हँसना सबसे अच्छी दवा है – अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

‘हँसना सबसे अच्छी दवा है’ इस कहावत का मतलब है कि हँसी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हंसी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है और मस्तिष्क तथा महत्वपूर्ण अंगों को रक्त के प्रवाह में सुधार करती है, जिससे शारीरिक और साथ ही मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। हंसना एक त्वरित अवसादरोधी है और आपको अपने बारे में और अपने आसपास के लोगों के बारे में अच्छा महसूस कराता है। एक अच्छी हंसी आपको तत्काल खुशी देती है और बेहतर महसूस कराती है, जैसे इससे बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता।

उदाहरण (Example)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘हँसना सबसे अच्छी दवा है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ।

“एक डॉक्टर व्यक्ति से कहता है – तुम अच्छे हो जाओगे, चिंता की कोई बात नहीं है। सिर्फ खुश रहने की आदत डालो और खुशहाल लोगों के साथ रहने की कोशिश करो। आखिरकार, हँसना सबसे अच्छी दवा है।”

पुराने मित्रों के साथ कुछ वक़्त बिताने के बाद, प्रकाश अपनी सारी चिंतायें भूल गया और उसे एहसास हुआ कि वास्तव में हँसना सबसे अच्छी दवा है।”

“क्या आपने कभी लोगों को सुबह सुबह पार्क में इक्कठा होकर ह्रदय से हँसते हुए देखा है, हाथ को हवा में उठा कर हिलाते हुए? वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि हँसना ही सबसे अच्छी दवा है।”

मेरा स्कूल नियमित तौर पर बच्चों के लिए फनी मैजिक शो करता रहता है, क्योंकि प्रबंधन को लगता है हँसना ही सबसे अच्छी दवा है।”

“रोनिल काफी तनाव में था और कोई भी दवा उस पर असर नहीं कर रही थी। डॉक्टर ने रोनिल से अपने कुछ सबसे मजाकिया दोस्तों को मिलवाया। महीने भर के भीतर रोनिल में सुधार दिखने लगा। वास्तव में, हँसना ही सबसे बड़ी दवा है।”

उत्पत्ति (Origin)

इस पंक्ति के मूल का श्रेय अभी तक सही-सही किसी को नही दिया जा सका है क्योंकि यह कई स्रोतों से मिलता है। 1300 में, हेनरी डी मोंडेविले, सर्जरी के एक प्रोफेसर ने बीमारियों के इलाज में हास्य के फायदे का पता लगाया। उन्होंने पोस्ट-ऑपरेटिव उपचारों के लिए दवा के रूप में हास्य का प्रयोग करना शुरू कर दिया।

नॉर्मन कजिन्स नाम के एक और प्रोफेसर और पत्रकार ने भी हँसी से मूड-एलीवेटिंग तकनीकों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। कजिन्स के प्रयोगों से पता चलता है कि सिर्फ दस मिनट की हँसी कुछ घंटों तक विश्राम के लिए पर्याप्त है।

कुछ लोगों ने इस कहावत की उत्पत्ति का श्रेय ओल्ड टेस्टामेंट को दिया है, जिसमें लिखा है कि “एक हंसमुख दिल दवा की तरह है।” बाद में इस कहावत को एक मासिक पत्रिका रीडर्स डाइजेस्ट द्वारा भी लोकप्रिय किया गया जिसने नियमित रूप से एक ही नाम के साथ एक हास्य लेख मुद्रित किया।

आज, यह कहावत वैश्विक संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गई है और इसका उपयोग बातचीत के साथ-साथ अभ्यास में भी किया जाता है।

कहावत का विस्तार ( Expansion of idea)

