विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व पर भाषण

अनुशासन छात्र जीवन का इतना अभिन्न हिस्सा है कि हम इसके बिना हमारे अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जब हम रोज़ अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हैं तो हम अक्सर इसके बारे में बात करते हैं तथा इससे मुक्ति पाना चाहते हैं। जब हम गुज़रे समय पर नज़र डालते हैं और हमारे स्कूल के दिनों के बारे में सोचना शुरू करते हैं जब हमारे शिक्षक हमें जीवन में अनुशासन के महत्व के बारे में बताते थे। तो यह एक ऐसा विषय है जब शिक्षक अपनी कक्षाओं में उनके छात्रों के व्यवहार को निखारने के लिए संबोधित करते हैं।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व पर भाषण (Speech on Value of Discipline in Student Life in Hindi)

भाषण – 1

सम्मानित प्रिंसिपल, अध्यक्ष समिति के सदस्य, शिक्षकगण और प्रिय साथी छात्र – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!

आइए सबसे पहले सुबह में खिली हुई धूप और हमारे स्कूल की सुंदरता का आनंद ले और हमें यह बहुमूल्य उपहार देने के लिए सर्वशक्तिमान के प्रति आभार व्यक्त करें।

आज मैं – कक्षा-X का छात्र शिखवंत शर्मा अनुशासन पर भाषण देने के लिए आपके सामने मंच पर खड़ा हूँ। मुझे आप सभी के साथ यह तथ्य साझा करते हुए जरा भी प्रसन्नता नहीं हो रही है कि हमारे शिक्षक और प्रबंध समिति हमारे स्कूल में बढ़ती अनुशासनहीनता से बहुत ज्यादा परेशान हैं। एक समय था जब हमारे स्कूल को पूरे क्षेत्र में सभी वर्गों में अनुशासन बनाए रखने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्कूल से सम्मानित किया गया था और अब दुर्भाग्यवश यह समय आ गया है कि हमारा स्कूल धीरे-धीरे अपने विशिष्ट गुणों की वजह से बुरी पहचान बना रहा है।

कुछ छात्रों को अक्सर स्कूल में देर से आते हुए देखा जा सकता है जिसके कारण अन्य छात्रों की भी इसके कारण बुरी छवि बन रही है। इतना ही नहीं छात्रों ने कक्षाएं बंकींग करनी भी शुरू कर दी हैं जिसके कारण छात्र परीक्षाओं की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं और अपने परीक्षणों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि मैंने अनुशासन पर भाषण देने के लिए पहल की और मेरे कनिष्ठ और साथ-साथ छात्रों को हमारे जीवन में अनुशासन के महत्व का एहसास करने पर जोर दिया क्योंकि प्रबंधन समिति छात्रों के लिए सख्त नियम लागू नहीं करना चाहती है। वे उन छात्रों के लिए पर्यावरण अनुकूल और मददगार बनाने में विश्वास करते हैं जहां वे स्वाभाविक रूप से छात्रों को सीखने और विकास की संभावनाओं के प्रति प्रेरित कर सकें।

तो मैं आपको मित्रों यह बताना चाहूंगा कि ये हमारे सभी शिक्षाविदों की अच्छी नींव रखने के लिए सबसे बहुमूल्य समय है। दूसरा यह मजबूत नींव केवल अनुशासित जीवन शैली को अपनाने से ही निर्धारित की जा सकती है और यह अनुशासन हमारे विद्यालय से ही शुरू होता है। शैक्षिक अनुशासन में क्रमशः मानव शरीर और मस्तिष्क की शारीरिक और मानसिक कंडीशनिंग की प्रक्रिया शामिल है।

हम सभी को यह जानना चाहिए कि अनुशासन हमारे उद्देश्यों और उपलब्धियों के बीच पुल के रूप में कार्य करता है। अनुशासन का उद्देश्य एक निजी राष्ट्र के निर्माण के लिए व्यक्तिगत लक्ष्यों को हासिल करने के लिए या समाज द्वारा बनाए गए नियमों और कायदा कानूनों का पालन करने के लिए तैयार करने का प्रावधान है। ज्यादातर समय अनुशासन को दूसरों के द्वारा पालन करने की सलाह देने की बजाए स्वयं पालन करना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में यह दूसरे व्यक्ति का जीवित रहना मुश्किल कर सकती है। हालांकि हमें यह समझना चाहिए अनुशासन हमारी अपनी भलाई और प्रगति के लिए है। यह महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति अनुशासन का पालन करें, चाहे वह गृहिणी हो, पेशेवर, व्यापारिक व्यक्ति, कलाकार या किसी विषय पर काम कर रहा कोई छात्र हो।

