हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व

अर्थ (Meaning)

‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ इस कहावत का अर्थ ये है कि बड़ी उपलब्धियां छोटे लेकिन ठोस हल के माध्यम से की जाती हैं। जीवन का लक्ष्य और सपने एक योजना बनाकर और उसकी ओर पहला कदम बढ़ाकर ही हासिल किया जाता हैं। पहला कदम सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हो सकता है आपके पास बड़ी योजनाएं हो, लेकिन वे भौतिक तब तक नहीं होंगी जब तक आप वह पहला कदम नहीं उठाते हैं। इसलिए, यह सत्य है कि सफ़र चाहे कितना भी लम्बा हो मगर उसकी शुरुवात पहले कदम से ही होती है।

उदाहरण (Examples)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ, जिनकी मदद से आपको इस कहावत को समझने में बेहतर मदद मिलेगी।

“240 मील की मशहूर ‘दांडी यात्रा’ गाँधी जी के साबरमती आश्रम से दांडी गाँव की तरफ पहला कदम बढ़ाकर शुरू की गयी थी। सच कहा गया है हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।”

“जब मैंने अपना व्यापार शुरू किया था तब मेरे पास केवल एक दुकान थी लेकिन आज शहरभर में मेरे रेस्टोरेंट की एक चेन है, यह सिद्ध करता है कि हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।”

“अधिकारी ने कमीशंड सैनिकों से कहा – आप पहले से ही आजीवन रूप से प्रताप और साहस की ओर पहला कदम उठा चुके हैं। वास्तव में हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।”

“शिक्षक ने छात्रों से कहा – अगर तुम पढ़ाई नहीं करना चाहते तो कोशिश करो कि किताबों के साथ बैठे रहो और दोहराते रहो। यह छोटा मगर महत्वपूर्ण कदम तुम्हारा भविष्य तय कर सकता है। जैसा कि तुम सभी जानते हो हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।”

“मुझे याद हैं जब एक प्रेरक वक्ता ने मुझसे एक बार कहा था – ‘आप अपने सपने या सफ़र की तरफ जो पहला कदम उठाते हैं वह सबसे अहम है, क्योंकि यह इंगित करता है कि आप अपने लक्ष्य या गंतव्य की तरफ संकल्पित हैं’, इसलिए ये सत्य है कि हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।”

उत्पत्ति (Origin)

‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ इस कहावत की उत्पत्ति चीन में 6वीं शताब्दी के दौरान हुई थी। असल में ऐसा ही एक वाक्यांश संत लाओजी द्वारा रचित एक चीनी धार्मिक पाठ ‘ताओ ते चिंग’ में दिखाई देता है। जिसका मूल कुछ इस तरह से लिखा है – “एक हजार ली की यात्रा, एक पंजे तले शुरू होती है।” चीनी भाषा में ‘ली’ का अर्थ मील से है।

इसलिए इस कहावत का यही मतलब है कि हजारों मील के सफ़र की शुरुवात किसी के पंजे तले ही शुरू होती है यानी कि पहले कदम से।

तब से ही इस कहावत में थोड़ा बदलाव कर के अलग अलग भाषाओ में साधू, संतों और तमाम लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाने लगा। आज, ये दुनियाभर के तमाम प्रेरक वक्ताओं द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ कहावत का मतलब है कि किसी भी लम्बे सफ़र की शुरुवात अपने लक्ष्य की तरफ एक छोटा कदम बढ़ा कर की जाती है। इस कहावत में पहला कदम यह दर्शाता है कि आपका सफ़र जो काफी लम्बा है उसकी शुरुवात हो चुकी है।

इसके ठीक विपरीत, अगर आपने अपने सफ़र के लिए पहला कदम बढ़ाया ही नहीं है तो आपका सपना तो सिर्फ सपना ही बना रहेगा और शायद ही कभी सच भी होगा। सफ़र चाहे कितना भी लम्बा हो, कठिन हो मगर इसे मूर्त रूप तब ही मिलता है जब आप इसके लिए एक शुरुवात करते हैं तब ही यह आपके संकल्प को दर्शाता है।

यहाँ पर सफ़र का मतलब एक स्थान से दुसरे स्थान तक की दूरी तय करने से नहीं है, बल्कि आपके जीवन के सफ़र से मतलब है। आसान शब्दों में कहें तो – अगर आपका कोई सपना है जिसे आप सच करना चाहते हैं तो आपको अपना एक प्लान बनाना ही होगा और उस पर काम करते हुए पहला कदम उठाना पड़ेगा।

महत्त्व (Importance)

‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ इस कहावत का महत्त्व ये है कि ये हमें सिखाता है कि अगर हमें अपने सपने को सच करना है तो हमें उसके लिए वो जरूरी कदम उठाने से हिचकना नहीं होगा। हमें निडर होकर उसके लिए पहला कदम उठाना होगा।

