स्वतंत्रता दिवस पर शिक्षको के लिये भाषण

वैसे तो हम सब ने स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री और राजनैतिक नेताओं के भाषण सुने हैं।  इसके साथ ही कई सारे शैक्षिक संस्थानो में स्वतंत्रा दिवस पर भाषण दिये जाते हैं। ऐसे कई अवसर होते हैं जब हमें स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देना होता हैं, जिसमें ना सिर्फ हमें अपने विचारों को व्यक्त करना होता है, बल्कि की इस तरह से व्यक्त करना होता है कि हमारी मातृभूमि के प्रति हमारी भावनाएं को प्रदर्शित हो सके।

हर घर तिरंगा पर निबंध || 15 अगस्त पर छात्रों के लिए भाषण

स्वतंत्रता दिवस 2022 पर शिक्षको के लिये भाषण (Speech on Independence Day 2022 (15 August) for Teachers in Hindi)

भाषण 1

आदरणीय, मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्यारे छात्र-छात्राओं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन !

मैं, प्रोमिला शर्मा उच्च माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक भाषण देना चाहूंगी। मुझे विश्वास है कि 15 अगस्त का दिन आप सभी के दिलो में विशेष स्थान रखता होगा और यही कारण है कि हम बेसब्री से इस दिन का इंतजार करते हैं। इस विशेष दिन हम उन सभी महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के याद में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। जिन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान देश के गौरव के लिये बहादुरी से लड़ते हुए अपना सर्वस्व त्याग दिया। भारत का स्वतंत्रता दिवस सिर्फ अंग्रजों से प्राप्त हुई हमारी आजादी को ही नहीं दर्शाता है, बल्कि की यह हमारे देश के उस के उस क्षमता और शक्ति को भी दिखाता है जिसमें लोगों ने साथ मिलकर आजादी जैसे चुनैतीपूर्ण लक्ष्य को भी प्राप्त किया।

आजादी के इन 75 वर्षों में भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, हम सदैव ही प्रगति की ओर अग्रसित रहे हैं और वह दिन दूर नहीं है, जब पूरे विश्व में हमारा देश एक महाशक्ति के रुप में स्थापित होगा।

हमारे देश को आजाद हुए चार वर्ष भी नहीं हुये थे, जब हमारे संविधान के अनुसार हमारा देश एक गणतंत्र बनकर और मजबूत हुआ, जिसकी आज भी पूरे विश्व में प्रसंशा की जाती है। हमारा भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी देश है, यही कारण है कि हमारी शक्ति हमारी विविधता में ही छुपी हुई है। आज हमारा देश कृषि से लेकर प्रौद्योगिकी तक हर क्षेत्र में अग्रणी है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम निरंतर बेहतर होते जा रहे हैं।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ना केवल हम अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, बल्कि की अपने देश के उपलब्धियों को स्मरण भी करते हैं जो हमें बेहतर और लीक से हटकर कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करता है। हम सब को यह जानकर यह प्रसन्नता होती है, कि सैन्य शक्ति के मामले में आज हम दुनियाँ के पांच सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है, और इसका श्रेय हमारे देश के उन वीर सैनिकों को जाता है। जो हमारी सुरक्षा और देश की शांति व्यवस्था के लिये ना सिर्फ दिन-रात सीमा पर तैनात रहते हैं, बल्कि किसी भी आपदा और संकट के समय भी बचाव कार्यों के लिये तत्पर रहते हैं।

अंत में मै यही कहूँगी कि कोई भी देश सर्वोत्तम नहीं होता है हर देश में कुछ ना कुछ कमियाँ होती हैं। किसी देश की दुसरे देश के साथ तुलना करना भी गलत है क्योंकी हर देश अपने में अनोखा होता है और उसकी अपनी कमियाँ और खुबियाँ होती हैं। तो आइये इस स्वतंत्रता दिवस ये संकल्प लेते हैं कि हम अपने देश की तरक्की और उन्नती के लिये हर संभव प्रयास करेंगे। हालांकि अपने मातृभूमि के प्रति अपने स्नेह को दर्शाने के लिये हमें कोई बहुत बड़े कदम उठाने की जरुरत नहीं है क्योंकि बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं में अपना योगदान देकर और स्वदेशी उत्पादो तथा सार्वजनिक परिवाहन उपयोग करके भी हम अपने देश को और सुदंर तथा सुदृढ़ बनाने में सहायता कर सकते हैं।

अंत में मै यही कहना चाहूंगी, हमारा भारत महान, जय हिंद!