छात्रों के रूप में अनुशासित जीवन जीना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है यानी समय पर विद्यालय आना, सभी कक्षाओं में भाग लेना, सभी कक्षाओं की शिक्षाओं का पालन करना और हमारी शिक्षाविदों और इच्छाओं के बीच संतुलन बनाना।

हिसाब लगाना जरा मुश्किल है लेकिन अनुशासन हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है इसके बाद बड़े पैमाने पर हमारी संस्था और हमारे देश की प्रगति का नंबर है। इसकी अनुपस्थिति हमें विफलताओं और पराजय का सामना करने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए छात्रों के रूप में हमारा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण समय पर ध्यान होना चाहिए और हमारी पढ़ाई के लिए ईमानदारी से समर्पित होना चाहिए।

अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि हमें अपने स्कूलों के उज्ज्वल छात्र बनने और हमारे संस्थान को प्रोत्साहन देने के लिए स्व-नियमन के साथ-साथ अपने जीवन पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।

धन्यवाद!

 

भाषण – 2

आदरणीय शिक्षकगण और प्रिय छात्रों – मैं आपका हमारे संस्थान के मासिक भाषण समारोह में स्वागत करता हूं!

मुझे इस तथ्य पर बहुत प्रसन्नता हो रही है कि हमारी संस्था ने सफलतापूर्वक 5 वर्ष पूरे कर लिए है और उसके बाद से इस जगह के साथ मेरा बंधन मजबूत हो रहा है। मैं ऐसे और कई वर्षों की लगातार सफलता और विकास की इच्छा रखता हूं और आशा करता हूं कि हम अपने देश के युवाओं को ज्ञान और सही मूल्यों के साथ सही रास्ता दिखाएंगे। आज इस संस्थान के वरिष्ठ संकाय सदस्यों में से एक के रूप में मैं यहां इस समारोह की मेजबानी कर रहा हूं और अपने सभी विद्यार्थियों के लिए अनुशासन पर एक संक्षिप्त भाषण देना चाहता हूं क्योंकि यह समय की आवश्यकता बन गया है। वर्तमान समय में हमारे युवा बहुत हद तक एक अनियमित जीवन शैली जी रहे हैं और नियमों और कायदे-कानूनों को तोड़ रहे हैं।

हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि समय पैसा है और अगर हम समय को नष्ट करेंगे तो समय हमें नष्ट कर देगा! इसलिए जीवन के हर दौर में अनुशासन आवश्यक है चाहे हम छात्र हों या न हों। अनुशासन हमारे जीवन का सार है और यदि हम इससे दूर रहते हैं तो हमारे भविष्य की संभावनाओं पर निश्चित रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यद्यपि समय बीतने के साथ आपको अस्थायी खुशी जरुर मिलेगी लेकिन अंत में आपको केवल एक दर्दनाक अनुभव का परिणाम मिलेगा। इसलिए शुरुआत से ही हमारी ज़िंदगी को अनुशासित करना महत्वपूर्ण है जिससे हमारे जीवन को संचालन करने का एक आधार बन सके।

वास्तव में जीवन के सभी चरणों में न केवल अनुशासन की आवश्यकता होती है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में भी। उदाहरण के लिए एक सेना इसके बिना अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकती है और इसलिए सेना अपने विभाग में जीरो टोलरेंस नीति के साथ सख्त अनुशासन लागू करती है। एक शैक्षिक संस्थान भी इसके बिना कार्य नहीं कर सकता है। यह यही कारण है कि शिक्षक और छात्रों दोनों के लिए तयशुदा समय आवंटित किए जाते हैं और हर एक को इसका पालन करने को कहा जाता है ताकि संस्था का नियम और कायदा-कानून बरकरार रखा जा सके।

इसी तरह कॉर्पोरेट, अदालतों, सभागारों आदि में जगह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए छोटे निजी फर्म अनुशासन सहित बनाए रखे जाने चाहिए। अस्पतालों में आगंतुकों को केवल निश्चित घंटों में ही मिलने की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा किसी भी आगंतुक को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिलता। यहां तक ​​कि आपके बिजली बिल या टेलीफोन बिल का भुगतान या फिल्म टिकट खरीदने के लिए भी आपको एक कतार में खड़े होना होगा और अपना काम पूरा करना होगा।

जब हमारे निजी जीवन की बात आती है तो हम पूरी तरह से शाही जीवन का आनंद नहीं उठा सकते और थोड़ा अनुशासन स्थिर और सार्थक जीवन के लिए बनाया रखा जाना ज़रूरी है। उदाहरण के लिए यदि आप अत्यधिक मात्रा में खाना खाते हैं तो आपको पेट में दिक्कत हो जाएगी। इसी तरह यदि आप देर रात तक टीवी देखते हैं तो आप अगली सुबह बीमार महसूस करेंगे। यदि आप अपने अध्ययन के प्रति अनुशासित नहीं रहेंगे तो आप विचलित महसूस करेंगे और अपनी परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।

