महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध (Women Safety Essay in Hindi)

महिलाओं की सुरक्षा

हम सभी जानते है की हमारा देश हिंदुस्तान पूरे विश्व में अपनी अलग रीती रिवाज़ तथा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। भारत में प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है की यहाँ महिलाओं को समाज में विशिष्ट आदर एवं सम्मान दिया जाता है। भारत वह देश है जहाँ महिलाओं की सुरक्षा और इज्ज़त का खास ख्याल रखा जाता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। अगर हम इक्कीसवीं सदी की बात करे तो महिलाएं हर कार्यक्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला काम कर रही है चाहे वो राजनीति, बैंक, विद्यालय, खेल, पुलिस, रक्षा क्षेत्र, खुद का कारोबार हो या आसमान में उड़ने की अभिलाषा हो।

भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Women Safety in Hindi, Bharat me Mahilaon ki Suraksha par Nibandh Hindi mein)

महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

प्रस्तावना

भारतीय समाज में महिला को देवी के सामान पूजा जाता है। पर महिलाओं के प्रति नकारात्मक पहलू को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। नाबालिग लड़कियों से छेड़छाड़ की जा रही है। उन्हें परेशान किया जा रहा है। राह चलते फब्तियां कसी जा रही है। सड़के, सार्वजनिक स्थल, रेल, बस आदि असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए है।

महिला सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है ? –

स्कूल तथा कॉलेज जाने वाली छात्रायें भय के साये में जी रही है। जब भी वे घर से बाहर निकलती है तो सिर से लेकर पैर तक ढकने वाले कपडे पहनने को मजबूर है। इससे भी अजीब बात तो यह है की कई जगहों पर ऐसा भी देखा गया है माँ-बाप पैसे के लालच में अपनी ही बेटी को वैश्यावृति के नरक में धकेल देते है। राह चलती लड़की पर तेज़ाब फेंकना और शारीरिक संबंध की इच्छा को पूरा करने के लिए किसी का भी अपहरण करना आम बात हो गई है। आंकड़ो के अनुसार भारत में हर 20 मिनट में एक औरत से बलात्कार होता है।

महिलाओं की सुरक्षा के उपाय

महिला सुरक्षा के लिए सरकार को नियम और कानून को सख्त बनाना चाहिए। महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा का प्रावधान होना चाहिए। हमें अश्लील और अनैतिक जानकारियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

निष्कर्ष

महिलाओं की संख्या देश की कुल जनसंख्या की आधी है। इसका मतलब वे देश के विकास में भी आधी भागीदार है। उसके बावजूद 21वीं सदी में हिंदुस्तान में ऐसी घटनाओं का होना हमारी संस्कृति को केवल शर्मसार ही करता है।

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निबंध 2 (300 शब्द)

प्रस्तावना

महिलायों की सुरक्षा अपने आप में ही बहुत विस्तृत विषय है। पिछले कुछ सालों में महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचारों को देखकर हम यह तो बिलकुल नहीं कह सकते की हमारे देश में महिला पूर्ण तरीके से सुरक्षित है। महिलाएं अपने आपको असुरक्षित महसूस करती है खास तौर पर अगर उन्हें अकेले बाहर जाना हो तो। यह वाकई हमारे लिए शर्मनाक है की हमारे देश में महिलाओं को भय में जीना पड़ रहा है। हर परिवार के लिए उनकी महिला सदस्यों की सुरक्षा चिंता का मुद्दा बन चुका है। अगर महिला सुरक्षा में कुछ सुधार करने हो तो नीचे कुछ तथ्य दिए है जिन्हें ध्यान में रखते हुए हम समाज में बड़ा बदलाव ला सकते है:-

महिलाओं की सुरक्षा

महिला सुरक्षा से जुड़े कुछ सुझाव

  • सबसे पहले हर महिला को आत्म-रक्षा करने की तकनीक सिखानी होगी तथा उनके मनोबल को भी ऊँचा करने की जरुरत है। इससे महिलाओं को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में किसी तरह की परेशानी महसूस नही होगी।
  • अक्सर ऐसा देखा गया कि महिलाएं स्थिति की गंभीरता को किसी भी पुरुष की बजाए जल्दी भांप लेती है। अगर उन्हें किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका लगती है तो उन्हें जल्द ही कोई ठोस कदम उठा लेना चाहिए।
  • महिलाओं को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की वे किसी भी अनजान पुरुष के साथ अकेले में कही न जाये। ऐसे हालात से उन्हें अपने आप को दूर ही रखना चाहिए।
  • महिलाओं को कभी भी अपने आप को पुरुषों से कम नही समझना चाहिए फिर चाहे वह मानसिक क्षमता की बात हो या फिर शारीरिक बल की बात हो।
  • महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वे इंटरनेट या किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा किसी भी तरह के अनजान व्यक्ति से बातचीत करते वक्त सावधान रहे और उन्हें अपना किसी भी तरह का निजी विवरण न दे।
  • महिलाओं को घर से बाहर जाते वक़्त हमेशा अपने साथ मिर्च स्प्रे करने का यंत्र रखना चाहिए। हालाँकि ऐसा जरुरी भी नहीं की इसी पर पूरी तरह निर्भर रहें वे किसी और विकल्प का भी इस्तेमाल कर सकती है।
  • अपने आप को विपरीत परिस्थिति में गिरता देख महिलाएं अपने फ़ोन से इमरजेंसी नंबर या किसी परिजन को व्हाट्सएप्प भी कर सकती है।
  • किसी भी अनजान शहर के होटल या अन्य जगह रुकना हो तो वहाँ के स्टाफ के लोगो तथा बाकी चीज़ो की सुरक्षा को पहले ही सुनिश्चित कर ले।

