अंग दान पर भाषण

अंग दान निस्संदेह मानवीय कार्यों में से एक है लेकिन बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं और इसके अतिरिक्त इसके साथ विभिन्न बुराइयां भी जुड़ी हैं। जो लोग अशिक्षित या आंशिक रूप से शिक्षित हैं वे अंग दान करना बुद्धिमानी भरा कदम नहीं मानते हैं। इसलिए यह उन लोगों की ज़िम्मेदारी बन जाती है जो इस तरह की प्रक्रियाओं से अवगत हैं और लोगों के दिमाग को बदलकर हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। आप अंग दान पर भाषण लिखकर और विभिन्न सार्वजनिक मंचों  पर इसे बोलकर, ऐसा कर सकते हैं।

अंग दान पर लंबे और छोटे भाषण (Long and Short Speech on Organ Donation in Hindi)

भाषण – 1

नमस्कार देवियों और सज्जनों – कैसे हैं आप सब।

सबसे पहले मैं इस अंग दान शिविर को सफल बनाने के लिए आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। हम सभी जानते हैं अंग दान का उन लोगों के लिए अत्यधिक महत्व है जो अपनी शारीरिक बीमारियों के कारण दुखदाई स्थिति में रह रहे हैं।

तो मैं – डॉ निखिल सक्सेना (आज के लिए आपका मेजबान) – अंग दान नामक इस संवेदनशील विषय को संबोधित करने जा रहा हूं और साथ ही अपने व्यक्तिगत विचार भी साझा करूँगा। क्या आप जानते हैं कि वर्तमान समय में वे मुख्य मुद्दे कौन से हैं जिनसे हमारा समाज जुड़ा हुआ है? मुख्य मुद्दा दवाओं का अवैध व्यापार और शराब का अत्यधिक सेवन है और साथ ही खतरनाक दर से बढ़ता मोटापे का स्तर भी है।

मुझे यकीन है कि आप में से किसी को भी हमारे समाज में अंग दाताओं की कमी महसूस नहीं हुई है और इसलिए हमारे मरीजों के लिए अंगों की उपलब्धता की कमी है। अंग वास्तव में उन लोगों के जीवन के लिए उपहार हैं जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है और इसलिए इसकी कमी हमारे लिए चिंता का एक गंभीर कारण है क्योंकि इसकी कमी की वजह से रोगी अपना जीवन भी खो सकता है।

हमारा समाज जो स्वास्थ्य की देखभाल और औषधीय केंद्रों से लैस है निश्चित रूप से इसको नज़रंदाज़ नहीं कर सकता या किसी व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार, जीने का अधिकार, से वंचित नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में अंग प्रत्यारोपण वास्तव में आधुनिक विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। लेकिन मुख्य तथ्य वही है यानी अंग की उपलब्धता पूरी तरह से अंगदाता और उसके परिवार की उदारता पर निर्भर करती है।

निश्चित रूप से हर व्यक्ति, जो मानवता की ओर दयालु है और किसी और को उसके दर्द से सहानुभूति दे सकता है, वह मौत के बाद अपने अंगों को दान करने की कोशिश कर सकता है और उन लोगों को जीवन का उपहार दे सकते हैं जिन्हें अंगों की सबसे अधिक आवश्यकता है। हर किसी को आगे आना चाहिए और इस समस्या की ओर एकजुट होना चाहिए तथा यह समझना चाहिए कि ये ईमानदार प्रयास हमारे समाज पर एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव कैसे डाल सकते हैं। तो इंसान के रूप में क्या यह हर किसी का कर्तव्य नहीं है की उनकी मृत्यु के बाद उन्हें अपने अंगों को दान करने की इजाजत दी जाए?

देवियों और सज्जनो यदि मैं आपके साथ तथ्यों को साझा करूँ तो मैं यह कहूँगा कि अंग दानदाताओं के लिए प्रतीक्षा करने वालों की लगातार बढ़ती सूची में हर रोज़ लगभग 120 रोगी जुड़ते हैं। दुर्भाग्यवश लगभग 41% लोग यानी उनमें से लगभग 50 रोगियों की अस्पतालों में अंगों की अनुपलब्धता के कारण मृत्यु हो जाती है।

हालांकि अपने देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमारे डॉक्टरों पर अपना विश्वास बनाए रखने का हमारा कर्तव्य है। और यह विश्वास केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों और अस्पतालों में उपलब्ध विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाओं और सुविधाओं को उपलब्ध करवाकर ही बहाल किया जा सकता है और इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह संकट की स्थिति कभी दोबारा न हो। जब तक संभावित अंग दाता की मृत्यु नहीं हो जाती तब तक उन्हें सही चिकित्सकीय उपलब्ध कराइ जानी चाहिए ताकि उनके अंगों का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जा सके जिन्हें इसकी आवश्यकता है और उनका जीवन बचाया जा सके।

इस प्रकार ऐसा करने के लिए जन जागरूकता फैलानी चाहिए कि लोग कैसे आगे आकर इस उद्देश्य की ओर अपना योगदान कर सकते हैं। अख़बारों में विज्ञापन छापे जाने चाहिए और लोगों में इस बात की जागरूकता फैलानी चाहिए कि अंग दान करने की उनकी इच्छा किसी और के जीवन को कैसे बचा सकती है। यह एक महान कारण है और हर किसी को आगे आकर इस सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनना चाहिए।

धन्यवाद!

