हथेली पर दही नहीं जमती – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

“हथेली पर दही नहीं जमती” इस कहावत का यह अर्थ निकलता है कि बड़ी चीजों को पूरा होने में समय लगता है। किसी भी वजह के लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए और परिणाम की प्रतीक्षा करनी चाहिए। साथ ही, चीजों को लेकर हमें हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए, परिणाम के प्रति सख्त रहना; यह एक गलती होगी। सभी महान चीजें सामने आने में समय लेती हैं और हम सभी को बस यही चाहिए कि हम अपनी कोशिश लगातार जारी रखें।

उदाहरण (Examples)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत “हथेली पर दही नहीं जमती” पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ।

“एक असाइनमेंट को पूरा करने के लिए अनुचित दबाव महसूस करने के बाद, ठेकेदार ने मीटिंग में जवाब दिया की “हथेली पर दही नहीं जमती”; अगर गुणवत्ता चाहिए तो हमें थोड़ा ज्यादा धैर्य रखना होगा।”

“शिक्षक ने पैरेंट्स से कहा, मुझे पता है कि आपका लड़का गणित में कमजोर है, लेकिन हमें उसकी क्षमता को धीरे धीरे बढ़ा देंगे, मगर हम इसमें हड़बड़ी नहीं कर सकते हैं। याद रखियेगा, हथेली पर दही नहीं जमती।”

“हर सफल इन्सान को जिसे आपने देखा होगा उसने कड़ी मेहनत की है, वर्षों से लेकर आज तक। सच ही कहा गया है हथेली पर दही नहीं जमती।”

“जब मेरा घर बन रहा था तब मैंने काफी धर्य रखा था क्योंकि मुझे पता है हथेली पर दही नहीं जमती।”

उत्पत्ति (Origin)

इस वाक्यांश के मूल का पहला उदाहरण फ्रांसीसी कविता का 1190 संग्रह था, जिसका शीर्षक ‘ली प्रोवेर्बे औ विलेन’ था। निम्नलिखित वाक्यांश कविताओं में दिखाई दिए – रोम ने फू [ट] पस फेइट टाउट एन यूएन जोर’; जिसका अर्थ इस कहावत ‘हथेली पर दही नहीं जमती’ के करीब करीब एक सामान ही है।

कहावत की पहली अंग्रेजी अभिव्यक्ति 1545 में लैटिन अनुवाद में रिचर्ड ट्रैवरनर द्वारा पाई गई थी।

कहावत का विस्तार ( Expansion of idea)

“हथेली पर दही नहीं जमती” यह कहावत कहती है कि बड़ी चीजें और उपलब्धियां समय लेती हैं और इसमें कभी हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए। इटली की राजधानी, रोम शहर, जो अपने खूबसूरत बनावट के लिए मशहूर है। रोम की स्थापना सदियों पहले 753 बीसी में हुई थी।

दुनिया के सांस्कृतिक और कलात्मक केंद्र के रूप में रोम का निर्माण करने के लिए पोप्स द्वारा लगातार प्रयास करने में लगभग चार सौ साल लगे। कई कलाकारों, चित्रकारों और वास्तुकारों ने रोम के निर्माण में वर्षों बिताए और इसे अपना वर्तमान आकार और सौंदर्य दिया।

तमाम बगीचों, इमारतों, आदि के साथ रोम शहर आज की तारीख में काफ़ी ज्यादा खूबसूरत लगता है। यह दृढ़ता, श्रम और परिश्रम का प्रतीक बन गया है। इसलिए, यह कहावत हमेशा चर्चा में रहती है कि अच्छे परिणाम दिखने में समय लगता है क्योंकि रोम लगभग 400-500 वर्षों में बनाया गया था।

महत्त्व (Importance)

यह कहावत “हथेली पर दही नहीं जमती” हमें सिखाती है कि अपने लक्ष्य की तरफ धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिये। सफलता की तरफ बढ़ते हुए न तो हमें हड़बड़ी करनी चाहिये और न ही दिखानी चाहिए, बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए धैर्यपूर्वक आगे बढ़ना चाहिए।

अच्छी चीजें, अच्छे परिणाम सामने आने में समय लेते हैं। इस सब के लिए हर किसी को धैर्य और प्रयास की आवश्यकता होती है। यह कहावत हर किसी के लिए एक सीख है। छात्रों के लिए, यानी कि उन्हें नियमित रूप से पढ़ना चाहिए क्योंकि परीक्षा से ठीक पहले वाली पढ़ाई कभी बेहतर परिणाम नहीं देती है। उन्हें अनुशासित तरीके से लगातार अध्ययन करना चाहिए।

पेशेवरों को यह सिखाता है कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता है और उन्हें अपने काम को कड़ी मेहनत और धैर्य के साथ आगे ले जाना होता है। अगर वो ऐसा करते हैं, उनका यह प्रयास निश्चित रूप से उन्हें सही समय पर सफलता दिलाता है – ठीक उसी तरह जैसे कई सौ वर्षों की मेहनत के बाद रोम, विश्व का सबसे खूबसूरत शहर बनकर उभरा।