निष्कर्ष

महिला सुरक्षा एक सामाजिक मसला है, इसे जल्द से जल्द सुलझाने की जरुरत है। महिलाएं देश की लगभग आधी जनसँख्या है जो शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से पीड़ित है। यह देश के विकास तथा तरक़्क़ी में बाधा बन रहा है।

निबंध 3 (400 शब्द)

प्रस्तावना

पिछले कुछ वर्षो में महिला सुरक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसके पीछे कारण है लगातार होते अपराधों में इजाफ़ा। मध्यकालीन युग से लेकर 21वीं सदी तक महिलाओं की प्रतिष्ठा में लगातार गिरावट देखी गयी है। महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार है। वे देश की आधी जनसँख्या का प्रतिनिध्त्वि करती है तथा विकास में भी आधी भागीदार है।

इस तर्क को तो कतई नहीं नकारा जा सकता की आज के आधुनिक युग में महिला पुरुषों के साथ ही नहीं बल्कि उनसे दो कदम आगे निकल चुकी है। वे राष्ट्रपति के दफ्तर से लेकर ज़िला स्तर की योजनाओं का आधार बन चुकी है। महिलाओं के बिना दिनचर्या की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं को भी पुरुषों के समान, स्वतंत्र, गौरवमयी जीवन जीने का हक़ है। महिलाओं को लगातार यौन हिंसा, दहेज़ हत्या और मारपीट का शिखर होना पड़ता है। तेज़ाब फेंकना, जबरदस्ती वैश्यावृति करवाना आम बात हो गयी है। ये सब एक सभ्य समाज के लिए बेहद शर्मनाक है।

शिक्षा और आर्थिक विकास

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं एवं पुरुषों में ज़मीन आसमान का फर्क है जबकि शहरी क्षेत्र में ऐसा नहीं है। इसका कारण है गांव में महिलाओं की कम साक्षरता दर। अगर हम केरल और मिजोरम का उदाहरण ले तो ये अपवाद की श्रेणी में आते है। इन दोनों राज्यों में महिला साक्षरता दर पुरुषों के बराबर है। महिला साक्षरता दर में कमी का मुख्य कारण है पर्याप्त विद्यालयों की कमी, शौचालयों की कमी, महिला अध्यापकों की कमी, लिंग भेदभाव आदि। आंकड़ो के अनुसार 2015 में महिला साक्षरता दर 60.6% थी जबकि पुरुष साक्षरता दर 81.3% थी।

भारत में महिला अपराध

भारत में महिला अपराध की फेहरिस्त देखी जाये तो यह बहुत लंबी है। इसमें तेज़ाब फेंकना, जबरदस्ती वैश्यावृति, यौन हिंसा, दहेज़ हत्या, अपहरण, ऑनर किलिंग, बलात्कार, भ्रूण हत्या, मानसिक उत्पीड़न आदि शामिल है।

महिला सुरक्षा से जुड़े कानून

भारत में महिला सुरक्षा से जुड़े कानून की लिस्ट बहुत लंबी है इसमें चाइल्ड मैरिज एक्ट 1929, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, हिंदू विडो रीमैरिज एक्ट 1856, इंडियन पीनल कोड 1860, मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1861, फॉरेन मैरिज एक्ट 1969, इंडियन डाइवोर्स एक्ट 1969, क्रिस्चियन मैरिज एक्ट 1872, मैरिड वीमेन प्रॉपर्टी एक्ट 1874, मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन एक्ट 1986, नेशनल कमीशन फॉर वुमन एक्ट 1990, सेक्सुअल हर्रास्मेंट ऑफ़ वुमन एट वर्किंग प्लेस एक्ट 2013 आदि।

इसके अलावा 7 मई 2015 को लोक सभा ने और 22 दिसम्बर 2015 को राज्य सभा ने जुवेनाइल जस्टिस बिल में भी बदलाव किया है। इसके अन्तर्गत यदि कोई 16 से 18 साल का किशोर जघन्य अपराध में लिप्त पाया जाता है तो उसे भी कठोर सज़ा का प्रावधान है (खास तौर पर निर्भया जैसे केस में किशोर अपराधी के छूट जाने के बाद)।

निष्कर्ष

कड़े कानूनों के बनाने के बावजूद भी महिला अपराध में कमी के बजाये दिन प्रतिदिन लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। समाज में महिलाओं की सुरक्षा गिरती जा रही है। महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है। महिलाओं के लिए गंदे होते माहौल को बदलने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं अपितु हर आम आदमी की है ताकि हर महिला गर्व से अपने जीवन को जी सके।

Essay on Women Safety in India in Hindi

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