्षा प्रबंध का न होना है। गांव में पुरुष भी अपनी ज़िंदगी का एकमात्र लक्ष्य यही मानता है की उसे सिर्फ दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ करना है। ऐसे माहौल में पुरुषों से महिला सशक्तिकरण की उम्मीद करना बेकार है। महिलाओं को जरुरत है कि वे अपनी क्षमता को पहचानें और प्रयास करे की अपने परिवार के साथ साथ देश और समाज के विकास के प्रति भी अपनी भूमिका को निभा सके। सरकार को भी ज्यादा से ज्यादा योजना महिलाओं के विकास लिए चलानी चाहिए। ये बदलाव तभी संभव है जब सारा समाज एक साथ खड़ा होकर सकारात्मक रुख से काम करे।

निबंध 3 (400 शब्द)

महिलायें समाज के विकास एवं तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके बिना विकसित तथा समृद्ध समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ब्रिघम यंग के द्वारा एक प्रसिद्ध कहावत है की ‘अगर आप एक आदमी को शिक्षित कर रहे है तो आप सिर्फ एक आदमी को शिक्षित कर रहे है पर अगर आप एक महिला को शिक्षित कर रहे है तो आप आने वाली पूरी पीढ़ी को शिक्षित कर रहे है’। समाज के विकास के लिए यह बेहद जरुरी है की लड़कियों को शिक्षा में किसी तरह की कमी न आने दे क्योंकि उन्हें ही आने वाले समय में लड़कों के साथ समाज को एक नई दिशा देनी है। ब्रिघम यंग की बात को अगर सच माना जाए तो उस हिसाब से अगर कोई आदमी शिक्षित होगा तो वह सिर्फ अपना विकास कर पायेगा पर वहीं अगर कोई महिला सही शिक्षा हासिल करती है तो वह अपने साथ साथ पूरे समाज को बदलने की ताकत रखती है।

महिलाओं के बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसे पागलपन ही कहा जाएगा की उनकी प्रतिभा को सिर्फ इसी तर्क पर नज़रअंदाज कर दिया जाए कि वे मर्द से कम ताकतवर तथा कम गुणवान है। भारत की लगभग आधी जनसँख्या का प्रतिनिधित्व महिलाएं करती है। अगर उनकी क्षमता पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका साफ़ साफ़ मतलब है देश की आधी जनसँख्या अशिक्षित रह जाएगी और अगर महिलाएं ही पढ़ी लिखी नहीं होगी तो वह देश कभी प्रगति नहीं कर पाएगा। हमें यह बात समझनी होगी की अगर एक महिला अनपढ़ होते हुए भी घर इतना अच्छा संभाल लेती है तो पढ़ी लिखी महिला समाज और देश को कितनी अच्छी तरह से संभाल लेगी।

महिलाओं की समाज में भूमिका

महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला ससक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता। महिला यह जानती है की उसे कब और किस तरह से मुसीबतों से निपटना है। जरुरत है तो बस उसके सपनों को आजादी देने की।

पहले महिलाओं की दशा दासियों से भी बदतर थी। अगर कोई महिला लड़की को जन्म देती तो उसे या तो मार दिया जाता था या उसे घर के सदस्यों द्वारा पीटा जाता था। लड़की को जन्म देना पाप माना जाता था। उनसे सिर्फ यही अपेक्षा की जाती थी कि वे लड़के को ही जन्म दे। पर बदलते वक़्त के साथ हालात बदलते गए। अब लोग पहले से ज्यादा जागरूक है और महिलाओं कि मदद करने के लिए आगे आने लगे है। अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

Essay on Role of Women in Society in Hindi

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