सम्मान पर भाषण

सम्मान व्यक्ति, समूह, समुदाय या किसी विशिष्ट कार्यवाही और व्यवहार के प्रति शाबाशी या प्रशंसा करने की भावना है। आज हमारे समाज में यह महत्वपूर्ण है कि हम दूसरों से सम्मान प्राप्त करने से पहले उन्हें सम्मान दें। हो सकता है, जब आपको ‘आदर/सम्मान पर भाषण’ देने का अनुरोध किया जाए। आप स्वयं अपना भाषण तैयार कर सकते हैं, हमने यहां निम्नलिखित भाषण साझा किए हैं जो आप एक नमूने के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

सम्मान/आदर पर भाषण (Speech on Respect in Hindi)

भाषण – 1

आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों!

सबसे पहले इस उत्सव का एक हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद। हम यहां हमारे स्कूल के वार्षिक दिवस और हर साल की तरह जश्न मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। हम इस उत्सव को आप सभी के लिए सबसे यादगार बनाने का प्रयास करेंगे।

मुझे कार्यक्रम की मेजबानी करने का अवसर देने के लिए मैं आयोजकों को धन्यवाद देना चाहूंगा। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे स्कूल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अत्यधिक मान्यता प्राप्त है और यह राज्य के शीर्ष 10 स्कूलों में से एक है। जो छात्र हमारे स्कूल से शिक्षा पूरी कर लेते हैं वे लोकप्रिय कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले लेते हैं और अत्यधिक मान्यता प्राप्त संगठनों में काफी अच्छे पदों पर काम करते हैं।

हमारे छात्रों की बुद्धि और सामान्य ज्ञान की अत्यधिक प्रशंसा की जाती है। मैं इस विद्यालय के प्रत्येक छात्र से दूसरों के प्रति सम्मान जुटाने के लिए भी आग्रह करता हूं। जैसा कि आप सभी जानते हैं सम्मान एक व्यक्ति या संस्था के लिए प्रशंसा की एक उत्साहजनक भावना है। यह दूसरों के प्रति एक व्यक्ति द्वारा दिखाए सम्मान और दया भावना को दिखाता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम एक दूसरे के सम्मान में समाज में सद्भाव लाने के लिए कार्य करें और हमेशा याद रखें कि सम्मान माँगा नहीं जाता बल्कि अर्जित किया जाता है और सम्मान हमारे महान कर्मों और कार्यों के माध्यम से अर्जित होता है।

जहाँ यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने जीवन में मिलने वाले हर किसी का सम्मान करें उतना ही जरूरी यह भी है कि हम ऐसी कार्यों का पालन करें जो सम्मान प्राप्त करने में हमारी सहायता कर सकें। एक व्यक्ति जो अपने व्यवहार से कार्यालय, घर या समाज के लिए की गतिविधियों के माध्यम से संपत्ति कमाता है उसमें सम्मान सर्वप्रथम है।

यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता अपने बच्चों को अपने से वृद्ध दादा-दादी, शिक्षक, उनके साथी मित्रों और अपने आस-पास रहने वाले सभी लोगों का सम्मान करना सिखाएंगे तभी हम एक सकारात्मक समाज का निर्माण करने में सक्षम होंगे। आजकल लोगों को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है और विवादों में शामिल हो जाते हैं जिसका रूप कभी-कभी हिंसक हो जाता है। यदि बच्चों को नगण्य मामलों को माफ़ करने और आसपास के लोगों का सम्मान करना सिखाया जाता है तो वे बच्चे बड़े होकर ख़ुशी-ख़ुशी जीवन व्यतीत करेंगे।

हम सभी के लिए हमारे वातावरण का सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है। हमें सावधान रहना चाहिए कि सड़कों, पार्कों, फुटपाथ आदि जैसे सार्वजनिक स्थान पर कचरा ना फेंके। बच्चे जो देखते हैं वही वो सीखते हैं। इस प्रकार अच्छी आदतों को उनके संबंधित माता-पिता और बच्चों के रिश्तेदारों द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए।

मैं ‘संस्कृति के प्रति सम्मान’ पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा। मैं समझता हूं कि दुनिया वैश्विक हो रही है और सभी देश एक-दूसरे के साथ कला, प्रतिभा, संस्कृति और परंपराओं का आदान-प्रदान कर रहे हैं। लेकिन यह किसी को हमारी भारतीय संस्कृति का अपमान करने की अनुमति नहीं देता है। भारतीय संस्कृति सबसे पुरानी है और दुनिया में सबसे अच्छी है। आज के बच्चे हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं और इस प्रकार उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दुनिया भर के लोग भारत का सम्मान करें।