 

भाषण – 2

हेल्लों दोस्तों – मेरी ओर से आप सभी को नमस्कार!

मैं अंग दान पर आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में आप सभी का दिल से स्वागत करता हूं। आज लोगों की इतनी बड़ी सभा को देखकर मैं बहुत आश्चर्यचकित हूं और जनता के बीच इस कार्यक्रम की अधिक जागरूकता फैलाने के लिए और उन्हें अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में जागरूक कर सफल बनाने के लिए यहां उपस्थित सभी लोगों का भारी समर्थन हासिल कर अभिभूत हूं।

देवियों और सज्जनों जैसा कि हम सभी जानते हैं अंग का दान किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपना अंग देने की प्रक्रिया है जिसे इसकी गंभीर रूप से आवश्यकता है जिसे अंग देना है उसके शरीर में अंग सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग दान वास्तव में अंग प्राप्तकर्ता की मदद कैसे कर सकता है? यह अंग प्राप्तकर्ता को कई तरीकों से मदद कर सकता है जैसे कि उसके स्वास्थ्य, गुणवत्ता और जीने की अवधि में बढ़ोतरी और यहां तक ​​कि मृत्यु या अन्य खराब परिस्थितियों जैसे कि पक्षाघात/लक़वा से उसकी रक्षा करना।

कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से ऊपर है उसे अपने अंग को दान करने का हक है चाहे उसकी पृष्ठभूमि कैसी भी हो। हालाँकि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अपने माता-पिता/अभिभावक की अनुमति से अपने अंग दान करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। आपको यह जानकार बड़ा आश्चर्य होगा कि कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें दानदाता केवल जीवित रह कर ही दान कर सकता है और कुछ अंग ऐसे होते हैं जिन्हें केवल तब ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है जब दाता की मृत्यु हो जाती है। किसी भी अंगदान संगठन के साथ दाता के रूप में पंजीकृत होने के बाद आपको एक दाता कार्ड मिलेगा जो आपको आपकी मृत्यु के बाद अंगदान के लिए उपयुक्त बना देगा। एक अंग दाता का मृत शरीर लगभग 50 लोगों के जीवन को बचा सकता है। अंग दान की कोई आयु सीमा नहीं है जिसका अर्थ है कि 70 से 80 वर्ष के आयु वर्ग के लोग भी अपने अंग को दान कर सकते हैं।

इतना तो साफ़ है कि ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो गंभीर शारीरिक परिस्थितियों से गुज़र रहे हैं और विभिन्न अंगों, जैसे फेफड़ें, गुर्दे, दिल या यकृत, की उन्हें जरुरत है जो कि किसी बीमारी के कारण या तो ठीक तरह से काम करना बंद कर चुके हैं या शायद उनके शरीर में संयोग से विकृत रहे हैं। न केवल अंग बल्कि ऊतकों को भी दान किया जा सकता है। फेफड़ों, गुर्दे, छोटे आंत्र, दिल, यकृत और पैनक्रिया महत्वपूर्ण अंग होते हैं जिन्हें प्रत्यारोपण के उद्देश्य के लिए दान किया जाता है।

इसी तरह हड्डी, त्वचा, कॉर्निया, कार्टिलेज, टेंडन और दिल की नाड़ी के ऊतकों को भी दान की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसके अलावा यह पूरी तरह दाता पर निर्भर करता है कि क्या वह रोगी को पूरा शरीर या अपने शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों को ही दान करना चाहता है। ऐसे कई देश हैं जिन्होंने अंग दान के लिए संगठन स्थापित किया है और अपने देश के लोगों द्वारा दान किए गए अंगों को संरक्षित करने के लिए अनुमोदित किया गया है। ये स्थिति पे निर्भर करता हैं, या तो उसे स्टोर किया जाता हैं या तो उसका इस्तेमाल मरीज़ के शरीर में सीधे प्रत्यारोपण के लिए किया जाता हैं।

अंग प्राप्तकर्ता के शरीर के ठीक होने तक यह महत्वपूर्ण है कि उसके शरीर में ऑक्सीजन और रक्त सही मात्रा में मौजूद रहे ताकि प्रत्यारोपण के समय कोई समस्या न हो। इस प्रकार जिनका शरीर स्वस्थ है उन्हें इस कार्य के लिए आगे आना चाहिए और अपने अंग का दान करना चाहिए ताकि जब हम अपनी अंतिम सांस लें तो कोई अन्य व्यक्ति अपने जीवन को जी सके।

धन्यवाद।

 

भाषण – 3

सम्मानित प्राचार्य, उप-प्राचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्यारे छात्रों – आप सभी को मेरी ओर से सुप्रभात!