ये हमें यह भी सिखाता है कि, दूरी लम्बी लग सकती है या फिर सपने साकार होने के लिए काफी बड़े हो सकते हैं, लेकिन इन बातों से हमें निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि और भी दृढ़ता से अपनी क्षमताओं को देखते हुए सफ़र शुरू करना चाहिए। यदि आप दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ पहला कदम बढ़ा लेते हैं तो यात्रा भले ही एक हजार मील लंबी हो सकती है लेकिन यह तो तय है कि एक दिन यह निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगी।

‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘A Journey of a Thousand Miles Begins with a Single Step’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी सबसे बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है’ कहावत का सही सही मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार की बात है, एक बहुत ही मशहूर राजा था जिसकी हर कोई इज्जत करता था और अपने काम की वजह से वो सभी का प्यारा भी था। राजा का पास एक बड़ा सा अस्तबल था जिसमे ढेरों घोड़े थे, उनमे से एक घोड़ा जो बेहद खूबसूरत था उसका नाम ‘पवन’ था। लम्बा, चौड़ा और बाकी सभी घोड़ों से एकदम अलग था, मगर एक समस्या थी। पवन काफी ज्यादा जिद्दी था और किसी को भी अपनी पीठ पर बैठने नहीं देता था, यहाँ तक कि राजा को भी नहीं। राजा की बड़ी दिली इच्छा थी कि वो ‘पवन’ की पीठ पर बैठ कर अपने पूरे राज्य का भ्रमण करें। मगर उनकी ये इच्छा पूरी होती नजर नहीं आ रही थी।

तब राजा ने दूसरे राज्य से मशहूर घोड़ों के प्रशिक्षक को बुलवाने का फैसला किया। वह प्रशिक्षक इतना ज्यादा बेहतर था कि लोग उसे घोड़ों का जादूगर कहते थे। प्रशिक्षक आया और उसने ‘पवन’ को देखा। खूबसूरत, सबसे ज्यादा खूबसूरत घोड़ा जो उसने आजतक कभी नहीं देखा था। लेकिन जल्दी ही जब वो उसकी पीठ पर चढ़ने की कोशिश करता पवन बेकाबू होकर उछलने लगता और प्रशिक्षक को गिरा देता।

तब प्रशिक्षक ने राजा से आज्ञा मांगी की क्या वो घोड़े को प्रतिदिन कुछ दूर के लिए ले जा सकता है। राजा काफी उलझन में था मगर उसके सहमती दे दी। तक़रीबन एक माह बाद घोड़ा पूरी तरह से प्रशिक्षित हो चुका था और उसने गर्व के साथ राजा को अपनी पीठ पर बैठने दिया। राजा इस कामयाबी को देख हैरान हुआ और प्रशिक्षक से पूछा की आखिर तुमने यह कैसे किया? प्रशिक्षक ने जवाब दिया, “प्रिय राजा, जो यात्रा आप इस घोड़े की पीठ पर बैठ करना चाहते थे उसकी शुरुवात एक माह पहले ही हो चुकी थी। मैं यह जान गया था कि जिस दिन यह घोडा कुछ कदम के लिए भी मुझे अपनी पीठ पर बैठने दे देगा ये स्वतः ही आपको भी मीलों दूरी तक के लिए बैठने देगा। आखिरकार, हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।”

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक बार की बात है एक लड़का था जो पढ़ाई में औसत दर्जे का था लेकिन उसके सपने बड़े थे। वह जीवन में कुछ करना चाहता था लेकिन वह हमेशा डरा हुआ रहता और हिचकिचाता था। वह परिणाम से घबराता था उसके ये परिणाम उसके सपनों को हर दिन मार रहे थे। वह असाधारण रूप से चित्रकला में काफी अच्छा था लेकिन इस बारे में बात करने से डरता था। वह इसे एक करियर विकल्प के रूप में लेकर आगे बढ़ना चाहता था मगर इस बारे में अपने पिता से पूछने में डरता था।

उसकी माँ अपने बेटे के सपने के बारे में सब जानती थी और इस बारे में उसे अपने पिता से खुलकर बात करने के लिए कहा। उसने उससे कहा कि जब तक वह अपने पिता से उसे किसी पेशेवर ड्राइंग क्लास में भेजने की बात नहीं करता है तब तक तो उनका जवाब ‘ना’ ही रहेगा। उसके लिए उसे पूछना पड़ेगा ताकि कुछ बात बन सके।

किसी तरह से, लड़के ने हिम्मत जुटाई और अपने पिता को एक विशेष ड्राइंग क्लास में जाने की बात कही। पहले तो उसके पिता हैरानी से उसे घूरने लगे और फिर लड़के को कक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी। उस दिन लड़का बहुत ही खुश हुआ। उस घटना के वर्षों बाद वह लड़का सफलतापूर्वक अपने चित्रों की एक प्रदर्शनी लगाता है।

जब वह पीछे मुड़कर देखता है, तो उसे खुशी होती है कि उसने अपने पिता से यह पूछने का जो पहला कदम उठाया था वो उसे उसके सपनों की यात्रा पर ले जाएगा। अगर उस दिन वह पहला कदम नहीं उठाता, तो चीजें आज बहुत अलग होतीं। वास्तव में यह सच है कि हजारो मील के सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है।

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