आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’ यह कहावत कहती है कि किसी भी आविष्कार के पीछे की मुख्य प्रेरक शक्ति होती है आवश्यकता। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न अवधारणाओं को लागू करके जीवन को आसान बनाने के लिए मानव की बुनियादी आवश्यकता एक आविष्कार के पीछे का प्राथमिक बल है।

उदाहरण के लिए, बात करने के लिए टेलीफोन का आविष्कार हुआ, मनोरंजन के लिए टेलीवीजन का आविष्कार हुआ, और इसी तरह से, अंधरों में देखने की जरूरत ने प्रेरित किया कि बल्ब का अविष्कार किया जाये।

उदाहरण (Examples)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“पहले कैदी ने जेल से भागने के लिए चादर को आपस में बांध कर इस्तेमाल किया था। भागने की जरूरत ने उसके द्वारा रस्सी के एक रूप का आविष्कार कर दिया चादरों को आपस में बांध कर। वास्तव में, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।”

“पंछी भी आकाश के नीचे ही अपना घर बनाने के लिए काफी ज्यादा बेकरार होंगे; यही वजह है कि उन्होंने घास-फूस, तिनकों, पत्तियों तथा अन्य ऐसी ही वस्तुओं से अपने घोसले का आविष्कार किया। सच ही कहा गया है, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।”

“भारी सामानों को एक स्थान से दुसरे स्थान पर आसानी से ले जाने की आवश्यकता ने पहियों का आविष्कार कराया। वास्तव में, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।”

“उन्हें खुद को जानवरों से बचने की आवश्यकता थी और उनका शिकार भी करना था जिसने पाषाण युग के लोगों को पत्थरों से बने भाले का निर्माण करना सिखा दिया; इसीलिए, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।”

“आधुनिक ज़माने में कार का आविष्कार इंसानों के आवागमन को सुरक्षित और आसान बनाने के लिए किया गया। इसीलिए तो, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।”

उत्पत्ति (Origin)

इस सटीक वाक्यांश ‘आवश्यकता अविष्कार की जननी है’ के सच्चे लेखक आज भी अंजान है, लेकिन इसका श्रेय यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के एक प्रशासक बेंजामिन ज्वेट को जाता है। 1871 में प्लेटो के गणराज्य के उनके अनुवाद में, एक वाक्यांश आता है – ‘सच्चा निर्माता आवश्यकता है, जो हमारे आविष्कार की मां है।’ यह वाक्यांश काफी हद तक इस कहावत ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ के समान है और इसका अर्थ भी समान ही है। जोवेट के एक ग्रीक अनुवाद में एक वाक्यांश का भी उल्लेख किया गया है – “हमारी आवश्यकता वास्तविक निर्माता होगी।”

जॉवेट द्वारा अनुवाद से पहले, यह वाक्यांश पहले से ही इंग्लैंड में लोकप्रिय था, मगर लैटिन भाषा में। लैटिन वाक्यांश का सबसे पहले ज्ञात उपयोग विन्चेस्टर और एटन कॉलेज के हेड मास्टर विलियम होरमैन द्वारा प्रलेखित किया गया है, जिन्होंने लैटिन शब्द “मैटर एट्रीम नेसेसिटास” लिखा था जिसका अंग्रेजी में अर्थ “आविष्कार की माँ आवश्यकता है।”

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

कहावत “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” का अर्थ है कि कोई आवश्यकता से प्रेरित होकर आविष्कार करता है। यदि किसी को एक कठिन और चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया जाता है, तो उसे अपनी बुद्धि, ज्ञान, कौशल और अन्य संसाधनों का उपयोग करते हुए इससे बाहर आने के लिए प्रेरित किया जाता है। समस्याओं के समाधान का आविष्कार करने की इच्छा से प्रेरित यह प्रयास मनुष्य को आविष्कार की तरफ ले जाता है।

यह स्पष्ट है कि केवल जब कोई कठिनाई का सामना करता है, तो वह एक ऐसे समाधान का पता लगाने के लिए प्रेरित होता है, जिसके परिणामस्वरूप किसी प्रकार का आविष्कार होता है। किसी विशेष समस्या के समाधान का पता लगाने की आवश्यकता, आविष्कार को प्रोत्साहित करती है।

इस कहावत की प्रामाणिकता को सिद्ध करने के लिए इतिहास में कई दस्तावेज हैं। बड़े पत्थरों या वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की आवश्यकता ने लकड़ियों या पहियों के रूप में लकड़ियों के उपयोग का आविष्कार किया है। इसके अलावा, मनुष्य को तेज रफ़्तार से यात्रा करने की आवश्यकता ने मनुष्य को रबड़ के टायर और पहियों का आविष्कार किया जिसे आज हम न सिर्फ देखते हैं बल्कि इस्तेमाल भी करते हैं।

महत्त्व (Importance)

इस कहावत “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” का महत्त्व आप इस तरह से समझ लीजिए कि यह हमें बताती है कि हर महत्वपूर्ण आविष्कार किसी न किसी जरूरत से प्रेरित है और उस कठिनाई को दूर करने के उत्साह से भरा हुआ है।

