स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है: अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कथाएं

अर्थ (Meaning)

यह कहावत ‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’ का तात्पर्य है कि इश्वर के सबसे करीब वही है जो स्वच्छ है। यहां, स्वच्छता एक साफ़ और स्वच्छ शारीरिक स्थिति को दर्शाता है; हालाँकि, कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि यह एक स्वच्छ मानसिक स्थिति को भी दर्शाता है। यहाँ एक बात साफ़ है कि यह वाक्यांश एकदम स्पष्ट रूप से इस बात का जिक्र करता है कि – अगर कोई स्वच्छ शारीरिक तथा मानसिक स्थिति में भी यही चाहता है, तो केवल वह ईश्वर के साथ आध्यात्मिक रूप से जुड़ा हो सकता है।

उदाहरण (Example)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“भगवान तक पहुंचने का रास्ता स्वच्छ शरीर से होकर जाता है – वास्तव में, स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है।”

“स्नान करने और साफ़ कपड़े पहनने के बाद हमें सभी धार्मिक दायित्वों को निभाना चाहिए, क्योंकि, स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है।”

“अस्वच्छ शरीर और मन से भगवान का आशीर्वाद कभी नहीं प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि, स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है।”

“एक स्वच्छ शरीर, स्वस्थ शरीर के लिए पहली शर्त है; वास्तव में, स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है।”

उत्पत्ति (Origin)

‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’ इस वाक्यांश का सबसे पहली बार उपयोग एक मशहूर अंग्रेज मौलवी और प्रचारक, जॉन वेस्ले द्वारा किया गया था। वेस्ले ने इस वाक्यांश का उल्लेख 1791 में उनके एक उपदेश ‘ऑन ड्रेस’ को देते वक़्त किया गया था, इस दौरान उन्होंने एक लाइन को बोलते वक़्त इस वाक्यांश का उल्लेख किया था। वाक्यांश के साथ उपदेश का सटीक पैराग्राफ नीचे दिया गया है –

“यह देखा जाना चाहिए कि गन्दगी धर्म का हिस्सा नहीं है; न तो यह और न ही किसी भी ग्रंथ के पाठ में परिधान के स्वच्छता की निंदा है। निश्चित रूप से, यह एक कर्तव्य है, न कि पाप। स्वच्छता वास्तव में, ईश्वर से भी बढ़कर है।”

इस वाक्यांश से यह स्पष्ट है कि वेस्ले एक बिंदु बनाने की कोशिश कर रहे थे कि यद्यपि शारीरिक सफाई एक कर्तव्य है; हालाँकि, यह कोई पाप नहीं है। यानी, यह किसी भी धार्मिक शास्त्र द्वारा अनिवार्य नहीं है, यहाँ तक कि बाइबल में भी नहीं।

तब से इस वाक्यांश का समय-समय पर लेखकों, दार्शनिकों और राजनीतिक विचारकों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’ यह कहावत इस बात पर लागू होती है कि सफाई के लिए प्रयास करना उतना ही बढ़िया होता है जितना कि भगवान की भक्ति या कोई धार्मिक दायित्व निभाना। वास्तव में, यह बहुत आवश्यक है कि व्यक्ति को ईश्वर के निकट होने की इच्छा रखने वाले को स्वच्छता का विशेष ध्यान चाहिए।

यह वाक्यांश न सिर्फ भौतिक सफाई पर बल्कि अपने आस-पास की स्वच्छता के साथ-साथ स्वच्छ और पवित्र विचारों पर भी जोर देता है। अगर सिर्फ आपके विचार स्वच्छ हैं और आपका मन एकदम आनंदित है, तब धर्म और ईश्वर हर चीज का मतलब आपको समझ आएगा; अन्यथा दोनों को ही समझने में आप बुरी तरह से नाकाम रहेंगे।

महत्त्व (Importance)

यह वाक्यांश ‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’ सफाई के सन्दर्भ में काफी ज्यादा बढ़कर है। यह एक तथ्य है कि स्वच्छता का बेहतर स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है। यदि कोई भौतिक रूप से स्वच्छ है, तब वह मानसिक रूप से भी साफ़ होगा, और तो और उसका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। वहीं दूसरी तरफ एक अस्वच्छ व्यक्ति गंदे माहौल में रहकर बीमार पड़ने की कगार पर रहता है। जल्दी या बाद में, ये सिर्फ समय की बात है।

