स्वास्थ्य ही धन है: अर्थ, उदाहरण, उत्पत्ति, विस्तार, महत्त्व और लघु कहानियां

अर्थ (Meaning)

यह कहावत ‘स्वास्थ्य ही धन है’ जाहिर है उस धन से संबंधित है जो एक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के रूप में संचय करता है। दूसरे शब्दों में, यह वाक्यांश दर्शाता है कि यदि कोई स्वस्थ है, तो उसमे कड़ी मेहनत और श्रम के माध्यम से धन को अर्जित करने की काफी ज्यादा संभावना होती है। लेकिन, दूसरी तरफ, अगर किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है, तो उसके काम करने और धन जुटाने की संभावना काफी कम हो जाती है। तो, कहने का तात्पर्य यह है कि अगर आप अमीर बनना चाहते हैं तो सबसे पहली शर्त ये है कि आपको स्वस्थ रहना होगा।

उदाहरण (Examples)

किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘स्वास्थ्य ही धन है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।

“जॉन तुम्हे अपने स्वास्थ्य का ध्यान सबसे पहले देना चाहिए, आखिरकार, स्वास्थ्य ही धन है।”

“मैं सोचता हूँ कि कंपनी को सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचने के अलावा अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य के बारे में भी सोचना चाहिए। आखिरकार, वे केवल तभी काम कर सकते हैं जब वे स्वस्थ हों!”

“इसमें कोई तर्क नही बनता कि अपने स्वास्थ्य से समझौता कर के व्यापार किया जाये क्योंकि एक बार किसी समझदार व्यक्ति ने कहा है स्वास्थ्य ही धन है।”

“किसान खेतों में काम करने में इसलिए सक्षम होते हैं क्योंकि उनका शरीर काफी मजबूत होता है; वास्तव में, स्वास्थ्य ही धन है।”

“स्वास्थ्य के मामले में दुखद स्थिति में होने पर कोई भी व्यक्ति धन का संचय नहीं कर सकता क्योंकि वह काम नहीं कर सकता है” – स्वास्थ्य ही धन है!

उत्पत्ति (Origin)

यह वाक्यांश ‘स्वास्थ्य ही धन है’ पहली बार राल्फ वाल्डो इमर्सन, एक अमेरिकी निबंधकार, और दार्शनिक द्वारा इस्तेमाल किया गया था जो 19 वीं शताब्दी के दौरान मौजूद थे।

उन्होंने इस वाक्यांश का उपयोग अमेरिकी लोगों के संदर्भ में किया था, यह बताते हुए कि स्वास्थ्य, धन से अधिक महत्वपूर्ण है और सही मायने में स्वास्थ्य ही किसी भी व्यक्ति की वास्तविक संपत्ति है।

हालाँकि, इमर्सन ने 1860 में अपने एक कार्य जिसमे उन्होंने लिखा था वह असल में ‘स्वास्थ्य ही धन है’ के समान नहीं है; फिर भी, इसका अर्थ तक़रीबन वही था। उन्होंने यह लिखा था – “पहला धन स्वास्थ्य है”।

यह स्पष्ट है कि इमर्सन ने धन से ऊपर स्वास्थ्य को दर्शाया है और माना कि यही सच्चा धन है जिसे कोई भी व्यक्ति हासिल कर सकता है।

समय बीतने के साथ, वाक्यांश को थोड़ा सरल किया गया; हालाँकि, अर्थ तक़रीबन वही रहा।

आज, व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला यह वाक्यांश ‘स्वास्थ्य ही धन है’ कुछ भी नहीं है, लेकिन बस इमर्सन ने 1860 में जो लिखा था – “पहला धन स्वास्थ्य है” उसका एक सरल रूप है।

कहावत का विस्तार (Expansion of idea)

यह कहावत ‘स्वास्थ्य ही धन है’ वह कहावत है जो बहुत ही समझदारी से हमें सिखाती है कि हम सभी भौतिकवादी चीजें, धन, जिस भी चीज की हम इच्छा रखते हैं, केवल तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम स्वस्थ हों।

