हर चमकती चीज सोना नहीं होती – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व

अर्थ (Meaning)

यह कहावत “हर चमकती चीज सोना नहीं होती” कहती है कि हर वो खूबसूरत चीज जो हमारी आँखों को अच्छी लगती है जरूरी नहीं है कि वो हमारे लिए भी अच्छी ही हो। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो दिखावा झूठा भी हो सकता है। हम किसी भी चीज की दिखावट से उसकी शुद्धता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं, बल्कि उसे नजदीक और गहराई से देख लेना चाहिए।

उदाहरण के लिए, जंगलों में कई ऐसे फल पाए जाते हैं जो देखने में बेहद सुन्दर और रसीले लगते हैं मगर वे होते जहरीले हैं। इस कहावत का मुख्य उद्देश्य है किसी भी व्यक्ति या वस्तु की दिखावट को देख कर उस पर भरोसा करने से पहले सावधान रहें।

उदाहरण (Example)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत “हर चमकती चीज सोना नहीं होती” पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ।

“प्रशिक्षक यात्रियों पर चिल्लाते हुए, उस काजू को खाने की हिम्मत भी नहीं करना; क्या तुम नहीं जानते की कच्चा काजू जहर के सामान होता है, मुमकिन है, हर चमकती चीज सोना नहीं होती!”

“आजकल की जिंदगी में, हर कोई ऐशोआराम और शोहरत की जिंदगी जीना चाहता है, बिना यह जाने कि इस तरह की जिंदगी में भी कितनी कठिनाइयाँ और मुश्किलें होती है। हमें यह समझना चाहिए कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती।”

“मेरा एक दोस्त सेकंड हैण्ड मार्केट से एक बहुत ही खूबसूरत स्पीकर खरीदकर लाया। वह एकदम दुकान से नया-नया ख़रीदा हुआ लग रहा था मगर एक महीने भी नहीं चल पाया। किसी ने सही ही कहा है कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती।”

“कभी किसी व्यक्ति का उसके रंग-रूप या जो कपड़े वो पहनता है या जिस गाड़ी से वो चलता है उससे उसका आकलन नहीं करना चाहिये, क्योंकि इतिहास में कई धोखेबाज व्यक्ति आकर्षक और सुंदर रहे हैं। आखिरकार, हर चमकती चीज सोना नहीं होती।”

“मेरी शिमला यात्रा किसी बुरे सपने से कम नही थी। मैं जिस होटल में ठहरा वो बाहर से तो काफी आरामदायक लग रहा था मगर अन्दर जाने के बाद वहां गन्दगी, मानक से भी नीचे थी। काश मुझे पता होता, हर चमकती चीज होना नहीं होती।”

उत्पत्ति (Origin)

यह कहावत एकदम सटीक तो नहीं बैठती, मगर 12वीं शताब्दी में इसी तरह का एक वाक्यांश दिखाई दिया, जिसका श्रेय फ्रांस के भिक्षु, एलेन डी लिले को दिया जाता है जिन्होंने लिखा था, ‘सोने की तरह चमकने वाली हर चीज को अपने पास नहीं रखते’। वह भिक्षु, बहुत स्पष्ट रूप से बताते हैं कि सब कुछ जो चमकदार और सोने के रूप में लुभाता है, आखिरकार जरूरी नहीं कि वह वही हो। इस वाक्यांश का वही मतलब निकलता है, ‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती’।

चौसर, जिन्हें हम मध्यकालीन का सबसे महान अंग्रेजी कवि मानते हैं, उन्होंने ने भी इसी तरह के आशय वाले कुछ वाक्यांशों का इस्तेमाल अपनी कुछ कविताओं में किया है। कैनन के येमन वाली कहानी में, उन्होंने लिखा है, “लेकिन हर वो चीज, जो सोने की तरह चमकती है, वह सोना नहीं होती, जैसा कि मैंने सुना है यह बताया है”।

इस कहावत का और भी ज्यादा सही सही रूपांतरण मशहूर लेखक विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘द मर्चेंट ऑफ़ वेनिस’ में दिखता है।

मगर ‘चमकदार’ की जगह यहाँ उसका पर्यायवाची ‘दमकना’ का इस्तेमाल हुआ था। मैं यहाँ पर इस नाटक की पंक्तियाँ आपके लिए लेकर आया हूँ-