अंग दान पर अपने भाषण को शुरू करने से पहले मैं हमारे सम्मानित प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य और निश्चित रूप से मेरे कक्षाध्यापक को अंग-दान विषय भाषण तैयार करने और आपको सभी को संबोधित करने का मौका देने के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूं। तो मैं कक्षा बारहवीं-ब से अभिषेक अवस्थी अंग दान पर बात करना चाहूंगा। यह विषय आज के समय में बहुत प्रासंगिक है और कुछ ऐसा जिससे मैं व्यक्तिगत रूप से अपने आप को संबंधित कर सकता हूं।

हम जानते हैं कि हर साल इतने सारे लोगों की अंगों की अनुपलब्धता या उन्हें मिलने में अत्यधिक देरी, जिसके कारण रोगी को हालातों का सामना करना मुश्किल हो जाता है, जिस वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। ऐसा ही कुछ मेरे परिवार के सदस्यों में से एक के साथ भी हुआ है और उनकी मृत्यु गुर्दे के काम ना करने के कारण हो गई थी क्योंकि उन्हें समय पर गुर्दा नहीं मिल पाया था। इसके बाद जिस तरह से भी, मैं कर सकता था मैंने सोसाइटी की मदद करने का फैसला किया और मैंने अंग दान करने का फ़ैसला लिया ताकि जब मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरे शरीर के अंगों का इस्तेमाल दूसरों के लिए किया जा सके जिससे वो खुलकर सांस ले सके।

प्रिय मित्रों अंग दान वास्तव में एक महान कार्य है जिसमें शल्य चिकित्सा के माध्यम से शरीर के अंगों को एक व्यक्ति से दूसरे में स्थानांतरित करना होता है। ज्यादातर मामलों में दाता अपने मरने के बाद शरीर के अंग दान करने का फैसला करता है। अंग दान करने का उद्देश्य बहुत स्पष्ट है यानी अंगों की आवश्यकता वाले किसी व्यक्ति की मदद करना। ऐसे कई उदाहरण हैं जब चिकित्सा परिस्थितियों के कारण कई लोग अपना महत्वपूर्ण शरीर का हिस्सा खो देते हैं। कई मामलों में अगर स्थानांतरित करने वाले अंग तुरंत बदले जा सकते हैं तो बदल दिया जाता है।

आजकल विभिन्न सरकारी संस्थान अंग-दान के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर अन्य लोगों के जीवन को बचाते हैं। वास्तव में हमारा धर्म हमें निःस्वार्थ कार्य करना सिखाता है और किसी व्यक्ति को अंग-दान कर उसकी जिंदगी बचाने से बेहतर और क्या हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक अंग या ऊतक दाता लगभग 50 व्यक्तियों के जीवन को बचा सकता है।

सच्चाई यह है कि अंग दान करने की हमारी कोशिश किसी के जीवन को खत्म होने से बचा सकती है और यह अंग दान से जुड़ी बहुत बड़ा सकरात्मक बिंदु है। यह बिल्कुल सही है कि किसी को जीवनदान देना वास्तव में सबसे बड़ा धार्मिक कार्य है जिसे आप कभी भी अपने जीवन में अमल में ला सकते हैं। अंग-दान किसी व्यक्ति के लिए किसी और के जीवन को बचाने का निःस्वार्थ कृत्य होता है। अंग-दान से प्राप्त भावना इतनी अच्छी होती है कि जब हम इस धरती पर मौजूद नहीं होंगे तो कोई व्यक्ति हमारी आंखों के माध्यम से दुनिया को देख सकेगा और कुछ विशिष्ट अंगों की सहायता से इस धरती पर नए जीवन के माध्यम से सांस ले सकेगा।

वर्तमान समय में किडनी दान को सबसे अधिक मांग की जाने वाली चीज़ों में से एक माना जाता है और साथ ही साथ इसकी सफलता दर भी ज्यादा होती है। तथ्य यह है कि एक व्यक्ति एक गुर्दे की मदद से भी अपना जीवन जी सकता है और अधिक से अधिक किडनी दाताओं को आगे बढ़ने और इस महान कार्य का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। शरीर अंग का दान न केवल रोगी का समर्थन करता है बल्कि यह अंग प्राप्तकर्ता के परिवार की भी सहायता करता है जो अपने अस्तित्व के लिए अंग प्राप्त करने वाले रोगी पर निर्भर है। इस प्रकार यह न केवल रोगी बल्कि उसके परिवार के सदस्यों को भी जीवन का एक नया आयाम देता है। मुझे यह सब ही कहना है! मुझे बस यही कहना था।

धैर्य के साथ मेरी बात सुनने के लिए धन्यवाद!