स्वास्थ्य आपको कड़ी मेहनत करने और वह सब कुछ हासिल करने की ताकत देता है जो कभी आप चाहते थे। वहीं दूसरी तरफ, यदि आप स्वस्थ नहीं हैं, कमजोर और दुर्बल हैं, तो आपके लिए काम करना और अपने सपनों को सच करना वाकई में काफी मुश्किल होगा।

अन्य संदर्भों में, इसका अर्थ यह भी है कि धन का तब तक कोई महत्व नहीं है यदि व्यक्ति अस्वस्थ है तो। जरा सोचिए अगर आपके पास दुनिया की सारी दौलत हो। आप सबसे महंगे रेस्तरां में, सबसे महंगा भोजन भी खा सकते हैं, लेकिन आपका स्वास्थ्य आपको ऐसा करने की अनुमति नहीं देता है! यह कितनी दुखद घटना होगी। उसी क्षण क्या आप अपने पसंदीदा भोजन के लिए अपने इफरात धन का त्याग नहीं करना चाहेंगे? असल में यही वो बात है जो यह वाक्यांश ‘स्वास्थ्य ही धन है’ हमें सिखाने की कोशिश करता है।

महत्त्व (Importance)

यह वाक्यांश ‘स्वास्थ्य ही धन है’ एक बेहद ही महत्वपूर्ण वाक्यांश है, इस पर विचार किया जाए तो यह हमें जीवन की सच्ची संपत्ति के बारे में बताता है। जीवन का सच्चा धन वास्तव में स्वास्थ्य है। यदि कोई व्यक्ति अच्छे स्वास्थ में है तो ही केवल वह काम कर पाएगा और अपने प्रियजनों की देखभाल कर सकेगा।

आज के इस प्रतिस्पर्धी माहौल में, हम अक्सर ही अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं और किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में जिसे हम जानते हैं उससे अमीर बनने के लिए एक सघन दौड़ में शामिल हो जाते हैं। यह एक अंधी दौड़ है क्योंकि अंततः, जब आप अपना स्वास्थ्य खो देते हैं तो आप अपना धन भी खो देंगे या फिर आपके लिए वह महत्वहीन हो जाएगा। क्या यह दुखद और निराशाजनक नहीं होगा; इसीलिए, यह स्वास्थ्य है जिसे हमें सबसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि हम स्वस्थ हैं, तो धन संचय करना केवल समय की बात है।

‘स्वास्थ ही धन है’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Health is Wealth’)

जैसा की मैं पहले भी बताता आया हूँ कि किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘स्वास्थ्य ही धन है’ कहावत का मतलब और भी सही तरह से समझ सकें।

लघु कथा 1 (Short Story 1)

एक बार राल्फ नाम का एक आदमी था। वो एक लॉ कम्पनी का बहुत ही प्रतिभाशाली और मेहनती कर्मचारी था। उसके लिए हर साल सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी का पुरस्कार मिलना एक तरह से तय रहता था। वह इस कम्पनी में करीब दस वर्षीं से काम कर रहा था। राल्फ और उसका परिवार उसकी पदोन्नति और वेतन वृद्धि से काफी खुश थे। लेकिन यहाँ इस कहानी का एक और पक्ष भी था। कॉर्पोरेट सीढ़ी से ऊपर जाने की अपनी प्रबल इच्छा में, राल्फ ने पिछले कई वर्षों तक अपने स्वास्थ के साथ काफी समझौता किया। बोर्ड की बैठकों में भाग लेने के लिए वह कई-कई बार दोपहर का भोजन तक छोड़ देता था; देर रात तक काम किया, और अक्सर ही रात का खाना भी छोड़ दिया करता था।

