जैसा कि हम जानते हैं कि दिवाली के त्योहार का हम सभी के जीवन में एक खास महत्व है। इस त्योहार के इसी महत्व के कारण यह हमारे जीवन में काफी उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही विद्यालय वह भी वह खास स्थान है जहां छात्रों द्वारा इस त्योहार पर कई तरह की तैयारियां की जाती हैं तथा इस पर्व के महत्व और विषयों पर भाषण भी दिये जाते हैं।
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विद्यार्थियों के लिए दिवाली पर लंबे तथा छोटे भाषण (Long and Short Speech on Diwali for Students in Hindi)
भाषण – 1
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षक गण एवं मेरे प्यारे भाइयों और बहनों; इस त्योहार के मौसम में हम सब का मन बाजारों में आये रंग-बिरंगे सामान और नए डिज़ाइन के कपड़ों पर होंगे, परन्तु दीवाली में अभी कुछ समय है। आज मैं नित्या रॉय, इस अवसर पर आप लोगों के सामने कुछ शब्द बोलना चाहती हूँ। दरअसल मैं कुछ आकड़े आपके सामने प्रस्तुत करूँगी जिससे कई बातें निकल कर आयेंगी जो हमें जाननी चाहिए।
दीवाली भारत में मनाए जाने वाले एक प्रसिद्ध त्योहार का नाम है, जिसे भारत के अलावा कई अन्य देशों जैसे कि नेपाल, मलेशिया, आदि में हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है। हम हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली का पर्व मनाते हैं। जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नवंबर माह में आता है। दीवाली के साथ सर्दियां भी दस्तक देती हैं और किसी भी उत्सव को मनाने का यह सबसे बेहतरीन समय होता है। दीवाली के विषय में दी गयी यह सामान्य जानकारी सब के पास है परन्तु कुछ ऐसे पहलू हैं जो अछूते रह जाते हैं।
भारत में दुनिया की सबसे अधिक युवा जनसंख्या है और किसी भी मुद्दे पर एक राय बनाने के लिये यह जरूरी है की हमारे युवा एक जुट रहें। जैसा की दीवाली रोशनी का त्योहार है, परन्तु आज से पहले कई दशकों से हम इस दिन की शोभा पटाखों से बढ़ाते आये हैं। परन्तु अब समय आ गया है की हम सब थोड़ा रुकें और इस विषय पर सोचें।
पटाखों से न केवल वायु प्रदूषण होता है अपितु ध्वनि प्रदूषण भी होता है। हमें कुछ समय के लिये तो बहुत अच्छा लगता है परन्तु इसके लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभाव बहुत हानिकारक हैं। एक ओर देश की वायु ऐसे ही दूषित होती जा रही है तो वही दूसरी तरफ त्योहार के नाम पर हम इसे और भी दूषित कर देते हैं। अगर विश्व के कुछ शीर्ष देशों की सूची निकाली जाये जिनकी वायु सबसे अधिक प्रदूषित है तो, पहले के पांच शहर भारत के ही हैं। ऐसी स्थिति में हम युवा अगर अपने देश के बारे में नहीं सोचेंगे तो कौन सोचेगा?
