जानें! बचपन का मनोविज्ञान वयस्कता/भविष्य को कैसे प्रभावित करता है (Know! How Does Childhood Psychology Affect Adulthood and Future)

बचपन का मनोविज्ञान वयस्कता को कैसे प्रभावित करता है

किसी भी माँ-बाप के लिए उनका बच्चा ही सबकुछ होता है, वे उसे अच्छी शिक्षा, बेहतर खाना और बहुत सारी जरूरत की चीजें प्रदान करने की हर संभव कोशिश करते हैं; मगर इन सब बातों से अनजान कुछ बच्चे खुद में कुछ गलत आदतें इजाद कर लेते हैं और माता-पिता ऐसा होने की वजह का पता नही लगा पाते।

बच्चे स्कूल में तरह तरह के दबाव को झेलते है ज्यादातर माता-पिता इस बात को समझ नहीं पाते हैं। एक तरफ, उन्हें अच्छे नंबर लाने होते हैं जबकि दूसरी तरफ उन्हें दोस्तों का ग्रुप भी बनाना है। स्कूल में उन्हें कई तरह की परेशानियों को झेलना पड़ता है और अगर ये पूरी तरह से सुलझ नहीं पाती तो इसका उन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।

बचपन का आघात और इसके प्रकार क्या हैं? (What is Childhood Trauma and its Types)

बचपन में मनोवैज्ञानिक आघात या शारीरिक कष्ट एक प्रकार का मानसिक दबाव होता है जो जीवन के किसी भी चरण में कोई भी महसूस कर सकता है, जो सीधा हमारे दिमाग पर असर करता है। बच्चों के लिए, किसी घटना को भूल पाना या विचारों तथा भावनाओं पर काबू पाना काफी मुश्किल होता है। इसे लेकर वे कुछ गंभीर बीमारी बना लेते हैं जो सारी उम्र उनके साथ रहती है।

  • तीव्र आघात: यह व्यक्ति पर बहुत कम प्रभाव वाला पहले प्रकार का आघात है और यह मुख्य रूप से अवसाद, निराशा के कारण उत्पन्न होता है और यह केवल किसी एक ही घटना के कारण देखा जाता है।
  • पुराना आघात: कोई भी बात जो बार बार दोहराई जाए और उसके दिमाग को काफी ज्यादा प्रभावित करे उसे पुराना आघात कहा जाता है। यह किसी तरह का घरेलू हिंसा भी हो सकता है।
  • जटिल आघात: आखिरी और सबसे जटिल आघात जिसमे कोई व्यक्ति एक ही वक़्त में कई तरह की समस्यायों को झेलता है। उदाहरण के तौर पर, वे घेरेलू हिंसा का शिकार भी हो सकता है साथ में स्कूल में किसी तरह का दबाव या फिर उसी दौरान दोस्तों, आदि के साथ कुछ ऐसी बातें।

तरहतरह के आघात जो आमतौर पर बच्चे झेलते हैं (Different Types of Trauma that Children Generally Face)

एक बच्चा जो नाजुक दिमाग और कोमल ह्रदय वाला हो वह मनोवैज्ञानिक आघात को झेलने मे असमर्थ होता है जिससे उसका मानसिक दबाव बढ़ता है। वे तरह तरह के दबाव को झेलते हैं जैसे –

