स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं

स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस पर कविता, 15 अगस्त को देश के आजाद होने पर अपने भावों की काव्यात्मक अभिव्यक्ति का प्रदर्शन है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को एक लम्बें स्वतंत्रता संग्राम के बाद आजाद हुआ था। तभी से हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं। हम यहाँ स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में कुछ स्वरचित कविताएं प्रदान कर रहे हैं।

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भारत के स्वतंत्रता दिवस 2023 पर कविता (Poem on 77th Independence Day of India/15 August 20223 in Hindi)

उम्मीद करते है 15 अगस्त पर लिखी गयी ये कवितायेँ आपको पसंद आएंगी और आपके लिए उपयोगी भी होंगी।

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कविता – 1

“आया पंद्रह अगस्त”

आया पंद्रह अगस्त स्कूल को सब बच्चे गए

हिस्सा बनना है इस पर्व का

उन्होंने पहनकर कपड़े नए

बोले, मां मुझे दिला दो अब तिरंगे नए।।

स्कूल के मंच से देगा भाषण कोई

झांसी, हज़रत, टेरेसा बनेगा कोई

कोई कविता करेगा कोई नृत्य भी

देशभक्ति की बातें करेगा कोई

इक तिरंगे के नीचे सभी झूमेंगे

गीत गाऊंगा जब मैं वतन के लिए

मुझको भी हिस्सा बनना है इस पर्व का

मां मुझे बस दिला दो तिरंगे नए

गांधी नेहरू भगत सिंह है बनना मुझे

वीर अब्दुल हमीद भी है बनना मुझे

जान अपनी जो हंसते हुए दे गए

उन शहीदों के जैसे है मरना मुझे

जान मेरी महज़ एक काफ़ी नहीं

हर जनम हो मेरा इस वतन के लिए

मुझको भी हिस्सा बनना है इस पर्व का

मां मुझे बस दिला दो तिरंगे नए

——————by Shiv Prasad Vishwakarma

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कविता – 2

भारत: सोने की चिड़िया”

क्या पढ़ते हो किताबों में

आओ मैं तुम्हे बताती हूँ,

15 अगस्त की असली परिभाषा

आज अच्छे से समझाती हूँ।

एक दौर था जब भारत को,

सोने की चिड़िया कहते थे।

कैद कर लिया इस चिड़िये को,

वो शिकारी अंग्रेज कहलाते थे।

कुतर-कुतर कर सारे पंख,

अधमरा कर छोड़ा था।

सांसें चल रही थी बस,

ताकत से अब रिश्ता पुराना था।

कहते हैं कि हिम्मत से बढ़ कर,

दुनिया में और कुछ नहीं होता।

कतरा-कतरा समेट कर,

फिर उठ खड़ी हुई वो चिड़िया।

बिखर गए थे सारे पंख,

तो बिन पंखो के उड़ना सीख लिया।

परिस्थिति चाहे जैसी भी थी दोस्तों,

उसने लड़ना सीख लिया।

लड़ती रही अंतिम सांस तक,

और सफलता उसके हाथ लगी।

आज़ादी की थी चाह मन में,

और वो आज़ादी के घर लौट गयी।

आज उस चिड़िया को हम,

गर्व से भारत बुलाते हैं।

और सीना गद-गद हो जाता,

जब हम भारतीय कहलाते हैं।

आज़ादी का यह पर्व दोस्तों,

आओ मिल कर मनाते हैं,

चाहे रहें हम अमेरिका या लंदन

भारत को आगे बढ़ाते हैं,

भारत के गुण गाते हैं और 15 अगस्त मनाते हैं।

———- by Kanak Mishra

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कविता – 3

“आजादी की कहानी”

दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं होता, मन में विश्वास होना चाहिए,

बदलाव लाने के लिए, मन मिटने का भाव होना चाहिए।

बात उस दौर की है जब भारत एक गुलाम था,

हम पर हुकूमत था करता, वो ब्रितानी ताज था।

जुल्म का स्तर कुछ इस प्रकार था की भरी दोपहर में अंधकार था,

हर पल मन एक ही ख्याल सताता, कि अब अगला कौन शिकार था।

किन्तु फिर भी मन में विश्वास था, क्योंकि कलम का ताकत पास था,

जो मौखिक शब्द न कर पाते, ऐसे में ये एक शांत हथियार था।

आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी, आंदोलन बन के वो दमक रही थी,

