पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

‘पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती’ कहावत कहता है कि धन का उपयोग सामग्री और भौतिक संपत्ति प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण भावना, ‘खुशी’ है वो इसके द्वारा नहीं हासिल की जा सकती है। आप अपनी कार, घर, फ्रिज, बिजली, और हजारों अन्य चीजों के लिए भुगतान कर सकते हैं, लेकिन पूरी दुनिया में ऐसी कोई दुकान नहीं है, जो खुशी बेचती हो।

आप कितने भी अमीर क्यों न हों, इसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि आप कितने खुश हैं। धन और खुशी दो अलग-अलग चीजें हैं और इन्हें एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

उदाहरण (Example)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“डॉक्टर ने दंपति से कहा – यहाँ आने वाले कई जोड़े अमीर हैं और वो काफी संपत्ति पैसे से खरीद भी सकते हैं, लेकिन किसी कारण से, वे अपने निजी जीवन में खुश नहीं हैं। यह सही कहा गया है कि पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती!”

“इस ग्रह पर कई अमीर लोग अवसाद से गुजर चुके हैं, कुछ आत्महत्या करने की सीमा तक जा चुके हैं। इस सबसे सिर्फ एक चीज साबित होती है कि पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती।”

“शिक्षक ने लड़के के माता-पिता से कहा – मैं समझता हूं कि आप दोनों व्यस्त हैं, फिर भी आप अपने बच्चे को खुश रखने की कोशिश करते हैं, उसे चीजें और उपहार खरीदकर देते हैं। लेकिन, हाल ही में, वह कक्षा में उदास और निष्क्रिय दिख रहा है। मुझे लगता है कि आप दोनों को अपने बच्चे के साथ अधिक समय बिताने की जरूरत है। उसके लिए चीजें खरीदना काम नहीं करेगा, जैसा कि आप जानते हैं कि पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती।”

“कल, जब मैं एक सर्वेक्षण कर रहा था उस दौरान मैं एक गरीब किसान से मिला। उसने गंदे कपड़े पहने हुए थे और खूब पसीना बहा रहा था। फिर भी, उनके चेहरे की मुस्कुराहट मुझे यह एहसास दिलाती है कि पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती, वास्तव में, यह वो चीज है जो गरीब के पास भी हो सकती है।”

“मैं एक अमीर आदमी को जानता हूं जिसने अपनी सारी संपत्ति गरीब बच्चों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ को दान कर दी है। जब मैंने उससे पूछा कि उसे इस कार्य के लिए किस चीज ने प्रेरित किया, तो उसने कहा – मेरे पास बहुत पैसा था, लेकिन जीवन में खुशी की कमी थी। अंत में, मुझे एहसास हुआ कि पैसा खुशी नहीं खरीद सकता है, लेकिन इसे किसी बड़े वजह के लिए दान करना आपको खुश कर सकता है।”

उत्पत्ति (Origin)

एक वाक्यांश, जो कि ‘पैसा खुशी नहीं खरीद सकता’ के एकदम समान अर्थ वाला तो नहीं है मगर इससे काफी मिलता जुलता है, जैसा कि सबसे पहले एक जीनवान दार्शनिक, लेखक और संगीतकार, जीन-जैक्स रूसो ने लिखा था। 1750 में उन्होंने लिखा – “नैतिकता और नागरिकों को छोड़कर पैसा सब कुछ खरीद सकता है।”

संयुक्त राज्य में, यह वाक्यांश पहली बार “विलियम एंड मैरी कॉलेज त्रैमासिक इतिहास पत्रिका” में दिखाई दिया। तब से इसका उपयोग कई रूपों में किया गया है जैसे कि पैसा प्यार नहीं खरीद सकता; पैसा शिक्षा नहीं खरीद सकता है; पैसा दोस्तों को नहीं खरीद सकता, आदि।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