  • धमकाना: बच्चे या तो मौखिक या फिर शारीरिक किसी भी प्रकार की धमकी का सामना करते हैं। आमतौर पर, अक्सर ही देखा गया है कि कुछ बुरे बच्चे बिना किसी वजह खुद को श्रेष्ठ दिखाने या अपनी शक्ति प्रदर्शित करने के लिए ऐसा कार्य करते हैं।
  • शारीरिक शोषण: जब माता-पिता या जो भी बच्चे की देखभाल कर रहा होता है और वो उसकी प्राथमिक जरूरतों को पूरी नहीं कर पाता है, तब यह एक तरह का शारीरिक शोषण कहा जा सकता है। हम सभी के पास शिक्षा, भोजन, दवा, आदी का अधिकार है और एक बच्चे को इन सभी चीजों से दूर रखा जायेगा तो यह शारीरिक शोषण ही तो है। प्राथमिक जरूरतों के अलावा जब एक बच्चे को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है, जैसे कि उसे पीटना, काम करने के लिए दबाव बनाना, आदि जो उसके शरीर पर तमाम तरह के निशान छोड़ जाते हैं; ये सब शारीरिक शोषण के अंतर्गत ही आते हैं।
  • सामुदायिक हिंसा: एक तरह की हिंसा जो बच्चों या लोगों के समूह पर बेतरतीब ढंग से हमला करती है जैसे गैंगस्टर या उपद्रवी, इसे सामुदायिक हिंसा कहा जाता है। कभी कभी वे बच्चे के जान-पहचान वाले होते हैं या फिर ऐसा समूह जिसके पास हथियार जैसे चाकू, बन्दूक, आदि होते हैं। ये सभी चीजें बच्चे के दिमाग पर काफी असर करती हैं।
  • बचपन का आघात: एक तरह का आघात जिसमे बच्चे के नजदीकियों का कुछ भी नुकसान हो सकता है, वो भी कम उम्र में ही या फिर जब वो किसी तरह की प्राकृतिक आपदा का सामना करते हैं, वो बच्चे के मानसिक पटल पर काफी प्रभाव डाल सकती है और इसे ही बचपन का आघात कहा जाता है।
  • चिकित्सा आघात: किसी भी तरह का शारीरिक उपचार या इलाज जैसे लकवा, शारीरिक अपूर्णता या किसी भी चिकित्सा से बच्चे का जीवन बदल सकता है। कुछ असहनीय चिकित्सा वाकई में उनकी दुनिया और सोच को पूरी तरह से बदल देते हैं।
  • यौन शोषण: यह एक बहुत ही सामान्य और अप्रत्याशित है क्योंकि आप कभी यह नहीं जान सकते हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार हो सकता है। आजकल बच्चे स्कूल में भी सुरिक्षित नहीं हैं और दिन प्रति दिन हम तमाम बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं को देख रहे हैं। यह क्रिया बच्चे के दिमाग और उसके पूरे बचपन को बुरी तरह से प्रभावित करती है।

बचपन का आघात आपके वयस्कता को कैसे प्रभावित करता है/जब बचपन के आघात का समाधान नही हो पाता तब वयस्कता में क्या होता है?

सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं और कभी-कभी कोई भी बात बता पाना उनके लिए काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन कुछ लक्षण और हरकतों को पहचानते हुए आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि कुछ तो गड़बड़ है।

  • भावनात्मक रूप से कमजोर

यह आपको भावनात्मक रूप से कमजोर बना देता है और यह आपके भविष्य के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है। एक भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति को आसानी से भावनाओं में बहलाकर बेवकूफ बनाया जा सकता है। आपकी भावनाएँ आपके कई कामों में बाधा उत्पन्न करेंगी और आपको कोई भी निर्णय लेने में हमेशा कठिनाई महसूस होगी। आजकल हम अपने कई दोस्तों को देखते हैं जो आसानी से भावनात्मक रूप से बेवकूफ बन जाया करते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि वो भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं। वे इतने मजबूत नहीं होते कि अपने आसपास के बदलाव को संभाल सकें।

  • स्वास्थ पर असर

यह उनके स्वास्थ्य पर काफी असर डालता है और जैसा कि हम सभी जानते हैं स्वास्थ हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण रोल अदा करता है और साथ ही आत्मविश्वास बनाने में सबसे महत्वपूर्ण किरदार निभाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति वो होता है जो सामाजिक, मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट रहता है। अगर इन तीनों में से कोई एक भी प्रभावित होता है तो इसका असर हमारे शारीरिक स्वास्थ पर साफ़ दिखता है। और जहाँ तक हम जानते हैं हमारी शारीरिक उपस्थिति हममे आत्मविश्वास भरती है और हमारे विकास में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाती है।

  • आत्मविश्वास की कमी

आघात हमारे आत्मविश्वास को प्रभावित करता है क्योंकि जब एक बच्चा स्कूल में धमकाया जाता है, ये स्वतः ही उसके दिमाग को प्रभावित करता है, जो उसके प्रदर्शन में अवरोध बनता है। आपने कुछ बच्चों को देखा होगा जो सबकुछ जानते हैं मगर जब टीचर उनसे पूछते हैं, तो वो बता नहीं पाते। ये सब सिर्फ उनकी कम आत्मविश्वास की वजह से होता है। ये सिर्फ आपके बचपन के दिनों में ही नहीं होता है बल्कि ये बड़े होने पर भी चलता रहता है।