शब्द ‘सम्मान’ की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है और न ही कोई ऐसा सूत्र है जो आपको दूसरों का सम्मान करने में सहायता करेगा। हम उन लोगों का सम्मान करते हैं जिन्हें हम प्यार करते हैं लेकिन कभी-कभी हमारा ऐसे लोगों से भी मिलना होता है जिनके बदले में हमें कुछ उम्मीद किए बिना सम्मान दिखाना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि आप एक सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करते समय बैठे हैं और विकलांग व्यक्ति आपके पास आता है तो आपको उसका सम्मान करना चाहिए और उस व्यक्ति को अपनी सीट प्रदान करनी चाहिए।

ऐसे छोटे-छोटे काम समाज में बहुत सम्मान प्राप्त करने में आपकी मदद करेंगे। इसके अलावा यदि आप खुद का सम्मान करना शुरू करेंगे तो यह हमेशा आपको जीवन को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

इतने सब्र से मुझे सुनने के लिए धन्यवाद। मैं आप सभी के अच्छे भविष्य की कामना करता हूँ!

धन्यवाद।

 

भाषण – 2

मैं आप सभी का ‘सम्मान प्राप्त करने के लिए पहले सम्मान दें’ कार्यक्रम में स्वागत करता हूँ। सबसे पहले आयोजकों और समर्थकों का बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके समर्थन के बिना यह सब संभव नहीं होता।

जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारा संगठन एक चैरिटी संगठन है और हम उन बुजुर्गों के लिए काम करते हैं जो बेघर हैं या जिनकी रिश्तेदारों द्वारा अनदेखी की गई अथवा घर से निकाला गया है। मैं पिछले 10 सालों से यानि इस संगठन की स्थापना के बाद से जुड़ा हुआ हूँ। इन 10 वर्षों में जिन मामलों को मैंने सबसे अधिक देखा है उनमें अपने स्वयं के बेटे और परिवार द्वारा अस्वीकृत वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित हैं। ऐसा भारत जैसे देश में अजीब लगता है जहां हम अपनी संस्कृति, परंपरा, धर्म और जातीयता को बनाए रखने के बारे में बात करते हैं।

हम पेरेंट्स डे, फादर्स डे या मदर्स डे पर कई संदेश और कहावतें साझा करते हैं लेकिन वास्तविकता में हममें बुनियादी नैतिकता और जिम्मेदारी की कमी होती है। अपने माता-पिता का सम्मान करना कर्तव्य या दायित्व नहीं है बल्कि यह हमारा धर्म है। हमारे माता-पिता ने हमें इस दुनिया में लाने के अलावा हमारे लिए बहुत कुछ किया है। वे अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा करते हैं और हमारे चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए हर रोज संघर्ष करते हैं लेकिन जब वे बूढ़े हो जाते हैं और हमारी सबसे अधिक आवश्यकता होती है तो हम स्वयं के साथ इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम उनके लिए समय नहीं निकाल पाते और यही कारण है कि दुनिया भर में इतने सारे वृदाश्रम हैं।

मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि पहले के ज़माने के युवा वरिष्ठ लोगों को बहुत सम्मान देते थे। उन दिनों में युवा अपने बड़ों के सामने नहीं बैठते थे, धूम्रपान या शराब नहीं पीते थे। दुर्भाग्य से एक दूसरे का सम्मान करने की संस्कृति और चेतना वर्तमान समय में हमारे समाज में तेज़ी से गायब हो रही है।

गोपनीयता के नाम पर हम धूम्रपान, नशे, पीने आदि जैसे छोटी गतिविधियों में लिप्त हो गए हैं। स्वतंत्रता के नाम पर हम पूरी रात बाहर रहते हैं और अपने बड़ों को सूचित करना ज़रूरी नहीं समझते, भोजन छोड़ देते हैं और पूरा-पूरा दिन गायब रहते हैं। यह सब इसलिए होता है क्योंकि हमने अपनी जिम्मेदारी की भावना खो दी है। हम अधिक से अधिक बेसब्र होते जा रहे हैं और हमारे अपने चारों ओर एक दीवार बना ली है। अगर हमारे बुजुर्ग उस दीवार को तोड़ने की कोशिश करते हैं तो हम अपना धैर्य खो देते हैं और चिल्लाने तथा वस्तुओं को फेंकने आदि की तरह अयोग्यता से व्यवहार करते हैं।