15 August 2021 Special: 15 अगस्त को ही आजादी क्यों मनाई जाती है? || 15 अगस्त को ही देशभक्ति क्यों उमड़ती है?

अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर स्लोगन:- “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान”

Slogan by Atal Bihari Vajpayee

भाषण 2

आदरणीय, प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, प्रिय साथियों और मेरे प्यारे छात्र-छात्राओं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन !

मैं नताशा शर्मा – कक्षा 9वीं की अध्यापिका आज की शाम इस स्वातंत्रा दिवस समारोह में आप सभी का स्वागत करती हूँ। यह दिन हम भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 15 अगस्त के दिन ही हमने अंग्रेजी हूकुमत से आजादी हासिल की थी। स्वतंत्रता के बाद भारतीय नागरिक सभी मौलिक अधिकारों का आनंद उठा सकते थे। यह गुलामी की जंजीरो में जकड़े उन सभी भारतीयों के लिये एक नये युग की शुरुआत थी जो एक बार फिर से स्वतंत्र माहैल में अपने इच्छा अनुसार अपना जीवन जी सकते थे।

यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि किस प्रकार से हमारे पूर्वजों को अंग्रेजों द्वारा अनगिनत अत्याचारों का सामना करना पड़ा और उनके द्वारा किये सर्वस्व बलिदान के बाद हमें इस आजादी की प्राप्ती हुई है। भले ही हम कहें की हम उनके द्वारा सहन किये गए कष्टों को समझ सकते हैं पर हम उनके दुखोः की बिलकुल भी कल्पना नहीं कर सकते। उनके इन्हीं प्रयासों के चलते आखिरकार हमे सन् 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई, जिसके पहले सदैव युद्ध और खूनी संर्घष आम बात थी।

हम कह सकते हैं कि यह दशको का संर्घष था, जोकि 1857 से शुरु होकर 1947 तक चला। हमारे महान क्रांतिकारी मंगल पांडेय को प्रथम स्वतंत्रता सेनानी के रुप में याद किया जाता है जिन्होंने सबसे पहले अंग्रजो के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिये भीषण संर्घष की शुरुआत हुई।

जिसके बाद कई सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना पूरा जीवन देश की आजादी के लिये समर्पित कर दिया। भला हम चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिंह और खुदी राम बोस जैसे क्रांतिकारियों के बलिदान को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने इतनी कम उम्र में देश के लिये अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। इसके अलावा हम गाँधी जी और सुभाष चन्द्र बोस के बलिदानों को भी कैसे भूल सकते हैं। निसंदेह गाँधी जी एक महान भारतीय थे। जिन्होंने पूरे विश्व को अंहिसा का महत्वपूर्ण संदेश दिया। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को हमें इतने लम्बे संर्घषों का फल प्राप्त हुआ और हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

हम बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि हमें अपने पूर्वजों से उपहार स्वरुप इस आजादी की प्राप्ती हुई जिससे आज हम इस शांति भरे माहौल में बिना अपने अधिकारों की चिंता किये आजादी से रह सकते हैं। हमारा देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल और शिक्षा के जैसे क्षेत्रों में तेजी से तरक्की कर रहा है, जोकि आजादी से पूर्व संभव नहीं था। इसके साथ ही भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनने की ओर तेजी से आगे बढं रहा है। हम राष्ट्रमंडल, ओलिंपिक और एसियाई खेलों में भी सक्रिय रुप से हिस्सा लेते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

एक भारतीय नागरिक के तौर पे अब हमें अपनी सरकार चुनने का अधिकार है और अब हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में पूरी स्वयत्ता के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। हालांकि हमें अपने देश की प्रति अपनी जिम्मेदारियों से खुद को आजाद नहीं समझना चाहिए और एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें ज़रुरत के समय अपने देश के लिये विपत्तियों का सामना करने से पीछे नहीं हटना चाहीए।

तो बस अब मैं अपने इस भाषण को समाप्त करने की अनुमति चांहूगी, तो आइये हम साथ मिलकर बोलें जय हिंद!