जरूरी नहीं की दूषित वायु के कारण हर बार कोई दूसरा ही बीमार पड़े, आप भी इसका शिकार हो सकते हैं या फिर आपका कोई अपना। जिस प्रकार कैंसर का इलाज उसके प्रथम चरण में जितना मुमकिन है उतना आखिरी में नहीं, ठीक उसी प्रकार अभी हमें वायु प्रदूषण को रोकने की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण के अतिरिक्त ध्वनि प्रदूषण भी कोई छोटी समस्या नहीं है। इससे छोटे बच्चे, जानवर, मरीज, आदि बेहद प्रभावित होते हैं, इसलिये वचन ले की इस बार की दीवाली केवल दीयों को सजा कर ही मनाएंगे और किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाएंगे और न दूसरों को फैलाने देंगे।
पटाखों के अतिरिक्त एक वचन और लें कि इस वर्ष केवल भारत में बने उत्पादों से ही अपने घरों को सजाएंगे और “लोकल के लिये वोकल बनेंगे”। हम युवा ही अपने देश को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं और इसकी अर्थव्यवस्था को सुधरने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
भारत में हर वर्ष 19 मिलियन से अधिक लाइट चीन से आयातित किया जाता है, तो आप समझ सकते हैं की कितना भारतीय पैसा ऐसे दूसरे देशों में आसानी से चला जाता है। दूसरों से उत्पाद लेने के बजाय अपने देश के सामान को तवज्जोह दें और देश के विकास में आपना भी योगदान दें, क्योंकि बढ़ेगा इंडिया तभी तो बेहतर होगा इंडिया।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपने वाणी को विराम देना चाहती हूँ धन्यवाद।
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भाषण – 2
आदरणीय प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्रिय भाइयों व बहनों, आप सभी का इस कार्यक्रम में हार्दिक अभिनंदन है।
मैं, कल्पना श्रीवास्तव – कक्षा 12 की छात्रा आप सबको आज के विशेष अवसर पर दिवाली के पर्व पर एक भाषण देना चाहुंगी। जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह त्योहारों का मौसम है और हमारा सबसे पसंदीदा त्योहार दिवाली काफी पास आ गया है। यहीं कारण है कि हम सब इतने उत्साहित हैं, लेकिन सबसे खास बात यह है कि हम से कितने लोग इसे रोकने के लिए जरुरी कदम उठाते है और इस विषय में कुछ अच्छा करते हैं। ऐसा कहना एक बात है पर इस विषय में कुछ करना एक अलग ही चीज है।
इस त्योहार के बाद पर्यावरण की स्थिति बहुत ही दयनीय हो जाती है और लोगों के लिए श्वास लेना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों का इस समस्या से सबसे ज्यादे प्रभावित होते हैं। जिससे की उनमें कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे की सांस लेने में दिक्कत होना, आँखो की समस्या आदि।
हालाकि इन बातों से भलीभांतिपरिचित होने और पटाखों के पर्यावरण पर बढ़ते दुष्प्रभावों को जानने के बावजूद भी कई लोग भारी मात्रा में इन्हें खरीदकर दिवाली के दौरान फोड़ते हैं। आकाश में फैलने वाली भयावह धुंध पटाखें फोड़ने के सबसे भयावह परिणामों में से एक है। मेरे प्रिय विद्यार्थियों मेरा उद्देश्य आप सबको इतने शुभ त्योहार को मनाने से रोकना नही हैबल्कि की आपको यह समझाना है कि हमारे इन कार्यों द्वारा हमारे पर्यावरण पर कितने विध्वंसक परिणाम उत्पन्न होते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति होने के कारण यह हमारा उत्तरदायित्व है कि हम अपने जिम्मेदारियों के प्रति और भी ज्यादे सजग हों और अपने आस-पास के लोगों को भी इसके प्रति जागरुक करने का प्रयास करें।
प्रिय छात्रों, यह हमारा पर्यावरण है और हम इस ग्रह के निवासी हैं। तो यह हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि अपने दायित्व को निभायें और अपने इस ग्रह की ना सिर्फ अपने आने वाली पीढ़ीयों के लिए हर कीमत पर रक्षा करने का प्रयास करें बल्कि अपनी धरती माँ के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए अपने जिम्मेदारी का निर्वहन करें। ऐसा नही है कि पटाखें ना फोड़ने पर हमारे त्योहार की रौनक खत्म हो जायेगी या फिर यह बोरियत भरा हो जायेगा, ऐसे और भी कई उपाय है जिसके द्वारा हम इस त्योहार को और भी ज्यादे मजेदार बनाने का कार्य कर सकतें है। जैसे कि दिया जलाना, दिये वाली पतंगे उड़ाना, मिठाईयां बाटनां और यदि आप पटाखें फोड़ना ही चाहते हैं, तो ऐसे पटाखे फोड़े जो पर्यावरण के लिए सबसे कम हानिकारक हो और इनका उपयोग भी सीमितमात्रा में ही करें।
अगर हममें से हर एक व्यक्ति इस मुद्दे को लेकर थोड़ा सजग हो जाये तो हम अपने पर्यावरण की और भी ज्यादे क्षति होने से काफी आसानी से बचा सकते हैं तथा दिवाली जैसे त्योहार को और भी ज्यादे सार्थक और अच्छा बना सकते हैं।
मेरे भाषण को इतने धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद!
