शिक्षक/अध्यापक पर भाषण

छात्रों के जीवन में शिक्षक की एक विशेष जगह होती है। अध्यापक छात्रों को आदर्श नागरिक बनाने के लिए उनका मार्गदर्शन करके राष्ट्र के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे कई अवसर हैं, जैसे कि शिक्षक दिवस, जब स्कूल और समाज में शिक्षकों की भूमिका पर भाषण देने की आवश्यकता होती है। यहां हम आपको शिक्षकों की प्रशंसा में दो स्पीच (भाषण) उपलब्ध करवा रहे हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमें से कोई भी स्पीच (भाषण) चुन सकते हैं।

शिक्षक पर भाषण (Speech on Teacher in Hindi, Shikshak par Bhashan)

शिक्षक पर भाषण – (5 मिनट का भाषण)

सभी को मेरा प्रणाम,

इस भव्य समारोह में मैं आप सभी का स्वागत करता हूँ। हमारे जीवन में हमें कुछ ऐसे व्यक्ति या शिक्षक मिलते हैं जिन्हें हम अपना आदर्श मानते हैं।

आज मैं आपसे उस व्यक्ति के बारे में बात करना चाहता हूं जो किसी भी स्कूल के अस्तित्व की नींव रखता है – ‘शिक्षक’। शिक्षक वह है जो एक संस्था के विद्यार्थियों की शैक्षिक शक्ति को मजबूत करता है। शिक्षक वह है जो छात्रों का स्कूल से और स्कूल का छात्रों से सम्बन्ध को मजबूती देता है।

जब मैं छोटा था तब मैं हमेशा अपने विषय को शिक्षक के नाम से जोड़ता था और जो शिक्षक जितना अच्छा उस विषय को पढ़ाता था उतने ही ज्यादा मेरे अंक उस विषय में आते थे। जीं हा यही सत्य है।

यह एक सिद्ध तथ्य है कि शिक्षक का काम सिर्फ नौकरी करना ही नहीं है बल्कि उसके द्वारा किए गये कार्यों से पूरे देश के विकास और कल्याण पर असर पड़ता है। जो सबसे ज्यादा जरुरी है शिक्षक उसे हासिल करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें समाज की रीढ़ के रूप में माना जाता है क्योंकि वे छात्र के चरित्र के निर्माण में लगातार अपना योगदान देते हैं, उनके भविष्य को आकार देने और देश के आदर्श नागरिक बनने में उनकी मदद करते हैं। एक अच्छा शिक्षक हमेशा आशा जगाता है, प्रेरणा देता है, कल्पना को प्रज्वलित करता है और हमारे भीतर सीखने की चाहत को बढ़ावा देता है।

यह सच नहीं है कि शिक्षक केवल तभी काम करता है जब उसे कक्षा में पढ़ाना होता है बल्कि शिक्षक का काम तो कक्षा में छात्रों को संबोधित करने से पहले ही शुरू हो जाता है। उन्हें अपने विषय के बारे में तैयारी करनी पड़ती है, परीक्षा के पर्चे बनाने पड़ते है, अभ्यास कार्य तैयार करना होता है और बाकी सभी कार्यों की सूची तैयार करनी पड़ती है तब जाकर शिक्षक कक्षा में पढ़ाने के लिए आते हैं। यह शिक्षकों की कड़ी मेहनत ही है जो विभिन्न तरह की सामग्री के माध्यम से छात्रों के ज्ञान को समृद्ध करके उन्हें समाज की भलाई के लिए तैयार करता है।

शिक्षक हमें नैतिक समर्थन देकर हमें समाज में गुणवत्ता का जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनके पास छात्रों के कैरियर के विकास के पहलुओं और उनके पसंदीदा क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं को समझने की शक्ति है।

शिक्षक एक छात्र को अपने चरित्र को आकार देने और अपने भविष्य के उज्ज्वल बनाने में मदद करते हैं। वे हमें इस दुनिया में मजबूती से खड़े रहकर मुकाबला करने योग्य बनाने में सक्षम बनाते हैं ताकि हम समझदारी से हमारे रास्ते में आने वाली कई चुनौतियों से निपटने में सफल हो सकें।

एक निष्कर्ष के रूप में मैं आपको सभी से कहना चाहता हूं कि आप हमेशा अपने शिक्षकों के साथ बंधन को संजोए। उन्होंने आपको शिक्षित किया है और इस समाज में आपको बढ़िया जीवन जीने लायक बनाया है। हम अपने शिक्षकों के प्रति हमारे सम्मान और कृत्य का श्रेय देते हैं, उन्होंने शिक्षा के साथ हमें सशक्त बनाया है, उन्होंने हमें माता-पिता की तरह अपने प्यार और स्नेह के साथ पोषण किया है। उन्होंने इस देश के सुनहरे भविष्य के लिए नए खून का निर्माण किया है।

शिक्षक हमेशा से ही सबके लिए विशेष रहे हैं और आने वाले समय में भी विशेष रहेंगे।

धन्यवाद!