इसलिए संक्षेप में कहूँ तो जीवन का आनंद तब उठाया जा सकता है जब अनुशासन की पालना समय पर हो। जीवन तब नीरस हो जाता है जब मनुष्य के जीवन में किसी प्रकार की उत्सुकता ना रहे और हमारा अस्तित्व पशु जैसा बन जाए। अंत में मैं अपने विद्यार्थियों से अनुरोध करता हूं कि किसी भी अन्य व्यक्ति को अपने जीवन में नियम लागू न करने दे बल्कि आत्म-अनुशासन का पालन करें, अपने आप को व्यवस्थित करें और इससे लाभ हासिल करने की कोशिश करें।

धन्यवाद।

 

भाषण – 3

आदरणीय प्रधानाचार्य, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों! मेरी ओर से आप सभी को सुप्रभात।

आज छात्रों के बीच अनुशासन के बारे में चर्चा के उद्देश्य से यह विशेष सभा आयोजित की गई है। इस विद्यालय में एक शिक्षक के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि छात्रों को अपने जीवन में अनुशासन के महत्व का एहसास कराना चाहिए। तो अपना भाषण शुरू करने से पहले मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि अनुशासन क्या है? अनुशासन वास्तव में एक ऐसे व्यक्ति का एक नियंत्रित व्यवहार है जो हर क़ायदे और नियम का पालन करता है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि नियमों का पालन कहाँ किया जा रहा है। इन दिनों छात्रों के बीच अनुशासन के प्रति उत्साह कम हो रहा है और यह एक बहुत ही समस्याग्रस्त स्थिति है जिसे तुरंत हल करने की जरूरत है।

अनुशासन एक छात्र की जिंदगी में वह पहली चीज है जो उसे सफलता की राह पर ले जाती है। स्कूल में नियमों और कायदों को स्थापित करने का कारण यह है कि छात्रों को अनुशासन और उनके बीच विनयशील बने रहने के बारे में सिखाना है। किसी भी छात्र की शुरुआती जिंदगी में जब वह पढाई शुरू करता है तो यह वह समय है जहां अनुशासन का शिक्षण शुरू होता है और माता-पिता अपने बच्चे में अनुशासन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि एक बच्चा केवल स्कूल में ही लगभग आठ घंटे बिता देता है और शेष अपने माता-पिता के साथ। हमारे जीवन में अनुशासन के महत्व को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। अनुशासन केवल बच्चों के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि हर व्यक्ति के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

अगर हम परिपक्वता के बारे में बात करे तो सीखने के लिए आत्म अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमें अनुशासन में रहने और विनम्र रहने में मदद करता है। यह सबसे कठिन कार्य है। एक अच्छे स्कूल का अस्तित्व केवल तभी संभव है अगर वहां अनुशासन है यह माता-पिता के लिए स्कूल में बच्चों को भेजने का पहला उद्देश्य यही है। जरा सोचिए यदि छात्र अपने स्कूल में अपनी मन-मर्ज़ी से ही सब कुछ करेंगे तो शिक्षकों के लिए पढ़ाना असंभव हो जाएगा। मुझे विद्यार्थियों से कई शिकायतें मिली हैं कि वे अपनी कक्षा में साथी छात्रों के द्वारा किए शोर के कारण अध्ययन करने में सक्षम नहीं हैं। यह छात्रों के बीच अनुशासन की कमी के कारण है। यह जिम्मेदारी न सिर्फ स्कूल की बल्कि माता-पिता, स्कूल और सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार द्वारा इससे संबंधित कुछ उपाय किए जाने चाहिए। अनुचित थोड़ी उपस्थिति धारकों के लिए जुर्माना होना चाहिए। सही व्यवहार के लिए स्कूल में सख्त नियम होना चाहिए।

लेकिन कभी-कभी एक छात्र के खराब व्यवहार के पीछे का कारण उसके परिवार की स्थिति और व्यक्तिगत समस्याएं भी होती हैं। कई बार विद्यार्थी अपनी समस्याओं को समझने में सक्षम नहीं होते और वे हताश-निराश हो जाते हैं तथा बुरा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। शिक्षकों की जिम्मेदारी विद्यार्थियों के खराब व्यवहार के कारण समझने की है और उन्हें अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा नहीं करना चाहिए। इस प्रकार मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि हम सभी को छात्रों के बीच अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। केवल तभी इस समस्या का हल हो पाएगा।

इसी के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूं और मुझे आशा है कि अब से आप सभी अपने जीवन में अनुशासन बनाए रखने का प्रयास करेंगे।