मैं इस परिवर्तन के प्रति सोशल मीडिया की भी भूमिका बताऊंगा। ऐसा नहीं है कि मैं लोगों के लिए सोशल मीडिया को दोष दे रहा हूं लेकिन सच्चाई यह है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोगों की सोच ‘मुझे परेशान नहीं करना’ वाली हो गई है। शाम को दफ़्तर से घर पर आने वाले अधिकांश लोग अपने परिवार के साथ समय बिताने के बजाए अपने इंस्टेंट चैट मैसैज और सोशल मीडिया पर दोस्तों के प्रोफाइल को देखना पसंद करते हैं। धीरे-धीरे यह लगभग हर घर की परंपरा बनती जा रही है और आज के बच्चे इसी माहौल में बढ़ रहे हैं। जब ऐसे बच्चे बड़े होते हैं तो वे आभासी लोगों को सम्मान देते हैं लेकिन वास्तविक लोगों की अनदेखी कर देते हैं।

जब तक हम दूसरों की ओर प्यार और जिम्मेदारी की भावना विकसित नहीं करते हम दूसरों का सम्मान नहीं कर पाएंगे। दूसरों का सम्मान करना कोई खास बात नहीं है जो आप किसी के साथ करेंगे। वास्तव में आपको सम्मान पाने के लिए दूसरों का सम्मान करना चाहिए। जितनी जल्दी हम ऐसा महसूस करेंगे बेहतर होगा।

धन्यवाद।

 

भाषण – 3

आदरणीय प्रधानाचार्य, माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों! सुप्रभात।

सबसे पहले मैं इस प्रेरणादायक कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करना चाहूंगा और सभी टीम के सदस्यों को धन्यवाद जिन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन में एक-दूसरे की मदद की है। मैं वाणी बारहवीं कक्षा से हूँ और यह इस आयोजन की मेजबानी करने का सौभाग्य मुझे मिला है। आज यह कार्यक्रम विशेष रूप से छात्रों और उनके माता-पिता के लिए आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम हमारे जीवन में सम्मान के महत्व पर आधारित है। आज के कार्यक्रम के लिए छात्रों ने खेल, भाषण और कई और गतिविधियां तैयार की हैं। इसलिए उनके प्रदर्शन की शुरुआत होने से पहले मैं इस कार्यक्रम के प्रारंभ में सम्मान पर एक भाषण देना चाहता हूं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज की दुनिया में सभी पैसे के पीछे भाग रहे हैं। हर कोई जानता है कि हमारी जरूरतों को पूरा करने में धन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन पैसा भी समाज में एक अच्छी छवि बनाने का एक तरीका है और एक अच्छी छवि ही लोगों के बीच सम्मान हासिल करने का एक तरीका है। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि सम्मान एक मुख्य उद्देश्य है जो अधिकांश लोग अपने पूरे जीवन में पाना चाहते हैं लेकिन हम पैसे को सम्मान प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम नहीं मान सकते क्योंकि हमारा व्यवहार और हम अन्य लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं उनसे हमारे संबंधों के बारे में हमें बताता है।

इस दुनिया में लगभग सभी लोग सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं। अगर हम सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अन्य लोगों का भी सम्मान करें। सम्मान प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह सभी को सम्मान के लिए ना पूछे बल्कि इसे अर्जित करे क्योंकि सम्मान केवल अर्जित किया जा सकता है। कोई व्यक्ति अच्छा काम करके या ऐसी गतिविधियों से सम्मान प्राप्त कर सकता है जिससे उसके लिए दूसरे मन में सम्मान पैदा हो।

अगर हम सम्मान के बारे में बात कर रहे हैं तो हर किसी के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं जिन्हें हम सम्मान देते हैं जैसे हमारे सम्मानित माता-पिता, दादा-दादी, शिक्षक आदि। ये लोग हमारे जीवन और हृदय में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे हमारे जीवन में सबसे सम्मानित व्यक्ति हैं।

हमारे जीवन में इन सभी सम्मानित लोगों के बावजूद कुछ ऐसे लोग हैं जिनके प्रेरणादायक जीवन और अच्छे कर्मों की वजह से हम उन्हें सम्मान देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। जी हाँ! मैं हमारे सम्मानित सैनिकों और पुलिस के बारे में बात कर रहा हूं क्योंकि ये हमारे देश स्वतंत्रता और अखंडता को बनाए रखने का मुख्य कारण हैं। वे हमारे जीवन को बचाने के लिए अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। हमारे जैसे बड़े देश की रक्षा करना वास्तव में आसान काम नहीं है। पूरे देश की रक्षा करने की वजह उनके सम्मान के पीछे सबसे बड़ी वजह है।

इसी के साथ मैं अपने भाषण को समाप्त करना और हमारे माननीय प्रधानाचार्य महोदया को विशेष धन्यवाद देना चाहता हूं तथा शिक्षकों और सभी माता-पिता को भी इस आयोजन में शामिल होकर और हमें सहयोग देकर सफल बनाने के लिए बधाई देना चाहता हूँ। मैं अपनी टीम के सदस्यों को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने इस कार्यक्रम को एकता के साथ संगठित किया।

धन्यवाद। आप सभी का दिन शुभ हो।


 

भाषण – 4

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदया, माननीय प्रबंधक सर तथा प्रोफेसर्स एवं मेरे प्यारे दोस्तों!