अध्यापक पर भाषण – (6 मिनट का भाषण)

आदरणीय प्रिंसिपल, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथी छात्रों,

आप सभी का इस शुभ अवसर पर स्वागत करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। आज हम यहाँ सबसे ज्यादा प्रिय दिवस, शिक्षक दिवस, का जश्न मनाने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। यह मेरे लिए शिक्षकों के बारे में कुछ शब्द, स्कूलों और कॉलेजों में उनकी भूमिका तथा छात्रों के जीवन पर उनके प्रभावों को साझा करने का अवसर है।

शिक्षक हमारे समाज का आधार हैं क्योंकि वे बच्चों के रूप में राष्ट्र के भविष्य को सही आकार देने में बड़ा योगदान देते हैं, अर्थात छात्रों को देश के आदर्श नागरिक बनने में मार्गदर्शन करते हैं। शिक्षकों की नौकरी जिम्मेदारी और चुनौतियों से भरी है क्योंकि प्रत्येक छात्र एक जैसा नहीं होता है इसलिए शिक्षक को अलग-अलग छात्रों के लिए अलग-अलग शिक्षण पैटर्न अपनाना पड़ता है। शिक्षण एक सामाजिक अभ्यास है और ज्ञान से अधिक है। एक शिक्षक अच्छा इंसान होना चाहिए जो अपनी नौकरी की ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह से अपने कंधों पर उठा सकता हो और उस स्थिति की संवेदनशीलता को समझ सकता हो जहां विभिन्न पृष्ठभूमि वाले छात्र सीखने के लिए एक साथ आते हैं जहाँ पढ़ाते समय शिक्षक अपनी क्षमता के सर्वश्रेष्ठ कौशल और ज्ञान का इस्तेमाल कर सकें।

हर शिक्षक के पास जो गुण मुख्य रूप से होने चाहिए उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • उत्साह – यह एक ज्ञात तथ्य है कि जो अध्यापक शिक्षण के दौरान उत्साह दिखाते हैं वो छात्रों को सीखने, ज्ञान प्राप्त करने का एक मज़ेदार और सकारात्मक माहौल के निर्माण में मदद करते हैं। ये शिक्षक शिक्षण के समान स्वरूप का पालन न करके छात्रों को व्यस्त और उत्साही रखने के लिए नई शिक्षण विधियों को जन्म देते हैं।

शिक्षक की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका छात्रों को प्रेरित करना है। कुछ छात्र अपने शिक्षक को एक आदर्श रूप में देखकर उनके जैसा बनने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हर शिक्षक प्रत्येक छात्र पर एक सकारात्मक प्रभाव को छोड़े।

  • विद्यार्थियों के साथ बातचीत – यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शिक्षार्थी की क्षमता को समझने के लिए शिक्षक छात्रों के साथ पारदर्शी और खुली चर्चा में शामिल हो। कुछ छात्र शर्मीले होते हैं जबकि अन्य विफलता से डरते हैं। एक सच्चे शिक्षक पर व्यावहारिक रूप से छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करने में भरोसा किया जा सकता है।

परंपरागत रूप से शिक्षण प्रार्थना के समान समझा जाता है। पुराने दिनों में माता-पिता गुरूकुल में अपने बच्चों को छोड़ते थे (एक प्रकार का आवासीय स्कूल जहां छात्र अध्ययन के लिए शिक्षक के साथ रहते हैं)। इस परंपरा को माता-पिता और शिक्षकों के बीच विश्वास और बंधन द्वारा बहुत समर्थन प्राप्त था। आज भी विश्वास सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है जो माता-पिता को अपने बच्चों को किसी एक विशेष स्कूल में पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। एक शिक्षक को वैकल्पिक माता-पिता माना जाता है इसलिए शिक्षण का यह पेशा सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण और जवाबदेही से भरा होता है।

कई बार हमें शारीरिक दंड के बारे में सुनने को मिलता है। कुछ शिक्षक विद्यार्थियों को इतनी बर्बरता और क्रूरता से मारते है कि उनमें से कुछ की तो मृत्यु भी हो जाती हैं। हालांकि, ऐसा करना पुरे भारत में प्रतिबंधित है। यद्यपि यह ज़रूरी है कि शिक्षकों को कभी-कभार सख्त होना चाहिए लेकिन छात्रों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के बजाय उन्हें दंडित करने के और भी कई वैकल्पिक उपाय हो सकते हैं।

खैर अब मैं इस भाषण को हमारे शिक्षकों को बहुत धन्यवाद देते हुए समाप्त करना चाहूंगा जो इतने दयालु और देखभाल करने वाले हैं। इस स्कूल का हिस्सा बनकर हम खुद को बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।

धन्यवाद!