स्वतंत्रता की बात क्या उठी, चिंगारी शोले बन चमक रही थी।

लिख-लिख कर हमने भी गाथा, दिलो में शोलों को भड़काया था,

सत्य अहिंसा को हथियार बनाकर, अंग्रेजों को बाहर का मार्ग दिखाया था।

आसान नहीं था ये सब कर पाना, इतने बड़े स्वप्न को साकार कर पाना,

श्रेय तो जाता उन योद्धाओं को, जिन्होने रातों को भी दिन था माना।

बहुत मिन्नतों बाद दिखा हमें, आजादी का ये सवेरा था,

आओ मिलकर इसे मनाये, फहरा के आज तिरंगा अपना।

————– by Kanak Mishra

कविता 4

“15 अगस्त के उपलक्ष्य में कविता”

15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,

आजादी के इतने साल बाद भी क्या,

समझ पाए आजादी का मतलब हम।

पहले ब्रिटिश शासन के तहत,

जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,

आज संविधान लागू होने के बाद भी,

जाति-पाति के कारण हो गए हैं,

अपने ही देश में गुलाम हम।

पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,

आज हमारे अपनो ने ही,

बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हमें।

जो भारत पहचान था कभी,

एकता, अखण्डता और विविधता का,

वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का।

बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,

अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,

अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,

दे रहे हैं लगातार त्राश हम।

जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,

बुद्धि को हमारी भरमाया है,

राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,

हमको आपस में लड़वाया है।

बहुत हुआ सर्वनाश अपना,

कुछ तो खुद को समझाओं अब,

देश पर हुए शहीदों की खातिर,

समझो आजादी का मतलब अब।।

जय हिन्द, जय भारत।

                  ———- by Vandana Sharma


कविता 5

“15 अगस्त का दिन है आया”

15 अगस्त का दिन है आया,

लाल किले पर तिरंगा है फहराना,

ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,

सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,

वतन हमारा आजाद हुआ था।

न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर,

न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,

हमने आजादी को पाया था।

भारत माता की आजादी की खातिर,

वीरों ने अपना सर्वस्व लुटाया था,

उनके बलिदानों की खातिर ही,

दिलानी है भारत को एक नई पहचान।

विकास की राह पर कदमों को,

बस अब यूं-ही बढ़ाते जाना है,

देश को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,

एक नया इतिहास बनाना है।

जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाना है,

हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ सिखाना है,

वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं गवाना है,

राष्ट्र का बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,

भारतीयों को आजादी का अर्थ समझाना है।।

…..जय हिन्द, जय भारत।

————- by Vandana Sharma


कविता 6

“स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर”

स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,

विजयी-विश्व का गान अमर है।

देश-हित सबसे पहले है,

बाकि सबका राग अलग है।

स्वतंत्रता दिवस का…………..।

आजादी के पावन अवसर पर,

लाल किले पर तिरंगा फहराना है।

श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,

देश के शहीदों को नमन करना है।

देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,

अब बस आगे बढ़ना है।

पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,

नया परचम फहराना है।

अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,

राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।

बात करे जो भेदभाव की,

उसको सबक सिखाना है।

स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,

विजयी विश्व का गान अमर है।

देश हित सबसे पहले है,

बाकी सबका राग अलग है।।

………….जय हिन्द जय भारत।

————– by Vandana Sharma


कविता 7

“बच्चो के लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता”

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,

आजादी का मतलब नहीं है समझते।

इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,

गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,

तिरंगे का सम्मान है करते,

कुछ देशभक्ति की झांकियों से

दर्शकों को मोहित है करते

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,

आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।

वक्ता अपने भाषणों में,

न जाने क्या-क्या है कहते,

उनके अन्तिम शब्दों पर,

बस हम तो ताली है बजाते।

हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,

आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।

विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,

गुलदाना है बाँटा जाता,

भारत माता की जय के साथ,

स्कूल का अवकाश है हो जाता,

शिक्षकों के डाँट का डर,

इस दिन न हमको है सताता,

हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,

आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।

छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,

लुफ्त बहुत ही है आता,

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,

बस इतना ही है समझते,

आजादी के अवसर पर हम,

खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।

……भारत माता की जय।

————- by Vandana Sharma