धनतेरस (Dhanteras) हिन्दुओं का एक बेहद ही महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक माह में मनाया जाता है जो ग्रेगोरियन माह के अनुसार अक्टूबर-नवम्बर में आता है। धनतेरस, दिपावाली त्यौहार के आगमन का एक प्रतिक है जो हिन्दू धर्म का एक महत्वपुर्ण त्यौहार है।
धनतेरस पर 10 वाक्य || धनतृयोदशी या धनतेरस या धनवंन्तरी तृयोदशी
धनतेरस पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Dhanteras in Hindi, Dhanteras par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (250 शब्द) – धनतेरस: समृद्धि का त्यौहार
परिचय
धनतेरस जो कि एक प्रमुख हिंदू त्योहार है और यह दिवाली त्योहार से दो दिन पहले मनाया जाता है। यह कार्तिक महीने में तेरहवें चंद्र दिवस के अंधेरे पक्ष में मनाया जाता है, जिसे आमतौर पर कार्तिक अमावस्या कहा जाता है।
धनतेरस – समृद्धि का त्योहार
धनतेरस को विशेष रूप से समृद्धि का त्योहार कहा जाता है। इस दिन महंगे सामान खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस(Dhanteras) के दिन किया गया खर्च आपको सालभर में कई तरह से धन का लाभ कराता हैं। इसी वजह से, लोग धनतेरस तक अपनी महत्वपूर्ण खरीदारी स्थगित कर देते हैं। धनतेरस के दिन वाहनों की खरीदारी करना भी एक आम चलन बन गया है।
त्यौहार के दौरान स्टील के बर्तन और बर्तनों की काफी मांग रहती है। ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए दुकानें अपने आम समय से काफी देर तक खुली रहती हैं। जो लोग महंगे सामानों पर ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, वे छोटे चांदी के सिक्के खरीदने की कोशिश करें, क्योंकि यह भी शुभ माना जाता है।
धन और समृद्धि का यह हिंदू त्योहार देवी लक्ष्मी की पूजा करने के साथ ही शुरू करना चाहिए। साथ ही, आयुर्वेद और अच्छे स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरी की भी स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करने के लिए पूजा की जाती है। पूजा-पाठ व अनुष्ठान ज्यादातर शाम के वक़्त घर के प्रत्येक सदस्य की उपस्थिति में और पारंपरिक पूजा स्थल पर किया जाता है।
चूंकि यह समृद्धि का त्योहार है, इसलिए लोग अपने घरों को भी साफ करते हैं, उन्हें एक नया रंग देते हैं और उन्हें कई तरह से सजाते हैं ताकि घर को एक समृद्ध रूप दिया जा सके। सजावटी रोशनी, लैंप, पेंटिंग, सोफा कवर और तमाम चीजों से घर को अन्दर तथा बाहर से सजाया जाता है। धनतेरस के बारे में पूरी बात ये है कि यह हर किसी को समृद्ध और अच्छे स्वास्थ्य का एहसास कराता है जैसा पहले कभी नहीं हुआ।
निष्कर्ष
धनतेरस (Dhanteras) हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह न केवल समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का जश्न मनाने का एक त्यौहार है, बल्कि नए उद्यम और वित्तीय निवेश करने का भी एक बेहतर अवसर माना जाता है। इस दिन का महत्व बाजार और खरीदारी के लिए उत्सुक लोगों की भारी भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है।
निबंध 2 (400 शब्द) – धनतेरस उत्सव और कथा
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परिचय
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाया जाता है। वास्तव में, यह दिवाली समारोह के पहले दिन को दर्शाता है। हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में यह मनाया जाता है, यह तेरहवें चंद्र दिवस के अंधेरे पक्ष यानी कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।