शिक्षक पर भाषण – (7 मिनट का भाषण)

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे भाईयों और बहनों, आज मैं आप सबके सामने अपने शिक्षकों के ऊपर कुछ शब्द बोलने जा रही हूं, आशा करती हूं कि यह आप सबको बहुत पसंद आएगा।

हम विद्यार्थी हैं और हमसे अच्छी तरह शिक्षकों का महत्व कौन समझ सकता है। शिक्षक वह व्यक्ति होता है, जो अपने ज्ञान की ज्योति से सबको प्रकाशित करता है। अपने ज्ञान से लोगों के मन से अंधकार मिटाता है। वह जीवन की एक अहम कड़ी है, जो हमको असल मायनों मे जीवन से परिचित कराता है।

शिक्षकों के इस अतुल्य योगदान को देखते हुए, सभी देशों में अलग-अलग तारीखों पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। ठीक इस प्रकार भारत में इसे 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिन के अवसर पर मनाया जाता है। वे भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति दूसरे और राष्ट्रपति थे। वे बहुत अच्छे शिक्षक थे और उनहोने अपने जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने कि इच्छा जाहिर की थी और इस प्रकार भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।

जब हम इस दुनिया में आए तो हम पूरी तरह अबोध थे, हमें शिक्षा देने वाली हमारी माता थी, और उस समय वे हमारी शिक्षिका थीं। हमारे अभिभावक हमारे पहले शिक्षक कहलाते हैं, अगर वे न होते तो शायद हम अपनी मूल-भूत दैनिक कार्यों को करने में इतने सामर्थ्य नहीं हो पाते। उन्होंने हमें बोलना, चलना, अपने दैनिक कार्यों को पूरा करना सिखाया। मैं भी अपनी प्रथम गुरू अपनी माता को मानती हूं।

घर से निकलकर बच्चे स्कूल जाते हैं और वहां उनका परिचय अपने विद्यालयी शिक्षकों से होता है। जो उन्हे आगे कि शिक्षा देते हैं। शिक्षक हमें केवल किताबी ज्ञान नहीं देते, वे हमारे सोचने का दायरा बढ़ाते हैं, जिससे हमारे ख्वाबों को पंख मिल पाते हैं और तभी अबदुल कलाम जैसे क्षात्रों कि कलपनाएं आसमान में उड़ पाते हैं।

शिक्षकों के पढ़ाने कि शैली ऐसी होती है वह नीरस विषय को भी रोचक बना देते हैं। छोटे बच्चे शुरु-शुरु में स्कूल नहीं जाना चाहते पर वो शिक्षकों का प्यार ही है जो उनहे स्कूल से प्रेम हो जाता है और धीरे-धीरे स्कूल बच्चों का दूसरा घर बन जाता है और शिक्षक दूसरे अभिभावक। मुझे भी गणित विषय से डर लगता था, परंतु हमारे गणित के शिक्षक ने उसे इतने बेहतरीन तरीके से पढ़ाया कि मुझे यह विषय भाने लगा।

स्कूल – कॉलेज के बाद बालक जब बड़ा होता है, तो जीवन के गुर सीखने के लिये उसे आध्यात्मिक शिक्षक की आवश्यकता पड़ती है और आध्यात्मिक ज्ञान देने वालों को गुरु कह कर बुलाते हैं। जीवन मे गुरु की आवश्यकता सबको होती है। वे हमें जीवन के असल मायने सिखाते हैं और हमारा परिचय ईश्वर से कराते हैं। हिन्दू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी उपर माना गया है। वह इस लिये क्यों कि मनुष्य धरती पर अबोध जन्मता है, वह गुरु ही होते हैं जो उसका परिचय ईश्वर से कराते हैं। देखा जाए तो जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षक की आवश्तकता होती है। जो समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं। उनके बिना जीवन मुमकिन नहीं और अगर है भी तो वह निरुद्देश्य ही होगा। हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं की पूजा की जाती है।

हमारे जीवन का ज्यादातर समय स्कूल में व्यतीत होता है, इसलिये हम स्कूल के शिक्षकों को अधिक याद करते हैं और आजीवन उनके शुक्रगुजार रहते हैं। वाकई, नमन करना चाहूंगी ऐसे शिक्षकों को जो हमें अपने बच्चों सा स्नेह देते हैं और हर हाल में हमारा भला सोचते हैं। इस बदलते दौर में जहां कई बार अपने धोखा दे देते हैं, ऐसे में ऐसे शिक्षक मिलना वाकइ किस्मत की बात होती है और मैं किस्मत वाली हूं कि आप मेरे शिक्षक हैं, मुझे आपसे पढ़ने का मौका मिला। इसी के साथ अपने वाणी को विराम देते हुए आप सबको धन्यवाद कहना चाहूंगी।

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