ये हमें सिखाती है कि जब हम किसी मुश्किल का सामना करते हैं, तो समाधानों का आविष्कार करके इसे दूर करना अनिवार्य हो जाता है; हालाँकि, यह छोटा या बड़ा कुछ भी हो सकता है। जब हम किसी समस्या का सामना करते हैं, तो हमें एक परिवर्तनात्‍मक तरीके से इसके समाधान के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

“आवश्यकता आविष्कार की जननी है” पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Necessity is the Mother of Invention’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार दूर दराज के गाँव में एक गरीब लड़का रहता था। उस लड़के के पिता बढ़ई थे जिनके पास सिर्फ परिवार पालने भर का पैसा मिल पाता था। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने बच्चे के लिए खिलौने खरीद सकें। बच्चा भी अपने पिता की सीमाओं को समझ चुका था और कभी भी अपने पिता से खिलौनों की जिद नहीं करता था। मगर, फिर भी वह था तो बच्चा ही और खिलौने उसे भी पसंद थे, जिसके साथ वो घंटों तक खेल सके। उसे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था मगर कम से कम एक बैट और बॉल खरीद पाना भी उसके पिता के बजट के बाहर था।

एक दिन वो एक पेड़ के नीचे बैठ कर दुसरे बच्चों को अपने अपने खिलौनों के साथ खेलते देख रहा था। वह सोच रहा था कि कितना अच्छा होता कि वह भी उनकी तरह ही अपने खिलौनों के साथ खेल रहा होता। वो दूसरों को खेलते देखते देखते अपने ही ख्वाबों में खो गया। तभी हवा का एक झोंका आया और पेड़ से एक फल गिरा जो लुढकते हुए उसके पास आ गया। लड़के ने पास ही पड़े एक लकड़ी से उस गोल फल को घुमा के दे मारा। वह फल एक बार फिर से गोल गोल लुढकने लगा, तभी उस बच्चे के दिमाग में एक शानदार ख्याल आया। वो दौड़ कर अपने घर गया और बहुत ही आतुरता से कुछ खोजने लगा।

अंततः, उसे मिल ही गया, एक तिकोन लकड़ी का टुकड़ा जो उसके पिता द्वारा छोड़ा हुआ था। वह बच्चा सोचा, ये एक अच्छा सा बैट बन सकता है। जब उसके पिता काम से वापिस आये, तो उस बच्चे ने उनसे कहा कि वो एक लकड़ी की बाल बना दें। उसके पिता ने ख़ुशी-ख़ुशी उसके लिए लकड़ी की बाल बना कर उसे दे दी। वह लड़का बहुत खुश हुआ, अब उसके पास बैट भी था और बॉल भी जिसके साथ वो खेल सकता है, वो भी बिना एक भी रूपए खर्च करे। वाकई में यह एकदम सत्य है “आवश्यकता आविष्कार की जननी है”। बच्चे को कुछ खेलने को जो चाहिये था और उसकी सामान्य मौजूद वस्तुओं से उसने अपनी जरूरत का सामान बना लिया।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक गाँव में एक कौआ रहता था। एक बार वह गाँव सूखे की मार झेल रहा था और यहाँ पर पानी की एक बूंद भी नहीं मिल रही थी। कौवे को प्यास लगी थी और पानी की तलाश में उड़ान भरने के अलावा उसके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा था।

वह बगल के गाँव में उड़ रहा था कि उसने एक बंजर खेत के बीच रखे एक घड़े को देखा। उसने खुद से पूछा – क्या उसमें पानी हो सकता है? नहीं, संभव नहीं है, भला ऐसी जगह पर घड़े में कौन पानी छोड़ेगा। फिर भी, वह एक नज़र लेने के लिए नीचे की तरफ आ गया। उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि घड़े में एक तिहाई पानी भरा हुआ था। घड़े में पानी था तो जरुर मगर काफी नीचे था और कौवे के लिए पानी तक पहुँच पाना और अपनी प्यास बुझा पाना मुश्किल था, फिर भी, अगर वह किसी तरह उस तक पहुँच सकता है, तो उसके लिए यह किसी आशीर्वाद से कम नहीं होगा।

कौवे ने पानी तक पहुंच पाने के तरह तरह की तरकीब सोची, मगर समाधान पाने में नाकाम रहा। अचानक ही उसके दिमाग में एक बेहतरीन विचार आया। उसने एक-एक करके घड़े में कंकड़ डालना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे कंकडों की संख्या बढ़ती गई, पानी भी ऊपर की तरफ आता गया, और अंत में कौवे की पहुँच तक आ गया। कौए ने पानी पिया और खुशी ख़ुशी वहां से उड़ गया। अंत में, उसकी प्यास बुझाने की उसकी जरूरत ने उसे सिखाया है कि पत्थरों का इस्तेमाल एक कंटेनर में पानी के स्तर को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। आह, आवश्यकता आविष्कार की जननी है।

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