अर्थ (Meaning)
यह कहावत ‘ज्ञान ही शक्ति है’ प्रतीक है कि सच्ची शक्ति, जो मनुष्य प्राप्त कर सकता है वह ज्ञान है। शारीरिक ताकत की अपनी पाबंदियां है मगर ज्ञान वो है जो आपको बड़ी से बड़ी चीजें करने देता है जिसके बारे में अपने पहले कभी सोचा भी नहीं होगा। इस कहावत का आसान सा अर्थ है कि जितना ज्यादा आपके पास ज्ञान होगा उतना ही ज्यादा आप परस्थितियों को नियंत्रित कर सकेंगे।
यही वो सच्ची ताकत है जो कोई व्यक्ति रख सकता है। आप अपने जीवन के साथ जो मर्जी चाहे कर सकते हैं; जो हासिल करना चाहते हैं कर लीजिये और अपने जीवन में सम्मान कमाइए।
उदाहरण (Example)
किसी भी कहावत का सही मतलब समझने के लिए उदाहरण सबसे बेहतर तरीका होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहावत ‘ज्ञान ही शक्ति है’ पर आधारित कुछ ताजा उदाहरण आपके लिए लेकर आया हूँ जो इस कहावत को बेहतर तरह से समझने में आपकी मदद करेगा।
“एक बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति कभी भी एक विशालकाय व्यक्ति को चतुराई में मात दे सकता है।” – वास्तव में, ज्ञान शक्ति है।
“शारीरिक ताकत केवल आपको सामान उठाने की ताकत दे सकती है, मगर ज्ञान आपको लोगों को प्रभावित करने और उनके दृष्टिकोण को बदलने की शक्ति देता है। वास्तव में असली ताकत यही है।”
“केवल ज्ञान ही है जो किसी भी संगठन में आपको एक प्रतिष्ठित जगह दिलाता है, न की आपकी शारीरिक ताकत” – अपने कर्मचारियों पर चिल्लाते हुए प्रबंधक ने ऐसा कहा।
“महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, आदि जैसे नेता शारीरिक रूप से मजबूत नहीं थे, फिर भी उनमें लाखों को प्रभावित करने की ताकत थी – सिर्फ उनके पास मौजूद ज्ञान के कारण।”
“एक राजा को न सिर्फ शारीरिक तौर पर मजबूत होना चाहिए बल्कि, समझदार और ज्ञानी भी होना चाहिए क्योंकि ज्ञान शक्ति है।”
उत्पत्ति (Origin)
यह कहावत ‘ज्ञान शक्ति है’ सर फ्रांसिस बेकन से सम्बंधित है, जो एक अंग्रेजी दार्शनिक, और राजनेता थे, जिन्होंने इंग्लैंड के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम किया था।
यह जरुर नोट कर लिया जाना चाहिए कि इस कहावत की लाइन बेकन की किसी भी लेखनी में नहीं मिलती है। यहाँ तक कि, मेडिटेशन सेक्रे (1597) नाम के उनके एक लैटिन लेखन में, एक वाक्यांश दिखाई देता है – “इस्पा स्किएन्तिअ पॉटेस्टास एस्ट” (ipsa scientia potestas est) जिसका अंग्रेजी में अनुवाद ‘ज्ञान खुद एक शक्ति है’ के करीब करीब समान आता है।
यहाँ तक कि इस कहावत के समान वाक्यांश, जो एक किताब लेविअथान जो थॉमस होब्बेस द्वारा लिखी गयी है वहां देखने को मिलता है, उन्होंने बेकन के सेक्रेटरी के तौर पर काम किया था। अपने काम में थॉमस ने लिखा ‘स्किएन्तिअ पॉटेस्टास एस्ट’ (scientia potestas est) जिसका अंग्रेजी अनुवाद ‘ज्ञान ही शक्ति है’ आता है।
तब से ही यह कहावत हर जगह लोकप्रिय होकर इस्तमाल में आने लगी और समय समय पर कई प्रकाशकों और महान उपन्यासकारों द्वारा दर्शायी जाने लगी। इसके अलावा, इससे मिलता जुलता एक और कहावत ‘विजडम इज पॉवर’ भी काफी चर्चित रूप से इस्तेमाल होता रहा।