इसीलिए, बेहतर स्वास्थ्य में रहने के लिए, यह बहुत आवश्यक है कि सबसे पहले आप स्वच्छ रहें और अपने रहने की जगह को भी साफ़-सुथरा रखें। यह वाक्यांश भी बेहद समझदारी से ईश्वर को स्वच्छता से संबंधित करता है। यह धार्मिक दायित्वों के लिए स्वच्छता को एक शर्त बना देता है; हालाँकि, यह अनिवार्य नहीं है।

यह वाक्यांश समय-समय पर, कई सरकारों द्वारा भी इस्तेमाल किया गया है, ताकि वातावरण की सफाई और बेहतर स्वास्थ्य तथा स्वच्छता को बढ़ावा दिया जा सके।

स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Cleanliness is Next to Godliness’)

जैसा की मैं पहले भी बताता आया हूँ कि किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है’ कहावत का मतलब और भी सही तरह से समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार एक छोटा लड़का था जिसका नाम राजू था। वह बहुत ही खुशमिजाज था मगर उसकी एक बुरी आदत थी – वह साफ़-सफाई के प्रति काफी लापरवाह था। वह ब्रश भी काफी हड़बड़ी में करता था, नहाता भी कभी कभार ही था और कपडे साफ़ हैं या नही यह देखे बिना ही उसे पहन लेता था, खाना खाने से पहले कभी हाथ नही धुलता था।

यहाँ तक कि उसकी माँ ने भी उसकी इन गन्दगी वाली हरकतों पर उसे चेतावनी दी थी, मगर राजू अपनी आदत पर अटल था। वो सोचता था कि उसकी इन आदतों की वजह से उसे कुछ भी नहीं होने वाला। एक दिन ऐसा हुआ कि राजू बीमार पड़ गया – उसके पेट में कुछ संक्रमण हो गया और इसकी वजह से उसे काफी असहनीय दर्द हो रहा था। डॉक्टर को बुलाया गया। उसने राजू को चेक किया, और उसके अस्वच्छ और गन्दी आदतों को इस संक्रमण का जिम्मेदार ठहराया। डॉक्टर ने उसे चेतवानी दी, कि अगर उसने अपनी आदतों को नहीं बदला, तो वह सारा जीवन इसी तरह से बीमार पड़ता रहेगा।

इस घटना ने राजू को बदल कर रख दिया और अब वो एकदम साफ़ सुथरा लड़का बन गया था जो हमेशा स्वच्छता के प्रति सतर्क रहता था।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक बार, शहर के एक प्रतिष्ठित मंदिर को पुजारी की आवश्यकता था, जो मंदिर में धार्मिक कार्यों से जुड़े सभी काम कर सके और मुख्य पुजारी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए उनके बाद वाले पद पर रहे।

दूर-दराज से तमाम पुजारी इस प्रतिष्ठित पद के लिए आने लगे। वे सभी पारंपरिक पोशाक में एकदम साफ़ सुथरे कपड़े पहन कर आ रहे थे, जितना साफ़ उन्होंने आज तक नहीं पहना होगा। उन सभी के बीच एक पुजारी जिसका नाम रमैया था, वो काफी जानकार था, उसे कई धर्मों की लिपि की भी जानकारी थी, मगर उसने जिस तरह से कपड़े पहन रखे थे और वो जैसा दिख रहा था उससे एकदम अनाड़ी और लापरवाह लग रहा था। मुख्य पुजारी उसके ज्ञान से काफी प्रभावित हुए, फिर भी उन्होंने एक अन्य प्रतियोगी को अपना सहायक चुना।

रमैया, एकदम हक्का बक्का था और उसने मुख्य पुजारी से पुछा कि उसका चुनाव क्यों नही हुआ, जबकि वो बाकी सभी में सबसे ज्यादा बुद्धिमान था। रमैया के झल्लाहट को पुजारी के इन चंद शब्दों ने पूरी तरह से शांत कर दिया। पुजारी ने कहा – “गंदे शरीर में स्वच्छ मन कभी नहीं रह सकता; वास्तव में, स्वच्छता, भक्ति से भी बढ़कर है”।

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