 

भाषण – 4

सम्मानित वरिष्ठ प्रबंधकों, प्रबंधकों और प्रिय सहयोगियों – मेरी ओर से आप सभी को नमस्कार!

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारी कंपनी ने खुद को एक गैर सरकारी संगठन के साथ जोड़ा है जो अंग दाताओं और प्राप्तकर्ताओं के बीच के अंतर को कम करता है। इससे हमें बहुत ज्यादा गर्व की भावना महसूस होती है कि हमारी कंपनी अपने लाभ और हानि के बारे में चिंतित ना होकर एक महान उद्देश्य के लिए काम कर रही है। इसलिए इस संगठन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी इस उद्देश्य की ओर से योगदान करने की बन जाती है और यदि संभव हो तो अंग दान के लिए भी आगे आएं।

मेरे प्रिय मित्रों, अंग-दान, महान उद्देश्यों में से एक हैं और अंग-दान करने के असंख्य कारण हैं जिसमें प्राथमिक उद्देश्यों में से एक आत्म संतुष्टि प्राप्त करना है। एक तथ्य यह भी है कि आप इस महान कार्य का हिस्सा बन गए हैं जिसके लिए आपकी प्रशंसा होनी ज़रूरी है। मुझे लगता है कि अगर हम किसी के जीवन को बचाते हैं तो इससे हम खुद के लिए अच्छा महसूस करते हैं जैसा कि कहा जाता है, “जो कुछ भी जाता है वह वापस आता है”। यह जानकर की आपने किसी की जीवन बचाई है, और उसके पुरे परिवार को एक नया जीवन दान दिया हैं इससे आपके मनोबल को बहुत बढ़ावा मिलेगा और निश्चित रूप से आपके साथ अच्छा होगा। इसके अलावा एक सच्चाई यह भी है कि अगर आप मरने के बाद मानव जाति के लिए कुछ करने में सक्षम होंगे तो आपको संतुष्टि की बड़ी भावना मिलेगी। तो आप इस विषय पर ज्यादा न सोचें इसके लिए खुद योगदान करें और अनुभव ले, करने के बाद अवश्य आप को ख़ुशी मिलेगी।

अपने शरीर के अंगों को दान करने का चयन करना एक आत्म-सचेत निर्णय है जिसे आपको खुद लेना होगा। जब भी अंग-दान करने की बात आती है तो इसके लिए कोई भी आयु सीमा नहीं होती है। वास्तव में जब तक वृद्धों के शरीर के अंग या यहाँ तक पैदा हुए नन्हें बच्चों के भी अंग स्वस्थ अवस्था में रहते हैं तब तक वे इस अंग-दान कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। यह कहने की जरूरत नहीं है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को इस दिशा में आगे बढ़ने से पहले अपने माता-पिता की सहमति लेनी होती है। शरीर के अंग का दान इस दुनिया में उन कार्यों में से एक है जिसके लिए उस व्यक्ति को मरने पर भी याद किया जाता है।

अपने अंग का दान करके आप न केवल उसे एक नए जीवन का मौका देते हैं बल्कि जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में भी मदद करते हैं। अंग-दान प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिसमें अंग को दाता के शरीर से प्राप्तकर्ता के शरीर में स्थानांतरित किया जाता है। दान किए जाने वाले अंगों में गुर्दे, दिल, फेफड़े, लीवर, त्वचा, आंत, पैनक्रिया और थाइमस शामिल हैं। इनके अलावा ऊतकों को भी दान किया जा सकता है जैसे हड्डियां, हृदय वाल्व, कॉर्निया, टेंडन और नसें।

वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रत्यारोपित अंग गुर्दे होते हैं और फिर इसके बाद इस सूची में लीवर और हृदय का नंबर आता है। जहां तक ​​सबसे अधिक बार प्रत्यारोपित ऊतकों का संबंध है इसमें सबसे ऊपर कॉर्निया, मांसपेशियों और हड्डियों का नंबर है। तो इस महान उद्देश्य से जुड़े रहें और अपने आस-पास में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाएं ताकि अंग-दान का हमारा निर्णय किसी और के जीवन में एक बड़ा अंतर ला सके, और उसे एक नया जीवन दान दे सके।

धन्यवाद!

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