  • लोगों को अलग-थलग कर देता है

उनके पास नए लोगों या समाज का सामना करने की हिम्मत नही होती। जब एक व्यक्ति लोगों से नहीं मिलता है, ये स्वतः ही उसके विकास को प्रभावित करती है और वो अपने सम्पूर्ण जीवन में इसे लेकर झेलता है। असल में यहाँ पर कई ऐसे लोग होते हैं जिनके पास बहुत ही शानदार ज्ञान होता है जो खुद को हमेशा दूसरों से अलग-थलग किये रहते हैं। मगर अंतर ये होता ही कि वो कभी किसी तरह के आघात से नही गुजरे होते हैं। डर की वजह से और कट के रहने के आदत की वजह से अलग रहना ये दोनों अलग होता है। ये एंथ्रोपोफोबिया विकसित करता है और किसी भी तरह का फोबिया हमारे लिए कभी अच्छा नहीं होता है।

  • आतंरिक शांति की कमी

ये उनकी मानसिक शांति को प्रभावित करता है और मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति कभी अपने जीवन में तरक्की नहीं कर सकता। मानसिक शांति आपको केन्द्रित करने में तथा नई नई चीजों को सीखने में मदद करती है और कुछ नया और अलग तभी कर सकते हैं जब आप मानसिक रूप से मजबूत रहते हैं। बच्चों के लिए ऐसा करना मुश्किल होता है, और अगर सही से उनसे बर्ताव नहीं किया गया तो ये उन्हें आपराधिक गतिविधियों की तरफ ले जाता है।

  • हीनता का भाव

वे हीनतामहसूस करते हैं फिर चाहे वो उनके रंग-रूप की वजह से हो, या उनके स्वास्थ्य या फिर पढ़ाई की वजह से। हीनभावना उसे प्रभावित करता है और वे हीनतामहसूस करने लगते हैं और जैसे जैसे वे बड़े होते हैं हीनभावना भी बढ़ता जाता है और वाकई में यह जीवन को प्रभावित करता है। जितना हो सके इससे बाहर निकलिए क्योंकि ये आपके भविष्य को खतरे में डाल सकता है। इसलिए, हमेशा अपने बच्चे से बात करें और उसे खुद के साथ सुरक्षित महसूस कराएँ।

  • आक्रामक व्यवहार

माता-पिता होने के नाते हमें अपने बच्चे के व्यवहार के बारे में पता होता है और ये भी कि वो क्या कर सकता/सकती है। आपको पता होता है कि आपका बच्चा क्यों कभी-कभी आक्रामक हो जाता है। आमतौर पर, जब बच्चों को कुछ चाहिए होता है और वो उन्हें नहीं मिलता है तब वो आक्रामक हो जाते हैं। लेकिन जब आपको इस तरह के लक्षण बिना ऐसे किसी बात के दिखती है तब आपको उन पर नजर रखनी चाहिए। आप उनसे बात भी कर सकते हैं और ऐसा करने के पीछे क्या वजह है उसके बारे में जान भी सकते हैं क्योंकि बच्चे ऐसा किसी तरह के आघात की वजह से भी करते हैं।

  • सोने की आदत में बदलाव लायें

जब आपके दिमाग में कई सारी उलझनें होती हैं तो किसी के लिए भी सोना मुश्किल हो जाता है और उसी तरह से आप उनके सोने की आदतों में भी बदलाव देखते हैं। जब आप इस तरह के बदलाव देखते हैं, आपको इस पर कार्यवाही करनी चाहिए और इसके पीछे की वजह जाननी चाहिये।

  • खाने की आदतों में बदलाव

जब कोई खुश नही होता है, तो उसका जीवन सामान्य तरह से नहीं चलता है और अजीबोगरीब तरह के बर्ताव देखने को मिलते हैं जैसे खाने में, या बाकी अन्य चीजों में। जब बच्चे अपनी खाने की आदतों में बदलाव करते हैं ये आपको तुरंत ही सचेत करता है और तब इससे पहले की देर हो जाए आप इसका कारण जानने की कोशिश कीजिये।

  • मानसिक रूप से अनुपस्थित

बच्चों के अन्दर एक ही समय में कई सारी चीजों से निपटने की क्षमता नहीं होती। वे उदास हो जाते हैं और बहुत सी चीजें उन्हें चिड़चिड़ा बना देती है। शारीरिक रूप से तो वे आपके साथ होते हैं मगर मानसिक रूप से नहीं। आपने देखा होगा कि कभी-कभी टीचर आपसे शिकायत करते होंगे कि आपका बच्चा मानसिक रूप से क्लास में मौजूद नहीं रहता है। आघात इसकी एक वजह हो सकता है।

  • सामाजिक दूरी

कभी कभी बच्चे खुद को समाज से दूर कर लेते हैं और अपने कमरे तक ही खुद को सिमित कर लेते हैं, और अगर आपने ऐसा देखा है तो यही वो समय है कि अपने बच्चे से बात कीजिये और इसके पीछे की सही वजह को जानिए।

ऊपर बताये गए सभी लक्षणों के अलावा, यहाँ पर और भी कई बाते है, आपका बच्चा एक अंतर्मुखी हो सकता है और एक अंतर्मुखी बच्चा हमेशा खुद को दूर रखता है। इसलिए सबसे पहले, अपने बच्चे को जानें और फिर इन लक्षणों का विश्लेषण करें। यहाँ पर कई अन्य लक्षण भी है जैसे उदासी, अलग तरह का बर्ताव, निराश महसूस करना, ध्यान नहीं लगा पाना, अचानक से पढ़ाई में ख़राब नंबर लाना, सर दर्द, पेट दर्द, स्कूल जाने से मना करना आदि।

  • गंभीर मानसिक और व्यक्तित्व विकार

अगर बचपन का आघात सही नही होता है, तो इसकी वजह से गंभीर मानसिक बीमारी हो सकती है। कभी कभी उच्च रक्तचाप की वजह से उनके अन्दर कुछ बुरी आदतें आ जाती हैं।

सेरोटोनिन की कमी की वजह से उनके अन्दर आत्महत्या का भाव भी आने लगता है। उनके लिए जीवन अर्थहीन लगने लगता है और कभी कभी लोग उन्हें पागल भी कहने लगते हैं।

किसी भी तरह की मानसिक बीमारी व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव डालती है। इसकी वजह से उनकी प्रगति पर प्रभाव पड़ता है, उनका प्रदर्शन प्रभावित होता है और जब कोई बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाता वह स्वतः ही अकेला और हीन भावना से ग्रस्त होने लगता है।

वयस्कता में बचपन के आघात का इलाज कैसे करें? (How to Treat Childhood Trauma in Adulthood)

  • न्यूरो थेरेपी

यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे डॉक्टर आपके दिमाग में कुछ बिजली की किरणें छोड़ता है और ये किरणें आपके दिमाग के क्रिया कलाप का विश्लेषण करता है। ये मानसिक अस्थिरता का इलाज करने में काफी सहायक होता है। ये किरणें काफी हल्की होती हैं और ये स्क्रीन पर दिखाती भी है ठीक वैसे जैसे डॉक्टर कोई विडियो गेम खेल रहा हो।

  • उचित आहार

उचित आहार वाकई में आपके अन्दर बदलाव ला सकता है क्योंकि यहाँ पर कई ऐसे फल व सब्जियां मौजूद हैं जो हमें आघात से बाहर निकालने में काफी मददगार होती हैं। असल में जब हम तनाव में रहते हैं तो हमारे दिमाग से एक स्ट्रेस हारमोन निकलता है जैसे कोर्टिसोल, कैटेकोलामाइंस, आदि। और जब हम तनाव को कम करने वाला आहार खाते हैं तब ये हैप्पी हारमोंस का स्तर बराबर करने में मदद करता है और सकारात्मक विचार भरता है और आपको आघात से बाहर निकलने में मदद करता है। इसलिए हमेशा एक बेहतर डाइट चुनें।

  • खास दोस्त बनायें

साझा करना ही देखभाल है और जब आप अपनी समस्याओं को किसी के साथ साझा करते हैं, निश्चित तौर पर वो आपकी मदद करते हैं। आप अपनी खास चीजें किसी को नहीं देते, इसलिए यह बेहतर होगा कि कुछ खास दोस्त बनाया जाये और उनके साथ वो सभी चीजें साझा करों जो तुम्हे उकसाती है, कुछ करने से रोकती है। ये अपने आघात से बाहर आने का सबसे बेहतर तरीकों में से एक है।

  • अपने डॉक्टर से मिलें

कभी कभी यह आवश्यक हो जाता है कि आप अपने डॉक्टर से मिलें क्योंकि कुछ विचार हमारे रोजाना के जीवन को नरक बना रहे होते हैं और कभी कभी ये काफी खतरनाक भी होते हैं। इसलिए जब कभी आप तनाव में हो, किसी बात की चिंता हो या आपके शरीर में कोई बदलाव आ रहा हो, तो यह बेहतर होगा कि सही व्यक्ति से जाकर मिलें, जो आपको बेहतर तरह से समझ सके और ये कोई और नहीं बल्कि एक डॉक्टर ही हो सकता है। एक बात हमेशा ध्यान रखियेगा कि डॉक्टर से कभी कोई बात नहीं छिपानी चाहिए क्योंकि पूरी जानकारी होने की वजह से वो आपका बेहतर इलाज कर सकता है।

  • अपने आघात को याद करें

बच्चों का दिमाग काफी नाजुक होता है, और वो बहुत ही जल्दी प्रभावित हो जाता है, और एक छोटी सी घटना उनकी पूरी जिंदगी बदल सकती है। यह संभव है की आपका आघात उन वजह में से एक हो सकता है। इसलिए, उसे याद कीजिये और समझने की कोशिश कीजिये कि उस वक़्त कैसी परिस्थिति थी और क्या वही घटना आज भी आपको प्रभावित कर सकती है? जब आप इससे निपट लेंगे तो इसका परिणाम ये होगा की अब ये दुबारा आपको कभी परेशान नहीं करेगा।

  • ध्यान लगाने का प्रयास करें

जिस तरह से हवा सांस लेने में मददगार होती है, भोजन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है उसी तरह से ध्यान लगाना भी हमारे दिमाग और विचारों के लिए आवश्यक है। ध्यान लगाने की पूरी प्रक्रिया में तीन चरण होते हैं और इसमें तक़रीबन एक घंटे का समय लगता है। यकीन मानिये, ये हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और और आपको किसी भी तरह के आघात से बाहर निकलने में मदद करता है। मगर आजकल के नवयुवक एक घंटे तक भी लगातार बैठना पसंद नहीं करते। इसलिए, बेहतर परिणामों के लिए ध्यान लगाने का प्रयास करें।

  • सकारात्मक वातावरण में रहें

बचपन का आघात हमें चयनात्मक बना देता है क्योंकि हमारे लिए किसी पर भी भरोसा कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन कोशिश कीजिये कि आपके आसपास सकारात्मक लोग मौजूद रहें, क्योंकि नकारात्मक लोग हमेशा आपकी हिम्मत तोड़ते रहते हैं और ये चीजें आपको उदास बनाती है। उनके साथ रहिये जो आपको प्रेरित करते हैं और जो हमेशा सकारात्मक उर्जा से भरे रहते हैं।

वयस्कता में बुरे प्रभावों से बचने के लिए बचपन के आघात को कैसे दूर करें / वयस्कता को सुरक्षित बनाने के लिए (How to Overcome Trauma in Childhood to Avoid Bad Effects in Adulthood/to Make Adulthood Safe)

  • उन्हें घर पर प्रशिक्षित करें

यह बहुत आवश्यक है कि आप अपने बच्चे को अलग-अलग तरह के चीजें जैसे ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में घर पर ही सिखाएं और समझाएं। इससे वो खुद को सुरक्षित रख पाएंगे और वे खुद को यौन शोषण से भी बचा पाएंगे। इस तरह की बातें सिखाने के लिए कई तरह की चीजें इन्टरनेट पर मौजूद हैं, जिससे आप अपने बच्चे और अपने दुसरे चहेतों को इसके बारे में सिखा सकते हैं।

