ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण

हम ग्लोबल वार्मिंग, इसके कारण, प्रभाव, रोकने के उपाय और सुझावों पर बहुत से भाषण उपलब्ध करा रहे हैं। सभी ग्लोबल वार्मिंग भाषण विद्यार्थियों के लिए बहुत ही सरल और साधारण वाक्यों का प्रयोग करके लिखे गए हैं। आप इनमें से किसी भी भाषण को चुन सकते हैं:

ग्लोबल वार्मिंग पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on Global Warming in Hindi)

भाषण 1

मेरे आदरणीय अध्यापक और अध्यापिकाएं और मेरे प्यारे साथियों, सुबह की नमस्ते। मैं इस अवसर पर ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व में निरंतर बढ़ता हुआ पर्यावरणीय विषय है। इसके लिए कोई एक देश जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इस समस्या को बढ़ाने के लिए पूरे विश्व के देश जिम्मेदार हैं। असल में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से और हमारी कुछ दैनिक गतिविधियों के कारण, पृथ्वी के तापमान में एक वैश्विक वृद्धि हुई है।

हमारी बहुत सी गतिविधियाँ पृथ्वी को गरम करती हैं जो अंततः इसके तापमान में वृद्धि करती है। तापमान में अधिकता तब होती है जब ग्रीन हाउस गैसें (जैसे; कार्बन डाई ऑक्साइड, जल वाष्पीकरण, न्यूट्रीयस ऑक्साइड, मीथेन आदि) हमारे चारो ओर के प्रकाश और सूर्य की ऊष्मा के जाल को ग्रहण करती है। अंततः तापमान में वृद्धि इंसानों, पशुओं और पेड़-पौधों के जीवन को नुकसान पहुँचाती है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के बहुत से कारण है हालांकि, कुछ प्रारम्भिक और मुख्य कारकों में ग्रीन हाउस प्रभाव को माना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग

ग्रीन हाउस प्रभाव, ग्रीन हाउस गैसों, कार्बन डाई ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, मीथेन, नाईट्रस ऑक्साइड आदि गैसों के द्वारा उत्पन्न होता है। इस तरह की ग्रीन हाउस गैसें हमारी प्रतिदिन की गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती हैं और वातावरण में ये पृथ्वी के आवरण के रुप में उपस्थित हो जाती है जो फिर से सूर्य की गर्म किरणों को सोखती हैं और इस पृथ्वी को जलती हुई धरती बना देती हैं। अवशोषित ऊष्मा जीवमंडल के निचले घेरे में रहती है और तापमान के स्तर में वृद्धि करती है।

आंकड़ों के अनुसार, ये अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक पृथ्वी के तापमान में वृद्धि लगभग 4 डिग्री से 5 डिग्री सेल्सियस होगी। पिछली 5 शताब्दियों में, इसमें लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है जबकि, इसका आधा तापमान केवल 20वीं शताब्दी में बढ़ा है। इसलिए, ग्लोबल वार्मिंग अपनी चरम सीमा पर है और अपने बुरे प्रभावों से हमें निरन्तर सतर्क कर रही है।

ये संसार के लगभग सभी भागों को प्रभावित कर रही है और समुद्र के स्तर में वृद्धि, ग्लेश्यिर का पिघलना और भी बहुत से कारण जो तराई द्वीपों को घेरे हुये हैं। ये विशाल जंगलों को नष्ट करने के साथ ही शैवालों की हत्या और अम्लीय वर्षा का कारण बन रही है। अम्लीय वर्षा बहुत ही खतरनाक है जो अपने सम्पर्क में आने वाले सभी पदार्थों को नष्ट कर देती है।

ग्लोबल वार्मिंग प्राकृतिक आग का कारण होती है जो पूरे जंगलो को जला सकती है। पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि कृषि फसलों, जंगलों, जलीय जन्तुओं के जीवन और पृथ्वी पर जीवन वृद्धि को प्रभावित करती है। ये समस्या केवल एक देश के प्रयास के द्वारा नहीं सुलझायी जा सकती, इसे कम करने और पूरी तरह से खत्म करने के लिए सभी देशों के वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है।

धन्यवाद।

 

भाषण 2

मेरे अदरणीय अध्यापक और मेरे प्यारे दोस्तों को सुबह की नमस्ते, मैं आज आप सभी के सामने ग्लोबल वार्मिंग विषय पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वातावरण में लगातार ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने के कारण हो रही है। कुछ ग्रीन हाउस गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड, पानी वाष्पीकरण, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन हैं। जब ये निचले पर्यावरण में एकत्र होती हैं तो ये एक आवरण का रुप ले लेती हैं जो सूर्य की सभी गर्म ऊष्मा को अपने अंदर आसानी से प्रवेश करने की अनुमति देती हैं जबकि इनके वापस जाने में बाधा उत्पन्न करती हैं। ये प्रक्रिया ग्रीन हाउस प्रभाव कहलाती है। वातावरण में इस तरह की गैसें गर्म रेंडियन्स का जाल बनाती हैं और पृथ्वी को गर्म रखकर तापमान में वृद्धि करती हैं।