आज हमारे कॉलेज ने सभी छात्रों के लिए एक बहस प्रतियोगिता आयोजित की है। मैं वानिका हूं और इस प्रतियोगिता की मेजबानी करने का मौका पाकर मैं बहुत खुश हूँ। यह बहस प्रतियोगिता विशेष रूप से छात्रों के लिए आयोजित की गई है ताकि उन्हें अपनी हिचकिचाहट और भय पर जीत पाने में मदद मिल सके। आज की बहस प्रतियोगिता का विषय ‘सम्मान केवल हासिल किया जा सकता’ है। जैसा कि हम जानते हैं कि एक टीम को इसके समर्थन में बोलना है और दूसरे इसके खिलाफ बोलेंगे लेकिन आगे बढ़ने से पहले मैं सम्मान के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूं।

जैसा कि सभी जानते हैं कि सम्मान कुछ ऐसा है जो लगभग सभी चाहते हैं। हर व्यक्ति को पता होना चाहिए कि महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर हम सम्मान चाहते हैं तो हमें दूसरों को सम्मान देना होगा। इस दुनिया में हर व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर सम्मान प्राप्त करता है। अगर किसी व्यक्ति का व्यवहार अच्छा है या उसका मिजाज़ मददगार है तो वह स्वतः अन्य लोगों को उसे सम्मान देने के लिए बाध्य करता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे जीवन में कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं जिन्हें हमें सम्मान देना चाहिए। जी हां मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों, दादा-दादी और कई अन्य सम्मानित लोगों के बारे में बात कर रहा हूं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जो हमें सिखाते हैं कि सम्मान कैसे दें और सम्मान कैसे प्राप्त करें। हम अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं क्योंकि वे इस दुनिया में हमारे अस्तित्व का कारण हैं और वे हमें खुश रखने के लिए हर संभावित संघर्ष करते हैं। दादा-दादी भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे घर में सबसे आदरणीय लोगों के रूप में जाने जाते हैं। अधिकांश दादा-दादी अपने पोते की देखभाल करते हैं। बचपन के दौरान ज्यादातर बच्चे अपने दादा-दादी के साथ अधिक जुड़े हुए होते हैं लेकिन दुर्भाग्य से अधिकांश अभिभावक और दादा-दादी अपने बच्चों या पोते से उपेक्षित होते हैं और उन्हें वृदाश्रम में अपना बचा-खुचा जीवन जीना पड़ता है। यह उन बच्चों के सबसे दर्दनाक व्यवहार में से एक है जो अपने माता-पिता और दादा-दादी की मदद की आवश्यकता के समय उनकी अनदेखी करते हैं। अपने बच्चों से सम्मान पाने की बजाए उनकी अनदेखी की जा रही है और उन्हें वृदाश्रम में जीना पड़ रहा है।

हमारे जीवन में इन सभी सम्मानित लोगों में शिक्षकों का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को सही पथ दिखाता है जो सफलता के लिए छात्रों को प्रेरित करता है। किसी के मार्गदर्शन के बिना सफलता हासिल करना असंभव है और इस दुनिया में शिक्षक से बड़ा कोई बड़ी मार्गदर्शक नहीं है। एक अच्छा शिक्षक अपने छात्र के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के सर्वोत्तम प्रयास करता है लेकिन उज्ज्वल भविष्य के बाद अधिकांश छात्र अपने शिक्षकों को धन्यवाद देना भूल जाते हैं। किसी को भी अपने माता-पिता, शिक्षकों और हर उस व्यक्ति को कभी भी नहीं भूलना चाहिए जिनसे उन्हें हर पल समर्थन मिला है।

इसलिए यदि हम वास्तव में सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों सहित अन्य लोगों विशेषकर हमारे बुजुर्गों का सम्मान करना होगा।

इसी के साथ मैं अपनी स्पीच खत्म करना चाहूँगा और प्रधानाचार्य महोदया का खास धन्यवाद करना चाहूँगा जिन्होंने इस मंच पर आप सबके सामने मुझे अपने विचार रखने का मौका दिया।

धन्यवाद।

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