“आपने अक्सर लोगों को ये कहते हुए सुना होगा की
हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती
लेकिन लोग ऊपरी दिखावे और चकाचौंध के चक्कर में
असली चीज को खो देते हैं”

आज की तारीख में यह कहावत दुनियाभर में काफी ज्यादा मशहूर हैं।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

हर चमकती चीज सोना नहीं होती यह बताती है कि चमकने वाली सभी चीजें जो सोने की तरह दिखती हैं वो वैसी नही होती। कभी कभी जो बाहर से अच्छा दिखता है वो काफी खतरनाक और अयोग्य हो सकता है। यह कहावत वस्तुओं और व्यक्ति दोनों पर ही बराबर लागू होता है।

आज तक आप कितने ऐसे खूबसूरत और अच्छी पर्सनालिटी वाले लोगों से मिले हैं जो मतलबी और चालाक ना हों? जो खूबसूरत दिखता है और अच्छे कपड़े पहनता है मगर दूसरों की भावनाओं की परवाह नही करता है। यही वो बात है जिसके बारे में यह कहावत हमें समझाती है। यह हमें बताती है कि किसी व्यक्ति के वास्तविक मूल्य का आकलन करने के लिए सिर्फ उसका दिखावा ही एकमात्र मानदंड नहीं हो सकता है। वही दूसरी तरफ, दिखने में गंदे और भद्दे व्यक्ति का दिल भी सुनहरा हो सकता है।

यही बातें वस्तुओं पर भी लागू होती हैं। कई चीजें जो बाहर से चमकदार और एकदम नई लगती हैं, वे अंदर से इतनी टिकाऊ और भरोसेमंद नहीं होतीं। आप कोई सेकंड-हैण्ड कार खरीदते हैं तो हो सकता है वह बिलकुल नई लग रही हो लेकिन जरूरी नहीं की वह एक साल भी चल पाए। आप कभी नहीं जान सकते हैं कि अन्दर क्या है अगर आप उस वस्तु को सिर्फ देख कर उसका आकलन करते हैं तो।

महत्त्व (Importance)

यह कहावत हमें इस बात के लिए सचेत करती है की कभी भी किसी व्यक्ति, वस्तु, जगह, आदि का आकलन सिर्फ उसके दिखावे पर नहीं करना चाहिये। इस तरह का निर्णय भ्रम हो सकता है क्योंकि दिखावे में धोखा होता है। जो हम देखते हैं वह केवल एक भ्रम हो सकता है जबकि सत्य को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है।

यह कहावत केवल छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि पेशेवरों के लिए भी एक सलाह है। अपने भविष्य यानी करियर का चयन करते वक़्त ज्यादातर युवा अलग अलग करियर से जुड़े तड़क-भड़क को देखते हैं। उनका झुकाव उस करियर की तरफ अधिक रहता है जहाँ ज्यादा आकर्षक और आरामदायक जीवन दिखता है, बिना उसके सच्चे अनुभवों के बारे में सोचे।

पहली नज़र में होनहार और बेहतरीन दिखने वाला कोई करियर ऐसा नहीं हो सकता है। यही वो बातें हैं जो यह कहावत हमें सिखाती है। जल्दीबाज़ी में हमें कोई भी महत्वपुर्ण फैसला नहीं लेना चाहिए, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह बाहर से काफी खूबसूरत और ग्लैमरस दिखता है।

इसी तरह से, यह कहावत जीवन के हर क्षेत्र के लोगों के लिए एक नैतिक शिक्षा है। यह हमें सिखाती है कि चाहे लोग हों, या जगह, या करियर, या कोई चीज हमें उसके बारे में फैसला काफी प्रायोगिक होकर लेना चाहिए।

“हर चमकती चीज सोना नहीं होती” पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘All that Glitters is not Gold’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी सबसे बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप “हर चमकती चीज सोना नहीं होती” कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

अमर एक मध्यम वर्ग परिवार का किशोर था जो एक नामी स्कूल में पढ़ता था। उसका एक सहपाठी जिसका नाम किशोर था। जो दिखने में भी अच्छा था और मृदु-भाषी भी था। किशोर एक धनी परिवार से ताल्लुख रखता था और वो महँगी महँगी चीजें इस्तेमाल करता था।

साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुख रखने वाला, अमर एक ही नजर में किशोर के चमकधमक से आकर्षित हो गया और उसका दोस्त बनाना चाहा। वो किशोर के पास गया और फिर वे दोस्त बन भी गए, स्कूल में दोनों साथ खेलते, खाते थे।

अमर अक्सर ही सोचा करता था कि किशोर के परिवार में सब कुछ सम्भव है और किशोर खुद भी अच्छा है। स्कूल में किशोर के सामान्य व्यवहार की वजह से लड़के ने अपने मन में किशोर और उसके परिवार के प्रति एक विचार पाल लिया। अमर ने ये विचार अपने पिता के साथ साझा किया, जिसके बाद उसके पिता ने जवाब दिया – ‘हर चमकने वाली चीज सोना नही होती।’ लेकिन, अमर को इसका मतलब समझ नहीं आया।

एक दिन जब किशोर का जन्मदिन था और अमर को भी निमंत्रण मिला था। चूँकि वह उसका करीबी दोस्त था तो वो बाकियों से थोड़ा पहले पहुँच गया। यहाँ पर किशोर ने अपनी नयी छवि खुद ही दिखाई। ये सौम्य और सीधा-साधा किशोर नहीं था, बल्कि कठोर, मतलबी और बहुत ही अव्यवहारिक लड़का जो नौकरों को छोटी छोटी बातों के लिए डांट रहा था। अमर को उसके दोस्त के इस व्यक्तित्व की असलियत जरा भी अच्छी नहीं लगी और वह जल्दी ही घर वापिस चला गया, यह सोचते हुए कि वह किशोर के सच्चे व्यक्तित्व को पहचानने में वह फेल हो गया। तभी अचानक उसे कुछ एहसास हुआ और उसे उसके पिता द्वारा कही गयी उस बात का मतलब समझ आ गया की – ‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती।’

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक बार की बात है, एक जंगल में खूबसूरत नीलकंठ पक्षी का परिवार रहता था- माता, पिता और उनके दो नए नवेले हाल के जन्मे चूजे। चूजे बाहर की दुनिया को देखने और जगह-जगह जाने के लिए बेहद ही उत्साहित रहते थे। वे चमकीले फलों और कीड़ों पर बिना कुछ सोचे समझे चोंच मारते थे। उनके इस बर्ताव से माँ काफी चिंतित थी क्योंकि वो जानती थी कि जंगल में कई ऐसी चमकीली चीजें हैं जो दिखने में तो खूबसूरत लगती हैं मगर होती खतरनाक हैं। वो अक्सर ही अपने चूजों को चमकीले फलों और कीड़ों से दूर रहने को कहती थी।

एक रोज जब उनके माता-पिता भोजन की तलाश में उड़ गए थे तो बच्चों ने सोचा कि क्यों न थोड़ा आसपास घूमा जाये। वहां पर एक बड़ा सा पेड़ था जिसपर चमकीले पीले फल लगे हुए थे, जिसे वो हमेशा खाना चाहते थे। हालाँकि, उनकी माँ ने उन्हें ऐसा ना करने की चेतवानी दे रखी थी। अपनी माँ की चेतवानी को नजरअंदाज करते हुए, छोटे चूजे पेड़ की तरफ उड़ गए और वह चमकीला पीला फल खाने लगे। वह फल काफी मीठा था और वे ख़ुशी से उसका आनंद लेते हुए खा रहे थे। उन्होंने इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं दिया कि इतने बड़े जंगल में और कोई भी दूसरी चिड़िया उस फल को नहीं खा रही थी। वहां पर सिर्फ वे दोनों ही थे।

कुछ ही वक़्त बाद वे दोनों बेहोश हो कर जमीन पर गिर गए। जब उनके माता-पिता वापिस आये तब उन्होंने चूजों को खोजा। नीलकंठ माँ लगातार अपने चूजों को अपनी चोंच से पानी पिला-पिला कर उन्हें उठाने की कोशिश कर रही थी। खुशकिस्मती से, चूजों को होश आ गया और वे रोने लगे। उनके माता-पिता ने उन्हें चुप कराया और उन्हें बताया कि जंगल में एक सलाह को हमेशा याद रखना – “हर चमकती चीज सोना नहीं होती।”

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