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भाषण – 3
आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षक महोदय और प्रिय दोस्तों, आप सभी का इस कार्यक्रम में बहुत-बहुत स्वागत है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि दिवाली का त्योहार काफी करीब आ गया है और मुझे इस बात का पुरा भरोसा है कि आप भी इस खास त्योहार को लेकर काफी उत्साहित होंगे। लेकिन मैं आपको दिवाली पर आतिशबाजी के कारण होने वाले दुष्परिणामों के विषय में सचेत करना चाहुंगा।
पटाखे फोड़ना ना सिर्फ पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि की मनुष्यों के लिए भी काफी खतरनाक है क्योंकि इसमें कई तरह के विषैले और घातक रासायनिक तत्व मिले हुए होते हैं जैसे कि सल्फर डाई आक्साइड, कार्बन मोनो अक्साइड आदि। यह जहरीली गैसे हमारे श्वसन प्रणाली को कई तरह के नुकसान पहुचांने के साथ ही हमारे शरीर में आक्सीजन तत्वों की भी कमी कर देते हैं। इसके अलावा यह ना सिर्फ वायु प्रदूषण फैलाते है बल्कि की ध्वनि प्रदूषण को भी बढ़ाते हैं।
ज्यादेतर बच्चे और बुजुर्ग पटाखों के फूटने के कारण होने वाले तेज आवाजों से सबसे ज्यादे प्रभावित होते हैं। इन पटाखों के कारण होने वाला शोर-शराबा इतना खतरनाक होता हैं कि कई बार यह स्थायी बहरेपन का भी कारण बन सकता है। इसके अलावा जिन व्यक्तियों में ह्रदय समस्या, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और प्रतिरक्षा तंत्र से जुड़ी हुई समस्याएं होती हैं, उनमें वायु प्रदूषण से प्रभावित होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।
हम सबको एक साथ मिलकर अपने पृथ्वी तुल्य इस माँ को बचाने और इसके संसाधनो को संरक्षित करना का प्रयास करना होगा ताकि हम हानिकारक गैसों और प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस ले सके।
हमारे इन आँखो को भाने वाले पटाखों में कई तरह के भारी लौह कण और हानिकारक गैसे मौजूद होती है, जिसमें से सबसे खतरनाक माने जानी वाली कार्बन डाईअक्साइड होती है, यही वह गैस है जो हमारे पर्यावरण को सबसे ज्यादे नुकसान पहुंचाती है और ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी मुख्य रुप से जिम्मेदार है।
इन हानिकारक पटाखों को फोड़ने के जगह हमें दीप जलाने चाहिए, अपने घरों की साफ-सफाई करनी चाहिए, अपने घरों में स्वादिष्ट मिठाईयों को बनाने में सहायता करनी चाहिए, माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली बनानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दिवाली अंधकार पर प्रकाश के विजय का पर्व है, यहीं कारण है कि हम दिये जलाते हैं और अपने घरों से अंधकार को दूर करते हैं।
हालांकि हम एकसाथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए कई सारे कदम उठा सकते हैं। भारत सरकार द्वारा पटाखों को प्रतिबंधित किया जा चुका है फिर भी लोग इन नियम कानूनों को नही मानते हैं, इसलिए इन नियमों को कड़ाई द्वारा लागू किया जाना चाहिए। कई सारे विद्यालयों और संगठनों द्वारा छात्रों के साथ-साथ लोगों को भी प्रदूषण मुक्त दिवाली का महत्व समझाने का कार्य किया जाता है। मीडिया चैनलों और उनके प्रमुखों द्वारा ऐसे अभियानों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिनमें पटाखों के हानिकारक परिणामों को बताते हुए लोगो को जागरुक करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए टेलीवीजन और रेडियो पर कई सारे कार्यक्रम चलाये जाते है, जिसमें लोगो को पटाखों के द्वारा होने वाले ध्वनि प्रदूषण के विषय में सचेत किया जाता है।
इसलिए, मैं आप सबसे हमारे सरकार की सहायता करने और पटाखे पे प्रतिबंध के निर्णय का समर्थन करने की अपील करुंगा।
आप सभी का धन्यवाद!