ग्रीन हाउस गैसों का स्तर मानव गतिविधियों जैसे पेड़ों का जलना, जीवाश्म को जलाना, बिजली की रोशनी, रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव, एयर कंडीशनर आदि का प्रयोग करने से बढ़ता है। ऐसी क्रियाएं उच्च स्तरीय प्रतिशत में कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों को वातावरण में उत्सर्जित करती हैं जिससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है।

वातावरण में तापमान में वृद्धि पृथ्वी से अधिक पानी के वाष्पीकरण का कारण बनती है, जल वाष्पीकरण फिर से अधिक ऊष्मा को अवशोषित करता है और पृथ्वी के वातावरण को अधिक गर्म करता है। ग्लोबल वार्मिंग प्राकृतिक प्रक्रिया, बारिश के पैटर्न, मौसमों की समयावधि, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, पारिस्थितिकी संतुलन और भी बहुत सी क्रियाओं को परिवर्तित कर देती है। ये एक बहुत शक्तिशाली दानव है जो हमारे जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित करता है इसलिए इसे तत्कालीन आधार पर सभी के संयुक्त प्रयासों के द्वारा सुलझाने की आवश्यकता है।

धन्यवाद।


 

भाषण 3

मेरे आदरणीय अध्यापक और मेरे प्यारे साथियों को सुबह की नमस्ते। आजकल, हम में से सभी जलवायु में भंयकर परिवर्तनों से बहुत अच्छे से परिचित हैं। ये ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार बढ़ता हुआ गंभीर विषय है। हमारी भविष्य की पीढियों के लिए पर्यावरण में इस भीषण अपरिवर्तनीय आपदाओं के कारण होने वाले सभी परिवर्तनों की चुनौतियों का सामना करना एक बड़ा विषय है। ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी के वातावरण के तापमान में नियमित रूप से वृद्धि हुई है।

पहले तापमान में वृद्धि की दर धीमी थी, हालांकि, वर्तमान में ये बहुत तेजी से बढ़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीन हाउस गैसें हैं जैसे; नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन आदि। ये गैसें वातावरण में इकट्ठी होती हैं और सभी स्रोतों से जैसे; सूर्य और मानव गतिविधियों (जीवाश्म ईंधन, पेट्रोलियमों को जलना, वनों की कटाई, आदि) द्वारा पैदा की जाने वाली ऊष्मा को अवशोषित करके तापमान में वृद्धि करती है। ग्लोबल वार्मिंग हमारे ग्रह को बहुत से तरीकों से प्रभावित करती है।

पर्यावरण में तापमान में वृद्धि के कारण आकर्टिक ग्लेशियरों ने पिघलना शुरु कर दिया है और ध्रुवीय भालूओं के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है। पिघलते ग्लेशियरों ने पानी की बड़ी मात्रा का निर्माण किया है, जिससे दक्षिणी समुद्री द्वीपों के तराई क्षेत्र में समुद्री जल के स्तर में वृद्धि हुई है। समुद्री तापमान में वृद्धि ने जलीय जीव जन्तुओं के जीवन के लिए समस्याओं का निर्माण कर दिया है। ग्लोबल वार्मिंग के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों के द्वारा बहुत से नियम बनाकर लागू किये गए जैसे; हानिकारक वाहन उत्सर्जन को सीमित करना, ओजोन परत को क्षति के कारण रसायनों के उत्सर्जन को कम करने, पेड़ों के काटने को कम करना, वृक्षारोपण करना, कार पुलिंग करना आदि।

 

हमें अपनी आदतों में सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है जैसे – डिस्पोजेबल उत्पादों के स्थान पर पुनः प्रयोग में आ सकने वाले उत्पादों को प्रयोग में लाकर अपशिष्टों को कम किया जा सकता है। हमें अपशिष्ट को कम करने के लिए कम पैंकिंग वाले उत्पादों को खरीदना चाहिये। हमें कागज, समाचार पत्र, चश्मा, एल्यूमीनियम डिब्बे, आदि को रीसायकिल करना चाहिए। यदि हम कम से कम अपने घर के आधे सामान को रीसाइकिल करना शुरु कर देंगे, तब हम प्रतिदिन लगभग 2400 पाउंड कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोक सकते हैं।

हमें बिजली के अधिक उपयोग को कम करना चाहिये जैसे – एयर कंडीशन, हेयर ड्रायर, रुम हीटर आदि। हमें रात को सोते समय या दिन में घर से बाहर जाते समय बिजली को बंद करने की आदत डालनी चाहिये। हमें अपने नियमित बल्बों के स्थान पर कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट (सी.एफ.एल.) लाइट्स का प्रयोग करना चाहिये। नियमित लाइट बल्बों के स्थान पर कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट (सी.एफ.एल.) का निरतंर प्रयोग वातावरण से 90 पाउंड ग्रीन हाउस गैसों का उन्मूलन करने में सहायक होगा।