‘पैसा खुशी नहीं खरीद सकता’ यह कहावत पैसे की शक्ति की सीमा निर्धारित करता है। पैसे के साथ, चाहे ढेर सारा ही क्यों ना हो, इससे आप केवल भौतिकवादी चीजें खरीद पाएंगे, लेकिन खुशी नहीं। आप अपने किराए का भुगतान करने, घर खरीदने, कार खरीदने, यहां तक ​​कि छुट्टी पर जाने तक के लिए पैसे का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन अभी भी कोई गारंटी नहीं है कि आप यह सब होने के बाद भी आप खुश रहेंगे। दूसरे शब्दों में, आप किसी स्टोर में जाकर पैसों से ख़ुशी नहीं खरीद सकते। यह आपकी आत्मा से, अंदर से आता है, और आपके पास कितना बैंक बैलेंस है या आपकी नेटवर्थ क्या है, इससे इसका कोई लेना-देना नहीं है।

खुशी आंतरिक है – यह आपके द्वारा दूसरों के लिए दया भाव से किये गए कार्यों से आती है या फिर आपकी दयालुता से। यह उदार दोस्तों और परिवार से भी आती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में हमेशा आपके साथ मौजूद रहते हैं। यह आपको अलग-अलग टुकड़ों से जीवन में मिलने वाले प्यार से भी मिलता है जैसे- दोस्त, परिवार, सहकर्मी, आदि। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि वे सभी चीजें जो वास्तव में आपको खुश करने में मायने रखती हैं, वह यह है कि दोस्तों, परिवार, उदारता, प्यार, आदि को खरीदा नहीं जा सकता है, बल्कि कमाना पड़ता है। किसी के पास सारी समृद्धि हो सकती है, लेकिन फिर भी वह दुखी और अकेला हो सकता है, जबकि एक गरीब व्यक्ति अभी भी खुश हो सकता है।

महत्त्व (Importance)

यह कहावत काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें जीवन की सच्ची वास्तविकता का एहसास कराता है। आज, ऐसा लग रहा जैसे हर कोई एक दौड़ में लगा हुआ है। हर गुजरते दिन के साथ अमीर होने की दौड़। हम सभी इसके बारे में सोचते हैं कि कैसे दिन प्रति दिन हमारी संपत्ति बढ़ सकती है। शहर में सबसे अच्छी कार वाला व्यक्ति, हेलीकाप्टर का मालिक होना चाहता है; कोई, जिसके पास पहले से ही एक आलिशान घर है, वह समुद्र के सामने वाली हवेली का मालिक बनना चाहता है। वे दोनों यह महसूस करने में विफल हैं कि यह कभी न खत्म होने वाली दौड़ है। अंत में, वे सभी महसूस करेंगे कि वास्तव में क्या मायने रखता है कि वे कितनी खुशी से रहते थे, बल्कि ये नहीं कि वे कितने भव्यता से रहते थे।

‘पैसा खुशी नहीं खरीद सकता है’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Money Can’t Buy happiness’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘पैसा खुशी नहीं खरीद सकता है’ कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार गाँव में एक बहुत ही लालची व्यवसायी रहता था। उसके पास जमीन का काफी बड़ा हिस्सा था और गाँव में वो सबसे ज्यादा आमिर भी था। उसकी संपत्ति की वजह से उसके दिमाग में गलत धरणा बन गयी थी कि गाँव में सबसे सर्वोपरी है। गरीबों और कमजोरों को वह नीची नजर से देखता था और उनके बारे में सोचता था कि वो दुनिया के सबसे बदकिस्मत लोग हैं। वह आदमी सोचता था कि जिसके पास धन नहीं है वो सुखी नहीं रह सकता है। यहाँ तक कि, जब वो किसी गरीब को खुश देखता था तो वह काफी ज्यादा आश्चर्यचकित हो जाता था। वह सोचने लगता – “वो कौन सी चीज है जो उसे व्यक्ति को खुश बना रही है। मुझे देखो। मेरे पास कुछ भी खरीद पाने के लिए पैसा है, और वह आदमी जिसके पास एक ढेला भी नहीं वो खुश दिख रहा है।”