धन्यवाद। आप सभी का दिन शुभ हो।


 

भाषण – 4

आदरणीय प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, शिक्षकगण तथा मेरे सभी साथी छात्रों आपका आज के इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है।

आज हमारे विद्यालय की स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, इन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। जिसके अंतर्गत इस भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है। इस दिन के महत्व को देखते हुए, मैने अपने भाषण के लिए ऐसे विषय को चुना है, जिसने हमारे विद्यालय को आज इस शहर के शीर्ष विद्यालयों की श्रेणी में पहुचाया है।

आज हमारा विद्यालय जिस स्तर पर है, उसका सिर्फ एक ही कारण है और वह है, अनुशासन यह हमारे विद्यालय की वह विशेषता है जो सभी छात्रों को उनके कार्यों के प्रति नियमित बनाने के साथ अपने कार्यों और कर्तव्यों के प्रति उनका सौ प्रतिशत सर्मपण देने के लिए भी प्रेरित करती है। हम सभी छात्रों ने जो सफलता प्राप्त की है। वह सिर्फ हमारे विद्यालय के अनुशासन द्वारा ही संभव हो पाया है क्योंकि हमें हमारे शिक्षकों द्वारा शुरु से ही अनुशासन और आदर्श जीवन की शिक्षा दी गयी और इसके साथ ही हमें समझाया गया कि जीवन में मिलने वाली सफलताओं में इसका कितना बड़ा महत्व है।

अपने भविष्य में चाहे हम जो भी कार्य करें लेकिन हमारे स्कूली जीवन में हमें सिखाया गया यह अनुशासन का पाठ सदैव हमारे काम आयेगा। यही कारण है कि हमारे विद्यालय के कई वरिष्ठ छात्र आज कई बड़ी कंपनियों तथा संगठनों में बड़े पदों पर कार्यरत है। हम जो भी कार्य करते है उसमें अनुशासन बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह हमारी कमियों और हमसे होने वाली गलतियों की संभावना को कम करता है और हमें एक सफल व्यक्ति बनाने में हमारी सहायता करता है।

अनुशासन हमारे जीवन का वह पाठ है, जिसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। यदि हमें हमारे जीवन के शुरुआती दौर में अनुशासन की शिक्षा न मिले तो, हमें हमारे जीवन में कई प्रकार की असफलताओं का सामना करना पड़ता है और आज के इस आधुनिक दौर में जहां हर ओर सिर्फ गलाकाट प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है, तो ऐसे स्थिति में अनुशासन के बिना सफलता की आशा भी नही की जा सकती है।

एक छात्र का जीवन अनुशासन पर टिका होता है। आज हम संसार में जितने प्रसिद्ध व्यक्तियों को देखते है। उनके सफलता के पीछे का मुख्य कारण उनका अनुशासन और अपने कार्य के प्रति किया गया समर्पण और लगन है। यही कारण है कि अनुशासन को सफलता की कुंजी भी कहा गया है। हमें सदैव इस बात को लेकर प्रयासरत रहना चाहिये कि हम अपने जीवन में कुछ नया सीखे अपने जीवन में कुछ नया करे क्योंकि अनुशासन के लिए हमें अभ्यास और लगन की भी आवश्यकता होती है।

कई बार सख्त अनुशासन हमे काफी कष्टदायक महसूस होता है लेकिन वास्तव में यह हमारे ही भलाई के लिए होता है क्योंकि परिवर्तन ही संसार की नियम है और जो व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन का पालन करते हुए परिवर्तन को स्वीकार करता है वह अपने जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त करता है। इसी तरह जब कई बार हमारे शिक्षक हम पर सख्ती लागू करते है, तो हमें इस बात को समझना चाहिए कि वह ऐसा हमारे भलाई के लिए ही कर रहे है।

जब हमारे शिक्षक हमारी पढ़ाई को लेकर सख्त रुख अपनाते है, तो वह ऐसा सिर्फ इसलिए करते है ताकि हम अपने परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त कर सके। यही कारण है कि कई बार वह हमें डांटते भी है लेकिन ऐसा सिर्फ वह हमारे भलाई के लिए करते है, क्योंकि वह चाहते है कि हम अपने जीवन में अनुशासित बनकर एक सफल व्यक्ति बन सके।

मेरे इस भाषण को इतना ध्यान से सुनने के लिए आप सबका धन्यवाद, मैं उम्मीद करता हूँ कि अनुशासन के विषय पर मेरा यह भाषण आप सबको पसंद आया हो अब मैं दूसरे प्रतिभागियों से अनुरोध करता हूँ कि वह मंच पर आये और अपने विचार व्यक्त करके इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का कष्ट करें।

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