कहावत का विस्तार (Expansion of idea)
यह कहावत ‘ज्ञान ही शक्ति है’ बताती है कि ज्ञान ही व्यक्ति की सच्ची और असली ताकत होती है न की उसकी शारीरिक शक्ति और न ही उसके हथियार। ज्ञान के बल पर जो ताकत हासिल होती है वो हमेशा के लिए होती है; जबकि शारीरिक ताकत कुछ समय के बाद ख़त्म हो जाती है।
इसे आप इस तरह से समझ लीजिये – क्या आप अपने सपनों को अपनी शारीरक ताकत के दम पर पूरा कर सकते हैं? यक़ीनन नहीं! चाहे जो भी हो अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपको उस खास क्षेत्र का ज्ञान हासिल करना पड़ता हैं। अगर आप एक डॉक्टर बनना चाहते हैं तो आपको खूब सारी पढ़ाई करनी होगी। डॉक्टर को किसी की जान बचाने के लिए उसकी शारीरिक ताकत की भला क्या जरूरत? वास्तव में, डॉक्टर दिखने में भले ही कितना भी दुर्बल लगे, निश्चित रूप से वो किसी बॉडी बिल्डर से ज्यादा शक्तिशाली होता है।
यहाँ पर ज्ञान का मतलब बुद्धिमानी से है – आपकी बुद्धि और अंगों के बजाय अपने मस्तिष्क का उपयोग करने की क्षमता। यह शारीरिक शक्ति के बजाय ज्ञान के प्रदर्शन को संदर्भित करता है। ताकत, इस मामले में, भौतिक शक्ति का मतलब यह नहीं है जो हम चीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए उपयोग करते हैं, बल्कि, किसी और के जीवन में बदलाव लाने की शक्ति; समाज में या अपने खुद के जीवन में। वास्तव में यह सच्ची शक्ति होगी और ज्ञान के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है।
महत्त्व (Importance)
‘ज्ञान ही शक्ति है’ यह कहावत काफी ज्यादा महत्वपुर्ण है, विशेषरूप से छात्रों के लिए जिन्हें ज्ञान के सही मूल्य को समझने की आवश्यकता है। यह उन्हें सिखाता हैं कि ज्ञान ही वह चीज है जिसका वो अपने जीवन में इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन शारीरिक शक्ति का नहीं।
आज की तारीख में छात्रों को कई सारी चीजों, बहुत से लोगों से मिलवाया जाता है और उनके पास हर उस चीज की चाभी होती है जो वे चाहते हैं। यह किसी बच्चे के लिए या किसी बड़े के लिए भी सामान्य सी बात हो सकती है कि हाथ में बन्दुक थाम कर गर्व या ताकतवर महसूस करना। यह कहावत साफ़-साफ़ इस तरह के रवैये को नकारता है और प्रेरित करता है सच्ची ताकत हासिल करने के लिए, सिर्फ ज्ञान के जरिये।
एक बन्दुक के साथ आप सिर्फ किसी को धमका सकते हैं या उसकी हत्या कर सकते हैं, लेकिन ज्ञान के साथ, आप उनकी पूरी जिंदगी बदल सकते हैं, और सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि अपनी खुद की भी। यह कहावत बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों को ज्ञान की सच्ची शक्ति सिखाती है।
‘ज्ञान ही शक्ति है’ पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘Knowledge is Power’)
जैसा की मैं पहले भी बताता आया हूँ कि किसी कहावत के नैतिक गुण को समझने के लिए कहानी एक बेहतर माध्यम होती है। आज मैं आपके लिए कुछ कहानियां लेकर आया हूँ ताकि आप ‘ज्ञान ही शक्ति है’ कहावत का मतलब और भी सही तरह से समझ सकें।