यह कहावत “हँसना ही सबसे बड़ी दवा है” कहती है कि हंसी वो सबसे बेहतर तरीका है जिसकी मदद से तमाम तरह की बीमारी, तनाव, उदासी, आदि का निवारण किया जा सकता है। इस कहावत में दवा का अर्थ है ठीक करने की क्षमता जैसे पारंपरिक दवाओं को किसी विशिष्ट इलाज या बीमारी में लिया जाता है। एक विशिष्ट बीमारी का इलाज करने वाली दवाओं के विपरीत; दूसरी ओर हँसी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उपचार के लिए उपयोगी है।

यह साबित हो गया है कि दर्द कम करने और तनाव तथा निराशा से उबरने में हंसी काफी असरदार है। जबकि पारंपरिक दवाओं के कई नुकसान भी होते हैं; हंसी एक ऐसी दवा है जिसमे आपको सिर्फ जीतने जैसा अहसास होता है और इसके कोई दुष्परिणाम भी नहीं हैं।

वही दूसरी तरफ आप हंसी को पारंपरिक दवाओं के इस्तेमाल के साथ साथ अतिरिक्त दवा के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

महत्त्व (Importance)

“हँसना ही सबसे बड़ी दवा है” यह कहावत न सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है बल्कि एक बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी है। ये हमें प्रोत्साहित करती है कि हम एक खुशहाल जिंदगी चुनें और हमेशा खुशमिजाज लोगों के संगत में रहें।

कई चिकित्सा पेशेवरों ने सोचा है कि हँसी की अवधारणा उनकी कार्य संस्कृति में सबसे अच्छी दवा है। आज, कई डॉक्टर अपने मरीजों को ऐसी गतिविधियों में समय बिताने की सलाह देते हैं जो उन्हें हँसाती हैं या कम से कम अपने दोस्तों के साथ हास्य के पल बिताए।

“हँसना ही सबसे बड़ी दवा है” पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Laughter is the Best Medicine’)

किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप “हँसना ही सबसे बड़ी दवा है” कहावत का बेहतर मतलब समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार की बात है, एक टापू पर बहुत ही अमिर व्यक्ति रहता था। उस टापू पर उसे हर कोई जनता था क्योंकि वो बहुत ही अनुशासित और दयालु भी था। उसकी एक बेटी थी जिसका नाम कीया था और उसकी पत्नी कुछ वक़्त पहले ही स्वास्थ्य कारणों से गुजर गयी थी। कीया अभी केवल 12 वर्ष की थी मगर वो बाकी बच्चों से काफी अलग थी। लम्बे समय से उसे स्वास्थ्य समस्या थी और उसके इलाज की कोई दवा अभी तक बनी नहीं थी। इसकी वजह से अब वो काफी तनाव में रहने लगी थी। वो सोचती थी कि उसकी पूरी जिंदगी इसी तरह बीमारी में ही बीतेगी।

उसका अमीर पिता हर तरह का इलाज करवाया, मगर सब कुछ व्यर्थ हो जाता था। यहाँ तक कि वो उसके लिए तोहफे भी लाता था, उसे बाहर रेस्त्रा, पार्क, आदि सभी जगह ले जाता था कि शायद इससे उसे अच्छा महसूस हो।

उस अमीर बिजनेसमैन का एक दोस्त था जो कि डॉक्टर था, जो अन्य डॉक्टरों की अपेक्षा थोड़ी अलग सोच रखता था। एक बार बातचीत के दौरान, उस डॉक्टर ने बिजनेसमैन को बताया, उसे नहीं लगता की कीया को किसी तरह की बीमारी या ऐसा कुछ है भी।

ऐसा सुनकर बिजनेसमैन को काफी ख़ुशी हुई मगर साथ में आश्चर्य भी। उसने अपने डॉक्टर दोस्त से पुछा, क्या मतलब है तुम्हारा? डॉक्टर बोला – आओ कुछ नया कोशिश करते हैं। अगर ये काम कर गया तो समझ जाओगे कि मैं क्या कह रहा था। बिजनेसमैन के पास कोई विकल्प नहीं था सो वो तैयार हो गया।