धनतेरस उत्सव
पूरे देशभर में धनतेरस का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है। लोग इस दिन बाजार में – बर्तन, कपड़े धोने की मशीन, फ्रिज, गहने, सोने और चांदी के सिक्के, आदि की खरीदारी करने के लिए जुटते हैं। यहां तक कि धनतेरस के दौरान वाहनों की बिक्री भी आसमान में रहती है। धनतेरस पर नई खरीदारी करना और व्यापार और उद्यम में निवेश करना अच्छा शगुन माना जाता है। धनतेरस पर देर रात तक बाजार खुले रहते हैं।
धार्मिक दृष्टि से, यह त्योहार देवी लक्ष्मी की पूजा, धन की देवी और अच्छे स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरी को आकर्षित करने का है। लोग इस दौरान सफाई भी करते हैं और अपने घरों को रोशनी और दीयों से सजाते हैं।
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धनतेरस की कथा
धनतेरस के त्योहार से जुड़ी एक छोटी लेकिन रोचक व पौराणिक कहानी है। कहानी राजा हेमा के 16 साल के बेटे से संबंधित है। राजकुमार की कुंडली ने भविष्यवाणी की थी कि उनकी मृत्यु उसकी शादी के चौथे दिन सांप के काटने से होगी। इससे राजा चिंतित हुआ; फिर भी, उसने राजकुमार की शादी की। राजकुमार की नवविवाहित पत्नी भविष्यवाणी के बारे में जानती थी और इसलिए उसने राजकुमार को बचाने की योजना बना रखी थी।
उनकी शादी की चौथी रात, राजकुमार की नवविवाहित पत्नी ने अपने सभी सोने, चांदी के गहने आदि सब निकाल दिया और प्रवेश द्वार पर इसका ढेर लगा दिया। इसके बाद उसने भजन गाना शुरू कर दिया और राजकुमार को जगाए रखने के लिए कहानियाँ भी सुनाईं। उस प्राणघातक रात में जब मृत्यु के देवता यम पहुंचे, तो एक सांप के रूप में खुद को छुपा नहीं पा रहे थे, उनकी आँखें सजावटी आभूषणों के ढेर की चमक से चकित थीं।
वह ढेर पर ही चढ़ गए और उसके ऊपर बैठ कर राजकुमार की पत्नी के गाने और कहानियाँ सुनने लगे। सुबह होने के साथ-साथ वह राजकुमार की जान लिए बगैर ही वापस चले गए। इसलिए, राजकुमार की जान उसकी पत्नी की समझदारी और चतुराई से बच गई थी। तब से यह दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है और समृद्धि के लिए स्पष्ट रूप से महत्व रखता है। अगला दिन, वह दिन जब यम उस घर से वापिस खाली हाथ अपने कदम लेकर गए, उसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।
निष्कर्ष
माना जाता है कि धनतेरस परिवार में समृद्धि और स्वास्थ्य की खुशियाँ लाता है और इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
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निबंध 3 (600 शब्द) – धनतेरस (Dhanteras)का उत्सव और महत्व
परिचय
धनतेरस एक हिंदू त्योहार है जो दिवाली त्योहार के पहले दिन को दर्शाता करता है। यह त्योहार लोगों के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य लाने के लिए माना जाता है और इसलिए इसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
धनतेरस कब मनाया जाता है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक माह में मनाया जाता है। बंगाली, मैथिली और नेपाली कैलेंडर के अनुसार यह साल का सातवां महीना होता है; जबकि, तमिल कैलेंडर के अनुसार, यह आठवां महीना है। धनतेरस (Dhanteras) को अंधेरे पक्ष के तेरहवें चंद्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे कृष्ण पक्ष भी कहा जाता है। धनतेरस के अगले दिन, छोटी दिवाली और उसके तीसरे दिन दिवाली मनाई जाती है।
धनतेरस कैसे मनाया जाता है?