इस बात की चर्चा उसने अपनी पत्नी से भी की, उसकी पत्नी जो ज्यादातर शांत और दुखी रहती थी क्योंकि उसे बच्चा चाहिए था। शायद वह सच्चे सुख के बारे में अपने पति से बेहतर समझती थी। कुछ समय के पश्चात, ऐसा हुआ कि एक महामारी के दौरान आदमी ने अपनी सारी संपत्ति खो दी। तब जब वो एक बार फिर से सब कुछ नए सिरे से शुरू कर रहा था, और ज्यादातर वक़्त उदास ही रहता था तभी एक ऐसी खबर मिली जिससे वो ख़ुशी से उछल पड़ा।

उसकी पत्नी ने बताया की वो कुछ महीनों की गर्भवती है और जल्दी ही वो पिता बनाने वाला है। वह आदमी इतना ज्यादा खुश था कि वह इस कठिन वक़्त में भगवान को धन्यवाद देते नहीं थक रहा था। अचानक ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि पैसे से ही हर ख़ुशी है वाली धारणा गलत है, और सच्ची ख़ुशी हर जगह व्याप्त है। यह पैसे के बजाय प्यार और आंतरिक आनंद या संतुष्टि में है। अंत में, उसने यह महसूस किया कि पैसा कुछ भी खरीद सकता है मगर खुशी नहीं खरीद सकता है।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

शहर में एक काफी अमीर व्यवसायी रहता था। उसके लिए समय ही पैसा था और उसका ज्यादातर वक़्त उसके कार्यालय में ही बीतता था, हर बीतते घंटे के साथ वो और ज्यादा पैसे कमाता था। जब उससे किसी ने पुछा, वो इतना ज्यादा पैसे कमाने और अमीर होने पर इतना जोर क्यों देता है, वो कहता की ऐसा वो अपने परिवार के लिए कर रहा है, खासतौर पर उसकी बेटी को खुश रखने के लिए। आखिर में यही वो बात थी जो उस व्यवसायी ने सोची।

एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद वो अपनी ही बेटी से बहुत ही कम मिल पाता था। वो काफी रात को घर पहुँचता था और ज्यादतर वक़्त उसकी युवा बेटी सो चुकी होती थी। फिर भी, आदमी संतुष्ट था कि वह अपने परिवार और अपनी प्यारी बेटी को सभी सुख प्रदान कर रहा था। शायद, यह उन्हें खुश रखेगा, उसने सोचा।

एक दिन, उस आदमी को उसकी पत्नी का फ़ोन आया कि उसकी बेटी कहीं चली गयी है और फ़ोन भी नहीं उठा रही है। वह भागते हुए घर वापिस आया। उसकी बेटी ने एक चिट्ठी छोड़ रखी थी जिसमे लिखा था वो कुछ दिनों के लिए खुद से खुशियों की तलाश में कहीं जा रही है। उस चिट्टी ने उसे हैरानी में डाल दिया और उसे झटका भी लगा।

वो अपनी पूरी जिंदगी दिन-रात पैसे कमाने में ही लगा रहा, ये सोचकर कि वो अपने परिवार को खुश रख पायेगा, लेकिन अब उसकी खुद की सोच हवा में उड़ चुकी थी। वह कुर्सी में ही धंस गया, यह सोचते हुए कि – शायद, पैसा खुशी नहीं खरीद सकता है, तभी तो उसकी बेटी चली गयी। उसी दिन के बाद उसने अपनी सभी प्राथमिकताओं को बदल दिया। जब उसकी बेटी वापिस आई तो उसने अपनी बेटी और परिवार के साथ ज्यादा वक़्त बिताना शुरू किया और बिजनेस में कम।

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