  • उनके सबसे अच्छे दोस्त बनें

हम सभी कभी ना कभी बच्चे रहे हैं और हम ये समझ सकते हैं कि एक खास उम्र में हमारा बच्चा क्या सोचता या समझता होगा। हम सभी को एक दोस्त की जरूरत होती है और माता-पिता से बढ़कर बच्चों का कोई सबसे खास दोस्त नहीं बन सकता क्योंकि दोस्तों के साथ अपने सीक्रेट साझा करने का हमेशा डर बना रहता हैं कि कहीं वो किसी से बता ना दे। इसलिए यह बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे के बेस्ट फ्रेंड बनें और उससे बोलें की वो आपके साथ हर एक चीज साझा करें क्योंकि आपके साथ उसकी हर बात सुरक्षित रहेगी।

हालाँकि कई बच्चे अपने माता-पिता से बातें सिर्फ इसलिए साझा नहीं करते है क्योंकि वो गुस्सा होंगे, इसलिए बजाय गुस्सा होने के उन्हें समझाइए कि क्या गलत है और क्या सही।

  • अपने बच्चे पर भरोसा करें

यह बहुत ही आवश्यक है कि आप अपने बच्चे पर भरोसा करें क्योंकि कभी-कभी वे नजरंदाज कर दिये जाते हैं जिसके बाद वो अपनी बातें साझा करना ही बंद कर देते हैं। इसलिए हमेशा अपने बच्चे की बात सुनें और उस पर यकीन करें क्योंकि वो आपसे बातें कहना ज्यादा सुरक्षित समझते है। आप उनसे कभी-कभी यह भी पूछ सकते हैं कि उनके दोस्त उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं और किन बातों पर चर्चा करते हैं। यह भी संभव है कि आपके बच्चे को बाकी बच्चे मिलकर भले ना धमकाते हों, मगर शायद आपका बच्चा ही किसी और को धमकाता हो। इसलिए हमेशा उन्हें सही और गलत का पाठ पढ़ाते रहिये।

  • उन्हें समझने की कोशिश कीजिये

कभी कभी हम किसी बात को बहुत ही मामूली सी बात समझ लेते हैं और यह महसूस करते हैं कि हमारा बच्चा छोटी सी बात के पीछे ही पड़ गया है। अपने विचार थोपने से पहले यह समझने की कोशिश किया कीजिये कि असल में वो कहना क्या चाह रहा है, और कैसे वो एक चीज उसे परेशान कर रही है। ये हमारे बच्चे की स्कूली शिक्षा और हमारी स्कूली शिक्षा के बीच का काफी बड़ा अंतर है, परिस्थिति, समय और स्कूल का माहौल सब कुछ काफी बदल गया है। इसलिए उन्हें समझे और अगर कुछ भी गलत लगता है तो तत्काल उसपर कार्यवाही करें नहीं तो आपका बच्चा हमेशा असुरक्षित महसूस करेगा।

  • उनके साथ समय बिताएं

अपने सीक्रेट्स कोई भी किसी को एक ही बार में नहीं बता देता है, अपने बच्चे का सबसे करीबी दोस्त बनने में समय लगता है और इसलिए हर दिन अपने बच्चे के साथ थोड़ा-थोड़ा वक़्त बिताना चाहिए। उनसे पूछें की उन्होंने आज स्कूल में क्या किया और कौन-कौन से टास्क में हिस्सा लिया। एक बार जब वो आपसे चीजें साझा करने लग जायेंगे तब वे, वो भी साझा करेंगे जो कुछ उनके साथ गलत होता है। इस तरह से आप अपने बच्चे की हर एक गतिविधि की जानकारी रख सकेंगे।

निष्कर्ष

बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और उनका दिल बहुत कोमल होता है और वे छोटी-छोटी घटनाओं से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए, घर में उन्हें हमेशा एक दोस्ताना माहौल दें और उनके साथ कुछ समय बिताने की कोशिश करें। उन्हें अपने दोस्तों को घर पर बुलाने के लिए कहें और इस तरह, आप उनकी बातचीत आसानी से सुन सकते हैं और आसानी से जान सकते हैं कि वे किस बारे में बात करते हैं। इससे आपको अपने बच्चे के स्वभाव को जानने में मदद मिलेगी।

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