हमें कारों और वाहनों या पेट्रोलियम वाहनों के अनावश्यक प्रयोग को कम करना चाहिये और इनका प्रयोग बहुत समझदारी से करना चाहिये जिससे कि कम से कम हानिकारक गैसों का उत्सर्जन हो। हमें जहाँ तक संभव हो सके बाइक, कार या यातायात के अन्य साधनों के स्थान पर पैदल ही चलना चाहिये। हमें जहाँ तक सम्भव हो गर्म पानी के प्रयोग को छोड़कर ठंडे पानी का प्रयोग करना चाहिये। इस तरह से हम बिजली के प्रयोग को कम करके ग्लोबल वार्मिंग को कम कर सकते हैं। अपनी आदतों में बदलाव के साथ, हमें दूसरों को भी जितना अधिक संभव हो सके बिजली का कम से कम प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करके ऊर्जा संरक्षण करना चाहिये।

धन्यवाद।


 

भाषण 4

मेरे आदरणीय अध्यापक और अध्यापिकाएं, यहाँ उपस्थित मेरे प्यारे साथियों, सहपाठियों और दोस्तों, आप सभी को सुबह की नमस्ते, इस महान अवसर पर, मैं ग्लोबल वार्मिंग विषय पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ जो सबसे प्रमुख पर्यावरणीय विषय है। दिन प्रति दिन, हम पृथ्वी के वातावरण और जलवायु में बड़े परिवर्तनों को महसूस कर रहे हैं। धीरे-धीरे पृथ्वी का वातावरण गर्म होता जा रहा है, हालांकि, ये प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेज हो गयी है। हम आज कल ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम के रुप में बहुत सी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं जैसे; भूकंप, सूनामी, चक्रवात, तूफान आदि। हम मौसमों की समयावधि में भी बड़े परिवर्तनों को महसूस कर रहे है जैसे; गर्मी का मौसम बड़ा हो रहा है और सर्दी का मौसम कम होता जा रहा है। ध्रुवीय बर्फ के पहाड़ और ग्लेशियर बड़े पैमाने पर पिघल रहे है।

देश के कुछ क्षेत्रों में कुछ दशकों से, बर्फ गिरने में कमी हुई है, बसंत ऋतु का आगमन पहले ही हो जाता है और फूल समय से पहले ही खिलने लगते हैं। जलवायु में विशाल स्तर पर परिवर्तन हमारे लिए ग्लोबल वार्मिंग के बुरे प्रभावों का संकेतक है। पक्षी गर्म प्रदेशों से ठंडे प्रदेशों के लिए प्रवास कर रहे हैं, अटलांटिक महासागर में समुद्री तुफान बहुत उच्च तीव्रता के साथ होने लगे हैं। समुद्री जल स्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है, तेज गर्म हवाओं और लहरों के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, मानव स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, जलवायु में परिवर्तन हो रहा है, मौसम की व्यवस्था में परिवर्तन हो रहा है, पर्यावरण में बढ़ता हुआ तापमान पूरी जलवायु को प्रतिकूल कर रहा है और मानवीय औद्योगिक गतिविधियों के कारण अन्य समस्याओं की उत्पत्ति हो रही है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्राथमिक कारणों की वजह से पृथ्वी की सतह का वातावरण तेजी से बढ़ता जा रहा है जैसे; ग्रीन हाउस गैसों का ग्रीन हाउस प्रभाव। ग्रीन हाउस गैसें जैसे – कार्बन डाई ऑक्साइड और खतरनाक पैराबैंगनी किरणों का जाल वातावरण में इकट्ठा होता है जो पर्यावरण को गर्म करता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण सूखा और बाढ़ों की दर में तेजी से वृद्धि हुई है। सूखे के कारण खेतों की मिट्टी में नमी नहीं हो पाती जिससे किसानों को बहुत सी वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विश्व भर के लोगों द्वारा फलों, सब्जियों और अनाज की माँग को सूखे के कारण पूरा नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व में खाद्यान्न कमी को लायी है।

वातावरण में गर्म हवा ठंडी हवा की तुलना में बहुत सी नमी को अपने अंदर धारण करती है जो बहुत से क्षेत्रों में बाढ का कारण बनती है। सूखा और बाढ़ दोनों फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ये प्राकृतिक आपदायें मानव, पशुओं और पौधों के जीवन को बहुत से आयामों पर प्रभावित करती है। प्रवाल भित्तियों को जलीय जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वो मछलियों, केकड़ों, समुद्री कछुओं और अन्य जलीय जीवों को भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग भविष्य में पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा है। इसे तत्कालीन आधार पर लोगों के वैश्विक प्रयासों के द्वारा, यहाँ सुखी और समृद्धशाली जीवन के लिए सुलझाने की आवश्यकता है।

धन्यवाद।