धनतेरस, दिवाली त्योहार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। यह पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी के आभूषण या स्टील के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इससे आने वाले वर्ष में परिवार में समृद्धि आने की उम्मीद रहती है। लोग अपने दिन की शुरुआत घर की सफाई और घर में पड़े किसी भी अनावश्यक वस्तु से छुटकारा पाने के लिए करते हैं।
बाजार में बर्तन, गहने, इलेक्ट्रॉनिक सामान, और अन्य सामानों की खरीदारी करने वाले लोगों की भीड़ रहती है। लोग अपने बजट के अनुसार खरीदारी करते हैं, लेकिन वे खाली हाथ घर नहीं जाते। यह व्यवसायियों के लिए वर्ष का सबसे अच्छा समय होता है और दुकानें आधी रात से भी अधिक वक़्त तक खुली रहती हैं। धनतेरस पर वाहनों की बिक्री में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी जाती है। दरअसल, लोग अपनी बाइक या कार की डिलीवरी लेने के लिए धनतेरस के दिन का विशेष रूप से इंतजार करते हैं।
चुंकि यह त्योहार समृद्धि का उत्सव है, इसलिए यह धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा को भी महत्व देता है। पूजा-पाठ व अनुष्ठान ज्यादातर शाम को घर के पूजा स्थल पर ही किया जाता है। कुछ लोग पारंपरिक रूप से चिकित्सा और स्वास्थ्य के हिंदू देवता धन्वंतरी की भी पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह परिवार को अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के साथ शुभकामनाएं देता है।
महाराष्ट्र राज्य में, धनतेरस को वसुबारस के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव में गाय और बछड़े की पूजा होती है। गाय हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत पूजनीय है और इसे माता के समकक्ष का दर्जा दिया जाता है।
धनतेरस के दिन, लोग अपने घरों को रंगीन रोशनी और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाते हैं। कई लोग अपने घर में नया पेंट भी करवाते हैं। देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के प्रवेश द्वार को रंगोली से सजाया जाता है। देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरी के स्वागत के लिए प्रवेश द्वार पर तेल के दीपक भी जलाए जाते हैं।
धनतेरस (Dhanteras) का महत्व
धनतेरस (Dhanteras) का महत्व मुख्य रूप से नई खरीदारी करने के लिए इसकी शुभता में है। माना जाता है कि धनतेरस पर कोई भी खरीदारी समृद्धि लाने और धन का प्रतीक मानी जाती है। इस त्यौहार का धार्मिक महत्व है क्योंकि जो पूजा-पाठ व अनुष्ठान किए जाते हैं वे हिंदू देवी और पौराणिक कथाओं से संबंधित हैं। नए व्यापारिक उपक्रम शुरू करने और नए निवेश करने के लिए भी यह एक शुभ समय माना जाता है।
धार्मिक महत्व के अलावा, इस त्योहार का एक किफायती मूल्य भी है। बाजारों में कारोबार करने के लिए यह साल का चरम समय होता है। इस दौरान बाजार इतना सक्रिय हो जाता है कि वे दिवाली के दिन तक 24 घंटे और 7 पहर खुले रहते हैं। सैकड़ों-अरबों की राशि का लेन-देन इस दिन दर्ज किया जाता है, जो वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक अच्छा संकेत माना जाता है। त्योहार की खरीदारी से अपनी क्षमता अनुसार हर क्षेत्र को लाभ मिलता है, चाहे वह छोटे असंगठित क्षेत्र जैसे सजावट के सामन हों, रोशनी की चीजें हों, बर्तन हों, या ऑटोमोबाइल और गहने जैसे संगठित क्षेत्र हों।
निष्कर्ष
धनतेरस एक प्रमुख हिंदू त्योहार है और पूरे दीपावाली के समारोह में बहुत महत्व रखता है। दिपावाली का मुख्य त्योहार धनतेरस के बिना अधूरा है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक के लिए एक समृद्ध और ख़ुशी की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस मनाने की रस्में अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकती हैं, लेकिन इसके मूल में समृद्धि और स्वास्थ्य का ही उत्सव होता है।
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