एक बार ऐसा हुआ कि वह इतना ज्यादा बीमार हो गया कि वह खुद से एक भी कदम आगे नहीं बढ़ पा रहा था। वह एक डॉक्टर के पास गया जिसने उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव दिया। वजह थी उसके एक आंत में हुआ अल्सर, जो वर्षों से उसके अनियमित भोजन की आदतों के कारण विकसित हुआ था। राल्फ एक महीने से भी अधिक वक़्त तक अस्पताल में था। इसके अलावा, इस दौरान उसका अच्छा ख़ासा पैसा भी खर्च हो गया जो उसने बीते वर्षों में खाना-पीना सब कुछ छोड़ कर कमाया था। जब उसे अस्पताल से छुट्टी मिली तो कुछ ऐसा था जिसे वे भूल नहीं सकता था। उसने अपने दोस्त से कहा कि अस्पताल में उसके बिस्तर के सामने की दीवार पर एक कैलेंडर था, जिस पर मोटे मोटे अक्षरों में लिखा हुआ था – “स्वास्थ ही धन है!” वास्तव में, उसने सोचा और कसम खाई कि अब कभी भी अपने खुद के स्वास्थ्य को नजर अंदाज नहीं करना है।

लघु कथा 2 (Short Story 2)

एक लड़का था जो एक साधारण से शहर में रहता था। वह पढ़ाई में बहुत अच्छा था और हमेशा एक डॉक्टर बनना चाहता था। वह अपनी पढ़ाई और तैयारियों के लिए इतना ज्यादा समर्पित था कि कई बार खाना भी नहीं खाता था जबकि उसकी माँ कई बार उसे ऐसा नहीं करने जिद तक करती थी मगर वो नहीं सुनता।

एक दिन उसे मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में शामिल होना था। वह इस परीक्षा की तैयारी में इतना ज्यादा मगन था कि परीक्षा से करीब एक सप्ताह से ही उसने ठीक से खाना तक बंद कर दिया।

हालांकि उसके माता-पिता काफी चिंतित थे, मगर वह नहीं था। वह सोचता था कि कुछ दिन भोजन छोड़ देने से उसे तैयारी के लिए थोड़ा अधिक समय मिल जायेगा। आखिरकार वह दिन आ गया। हमेशा की तरह, उसकी माँ ने जोर देकर कहा कि परीक्षा के लिए रवाना होने से पहले वह नाश्ता कर के ही जाए। और हर की तरह, लड़के ने अपनी माँ के बेहद ही उचित अनुरोध को नकार दिया और बिना नाश्ता किये ही परीक्षा केंद्र की तरफ निकल पड़ा।

उस दिन सूरज भी काफी ज्यादा गर्म था और लड़के ने आधे घंटे के सफ़र के लिए एक बस पकड़ ली। लेकिन खली पेट यह आधा घंटा भी सहन कर पाना उसे काफी लंबा लग रहा था। अचानक ही वह काफी कमजोरी महसूस करने लगा और बस में ही बेहोश हो गया।

तत्पश्चात, उसे एक पुलिस वैन की मदद से वापिस उसके घर छोड़ दिया गया। वह उस परीक्षा के लिए भी उपस्थित नहीं हो पाया जिसके लिए वह करीब एक वर्ष से तैयारी कर रहा था। वह निशब्द था और उसका दिल टूट गया था।

हालाँकि, उसके माता-पिता ने उसका काफी साथ दिया और उन्हें फिर से प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। अब वह एक बदला हुआ लड़का था। वह उसी जोश के साथ फिर से पढ़ाई कर रहा था लेकिन इसके साथ-साथ अब वह स्वस्थ चीजें भी खाने लगा था।

अगले वर्ष, वह उस परीक्षा में उपस्थित हुआ और चयनित भी हो गया। वह बहुत ही ज्यादा खुश था! जब उसे परिणाम मिले, तो वह अपने पिता के उन शब्दों को सुन सकता था जो उन्होंने उसकी पहली असफलता के बाद कहा था। उसके पिता ने कहा था – याद रखना बेटा कि स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है जो आपके पास हो सकती है।

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