“हथेली पर दही नहीं जमती” पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Rome was not Built in a Day’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप “हथेली पर दही नहीं जमती” कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार एक गाँव में दो भाई रहते थे। उनका नाम राम और श्याम था। राम काफी मेहनती थी और धैर्यवान भी जबकि श्याम बुद्धिमान तो था मगर बेसब्र भी था। बुद्धिमान होने की वजह से श्याम अक्सर ही अपने माता-पिता और रिश्तेदारों से सराहा जाता था। वहीं दूसरी तरह राम को लोग मेहनती कहते थे मगर बुद्धिमान नहीं।

एक दिन, शिक्षक ने यह ऐलान किया की अगले चार महीनों बाद उनकी सालाना परीक्षा होगी। परीक्षाएं काफी ज्यादा महत्वपुर्ण थी क्योंकि इसके नंबर बोर्ड की परीक्षा में जोड़े जायेंगे। श्याम जो हमेशा आत्मविश्वास से भरा रहता था इस बार वो अत्याधिक आत्मविश्वास में था; जो कभी भी अच्छा नहीं होता है। राम, धैर्यपूर्वक, अपनी पढ़ाई के लिए योजना बनाने लगा। रोजाना के आधार पर उसने विषयों को अनुसूचित करना शुरू कर दिया और यह तय किया कि अपने पढाई के इस कार्यक्रम से वो जरा भी डिगेगा नहीं। उसने कड़ी मेहनत के साथ अगले चार महीनों तक पढ़ाई की। जबकि दूसरी तरफ श्याम जो काफी ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ था उसने परीक्षा से कुछ दिनों पहले पढाई शुरू की।

जब परीक्षाएं नजदीक आयीं, राम आत्मविश्वास में दिख रहा था जबकि श्याम चिंतित नजर आ रहा था। दिन बीत गए और परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया। हर कोई हैरान था, राम परीक्षा में प्रथम स्थान पर था जबकि श्याम आखरी के 10 छात्रों में। जब शिक्षक ने राम की सफलता का राज पुछा तो उसने बताया कि महीनों तक दृढ़ता और नियमित अध्ययन ही इसका रहस्य था। शिक्षक ने मुस्कुराते हुए कक्षा से कहा – निश्चित रूप से, हथेली पर दही नहीं जमती।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक बार दो व्यापारी जो की भाई भी थे उन्होंने फैसला लिया कि वे खुद के लिए अलग अलग घर बनवायेंगे। उन्होंने शहर के सबसे बेहतरीन ठेकेदार से संपर्क किया और उससे दो खूबसूरत बंगला जिसमे पार्क, स्विमिंग पूल, और बाकी सभी चीजें हो जो-जो वो सोच सकता हैं और पैसे की कोई समस्या नहीं है। बड़े व्यापारी भाई ने ठेकेदार को कहा कि उसे यह घर केवल दो माह में तैयार चाहिए। केवल दो महीने, ठेकेदार आश्चर्य से चीख उठा; क्या आपको नहीं पता हथेली पर दही नहीं जमती? मगर व्यवसाई दो महीने में ही घर पूरा करने के लिए अडिग था।

छोटे भाई ने ठेकेदार से कहा कि वह जितना चाहे समय ले ले मगर उसका घर इतना खूबसूरत बनना चाहिये कि इसकी चर्चा पूरे शहर में हो। बड़ा भाई ठेकेदार पर पहले दिन से ही दबाव बनाने लगा था। काफी दबाव के बाद ठेकेदार ने आखिरकार तीन माह में घर तैयार कर दिया। वह घर या बंगला खूबसूरती से काफी दूर ऐसा लग रहा था कि काफी हड़बड़ी में बनाया गया है। जो नतीजा निकलकर सामने आया बड़ा भाई उससे खुश नहीं था मगर पैसे तो उसे ठेकेदार को देने ही थे क्योंकि उसने इसके लिए पहले ही चेतावनी दे दी थी।

जबकि दूसरी तरफ, छोटे भाई का घर तीन साल में बनकर तैयार हुआ! लेकिन जब तैयार हुआ तो, यह एक देखने लायक दृश्य था। ना सिर्फ इस शहर में बल्कि आसपास के शहरों में भी उसके जैसा कोई भी खूबसूरत घर नहीं था। छोटा भाई काफी खुश हुआ और उसने ठेकेदार को अधिक पैसे दे कर उसका धन्यवाद किया।

बड़े भाई ने तब ठेकेदार से बहस की कि आखिर उसने उसका घर भी उसके भाई जैसा खूबसूरत क्यों नहीं बनाया? ठेकेदार ने जवाब दिया – आप अपना घर केवल दो महीनों में बनवाना चाहते थे जबकि दूसरा घर बनाने में पूरे तीन साल लगे हैं। खैर, आपको पता होना चाहिए कि हथेली पर दही नहीं जमती है! ठेकेदार यह बोलकर वहां से चला गया और वह व्यवसायी आश्चर्यचकित हो उसे देखता रह गया।

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