लघु कथा 1 (Short Story 1)
एक बार भारत के दूर दराज के एक गाँव में एक बहुत ही दुबला पतला, बेचारा सा लड़का था, जिसका नाम राजू था। उसके पिता एक किसान थे, जो मुश्किल से उसके सरकारी स्कूल की फीस भर पाते थे। मगर राजू की पढ़ाई के प्रति बेधड़क भावना थी। यहाँ तक कि वह पढ़ाई में काफी मेहनत करता था और एक अच्छा छात्र भी था, मगर हर कोई उसे उसके दुबले पतले शरीर और गरीब परिवार का होने का ताना देता था।
उसके कक्षा के साथी उसे नीचा और कमजोर दिखाते थे। इसकी वजह से, राजू भी उदास हो जाता था, लेकिन वह धर्य रखे हुआ था वह उसके अन्दर एक उम्मीद थी कि एक दिन वह सभी को गलत साबित कर के दिखायेगा। उसे खुद पर और अपने ज्ञान पर पूरा आत्मविश्वास था। वह जानता था कि एक दिन, जो ज्ञान उसके पास है, उससे वह सभी को दिखा देगा की वो कक्षा में सबसे ज्यादा ताकतवर बच्चा है।
सभी को गलत साबित करने की इच्छा के साथ, राजू और भी ज्यादा मेहनत से पढ़ाई करता गया, वास्तव में बहुत ही ज्यादा मेहनत से। उसने आल इंडिया मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की और शीर्ष के 10 रैंक में जगह बनाई। यह एक गरीब किसान के बेटे के लिए असाधारण सफलता थी। अब कुछ था जो एकदम तेजी से बदल गया। राजू के वे सभी सहपाठी जो खुद को उससे ज्यादा शक्तिशाली बताते थे वो अचानक से कमजोर होने लगे।
यहां तक कि सभी संपन्नता और संपत्ति के बावजूद, वे राजू से कमजोर और हीन महसूस करने लगे। क्यों? क्योंकि, राजू के पास ज्ञान की शक्ति थी और कहीं न कहीं उनके दिमाग में भी ये बात थी कि ज्ञान में ही असली शक्ति है।
लघु कथा 2 (Short Story 2)
एक बार एक बहुत बड़ा समुद्री जहाज बीच समुंदर में ही ख़राब हो गया। कप्तान ने इंजन मैकेनिक को झट से बुलवा भेजा कि वो समस्या को देखे। मैकेनिक आया, उसने इंजन के हर हिस्से को देख लिया अपने पूरे हाथ में ग्रीस आदि भी लगा लिया मगर समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाया। परेशान और गुस्सा होकर; कप्तान ने इंजीनियर को बुलवाया, लेकिन दुर्भाग्यवश, कई घंटो के परिक्षण के बाद, आखिरकार वह भी इंजन शुरू कर पाने में नाकाम रहा। इतनी देर के बाद, कप्तान काफी ज्यादा गुस्सा हो गया था और मैकेनिक और इंजीनियर को उनकी असमर्थता के लिए डांट भी सुनाई। हर कोई इस समस्या के सामने एकदम से असहाय महसूस कर रहा था।
कोई भी विकल्प न देखकर, कप्तान ने सबसे पुराने और अनुभवी सुपरवाइज़र को बुलवाया, जो सेवानिवृत हो चुका था और अब मेस देखता था। बूढ़े सुपरवाइजर ने इंजन को देखा और एक लम्बी आह भरी, और अपने कमरे में चला गया। सिर्फ एक हथौड़े के साथ वह वापिस आया, इंजन रूम में दुबारा से अन्दर घुसा, और इंजन पर एक खास जगह सिर्फ एक हथौड़ा मारा। हर कोई आश्चर्यचकित था, इंजन एक बार फिर से गरजने लगा था। उस बूढ़े सेवानिवृत सुपरवाइजर ने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में जो ज्ञान हासिल किया था, उसने उसे ताकत दी कि वह बीच समुंदर में खड़ी इस विशालकाय जहाज को चला पाया, जो कोई भी नहीं कर पा रहा था – वास्तव में, ज्ञान ही शक्ति है।