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भाषण – 4
आदरणीय प्रधानचार्य, उप प्रधानाचार्य, प्रिय शिक्षकों और मेरे प्यारे सहपाठियों आप सभी का इस भाषण प्रतियोगिता में हार्दिक स्वागत है।
दिवाली का त्योहार अब काफी नजदीक आ चुका है और मैं निकीता शर्मा कक्षा 12 की छात्रा आप सबके सामने आज दिवाली के विषय पर भाषण दुंगी। दिवाली को प्रकाश और रंगो के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए दिवाली सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है क्योंकि यह अंधकार पर प्रकाश जीत को प्रदर्शित करता है। यही कारण है कि हम इस त्योहार पर अपने घरों में दिये जलाते हैं।
हम सभी ने अपने घरों में देखा होगा कि हमारी माताएं दिवाली के एक हफ्ते पहले ही घरों की साफ सफाई करना शुरु कर देती है, आखिर हमने सोचा है कि क्यों हमारे जीवन में दिवाली का इतना ज्यादे महत्व है। ऐसा माना जाता है कि दिवाली के शुभ दिन जो घर साफ सुथरे रहते हैं उन घरों में देवी लक्ष्मी आती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
हम सभी ने अपने दादा-दादी से दिवाली के विषय में कई तरह की किस्से कहानियाँ सुनी होंगी। कई परिवारों का मानना है कि यह त्योहार बुराई पर अच्छाई के जीत के रुप में मनाई जाता है वही कई लोगो का मानना है कि यह धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी तथा ज्ञान के देवता भगवान गणेश के सम्मान में मनाया जाता है। हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटने के खुशी में अयोध्यावासियोंने घी के दिये जलाये थे और यही से दिवाली के पर्व की शुरुआत हुई थी।
इसी तरह दूसरे हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार, कुछ लोगों ने पांडवो के 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अग्यातवास के बाद उनके राज्य में वापस लौटने पर दीप जलाकर दिवाली का त्योहार मनाया था। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि दिवाली का त्योहार तब शुरु हुआ जब देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन के पश्चात देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई। दिवाली का त्योहार भारत के कुछ पश्चिमी और उत्तरी भागों में नव वर्ष के शुभआरंभ का भी समय है। इसके साथ ही सिख धर्म के लोगो द्वारा स्वर्ण मंदिर में सिख धर्म के कई गुरुओं को श्रद्धांजलि देने के लिए भी मनाई जाती है। इसी तरह जैन धर्मावलम्बियों द्वारा इसे महावीर स्वामी के ज्ञान प्राप्ति का दिन भी माना जाता है। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि क्योंकि भारत एक बहुत ही विविधता वाला देश है, इसलिए यहा विभिन्न धर्मों में दिवाली को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं।
हालांकि दिवाली प्रकाश का पर्व है पर फिर भी हममें से कई लोग इस दिन का जश्न मनाने के लिए प्रदूषण फैलाने में भी संकोच नही करते हैं। पटाखों का उपयोग करना ना सिर्फ खतरनाक है। पटाखों का उपयोग करना ना सिर्फ अस्थमा के रोगियों के लिए खतरनाक है बल्कि की सामान्य लोगों के लिए भी काफी खतरनाक है। यह हवा में कई तरह के जहरीले तत्व मुक्त करते हैं जैसे कि कार्बन मोनो अक्साइड, सल्फर डाईअक्साइड आदि। जिसके कारण अंत में प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती हैं।
इसलिए दिवाली पर पटाखे ना फोड़ने की इस जिम्मेदारी को हम सब को मिलकर उठाना होगा और अपने आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण संरक्षण का कार्य करना होगा। ऐसा नही है कि सिर्फ मनुष्य पटाखों द्वारा उत्पन्न होने वाले कई तरह के प्रदूषणों से प्रभावित होते हैं बल्कि की यह कई पशुओं और पक्षियों को भी समान रुप से नुकसान पहुंचाता है और पटाखों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण के कारण उनके शरीर में आक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है और कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, कई बार इसकी मात्रा ज्यादा होने के कारण उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
तो आइये हम सब साथ मिलकर प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाने का प्रण ले।
मेरे इस भाषण को इतने धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद!
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