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर स्लोगन:- “वंदे मातरम”

Slogan by Bankim Chandra Chattopadhyay

भाषण 3

आदरणीय मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य प्रिय मित्रों और प्यारे विद्यार्थियों आप सभी का हार्दिक अभिनंदन और आज के इस स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

यह वाकई बहुत ही आंनद का अवसर है की इस वर्ष हमारी आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं और आज इस अवसर पर आप सब को सम्बोधित करते हुए मुझे काफी प्रसन्नता महसूस हो रही है। एक भारतीय के तौर 15 अगस्त के दिन हम बहुत ही गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि इस दिन हमारे पूर्वजों द्वारा किये गए वर्षों के संर्घष और बलिदान के पश्चात अंततः हमारी मातृभूमि एक स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमें कभी भी अपने पूर्वजों द्वारा किये गये बलिदान को नहीं भूलना चाहीए और सदैव अपनी इस आजादी का आदर करना चाहिए, साथ ही हमें अपने ह्रदय में देशभक्ति की भावना रखनी चाहिए। क्योंकि यदि हम ऐसा नहीं करते तो ये हमारे पूर्वजों और क्रांतिकारीयों का अपमान होगा।

हमारा देश हमेशा से ही समृद्ध रहा है, जिसके वजह से इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। अंग्रजों ने सीधे तौर पे हम पर हमला नहीं किया, बल्कि की उन्होंने व्यापार के बहाने अपने धूर्त और कपटी नितीयों के द्वारा हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा किया। जिसके लिये उनहोंने “बांटो और राज करो” जैसे नितीयों का सहारा लिया। हम सब जानते हैं कि हमारा देश विविधता से भरा हुआ और अंग्रजों ने इसी का फायदा उठाते हुए हमें धर्म, जाति, वर्ग और सम्प्रदाय तमाम तरह के आधारों पर बांट दिया और हम भारतीय उनके इस धूर्तता भरे व्यवहार को पहचान न सके और अपनी हर एक प्यारी चीज़ गवां बैठे।

जब अंग्रजों का यह कष्टदायी और आततायी व्यवहार सभी सीमाओं को पार कर गया तब चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, रानी लक्ष्मी बाई जैसे कई आजादी के मतवाले सामने आए और इस परिस्थिती का डटकर सामना करते हुए अंग्रजों को हमारे देश से खदेड़ने में कामयाब रहें। इसी के साथ ही उन्होंने अंग्रजों के कुटील नितीयों का भी पर्दाफाश किया, जिसके अंतर्गत वह हमारे देश में अपना शासन स्थापित करना चाहते थें। काफी संर्घषों के पश्चात और लोगों के संगठित के प्रयासों के चलते हम आजादी प्राप्त करने में सफल रहें। हमारे क्रांतिकारियों ने उस सुनहरे सपने को देखा, जिसमें हमारा देश पूर्ण रुप से आजाद हो और अपने इस सपने को पूरा करने के लिये ना सिर्फ उन्होंने लड़ाई लड़ी बल्कि की मातृभूमि के लिये अपने प्राणों का भी बलिदान दे दिया।

इस पूरे समयकाल के दौरान हमारा देश ने कई कठिनाईयों का सामना किया। हालांकि एक बार स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद हमने कभी पीछे मुढ़कर नहीं देखा। हमारा देश विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि और उद्योग में भी तेजी से तरक्की कर रहा है। इस दौरान हमारे देश में कई आतंकवादी हमले और राजनैतिक घोटाले हुए। जिन्होंने हमारे देश के अर्थव्यवस्था और एकता को हिलाकर रख दिया, लेकिन फिर भी हमारा देश उसी जोश और उमंग के साथ आगे बढ़ रहा है।

तो आइये शपथ लेते हैं कि हम हमेशा अपने कार्यों से अपने देश का गौरव बढ़ाने का प्रयत्न करेंगे और अपने पूर्वजों और महान क्रांतकारियो के बलिदान को कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

आप सभी का धन्यवाद, तो आइये साथ मिलकर बोलते हैं मेरा भारत माता महान!

सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर स्लोगन:- “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”

Slogan by Subhash Chandra Bose

भाषण 4

आप सभी को शुभ प्रभात इसके साथ ही आप सब को इस स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

विद्यार्थियों आप सभी आश्चर्यचकित होंगे की हमारे विद्यालय में आज स्वतंत्रता दिवस के दिन इस कार्यक्रम का आयोजन क्यों किया गया है, जबकि हर बार यह कार्यक्रम एक दिन पहले आयोजित किया जाता है। तो मैं आपको बता दूँ कि विद्यालय समिति द्वारा यह निर्णय इस लिए गया है ताकि इस अवसर को और भी खास बनाए जा सके। स्वतंत्रता दिवस हमारे देश में राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित है और जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह 15 अगस्त के दिन मनाया जाता है।

आज के ही ऐतहासिक दिन हमारे देश को हमारे पूर्वजों के संर्घषों और बलिदानों के चलते हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी, इसलिये हम भारतीयों के लिये यह एक महात्वपूर्ण दिन है। महात्मा गाँधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों ने हमारे देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिये अपने प्राणों की आहुती दी। तो आइये उन सभी महान आत्माओं का स्मरण करते हैं, जिन्होने स्वंय के लिये न जीकर अपनी इस मातृभूमि के लिये जीवन व्यतीत किया।

इसके आलावा अपने देश के प्रति निष्ठा से कार्य करने के साथ ऐसा कोई कार्य ना करके जिससे हमारे राष्ट्र के एकता और अखंडता पे आघात आये और ऐसा करक के भी अपने क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। इस देश में पैदा होने और यहाँ के नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने देश का नाम रोशन करें। हमसे यह उम्मीद नहीं की जाती है कि हम जोश में आकर युद्ध करें बल्कि की हमसे जितना हो सके अपने देश हित में काम करे, क्योंकि यही सच्चे मायने में यही देशभक्ति है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की एक व्यक्ति पेशे से डॉक्टर, इंनजिनयर, शिक्षक या पायलट है, महत्व इस बात का है कि हम जो भी कार्य करें, उसे पूरी मेहनत और ईमानदारी से करें। इसके अलावा हमें मेहनत से बिना किसी को कोई नुकसान पहुचाए अपनी मातृभूमि की सेवा करनी चाहिए। जिससे हम में भाईचारे, दया और सत्यता आदि गुण उत्पन्न हो।

एक धोखेबाज और गलत प्रवृत्ति का वयक्ति ना सिर्फ अपने परिवार का बल्कि की पूरे राष्ट्र का नाम कलंकित करेगा और हमारे राष्ट्र को ऐसे लोगों की कोई आवश्यकता नहीं है। हमारे देश को ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है, जोकि मेहनती और ईमानदार हो। तो विद्यार्थियों जैसा कि आप सभी इस देश का भविष्य हैं, इसलिए आप से अपेक्षा की जाती है कि आप ऐसे रास्ते पर चलेंगे और आचरण का पालन करेंगे जिससे कभी भी हमारे देश का शीश ना झुके।

हमारा देश की भूमि एक बहुत ही समृद्ध भूमि है, जहाँ विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों का अनुसरण करने वाले रहते हैं। हम प्राचीन समय से ही आयुर्वेद और विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष पर रहे हैं। इन्हीं गुणों के चलते भारत अन्य देशों की तुलना में काफी लोकप्रिय है। हमारा भारत अपने विशाल सांस्कृतिक, सामाजिक और भैगोलिक विविधताओं के लिये भी जाना जाता है।

इसलिये हमे गर्व होना चाहिए की हमने भारत जैसे देश में जन्म लिया, जोकि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक तेज विकासशील देश है। हमने दूरसंचार, हरित क्रांति, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की है और इसके साथ ही अब हम सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी उभरते हुए देशो में से एक है।

मैं यह उम्मीद करता हूँ की हमारा देश इसी प्रकार से हर क्षेत्र में उन्नति करते हुए आने वाले समय में विश्व में अगले महाशक्ति के रुप में स्थापित होगा। अपनी तरफ से मैं आप सब से बस इतना ही कहना चाहता था।

धन्यवाद!

जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर स्लोगन:- “आराम हराम है”

Slogan by Jawaharlal Nehru

संबंधित जानकारी:

देशभक्ति पर भाषण

प्रधानाचार्य के लिये स्वतंत्रता दिवस पर भाषण

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *