जहाँ चाह वहाँ राह – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

‘जहाँ चाह, वहाँ राह’ यह कहावत कहती है कि यदि वास्तव में कोई कुछ हासिल करना चाहता है, तो वह इसे प्राप्त करने के तरीके खोजता रहेगा और अंत में सफल होकर ही रहेगा। अगर आप किसी चीज को पाने के लिए सख्ती से लगे हुए हैं और पूरी तरह से प्रयास करते हैं तो आप सभी कठिनाइयों को पार कर आखिर में सफल हो ही जाते हैं।

यह कहावत एक सीधा सम्बन्ध स्थापित करता है की आप एक निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने और उसे प्राप्त करने के लिए कितने इच्छुक हैं।

उदाहरण (Examples)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘जहाँ चाह, वहाँ राह’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“जहाँ चाह, वहाँ राह का सबसे शानदार उदाहरण है एक चींटी जो बेतहाशा प्रयास करती है, बार बार करती है और तब तक करती रहती है जब तक कि वह सफल न हो जाए।”

“चिड़ियों के छोटे छोटे चूजे, उड़ने की कोशिश में लगातार अपने पंख फड़फड़ाते हैं। वे सौ बार गिरते हैं लेकिन तब तक हार नहीं मानते जब तक वे आकाश में उड़ नहीं जाते।”

“दशरथ मांझी, भारत का माउंटेन मैंन, जिसने खुद अकेले पहाड़ को काट कर 110 मीटर लम्बी सड़क का निर्माण कर दिया वो भी सिर्फ हथौड़ा और छेनी की मदद से। मांझी का यह प्रयास जहाँ चाह वहाँ राह का सर्वेश्रेष्ठ उदाहरण है।“

“माइकल जॉर्डन, हमेशा से एक सबसे महान बास्केटबॉल खिलाड़ी रहने वाले को एक बार एक कोच द्वारा उचित लम्बा न होने की वजह से खारिज कर दिया गया था। माइकल घर वापस चला गया, दिल से बहुत रोया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। आज उनके बारे में इतिहास गवाह है।”

“एक बार जब संयुक्त राज्य अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, दिवालिया हो गए थे, असफल व्यापारी, असफल प्रेमी, के तौर पर अवसाद से गुजर रहे थे, लेकिन इन तमाम बाधाओं के बावजूद, उनमे सफल होने की दृढ़ इच्छाशक्ति थी और वो संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे।”

उत्पत्ति (Origin)

इस वाक्यांश के प्रलेखित साक्ष्य “जहाँ चाह वहाँ राह” 1600 के दशक की तारीखों का बताया जाता है। इसी तरह का एक वाक्यांश तब चर्चा में था जब पहली बार वेल्श में जन्मे कवि और लेखक द्वारा लिखा गया था, जिसका नाम जॉर्ज हर्बर्ट था।

जैकुला प्रुडेंटस हर्बर्ट नाम की अपनी एक पुस्तक में उन्होंने लिखा था – “उनके लिए जो इच्छाएं हैं, तरीके वे नहीं चाहते हैं।” 19वीं शताब्दी की शुरुआत में कुछ समय के लिए, इस वाक्यांश में कुछ बदलाव हुआ – “जहाँ चाह वहाँ राह।”

तब से यह वाक्यांश दुनिया भर के कवियों, प्रशासकों, राजनेताओं और आम लोगों के बीच लोकप्रिय है और साथ ही साथ उपयोग में भी है।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

इस कहावत में ‘चाह’ उस निश्चय को संदर्भित करता है जो एक निर्धारित लक्ष्य की तरफ अग्रसर है। यदि कोई व्यक्ति एक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त रूप से निर्धारित है, तो ऐसा कोई रास्ता नहीं जो उसे सफलता की तरफ न लेकर जाए। दूसरे शब्दों में, यदि आपके पास पर्याप्त दृढ़ संकल्प है तो कुछ भी असंभव नहीं है।

कहावत यह संदेश भी देती है कि आपको असफलता से डरना नहीं चाहिए बल्कि जो भी आप करते हैं उसमें अपना सौ प्रतिशत दीजिये। यदि आप आश्वस्त और दृढ़ हैं, तो आप तब तक लक्ष्य के मार्ग पर आगे बढ़ते रहिये जब तक आप सफल नहीं हो जाते।

महत्त्व (Importance)

‘जहाँ चाह वहाँ राह’ यह कहावत एक प्रेरणादायक वाक्यांश है। यह हमें अपने सपनों का दृढ़ संकल्प के साथ उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है, साथ ही बाधाओं से न डरने की हिम्मत प्रदान करता है। यदि हममें वास्तव में सफल होने की इच्छा है तो हम एक दिन अवश्य सफल होंगे।

यह वो कहावत है जो विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों के जीवन को प्रेरित कर सकती है- छात्र, पेशेवर, यहाँ तक कि गरीब भी जो किसी दिन अमीर बनाने का सपना देखते हैं। कोई भी इस सरल कहावत से प्रेरित हो सकता है और लक्ष्य की ओर बढ़ता रह सकता है।

यह कहावत तब और भी ज्यादा महत्वपुर्ण हो जाती है जब कोई अवसाद में चला जाता है और उसके अन्दर नाकामी का डर समा जाता है। इस तरह की परिस्थिति में, यह कहावत एक आशीर्वाद की तरह है जो आपको एक बार फिर से मोर्चा सँभालने और दृढ़ संकल्प के साथ अपने सपनों के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

‘जहाँ चाह वहाँ राह’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Where There is a Will There is a Way’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

जे.के.रोलिंग, दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले जादूगर उपन्यास हैरी पॉटर श्रृंखला की लेखिका, खुद अपने शब्दों में, पूरी तरह से असफल थीं। एक अकेली माँ अवसाद से पीड़ित थी जिसने कभी सोचा भी नहीं था कि वो इतना बड़ा करेगी।

सौभाग्य से, उसके पास कोई दूसरी योजना नहीं थी और उसने जो सोच रखा था वही किया। वह एक कॉफी शॉप में सैकड़ों घंटे बिताती, एक जादूगर की कहानी के बारे में सोचती रहती।

वर्ष 1995 में उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक को शुरूवात में दर्जनों प्रकाशकों द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन एक साल बाद, रोलिंग की दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के कारण, आखिरकार पुस्तक प्रकाशित हुई।

आज की तारीख में, जे.के. रोलिंग की नेट वर्थ तक़रीबन 1.2 बिलियन डॉलर है। उनकी कहानी इस कहावत “जहाँ चाह वहाँ राह” के लिए एक आदर्श उदाहरण है।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक बार एक औसत छात्र था जो हर परीक्षा में सिर्फ पास होने भर का नंबर हासिल कर पाता था। मगर औसत नंबर लाने के बावजूद, वह हमेशा एक डॉक्टर बनना चाहता था। उसके दोस्त उसकी आकांक्षा पर हमेशा हंसते हुए कहते थे कि केवल अच्छे छात्र ही डॉक्टर बन सकते हैं। हालाँकि उसे बुरा लगता था, लेकिन वो कभी इस बात की शिकायत नहीं करता और हर आलोचना को अच्छी भावना से लेता।

एक-एक दिन करके वर्षों बीत गए, लेकिन वह डॉक्टर बनने की अपनी आकांक्षा को अपने मन से नहीं निकाल सका। एक बार कुछ ऐसा हुआ कि एक टीवी शो के दौरान उसने एक शिक्षक को यह कहते हुए सुना – जहाँ चाह है वहाँ राह है’। उसने देखा कि यह कहावत आश्चर्यजनक रूप से प्रेरणादायक है और वह खुद इसे अपने जीवन से जोड़ सकता है।

उस दिन लड़के ने महसूस किया कि उसके पास डॉक्टर बनने की इच्छाशक्ति है, लेकिन उसे थोड़ा और मुखर होने और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उसने दिन-रात अध्ययन करना शुरू किया जैसे कि उसकी एकमात्र इच्छा सिर्फ डॉक्टर बनाने की ही थी इसलिए उसके पास कोई भी प्लान बी नहीं था।

आखिरकार, उसकी कड़ी मेहनत और अनकही दृढ़ इच्छाशक्ति का फल मिला और वो एक डॉक्टर बन गया। वास्तव में “जहाँ चाह वहाँ राह”।

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