अगले दिन डॉक्टर ने लड़की के लिए एक सहायक को भेजा। वो बाकि बोरिंग से सहायक की तरह नहीं था, उसकी भावनाओं में कुछ मजाकिया लहजा था, जिस तरीके से वो बोलता था, चलता था, और बाकी चीजें करता था। वो एक जबरदस्त मसखरे करने वाला इन्सान भी था।

कुछ ही दिनों में चीजें काफी अच्छी होने लगी थीं। एक रोज जब बिजनेसमैन अपने ऑफिस से लौटा तो उसे घर में से अपनी बच्ची की हंसने की आवाज सुनाई दी। उसे लगा उसके घर कोई मेहमान आया हुआ है क्योंकि उसे तो ये भी याद नहीं था कि उसकी बेटी आखिरी बार कब हंसी थी। लेकिन जैसे ही वो कमरे के अन्दर आता है वो एकदम से हैरान रह जाता है यह देखकर कि उसकी बच्ची उस सहायक के साथ ठहाके लगा रही थी। उसने झट से अपनी बच्ची को अपनी बाहों में भर लिया और उस डॉक्टर को धन्यवाद बोला। तब डॉक्टर ने उससे बोला अब तुम समझ गए होगे की मैंने उस दिन क्या बोला था – ‘हँसना ही सबसे बड़ी दवा है।’

लघु कथा 2 (Short Story 2)

भारत के एक गाँव में श्री नाम का एक लड़का रहता था। वो बहुत ही खुशमिजाज और मजाकिया किस्म का लड़का था, लेकिन उसके अलावा परिवार में सभी काफी गंभीर थे। अपने परिवार में केवल श्री ही हँसता था और ये बात हर कोई जनता था, यहाँ तक कि पूरा गाँव। उसे चुटकले सुनाना, मजाकिया कहानियां सुनाना और इस तरह की चीजें करना काफी पसंद था।

श्री के एक चाचा थे जो उसके परिवार में रहते थे। उनका नाम प्रमोद था। कुछ वर्ष पहले उन्हें उनके कारोबार में भारी नुक्सान हुआ था जिसकी वजह से वो अब काफी उदास रहते थे। नुक्सान की यादें अभी भी उनके साथ थी और वो ज्यादातर समय बीमार ही रहते थे। कोई गंभीर बीमारी या समस्या नहीं थी मगर वो बीमार ही पड़े हुए थे, किस तरह की दवा आदि भी नहीं लेते थे। उन्हें सोने में भी तकलीफ होती थी, वो ठीक से सो तक नहीं पाते थे।

श्री, अपने चाचा को काफी प्यार करता था और उनके लगातार गिरते स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहता था। वो उनकी मदद करना चाहता था। उसने एक योजना बनायीं और एक सबसे ज्यादा मजाकिया डायलॉग्स वाली कहानी बना दी। यहाँ तक कि उसने अपने कहानी में किरदार के अनुसार मास्क आदि भी बना लिए थे।

एक रात जब उसके चाचा सोने के लिए संघर्ष कर रहे थे, श्री ने उससे गुजारिश की बस उसका नाटक एक दफा देख लें। नाटक के आधे घंटे बाद प्रमोद दिल से खिलखिला उठे। अंततः सभी की हैरानी का ठिकाना तब नहीं रहा जब सबने देखा कि हंसने के मात्र 5-6 मिनट बाद ही वो सा गए।

वो आदमी, जिसे तमाम दवाएं तक नहीं सुला पाई, आखिरकार उस बच्चे ने उन्हें सुला दिया। यह केवल इसलिए हो पाया क्योंकि वो हँसे, श्री को धन्यवाद। उस दिन परिवार में सभी ने समझ लिया कि ‘हँसना ही सबसे बड़ी दवा है’ और उसके बाद से सभी ने हंसने की आदत डाल ली।

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